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Spiritual Significance & Benefits of the 10 Directions

10 दिशाओं का अध्यात्मिक महत्व

भारतीय अध्यात्मिक परंपरा और वास्तु शास्त्र में कुल 10 दिशाओं का उल्लेख किया गया है। ये दिशाएँ केवल चार प्रमुख दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण) तक सीमित नहीं होतीं, बल्कि उनके बीच की चार कोणीय दिशाओं और आकाश एवं पाताल को भी शामिल करती हैं। इन 10 दिशाओं का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व है।

10 दिशाओं का विवरण इस प्रकार है:

1. पूर्व (East):

  • सूर्योदय की दिशा, इसे शुभ दिशा माना जाता है।
  • यह दिशा ज्ञान, शांति और प्रगति का प्रतीक है।
  • वास्तु में घर का मुख्य दरवाज़ा या खिड़कियाँ पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है।

2. पश्चिम (West):

  • सूर्यास्त की दिशा।
  • इसे स्थिरता और संघर्ष की दिशा माना जाता है।
  • इस दिशा का उपयोग स्टोर रूम या भारी वस्त्र रखने के लिए किया जाता है।

3. उत्तर (North):

  • यह दिशा धन, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा की दिशा मानी जाती है।
  • भगवान कुबेर की दिशा, जिसे आर्थिक लाभ के लिए अनुकूल माना जाता है।

4. दक्षिण (South):

  • इसे यम (मृत्यु के देवता) की दिशा माना जाता है।
  • यह दिशा स्थिरता का प्रतीक है, लेकिन गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर इसके नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
  • वास्तु शास्त्र में यह दिशा विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है।

5. आग्नेय (Southeast):

  • यह पूर्व और दक्षिण के बीच की दिशा है।
  • इसे अग्नि कोण कहा जाता है, जो अग्नि तत्व से संबंधित है।
  • रसोईघर के लिए यह दिशा सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

6. नैऋत्य (Southwest):

  • यह दक्षिण और पश्चिम के बीच की दिशा है।
  • इसे पृथ्वी तत्व से संबंधित माना जाता है, जो स्थिरता का प्रतीक है।
  • इस दिशा को घर का सबसे भारी हिस्सा माना जाता है और मुख्यतः घर के मालिक का कमरा इस दिशा में होना शुभ होता है।

7. वायव्य (Northwest):

  • यह उत्तर और पश्चिम के बीच की दिशा है।
  • इसे वायु तत्व से संबंधित माना जाता है, जो गति और परिवर्तन का प्रतीक है।
  • इस दिशा को मेहमानों या परिवहन के साधनों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

8. ईशान (Northeast):

  • यह उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा है।
  • इसे जल तत्व से संबंधित माना जाता है और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
  • घर का पूजा स्थल या जल स्रोत (जैसे कुंआ या बोरवेल) इस दिशा में होना शुभ होता है।

9. ऊर्ध्व (Upward/Sky/Zenith):

  • इसे आकाश दिशा भी कहा जाता है।
  • इसका संबंध ईश्वर, आध्यात्मिकता और आकाशीय ऊर्जा से है।
  • यह दिशा आत्मिक और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक है।

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10. अधो (Downward/Nadir):

  • यह पाताल या धरती के नीचे की दिशा होती है।
  • इसका संबंध छिपी हुई शक्तियों, पाताल लोक और स्थिरता से होता है।

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इन दिशाओं का महत्व

इन 10 दिशाओं का वास्तु, तंत्र, ज्योतिष और धार्मिक क्रियाओं में विशेष महत्व है। किसी भी पूजा, तंत्र विधि, या वास्तु में इन दिशाओं का समुचित ध्यान रखा जाता है ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सही तरीके से हो और नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके।

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