सुब्रह्मण्य कवच पाठ- हर तरह की रक्षा के लिये
Subramanya Kavacham Path, भगवान कार्तिकेय, जिन्हें मुरुगन, स्कंद या सुब्रह्मण्य के नाम से भी जाना जाता है, का रक्षा स्तोत्र है। यह कवच पाठ व्यक्ति को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों, रोगों और जीवन की अन्य कठिनाइयों से बचाने के लिए माना जाता है। इसे पाठ करने से आत्मविश्वास, साहस और विजय प्राप्त होती है।
सुब्रह्मण्य कवचम् संपूर्ण पाठ और अर्थ
कवचम् पाठ:
श्री गणेशाय नमः ।
अस्य श्रीसुब्रह्मण्य कवचस्य, ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः,
सुब्रह्मण्यो देवता, हंसः शक्तिः, महासेनो बीजं,
शक्तिधरो बलं, शिखिवाहनो कीलकं, मम
सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
अथ ध्यानम् ॥
ध्यानं जपेत् सकल सिद्धिकरं कुमारं,
कण्ठे महोरग मखं शशिकोटि शोभं ।
कर्तारि चर्म वरमारुशिलं गृहं वा,
हेमद्युतिं द्विभुजमाकुसुमेत्यहं भजे श्रीं॥
स्तोत्रम् ॥
सुब्रह्मण्य शिरः पातु भालं पात्वेकदन्तजित् ।
नेत्रे पातु महासेनः श्रोत्रे पात्वभयङ्करः ॥ १ ॥
सुब्रह्मण्योऽवतात्वो मे मुखं स्कन्दः सदावतु ।
दन्तानि तारकजितः कण्ठं पात्वृषभध्वजः ॥ २ ॥
भुजौ पातु शिखिध्वजः स्कन्धौ पात्वतिसुन्दरः ।
हृदयं शंकरः पातु जठरं पातु पर्वतः ॥ ३ ॥
नाभिं पातु कुमारेशः कटिं पातु महाबलः ।
ऊरू मम रथारूढः जानुनी क्रौञ्चदारणः ॥ ४ ॥
सर्वाङ्गं पातु मयूरः पादौ गुहः सदावतु ।
सुब्रह्मण्यावतु प्राज्ञः सदा व्याघ्रशिखण्डिनः ॥ ५ ॥
वज्रपञ्जरनामायं कवचं वै कुमानिलम् ।
यः पठेत् प्रयतो भक्त्या सोऽपि मुक्तो भवेद्ध्रुवम् ॥ ६ ॥
मन्त्रैश्च रचिता माला येन स्वयम्भुविनिर्मिता ।
धारयेत् प्रतिकाले यः स देवः स्याज्जनेश्वरः ॥ ७ ॥
अमायां वा अमावास्यायां सकृज्जप्त्वा निरामयः ।
मृत्युमाप्नोति सर्वज्ञः स शचीपतिसंनिभः ॥ ८ ॥
इति श्रीसुब्रह्मण्यकवचं सम्पूर्णम् ॥
ब्रह्मण्य कवचम् अर्थ:
- श्री गणेशाय नमः: इस कवच का आरंभ भगवान गणेश के स्मरण से होता है, जो सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं।
- अस्य श्रीसुब्रह्मण्य कवचस्य… जपे विनियोगः: इस मंत्र का उपयोग सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।
- अथ ध्यानम्: ध्यान में भगवान सुब्रह्मण्य का स्वरूप वर्णन किया गया है, जिनके कंठ में नाग है और जो चंद्रमा के समान चमकते हैं।
- स्तोत्रम्: भगवान सुब्रह्मण्य के विभिन्न अंगों की सुरक्षा के लिए इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है। यह कहता है कि सुब्रह्मण्य हमारे सिर, भाल, नेत्र, कान, मुख, और सभी अंगों की रक्षा करें।
- कवच का महत्त्व: इस कवच के पाठ से व्यक्ति सभी संकटों से सुरक्षित रहता है, मुक्ति प्राप्त करता है, और समाज में सम्मानित होता है।
- समाप्ति: इस कवच के पाठ के अंत में भगवान सुब्रह्मण्य से सभी प्रकार की रक्षा की प्रार्थना की जाती है।
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सुब्रह्मण्य कवचम् के लाभ
- शत्रु नाशक: शत्रुओं से रक्षा और विजय प्राप्त होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: शरीर और मन को रोगों से मुक्त करता है।
- आत्मविश्वास: व्यक्ति के आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाता है।
- विजय: सभी प्रतियोगिताओं और युद्धों में विजय प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति होती है।
- धन लाभ: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
- मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन की प्राप्ति होती है।
- रक्षा: नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से रक्षा होती है।
- परिवार की सुरक्षा: परिवार के सभी सदस्यों की सुरक्षा होती है।
- विवाह में सफलता: वैवाहिक जीवन में सुख और सफलता प्राप्त होती है।
- शक्ति प्राप्ति: व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति और संतान सुख में वृद्धि होती है।
- विद्या लाभ: विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- आयु वृद्धि: दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
सुब्रह्मण्य कवचम् पाठ की विधि
दिन और अवधि:
- दैनिक पाठ: इसे प्रतिदिन करना चाहिए, खासकर मंगलवार और शुक्रवार को।
- अवधि: ४१ दिनों तक लगातार पाठ करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
- मुहुर्त: प्रातःकाल और सायंकाल का समय सर्वोत्तम होता है।
पूजा की विधि:
- स्वच्छता का ध्यान रखें और साफ-सुथरी जगह पर बैठकर पाठ करें।
- भगवान सुब्रह्मण्य की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं और फूल अर्पित करें।
- कम से कम १०८ बार “ॐ सर्वेश्वराय नमः” मंत्र का जाप करें।
- उसके बाद सुब्रह्मण्य कवचम् का पाठ करें।
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सुब्रह्मण्य कवचम् के नियम
- पूजा की गोपनीयता: साधना को गुप्त रखना आवश्यक है।
- स्वच्छता: पाठ से पहले शारीरिक और मानसिक स्वच्छता का ध्यान रखें।
- अविचलित ध्यान: पाठ करते समय ध्यान केवल भगवान सुब्रह्मण्य पर केंद्रित रखें।
- भक्ति भाव: पाठ करते समय श्रद्धा और भक्ति से भरे रहें।
- अहिंसा: साधना के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा से बचें।
- सात्त्विक आहार: सात्त्विक भोजन का सेवन करें और तामसिक आहार से बचें।
- समय की पाबंदी: पाठ का समय नियमित होना चाहिए।
- शुद्ध वस्त्र: सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनें।
- अन्य मंत्रों का त्याग: साधना के दौरान केवल सुब्रह्मण्य कवचम् का ही पाठ करें।
- साधना का स्थान: जहां पर साधना करें वह स्थान शुद्ध और पवित्र होना चाहिए।
सुब्रह्मण्य कवचम् सावधानियां
- नकारात्मक विचार: पाठ करते समय नकारात्मक विचारों से बचें।
- अनियमितता: पाठ को नियमित रूप से करें और किसी भी दिन न छोड़ें।
- दृष्टिभ्रम: साधना के दौरान किसी भी प्रकार के दृष्टिभ्रम या अन्य विचलनों से बचें।
- अत्यधिक अपेक्षा: फल की अत्यधिक अपेक्षा न रखें; विश्वास और भक्ति से पाठ करें।
- विचलन से बचें: किसी भी प्रकार के विचलन से बचें, जैसे कि मोबाइल फोन, टीवी आदि।
सुब्रह्मण्य कवचम् पाठ प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: सुब्रह्मण्य कवचम् किसके लिए उपयुक्त है?
उत्तर: यह कवच उन सभी के लिए उपयुक्त है जो जीवन में सुरक्षा, विजय और आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं।
प्रश्न 2: क्या इसे किसी विशेष दिन करना चाहिए?
उत्तर: हां, मंगलवार और शुक्रवार को इसका पाठ करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
प्रश्न 3: क्या सुब्रह्मण्य कवचम् केवल ४१ दिनों तक ही करना चाहिए?
उत्तर: नहीं, आप इसे जीवन भर कर सकते हैं, लेकिन ४१ दिन तक नियमित पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
प्रश्न 4: क्या कवच का पाठ करने के दौरान पूजा करना अनिवार्य है?
उत्तर: हां, पूजा के साथ पाठ करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
प्रश्न 5: क्या इसे गुप्त रूप से करना चाहिए?
उत्तर: हां, साधना को गुप्त रखना चाहिए ताकि उसकी शक्ति और प्रभाव बढ़ सके।
प्रश्न 6: क्या साधना के दौरान किसी प्रकार का आहार नियम है?
उत्तर: हां, साधना के दौरान सात्त्विक आहार का पालन करें।
प्रश्न 7: क्या यह कवच किसी भी विपत्ति से रक्षा करता है?
उत्तर: हां, यह कवच नकारात्मक शक्तियों, रोगों और शत्रुओं से रक्षा करता है।
प्रश्न 9: क्या यह कवच आर्थिक समृद्धि लाता है?
उत्तर: हां, यह कवच धन और आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति में सहायक होता है।
प्रश्न 10: क्या पाठ के दौरान कोई विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए?
उत्तर: हां, “ॐ सर्वेश्वराय नमः” मंत्र का जाप १०८ बार करना चाहिए।
प्रश्न 11: क्या सुब्रह्मण्य कवचम् का पाठ वैवाहिक जीवन में सुख लाता है?
उत्तर: हां, यह कवच वैवाहिक जीवन में सुख और सफलता लाता है।
प्रश्न 13: क्या साधना के दौरान अन्य मंत्रों का जाप किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, साधना के दौरान केवल सुब्रह्मण्य कवचम् का ही पाठ करना चाहिए।
प्रश्न 14: क्या साधना का समय निर्धारित होना चाहिए?
उत्तर: हां, साधना का समय नियमित और निर्धारित होना चाहिए।
प्रश्न 15: क्या साधना के दौरान साधक को किसी वस्त्र का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: हां, सफेद या पीले वस्त्र पहनने से साधना में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।