Suryadev Chalisa

Suryadev Chalisa for Fame & Success

सूर्यदेव चालीसा

मान सम्मान बढाने वाले सूर्यदेव की चालीसा का नियमित पाठ जीवन का हर सुख प्रदान करता है। इनकी पूजा से व्यक्ति को असीम ऊर्जा, स्वास्थ्य, और समृद्धि प्राप्त होती है। सूर्यदेव की चालीसा पढ़ने से व्यक्ति की सभी समस्याओं का समाधान होता है। यहाँ पर हम सूर्यदेव चालीसा, उसके लाभ, विधि, नियम, और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

सूर्यदेव चालीसा

॥दोहा॥
जस दिनकर की कृपा से, जगत में उजियारा।
तिनकी महिमा वर्णूं, कहूं सप्रेम हमारा॥

चौपाई॥
जय जय जय अरण्य धाम की, स्वामी मुझ कृपाल।
सर्व सुखों के दाता, तुम हो महा विशाल॥

हे प्रभु आप ही तो, रचना करनहार।
अणु से लेकर ब्रह्माण्ड, आप ही हो करतार॥

ब्रह्मा विष्णु महेश, भी करें आपकी सेवा।
आप ही तो हो, सत्य सनातन देवा॥

चन्द्रमा और ग्रह सब, करते हैं प्रकाश।
सूर्यदेव की महिमा, गाते हैं सब लोग॥

आपका है तेज, जग में सब फैल रहा।
धरती और आकाश, आप ही से बल पा रहा॥

ध्यान धरें जो आपका, मन में कर विचार।
उनके जीवन से हटे, दुख का अंधकार॥

आपकी महिमा है अपरंपार, करते सब उद्धार।
सच्चे मन से जो करें, आपका जप उच्चार॥

सभी रोग मिटें, चिंता भी हटे।
सूर्यदेव की कृपा से, जीवन में सुख पाते॥

जिन्हें होती है पीड़ा, वे करें ध्यान।
सूर्यदेव की आराधना से, सब संकट हरण॥

दास कहे सुन ले प्राणी, कर ले मन पवित्र।
सूर्यदेव की भक्ति से, बन जा तू चरित्र॥

॥दोहा॥
कृपा दृष्टि से आपकी, मिटें सब विकार।
सूर्यदेव जी महाराज, कृपा करें अपार॥

सूर्यदेव चालीसा के लाभ

  1. स्वास्थ्य में सुधार: सूर्यदेव की चालीसा पढ़ने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  2. ऊर्जा का संचार: सूर्यदेव की उपासना से ऊर्जा का संचार होता है, जिससे दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है।
  3. धन-धान्य की प्राप्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
  4. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और व्यक्ति सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।
  5. रोगों से मुक्ति: अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
  6. कष्टों का नाश: जीवन में आने वाले सभी कष्ट और परेशानियाँ दूर होती हैं।
  7. शांति और सौहार्द: परिवार में शांति और सौहार्द बना रहता है।
  8. समृद्धि: जीवन में समृद्धि और खुशहाली आती है।
  9. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  10. रिश्तों में सुधार: रिश्तों में सुधार होता है और संबंध मधुर होते हैं।
  11. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है और व्यक्ति धर्म के प्रति आस्थावान बनता है।
  12. मन की शांति: मन की शांति प्राप्त होती है और तनाव कम होता है।
  13. सफलता: सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  14. नवग्रह शांति: नवग्रहों की शांति प्राप्त होती है जिससे ग्रह दोषों का निवारण होता है।
  15. सूर्य दोष निवारण: कुंडली में सूर्य दोष होने पर उसका निवारण होता है।
  16. उज्ज्वल भविष्य: जीवन में उज्ज्वल भविष्य की प्राप्ति होती है।
  17. धार्मिक लाभ: धार्मिक लाभ प्राप्त होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  18. कर्मों में सुधार: व्यक्ति के कर्मों में सुधार होता है और वह सन्मार्ग पर चलता है।
  19. विपत्तियों से बचाव: जीवन में आने वाली विपत्तियों से बचाव होता है।
  20. प्रभु का आशीर्वाद: सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

सूर्यदेव चालीसा पाठ की विधि

दिन

रविवार का दिन सूर्यदेव की पूजा और चालीसा पाठ के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।

अवधि

इस चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। पाठ की अवधि लगभग 10-20 मिनट होती है और ४० दिन तक नियमित पाठ करना चाहिये।

मुहूर्त

सूर्योदय का समय इस चालीसा के पाठ के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त माना जाता है।

नियम

  1. स्वच्छता: चालीसा पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पवित्रता: मन और विचारों को पवित्र रखें।
  3. स्थान: एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें जहाँ ध्यान भटकने का खतरा न हो।
  4. समर्पण: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ चालीसा का पाठ करें।
  5. मंत्र जाप: चालीसा के साथ सूर्य मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।

सावधानियाँ

  1. विचारों की शुद्धता: पाठ करते समय मन को शुद्ध और शांत रखें।
  2. भटकाव से बचें: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार का भटकाव न हो।
  3. भक्ति भाव: चालीसा का पाठ भक्ति भाव से करें, इसे केवल एक औपचारिकता न समझें।
  4. नियमितता: नियमित रूप से चालीसा का पाठ करें, तभी इसका पूरा लाभ मिलता है।
  5. समय का पालन: सूर्योदय के समय ही पाठ करें, अन्यथा इसका प्रभाव कम हो सकता है।

सूर्यदेव चालीसा FAQ

सूर्यदेव चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

रविवार के दिन सूर्योदय के समय करना चाहिए।

क्या चालीसा पाठ के दौरान कोई विशेष मंत्र भी जपना चाहिए?

हाँ, सूर्य मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है।

सूर्यदेव की चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

नियमित रूप से एक बार प्रतिदिन करना चाहिए।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है?

हाँ, आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन की प्राप्ति होती है।

क्या चालीसा पाठ से रोगों से मुक्ति मिलती है?

हाँ, अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।

क्या सूर्यदेव की चालीसा पाठ से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है?

हाँ, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

सूर्यदेव की चालीसा पाठ के लिए कौन सा समय सबसे उत्तम है?

सूर्योदय का समय सबसे उत्तम है।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से ग्रह दोष दूर होते हैं?

हाँ, ग्रह दोषों का निवारण होता है।

सूर्यदेव की चालीसा का पाठ किनके लिए लाभकारी है?

यह सभी के लिए लाभकारी है, विशेषकर जो लोग स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से मानसिक शांति मिलती है?

हाँ, मानसिक शांति प्राप्त होती है।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है?

हाँ, परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

सूर्यदेव की चालीसा पाठ का प्रभाव कितने दिनों में दिखाई देता है?

नियमित पाठ करने पर कुछ ही दिनों में प्रभाव दिखाई देने लगता है।

क्या चालीसा पाठ के दौरान कोई विशेष वस्त्र धारण करना चाहिए?

स्वच्छ और पवित्र वस्त्र धारण करना चाहिए।

सूर्यदेव की चालीसा से कौन-कौन से लाभ होते हैं?

स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति में सुधार, आत्मविश्वास में वृद्धि, रोगों से मुक्ति, और समृद्धि।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से शत्रु बाधा दूर होती है?

हाँ, शत्रु बाधा दूर होती है।

क्या चालीसा पाठ के दौरान कोई विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए?

हाँ, गुड़ और गेहूँ का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से आध्यात्मिक उन्नति होती है?

हाँ, आध्यात्मिक उन्नति होती है।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से संतान सुख प्राप्त होता है?

हाँ, संतान सुख प्राप्त होता है।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से रोजगार में सफलता मिलती है?

हाँ, रोजगार में सफलता मिलती है।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से कुंडली के दोष दूर होते हैं?

इस प्रकार सूर्यदेव चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं और जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, और स्वास्थ्य बना रहता है। पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस चालीसा का पाठ करें और सूर्यदेव की कृपा प्राप्त करें।