तारा कवचम्: सुरक्षा के साथ धन का आकर्षण
तारा कवचम् एक शक्तिशाली मंत्र है, जो तारा देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह कवच व्यक्ति को समस्त संकटों से सुरक्षा प्रदान करता है और जीवन में सुख-समृद्धि एवं शांति लाता है। तारा देवी को हिन्दू धर्म में महाविद्याओं में से एक माना जाता है और उन्हें जयंती, नील सरस्वती, उग्रतारा आदि नामों से भी जाना जाता है। तारा कवचम् का नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति को असाधारण लाभ मिलते हैं।
तारा कवचम् का संपूर्ण पाठ और उसका अर्थ
तारा कवचम् का पाठ निम्नलिखित है:
तारा कवचम् का पाठ:
ॐ अस्य श्रीताराकवचस्य, शिवऋषिः, गायत्री छन्दः, तारादेवी देवता, श्रीताराप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
ॐ तारिण्यै अंगुष्ठाभ्यां नमः।
ॐ तारायै तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ तारिण्यै मध्यमाभ्यां नमः।
ॐ तारिण्यै अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ तारायै कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
ॐ तारायै करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।
ॐ ह्रं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः ह्रां ह्रूं ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रः ह्रां ह्रूं ह्रीं ह्रां ह्रूं ह्रां ह्रूं ह्रां ह्रः ह्रः ह्रः तारायै हुं फट् स्वाहा।
तारा कवचम् का हिंदी अर्थ:
- ॐ अस्य श्रीताराकवचस्य, शिवऋषिः, गायत्री छन्दः, तारादेवी देवता, श्रीताराप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
- इस कवच का ऋषि शिव हैं, छंद गायत्री है, देवता तारा देवी हैं, और इसका विनियोग तारा देवी की प्रसन्नता के लिए किया जाता है।
- ॐ तारिण्यै अंगुष्ठाभ्यां नमः।
- अंगुष्ठ को सुरक्षित रखने के लिए तारा देवी का आह्वान करते हुए नमस्कार किया जाता है।
- ॐ तारायै तर्जनीभ्यां नमः।
- तर्जनी (अंगुली) की सुरक्षा के लिए तारा देवी को नमस्कार किया जाता है।
- ॐ तारिण्यै मध्यमाभ्यां नमः।
- मध्यम (मध्य अंगुली) को सुरक्षित रखने के लिए तारा देवी को नमस्कार किया जाता है।
- ॐ तारिण्यै अनामिकाभ्यां नमः।
- अनामिका (रिंग फिंगर) की सुरक्षा के लिए तारा देवी को नमस्कार किया जाता है।
- ॐ तारायै कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
- कनिष्ठा (छोटी अंगुली) की सुरक्षा के लिए तारा देवी को नमस्कार किया जाता है।
- ॐ तारायै करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।
- हाथों की हथेलियों और पीठ की सुरक्षा के लिए तारा देवी को नमस्कार किया जाता है।
- ॐ ह्रं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः ह्रां ह्रूं ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रः ह्रां ह्रूं ह्रीं ह्रां ह्रूं ह्रां ह्रूं ह्रां ह्रः ह्रः ह्रः तारायै हुं फट् स्वाहा।
- इस मंत्र के द्वारा तारा देवी से अपने सभी अंगों की सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है। यह मंत्र अत्यधिक शक्तिशाली होता है और इसे सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और बुराइयों से मुक्ति दिलाने के लिए जाप किया जाता है।
अर्थ का सार:
तारा कवचम् में तारा देवी का आह्वान किया जाता है ताकि वे साधक के सभी अंगों की सुरक्षा करें। यह कवच शत्रुओं, बुराइयों, और संकटों से बचाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। तारा देवी की कृपा से साधक के जीवन में शांति, सुरक्षा, और समृद्धि का वास होता है।
तारा कवचम् के लाभ
- सुरक्षा: तारा कवचम् व्यक्ति को सभी प्रकार के संकटों और आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
- धन प्राप्ति: इस कवच का नियमित जाप करने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है।
- स्वास्थ्य: तारा कवचम् व्यक्ति के स्वास्थ्य को सुधरता है और उसे लंबी आयु प्रदान करता है।
- मानसिक शांति: यह कवच मानसिक तनाव और चिंता को दूर करता है।
- धार्मिक उन्नति: तारा कवचम् व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
- शत्रु नाश: यह कवच शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें नष्ट करता है।
- रोग नाश: तारा कवचम् व्यक्ति को सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करता है।
- संकटमोचन: यह कवच व्यक्ति के सभी संकटों का समाधान करता है।
- कार्य सिद्धि: तारा कवचम् के जाप से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
- परिवार की सुरक्षा: यह कवच व्यक्ति के परिवार को भी सुरक्षा प्रदान करता है।
- बाधा निवारण: तारा कवचम् जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करता है।
- अध्यात्मिक शक्ति: तारा कवचम् के नियमित जाप से व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है।
- विद्या प्राप्ति: तारा कवचम् विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है और उनकी विद्या में उन्नति करता है।
- यश और कीर्ति: इस कवच का जाप व्यक्ति को समाज में यश और कीर्ति प्रदान करता है।
- सुख-शांति: तारा कवचम् व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति का संचार करता है।
तारा कवचम् की विधि
दिन: तारा कवचम् का जाप करने के लिए मंगलवार और शुक्रवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह तारा देवी के दिन माने जाते हैं।
अवधि: तारा कवचम् का जाप ४१ दिन तक निरंतर करना चाहिए। इसे एक ही समय पर करना विशेष फलदायी होता है।
मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४:०० से ६:००) तारा कवचम् का जाप करने के लिए सबसे उत्तम समय होता है। इस समय तारा देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
तारा कवचम् के नियम
- पूजा की तैयारी: जाप शुरू करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को शुद्ध करें और तारा देवी का ध्यान करें।
- कवच को गुप्त रखें: तारा कवचम् की साधना को गुप्त रखना चाहिए। इसका प्रचार-प्रसार नहीं करना चाहिए।
- पूजा सामग्री: तारा देवी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं, फूल चढ़ाएं और भोग लगाएं।
- मंत्र जाप: तारा कवचम् का जाप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। जाप करते समय तारा देवी का ध्यान मन में रखें।
- नियमितता: तारा कवचम् का जाप नियमित रूप से करना चाहिए। किसी भी दिन इसे छोड़ना नहीं चाहिए।
- ब्राह्मण भोजन: साधना के अंत में ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र दान दें।
तारा कवचम् में सावधानियां
- आस्था और विश्वास: तारा कवचम् का जाप करने के लिए आस्था और विश्वास अनिवार्य है। बिना श्रद्धा के जाप करने से लाभ नहीं मिलता।
- नियमों का पालन: तारा कवचम् के नियमों का पालन करना आवश्यक है। नियमों का उल्लंघन करने से विपरीत परिणाम भी मिल सकते हैं।
- साधना की गोपनीयता: साधना को गुप्त रखना आवश्यक है। इसे सार्वजनिक रूप से न करें।
- शुद्धता: पूजा स्थल और स्वयं की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। अस्वच्छता से देवी की कृपा नहीं मिलती।
- धैर्य और संयम: साधना के दौरान धैर्य और संयम बनाए रखें। जल्दबाजी से बचें।
तारा कवचम् पाठ: प्रश्न उत्तर
प्रश्न १: तारा कवचम् का क्या महत्व है? उत्तर: तारा कवचम् व्यक्ति को सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षा प्रदान करता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
प्रश्न २: तारा देवी कौन हैं? उत्तर: तारा देवी हिन्दू धर्म की एक महाविद्या हैं, जिन्हें उग्रतारा, नील सरस्वती, और जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न ३: तारा कवचम् का पाठ कब करना चाहिए? उत्तर: तारा कवचम् का पाठ ब्रह्म मुहूर्त में (सुबह ४:०० से ६:००) करना चाहिए।
प्रश्न ४: तारा कवचम् के जाप की अवधि कितनी होती है? उत्तर: तारा कवचम् का जाप ४१ दिन तक निरंतर करना चाहिए।
प्रश्न ५: तारा कवचम् के लाभ क्या हैं? उत्तर: तारा कवचम् व्यक्ति को संकटों से सुरक्षा, धन-प्राप्ति, स्वास्थ्य लाभ, मानसिक शांति, और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
प्रश्न ६: तारा कवचम् का अर्थ क्या है? उत्तर: तारा कवचम् का अर्थ है कि तारा देवी की कृपा से सभी अंगों की सुरक्षा होती है और यह मंत्र व्यक्ति को सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और बुराइयों से मुक्ति दिलाता है।
प्रश्न ७: तारा कवचम् की साधना को गुप्त क्यों रखना चाहिए? उत्तर: साधना की गोपनीयता रखने से उसकी शक्ति बनी रहती है और साधक को पूर्ण लाभ मिलता है।
प्रश्न ८: तारा कवचम् के पाठ के लिए कौन-सा दिन शुभ होता है? उत्तर: मंगलवार और शुक्रवार तारा कवचम् के पाठ के लिए शुभ होते हैं।
प्रश्न ९: तारा कवचम् के जाप के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? उत्तर: जाप करते समय आस्था, शुद्धता, और तारा देवी का ध्यान अनिवार्य है।
प्रश्न १०: तारा कवचम् से क्या लाभ होते हैं? उत्तर: तारा कवचम् से व्यक्ति को सुरक्षा, धन-प्राप्ति, शत्रु नाश, और यश-कीर्ति की प्राप्ति होती है।
प्रश्न ११: क्या तारा कवचम् के जाप के दौरान विशेष सावधानियां रखनी चाहिए? उत्तर: हां, तारा कवचम् के जाप के दौरान आस्था, नियमों का पालन, और साधना की गोपनीयता बनाए रखना आवश्यक है।
प्रश्न १२: तारा कवचम् का जाप किस प्रकार करना चाहिए? उत्तर: तारा कवचम् का जाप पूरी श्रद्धा और नियम के साथ नियमित रूप से करना चाहिए।
प्रश्न १३: तारा कवचम् का जाप किस उद्देश्य से किया जाता है? उत्तर: तारा कवचम् का जाप तारा देवी की कृपा प्राप्त करने, संकटों से सुरक्षा पाने, और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के उद्देश्य से किया जाता है।
प्रश्न १४: तारा कवचम् का जाप किन परिस्थितियों में करना चाहिए? उत्तर: तारा कवचम् का जाप व्यक्ति को मानसिक तनाव, शत्रु भय, और अन्य संकटों से मुक्ति पाने के लिए करना चाहिए।
प्रश्न १५: तारा कवचम् का जाप कितने समय तक करना चाहिए? उत्तर: तारा कवचम् का जाप ४१ दिन तक लगातार करना चाहिए।