त्रैलोक्य मोहिनी गौरी मंत्र: समृद्धि, विजय व बुढ़ापे को रोकने वाली
त्रैलोक्य मोहिनी गौरी मंत्र साधना से साधक को असीम धन-संपत्ति और समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। इस मंत्र के प्रभाव से माता गौरी के साथ भगवान भैरव का आशीर्वाद भी मिलता है, जिससे साधक की आकर्षण शक्ति के साथ मनोकामना भी पूर्ण होती है। त्रैलोक्य मोहिनी गौरी मंत्र का प्रयोग तीनों लोकों में प्रभावशाली होता है, जिससे साधक अपने जीवन की समस्त इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है।
विनियोग
त्रैलोक्य मोहिनी गौरी मंत्र के विनियोग का उद्देश्य साधना से पहले सभी दिशाओं को सुरक्षित करना है। विनियोग मंत्र के द्वारा साधक अपने चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच बना सकता है, जिससे किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा साधना में बाधा नहीं डाल पाती। इससे साधक का ध्यान और ऊर्जा एकाग्र रहती है, जिससे मंत्र का प्रभाव अधिक होता है।
विनियोग मंत्र:
“ॐ अस्य श्री त्रैलोक्यमोहिनी गौरी महा-मंत्रस्य, बृहस्पति ऋषिः, अनुष्टुप् छंदः, त्रैलोक्यमोहिनी गौरी देवता, ह्रीं बीजं, स्वाहा शक्तिः, मम त्रैलोक्य-विजय प्राप्त्यर्थे विनियोगः।”
अर्थ: इस मंत्र के द्वारा साधक तीनों लोकों में विजय प्राप्ति की कामना करता है।
दिग्बंधन मंत्र और अर्थ
दिग्बंधन मंत्र का उद्देश्य साधक को अपने आस-पास की सभी दिशाओं में सुरक्षा प्रदान करना है। यह मंत्र किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, शत्रु, या बाधाओं से बचाव करने के लिए उपयोग किया जाता है। इस मंत्र के जाप से साधक के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बन जाता है, जो उसे किसी भी आध्यात्मिक या भौतिक संकट से बचाता है।
दिग्बंधन मंत्र:
“ॐ ह्लीं वां वं वषट् स्वाहा।”
अर्थ:
यह मंत्र सभी दिशाओं को बंद करता है और साधक को शांति और सुरक्षा प्रदान करता है। ह्लीं बीज से शरीर और आत्मा की रक्षा होती है, जिससे साधक की साधना प्रभावी होती है।
इस मंत्र का उच्चारण साधना प्रारंभ करने से पहले किया जाता है, ताकि सारी दिशा-बाधाएं दूर हो सकें और साधक की साधना बिना किसी विघ्न के पूर्ण हो सके।
त्रैलोक्य मोहिनी गौरी मंत्र और अर्थ
मंत्र:
“॥ह्रीं नमः बृम्हश्रीराजिते राजपूजिते जयविजये गौरी गांधारी त्रिभुवनवंशकरी सर्व लोकवंशकरी सुं सुं दुं दुं घें घें वां वां ह्रीं स्वाहा॥”
अर्थ:
इस मंत्र में माता गौरी की महिमा का बखान किया गया है। इसका उच्चारण करते हुए साधक को त्रैलोक्य मोहिनी गौरी के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
- “ह्रीं” बीज के द्वारा साधक को आंतरिक शांति और शक्ति मिलती है।
- “बृम्हश्रीराजिते” का अर्थ है वह देवी जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश द्वारा सम्मानित हैं।
- “राजपूजिते” का अर्थ है वह देवी जो राजाओं द्वारा पूजित हैं।
- “जयविजये” से यह संकेत मिलता है कि इस मंत्र के जाप से विजय प्राप्त होती है।
- “गौरी गांधारी” का मतलब है गौरी माता जो गांधारी (भगवान शिव की पत्नी) के समान समृद्ध और शक्तिशाली हैं।
- “त्रिभुवनवंशकरी” का अर्थ है वह देवी जो तीनों लोकों के वंश को पोषित करती हैं।
- “सर्व लोकवंशकरी” का अर्थ है वह देवी जो समस्त लोकों के वंश की रक्षा करती हैं।
- “सुं सुं दुं दुं घें घें वां वां” के उच्चारण से समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
- “स्वाहा” का अर्थ है देवी को अर्पण करना।
इस मंत्र का जाप करते हुए साधक को मानसिक शांति, धन-सम्पत्ति, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लाभ मिलते हैं। साथ ही, यह मंत्र त्रैलोक्यमोहिनी गौरी से सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति दिलाता है।
जप काल में सेवन योग्य पदार्थ
साधना काल में सात्विक आहार जैसे दूध, फल, और शुद्ध घी का सेवन करना चाहिए। इससे साधक की ऊर्जा और मनोबल मजबूत रहता है।
त्रैलोक्य मोहिनी गौरी मंत्र के लाभ
- हर तरफ से विजय प्राप्त होती है।
- आकर्षण शक्ति प्राप्त होती है।
- साधक को असीम धन-संपत्ति प्राप्त होती है।
- शत्रुओं का नाश होता है।
- प्रभावित करने की क्षमता मिलती है।
- रोगों का निवारण होता है।
- परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- जीवन में सकारात्मकता आती है।
- करियर में सफलता मिलती है।
- साधना से आत्मविश्वास बढ़ता है।
- दैवीय सहायता प्राप्त होती है।
- मनोबल बढ़ता है।
- अनावश्यक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- व्यापार में वृद्धि होती है।
- पारिवारिक विवादों का नाश होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- भविष्य की परेशानियाँ दूर होती हैं।
- संपत्ति की वृद्धि होती है।
पूजा सामग्री और मंत्र विधि
- सामग्री: एक सफेद कपड़ा, गौरी प्रतिमा, शुद्ध जल, फूल, धूप, दीपक, चंदन।
- विधि: ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। माता गौरी की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित करें। मंत्र का जाप करें।
मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त
मंत्र का जाप मंगलवार या शुक्रवार से प्रारंभ करें। 21 दिनों तक रोज 20 मिनट तक जाप करें। शुभ मुहूर्त में जाप करने से लाभ अधिक मिलता है।
त्रैलोक्य मोहिनी गौरी मंत्र के नियम
- उम्र: 20 वर्ष से अधिक।
- लिंग: स्त्री-पुरुष दोनों।
- वस्त्र: सफेद, पीले, या लाल।
- बचें: ब्लू या ब्लैक कपड़े न पहनें।
- परहेज: धूम्रपान, मद्यपान, और मासाहार से दूर रहें।
- आचरण: ब्रह्मचर्य का पालन करें।
मंत्र जाप में सावधानियाँ
- मंत्र का जाप शुद्ध हृदय से करें।
- ध्यान के साथ माता गौरी की आराधना करें।
- जाप के समय मन को एकाग्र रखें।
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अलग अलग कार्यों के लिए त्रैलोक्य मोहिनी गौरी हवन सामग्री
त्रैलोक्य मोहिनी गौरी के हवन का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के कार्यों की सिद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह हवन विशेष रूप से समृद्धि, सुख-शांति, मानसिक शांति, और जीवन में सुधार के लिए होता है। हवन की सामग्री का चयन कार्य की प्रकृति के अनुसार किया जाता है। यहां कुछ अलग-अलग कार्यों के लिए त्रैलोक्य मोहिनी गौरी के हवन की सामग्री दी जा रही है:
1. धन-संपत्ति और समृद्धि के लिए हवन
- सामग्री:
- गोमूत्र (शुद्ध)
- शहद
- गुग्गुल
- तिल (सेंवड़ा तिल)
- नारियल के टुकड़े
- शुद्ध घी
- चंदन का पाउडर
- केसर
- सुपारी
- उपयोग:
इस हवन को विशेष रूप से संपत्ति और धन की बढ़ोतरी के लिए किया जाता है। इसमें घी, शहद और तिल का प्रमुख स्थान होता है, जो समृद्धि की ओर संकेत करते हैं।
2. मानसिक शांति और ध्यान की स्थिति के लिए हवन
- सामग्री:
- चंदन
- कपूर
- गुलाब की पंखुड़ियाँ
- कमल गट्टे
- शुद्ध घी
- शहद
- हरी इलायची
- उपयोग:
मानसिक शांति प्राप्त करने और ध्यान में एकाग्रता बढ़ाने के लिए यह हवन किया जाता है। चंदन और गुलाब की पंखुड़ियाँ साधक के मन को शांति और संतुलन प्रदान करती हैं।
3. शत्रु नाश और विघ्नों से मुक्ति के लिए हवन
- सामग्री:
- तगर (सुगंधित पौधा)
- लौंग
- गुग्गुल
- जटामांसी
- आंवला
- काले तिल
- लौंग
- उपयोग:
इस हवन के द्वारा शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में कोई भी विघ्न-बाधाएं नहीं आतीं। तगर और लौंग से नकारात्मक शक्तियों को नष्ट किया जाता है।
4. शादी और विवाह संबंधी समस्याओं के लिए हवन
- सामग्री:
- चावल (सादा और तिल के साथ)
- हल्दी
- शहद
- ताजे फूल (संगठित रूप से गुलाब, कमल)
- घी
- उपयोग:
विवाह के अड़चनों और रिश्तों में संतुलन बनाने के लिए इस हवन का प्रयोग किया जाता है। हल्दी और शहद से विवाह में सुख-शांति और समझदारी बढ़ती है।
5. संतान सुख के लिए हवन
- सामग्री:
- गोधूलि (सेंवड़ा तिल)
- चिरोंजी
- पिस्ता
- बर्फी
- शुद्ध घी
- नारियल
- तुलसी के पत्ते
- उपयोग:
संतान सुख की प्राप्ति के लिए इस हवन का आयोजन किया जाता है। चिरोंजी और पिस्ता को माता गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए चढ़ाया जाता है, जिससे संतान सुख में वृद्धि होती है।
6. रोग नाश के लिए हवन
- सामग्री:
- घी
- शहद
- हरी इलायची
- ताजे तुलसी के पत्ते
- हल्दी
- केसर
- सौंफ
- उपयोग:
इस हवन के द्वारा शारीरिक और मानसिक रोगों का निवारण होता है। हल्दी और सौंफ का उपयोग रोग नाशक के रूप में किया जाता है।
हवन विधि
- हवन स्थल पर शुद्धता सुनिश्चित करें और स्वच्छ वातावरण बनाएं।
- हवन कुंड में शुद्ध लकड़ी और घी से अग्नि प्रज्वलित करें।
- मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन सामग्री का अर्पण करें।
- हवन सामग्री एक-एक करके अग्नि में डालें और “स्वाहा” मंत्र का उच्चारण करें।
साधक को ध्यान रखना चाहिए कि हवन के दौरान अपने मन को एकाग्र रखें और हर सामग्री का उद्देश्य समझकर अर्पित करें। हवन समाप्त होने पर शांति की भावना और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
त्रैलोक्य मोहिनी गौरी मंत्र से संबंधित सामान्य प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: मंत्र साधना का सही समय कब है?
उत्तर: ब्रह्ममुहूर्त में यह मंत्र अत्यधिक प्रभावी होता है।
प्रश्न: क्या मंत्र साधना हर कोई कर सकता है?
उत्तर: हां, 20 वर्ष से अधिक उम्र के स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।
प्रश्न: क्या इस मंत्र के साथ अन्य मंत्र भी जप सकते हैं?
उत्तर: एकाग्रता बनाए रखने के लिए केवल इस मंत्र का जाप करें।
प्रश्न: मंत्र जप का समय और दिन का चयन कैसे करें?
उत्तर: मंगलवार या शुक्रवार से शुरुआत करें, शुभ मुहूर्त में जाप करें।
प्रश्न: क्या साधना के दौरान विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
उत्तर: हां, सात्विक आहार का पालन करें, जिससे ऊर्जा शुद्ध बनी रहे।
प्रश्न: क्या मंत्र जप के दौरान किसी विशेष दिशा में बैठना चाहिए?
उत्तर: उत्तर-पूर्व दिशा में बैठना शुभ होता है।
प्रश्न: क्या इस मंत्र का प्रतिदिन जाप आवश्यक है?
उत्तर: हां, 21 दिनों तक नियमित जाप आवश्यक है।
प्रश्न: मंत्र जाप में कितनी बार उच्चारण करना चाहिए?
उत्तर: जाप की अवधि 20 मिनट तक रखें।
प्रश्न: क्या जाप के दौरान किसी विशेष नियम का पालन आवश्यक है?
उत्तर: हां, नियमों का पालन साधना के परिणाम को बढ़ाता है।
प्रश्न: मंत्र जाप का प्रभाव कब दिखना शुरू होता है?
उत्तर: साधक की श्रद्धा के अनुसार, प्रभाव जल्द ही अनुभव हो सकता है।