अन्नपूर्णा देवी मंत्र: माता की साधना से पाएं कृपा और समृद्धि का आशीर्वाद
अन्नपूर्णा देवी मंत्र साधना से भगवान कुबेर का आशीर्वाद और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह मंत्र व्यक्ति के जीवन में संपत्ति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति लाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। अन्नपूर्णा देवी को संपत्ति और अन्न की देवी के रूप में पूजा जाता है।
अन्नपूर्णा देवी मंत्र का विनियोग
विनियोग:
“ॐ अस्य श्री अन्नपूर्णा मंत्रस्य, द्रुहिण ऋषिः, कृति गायत्री छन्दः, अन्नपूर्णा देवी देवता। धर्मार्थ काम मोक्ष सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥”
अर्थ: इस विनियोग मंत्र का उच्चारण करने से मंत्र का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। अन्नपूर्णा देवी के इस मंत्र का मुख्य उद्देश्य भक्तों के जीवन में आर्थिक समृद्धि, सुख-शांति, और आध्यात्मिक उन्नति लाना है। जो भक्त इस मंत्र का विधिपूर्वक जप करते हैं, उनके घर में कभी भी अन्न, धन, और सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती।
दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व अर्थ
साधना और मंत्र जप के समय दिग्बंधन मंत्र का उच्चारण करना आवश्यक होता है। यह मंत्र दसों दिशाओं में सुरक्षा कवच बनाकर साधक की रक्षा करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है।
दिग्बंधन मंत्र:
- पूर्व दिशा: “ॐ इन्द्राय नमः” – इस मंत्र से पूर्व दिशा की सुरक्षा होती है।
- आग्नेय दिशा: “ॐ अग्नये नमः” – इस मंत्र से आग्नेय दिशा सुरक्षित होती है।
- दक्षिण दिशा: “ॐ यमाय नमः” – दक्षिण दिशा को यम की शक्ति से सुरक्षित किया जाता है।
- नैऋत्य दिशा: “ॐ निरृत्ये नमः” – नैऋत्य दिशा की नकारात्मक ऊर्जा को यह मंत्र नियंत्रित करता है।
- पश्चिम दिशा: “ॐ वरुणाय नमः” – इस मंत्र से पश्चिम दिशा में शांति और सुरक्षा रहती है।
- वायव्य दिशा: “ॐ वायवे नमः” – वायव्य दिशा में वायु देवता की कृपा से रक्षा होती है।
- उत्तर दिशा: “ॐ कुबेराय नमः” – इस मंत्र से उत्तर दिशा में कुबेर देवता की कृपा से धन की वृद्धि होती है।
- ईशान दिशा: “ॐ ईशानाय नमः” – ईशान दिशा की रक्षा के लिए इस मंत्र का जाप होता है।
- ऊर्ध्व दिशा (ऊपर): “ॐ ब्रह्मणे नमः” – यह मंत्र ऊपर की दिशा में ब्रह्मा की सुरक्षा प्रदान करता है।
- अधो दिशा (नीचे): “ॐ अनन्ताय नमः” – नीचे की दिशा की रक्षा के लिए अनन्त देव का आह्वान किया जाता है।
अर्थ: ये दसों दिशाओं के मंत्र साधक को पूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं। दिग्बंधन के मंत्रों का जाप करते हुए साधक के चारों ओर एक शक्तिशाली सुरक्षा घेरा बन जाता है, जो साधना के समय उसे नकारात्मक शक्तियों और बाहरी विघ्नों से बचाता है।
अन्नपूर्णा देवी मंत्र व अर्थ
मंत्र:
“॥ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णे स्वाहा॥”
अर्थ:
इस मंत्र का अर्थ है –
- “ॐ” – परमात्मा का पवित्र और अनादि स्वरूप।
- “ह्रीं” – देवी की शक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का बीज मंत्र, जो पवित्रता और शक्ति का प्रतीक है।
- “श्रीं” – समृद्धि, ऐश्वर्य और सुख का सूचक।
- “क्लीं” – आकर्षण, सुरक्षा और मानसिक शांति प्रदान करने वाला बीज मंत्र।
- “भगवती” – देवी, जो संपूर्ण जगत की पालनहार और रक्षक हैं।
- “माहेश्वरी” – भगवान शिव की शक्ति और देवी का स्वरूप।
- “अन्नपूर्णे” – वह देवी जो अन्न और धन की देवी हैं, सभी को भोजन और संपत्ति प्रदान करती हैं।
- “स्वाहा” – मंत्र का अंत करने वाला शब्द, जो इच्छाओं की पूर्ति और साधना को सफल बनाता है।
पूर्ण अर्थ: इस मंत्र का संपूर्ण अर्थ यह है:
“हे देवी अन्नपूर्णा, आप भगवती माहेश्वरी हैं, आप हमें समृद्धि, सुख, और संपत्ति प्रदान करें। आपके कृपा से हमारे जीवन में अन्न, धन, और संतोष की कभी कमी न हो। कृपया हमें अपनी सुरक्षा और आशीर्वाद प्रदान करें।”
अन्नपूर्णा देवी का यह मंत्र साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
जप काल में इन चीजों का सेवन अधिक करें
- ताजे फल
- दूध और दही
- तुलसी पत्ते
- देसी घी और शुद्ध मिठाई
अन्नपूर्णा देवी मंत्र के लाभ
- आर्थिक समृद्धि में वृद्धि
- अन्न की कोई कमी नहीं होती
- परिवार में शांति बनी रहती है
- रोगों का नाश होता है
- कर्ज मुक्ति
- जीवन में स्थायित्व
- आध्यात्मिक उन्नति
- मानसिक शांति
- ईश्वर से निकटता
- आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति
- सुरक्षा की भावना
- पापों का नाश
- आत्म-संयम में वृद्धि
- विवाह में बाधाएं दूर होती हैं
- व्यापार में वृद्धि
- बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार
- हर संकट से सुरक्षा
- गुरु कृपा प्राप्त होती है
अन्नपूर्णा देवी मंत्र की विधि व पूजा सामग्री
- दिन: शुक्रवार
- अवधि: 21 दिन
- मुहूर्त: ब्रह्ममुहूर्त (4-6 बजे प्रातः)
- सामग्री: लाल चंदन, गंगा जल, धूप, अक्षत, फूल, मिश्री।
अन्नपूर्णा देवी मंत्र जप के नियम
- आयु 20 वर्ष के ऊपर होनी चाहिए।
- स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।
- काले और नीले वस्त्र न पहनें।
- धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार न करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
मंत्र जप सावधानियां
- मन को शुद्ध रखें।
- ध्यान के दौरान बाहरी विचारों को न आने दें।
- नियमितता का पालन करें।
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अलग-अलग कार्यों के लिए अन्नपूर्णा देवी के हवन की सामग्री
अन्नपूर्णा देवी की पूजा और हवन में विभिन्न कार्यों के अनुसार विशेष सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। यहाँ पर कुछ प्रमुख कार्यों के लिए हवन सामग्री दी जा रही है।
1. धन और समृद्धि प्राप्ति के लिए
- मुख्य सामग्री: जौ, तिल, शुद्ध घी, चावल
- विशेष सामग्री: लौंग, हल्दी, केसर, कपूर, गोंद, और चंदन की लकड़ी
- पुष्प: गुलाब, कमल, गेंदे के फूल
- अन्य सामग्री: मिश्री, गुड़, पान के पत्ते
हवन मंत्र: ॥ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णे स्वाहा॥
2. भोजन और अन्न की कभी कमी न होने के लिए
- मुख्य सामग्री: गेहूं, तिल, दूध और शुद्ध घी
- विशेष सामग्री: मूंग दाल, खीर (पके हुए दूध और चावल से बनी), और हल्दी
- पुष्प: कमल और सफेद फूल
- अन्य सामग्री: नारियल, तुलसी के पत्ते, और मिश्री
हवन मंत्र: ॥ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णे स्वाहा॥
3. रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ के लिए
- मुख्य सामग्री: तिल, जौ, शहद, और शुद्ध घी
- विशेष सामग्री: नीम के पत्ते, इलायची, हल्दी, और बेलपत्र
- पुष्प: तुलसी और गेंदे के फूल
- अन्य सामग्री: पिप्पली, त्रिफला, और मिश्री
हवन मंत्र: ॥ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णे स्वाहा॥
4. शांति और मानसिक संतोष के लिए
- मुख्य सामग्री: चावल, जौ, और शुद्ध घी
- विशेष सामग्री: कपूर, चंदन पाउडर, शक्कर, और जायफल
- पुष्प: चमेली और बेला के फूल
- अन्य सामग्री: शहद, केसर, और काली मिर्च
हवन मंत्र: ॥ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णे स्वाहा॥
5. घर की सुरक्षा और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव के लिए
- मुख्य सामग्री: तिल, जौ, और सरसों के बीज
- विशेष सामग्री: कपूर, लाल चंदन, और कर्पूर
- पुष्प: गेंदे और गुलाब के फूल
- अन्य सामग्री: बेलपत्र, गूगल, और गोंद
हवन मंत्र: ॥ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णे स्वाहा॥
6. बाधाओं को दूर करने और सफलता प्राप्ति के लिए
- मुख्य सामग्री: गेहूं, तिल, और शुद्ध घी
- विशेष सामग्री: हरी इलायची, हल्दी, और गोघृत
- पुष्प: गुलाब और कमल
- अन्य सामग्री: मिश्री, पान का पत्ता, और लौंग
हवन मंत्र: ॥ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णे स्वाहा॥
अन्नपूर्णा देवी मंत्र के प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: अन्नपूर्णा देवी मंत्र का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: यह मंत्र साधक को संपत्ति, समृद्धि, और मानसिक शांति प्रदान करता है।
प्रश्न 2: क्या कोई भी व्यक्ति अन्नपूर्णा देवी मंत्र का जाप कर सकता है?
उत्तर: हां, 20 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री-पुरुष इसका जाप कर सकते हैं।
प्रश्न 3: जप के दौरान कौन से वस्त्र नहीं पहनने चाहिए?
उत्तर: काले और नीले रंग के वस्त्र पहनने से बचें।
प्रश्न 4: मंत्र जप कब करें?
उत्तर: शुक्रवार के दिन ब्रह्ममुहूर्त में करें।
प्रश्न 5: जप के दौरान कौन सी चीजों का त्याग करना चाहिए?
उत्तर: धूम्रपान, मद्यपान, मांसाहार का त्याग करें।
प्रश्न 6: अन्नपूर्णा देवी की कृपा से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: अन्नपूर्णा देवी की कृपा से आर्थिक समृद्धि, मानसिक शांति और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
प्रश्न 7: जप की अवधि क्या है?
उत्तर: इस मंत्र का जाप 21 दिन तक करें।
प्रश्न 8: क्या जप में नियमितता आवश्यक है?
उत्तर: हां, नियमित जप से ही श्रेष्ठ फल मिलता है।
प्रश्न 9: जप में कौन सी सामग्री अनिवार्य है?
उत्तर: लाल चंदन, गंगा जल, और अक्षत का उपयोग करें।
प्रश्न 10: जप के समय किस दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
उत्तर: पूर्व दिशा की ओर मुख कर के जप करें।
प्रश्न 11: मंत्र का जाप कितनी देर करना चाहिए?
उत्तर: 20 मिनट तक लगातार जप करें।
प्रश्न 12: क्या मंत्र जाप के दौरान कोई खास भोजन करना चाहिए?
उत्तर: शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करें।