प्रचंड से प्रचंड तंत्र बाधा व ऊपरी बाधा को नष्ट करने वाले उच्छिष्ट गणपति भगवान गणेश का एक अनोखा स्वरूप हैं। उनका नाम “बचे हुए के स्वामी” के रूप में अनुवादित होता है, बचा हुआ भोजन या बासी मुंह इनकी साधना पूजा की जाती है। उच्छिष्ठ गणपति भगवान गणेश का एक विशेष रूप हैं, जिन्हें तांत्रिक विधियों और शक्तियों से सुरक्षा देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। यह रूप उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त होना चाहते हैं।
मंत्र और उसका अर्थ
मंत्र:
॥ॐ गं ग्लौं उच्छिष्ठ गणपतये नमः॥ OM GAMM GLAUM UCHCHHISHTHA GANAPATAYE NAMAHA
अर्थ:
“ॐ” अनंत ऊर्जा का प्रतीक है, “गं” गणेश जी का बीज मंत्र है, “ग्लौं” तांत्रिक बाधाओं को समाप्त करने वाला बीज मंत्र है, “उच्छिष्ठ गणपतये नमः ” का अर्थ है उन गणपति को प्रणाम करना जो तांत्रिक शक्तियों को रोकते हैं। यह मंत्र विशेष रूप से तांत्रिक बाधाओं, आर्थिक समस्याओं और अन्य नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्त करने के लिए जपा जाता है।
लाभ
- तांत्रिक शक्तियों को रोकना: तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा।
- आर्थिक बाधा: आर्थिक समस्याओं का समाधान।
- कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति पाने में सहायक।
- विघ्न बाधा: जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं का नाश।
- प्रभावित करने की क्षमता: लोगों को प्रभावित करने की क्षमता बढ़ाना।
- क्लेश मुक्ति: गृह क्लेश और झगड़ों का अंत।
- मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और धैर्य को बढ़ाना।
- अध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक ऊर्जा और जागरूकता का विकास।
- गृहस्थ सुख: घर में सुख और समृद्धि लाना।
- परिवार में सुख शांति: परिवार में सुख और शांति बनाए रखना।
- विघ्न बाधा से मुक्ति: सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं से मुक्ति।
- तंत्र बाधा से मुक्ति: तंत्र-मंत्र और काले जादू से सुरक्षा।
- ऊपरी बाधा से मुक्ति: नकारात्मक ऊर्जाओं और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति।
- सफलता: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना।
- आत्म-संयम: आत्म-संयम और आत्म-नियंत्रण में सुधार।
- शक्ति: व्यक्तिगत शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाना।
- सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
- समय प्रबंधन: समय प्रबंधन और कार्यकुशलता में सुधार।
- समाज में सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ाना।
- संकट मोचन: जीवन में आने वाले सभी संकटों से मुक्ति।
मंत्र सामग्री
- गणेश जी की प्रतिमा या चित्र
- नीला या काला वस्त्र
- रोली या कुमकुम
- चावल
- दूर्वा (दूर्वा घास)
- मोदक या लड्डू
- धूप और दीप
- पुष्प (विशेषकर नीले या काले फूल)
- पान और सुपारी
- नारियल
मंत्र मुहूर्त, दिन, और अवधि
- मुहूर्त: पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें, जैसे कि बुधवार या चतुर्थी तिथि।
- दिन: बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
- अवधि: इस मंत्र का जप कम से कम 21 दिन तक प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए।
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सावधानियां
- शुद्धता: पूजा और मंत्र जप के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें।
- मन की शांति: मन को शांत और एकाग्र रखें।
- समय: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करें।
- भक्ति: सच्ची भक्ति और विश्वास के साथ मंत्र जप करें।
- आसन: पूजा के दौरान एक साफ आसन का प्रयोग करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- उच्छिष्ठ गणपति की पूजा क्यों महत्वपूर्ण है?
- उच्छिष्ठ गणपति की पूजा तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
- उच्छिष्ठ गणपति मंत्र कब जपना चाहिए?
- इस मंत्र का जप बुधवार या चतुर्थी तिथि को करना सबसे शुभ होता है।
- इस मंत्र का जप कैसे करना चाहिए?
- शुद्धता और एकाग्रता के साथ, कम से कम 108 बार प्रतिदिन जप करें।
- क्या उच्छिष्ठ गणपति मंत्र केवल तांत्रिक बाधाओं को दूर करने के लिए है?
- नहीं, यह मंत्र आर्थिक समस्याओं, कर्ज मुक्ति, और पारिवारिक सुख के लिए भी लाभकारी है।
- क्या इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याएं दूर कर सकता है?
- हां, इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
- उच्छिष्ठ गणपति की पूजा के लिए कौन सा फूल सबसे अच्छा है?
- नीले या काले फूल उच्छिष्ठ गणपति की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं।
- क्या इस मंत्र का जप तांत्रिक बाधाओं से सुरक्षा करता है?
- हां, यह मंत्र तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
- क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
- हां, सुबह या संध्या के समय इस मंत्र का जप सबसे अच्छा होता है।
- इस मंत्र का जप कितने दिन तक करना चाहिए?
- कम से कम 21 दिन तक नियमित रूप से इस मंत्र का जप करना चाहिए।
- क्या उच्छिष्ठ गणपति की पूजा में मोदक का भोग लगाना चाहिए?
- हां, मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय है और इसका भोग लगाना चाहिए।
- क्या इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिला सकता है?
- हां, इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक है।