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Uchchhishtha matangi Mantra for fulfil dreams

Uchchhishtha matangi Mantra उच्छिष्ठ मातंगी महाविद्या मातंगी देवी के एक रूप के रूप में जानी जाती हैं। और उन्हें विद्या, कला, और समृद्धि की देवी माना जाता हैं। योग्यता होते हुये भी जब आप अपने कार्य मे सफल नही हो पा रहे है तब उच्छिष्ठ मातंगी प्रयोग करना चाहिये. इनकी पूजा मुंह मे कुछ रखकर या झूंठे मुंह की जाती है.

उच्छिष्ठ मातंगी की साधना में उच्च ध्यान, यंत्र, मंत्र, और मुद्राएं का उपयोग होता है। इनकी पूजा से भक्त को ज्ञान, विवेक, और बुद्धि की प्राप्ति होती हैं। उनकी कृपा से भक्त को सफलता और समृद्धि मिलती हैं और उन्हें शांति और सुख की प्राप्ति होती हैं।

मंत्र

|| ॐ ह्रीं उच्छिष्ठ-चाण्डालिनी मातंगेश्वरी सर्वजनवासंमोहिनी स्वाहा ||

मंत्र का अर्थ:

  1. : यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा और दिव्यता का प्रतीक है, जो मंत्र की शक्ति को सक्रिय करता है।
  2. ह्रीं: यह बीज मंत्र है, जो मातंगी देवी की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और आंतरिक शुद्धि व आध्यात्मिक विकास में सहायक है।
  3. उच्छिष्ठ-चाण्डालिनी: यह मातंगी देवी का विशेष स्वरूप है, जो विशेष रूप से उन साधकों के लिए है जो सिद्धियों की प्राप्ति और गूढ़ रहस्यों को समझना चाहते हैं।
  4. मातंगेश्वरी: यह देवी मातंगी का एक और नाम है, जो ज्ञान, संगीत, और वाणी की अधिष्ठात्री हैं।
  5. सर्वजनवासंमोहिनी: इसका अर्थ है “सभी को आकर्षित करने वाली और मोहिनी शक्ति प्रदान करने वाली।” यह शक्ति साधक को दूसरों पर सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता प्रदान करती है।
  6. स्वाहा: यह शब्द मंत्र को पूर्णता प्रदान करता है और मंत्र का प्रभाव साधक तक पहुँचाता है।

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मंत्र का महत्व:

  • यह मंत्र देवी मातंगी को समर्पित है, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं।
  • यह मंत्र साधक की वाणी में प्रभाव, आकर्षण, और सम्मोहन शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • इसे विद्या, कला, संगीत, और ज्ञान के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए जपा जाता है।

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उच्छिष्ठ मातंगी माता FAQ

1. उच्छिष्ठ मातंगी माता कौन हैं?

उच्छिष्ठ मातंगी माता दस महाविद्याओं में से एक महत्वपूर्ण देवी हैं, जिन्हें विद्या, कला, संगीत, और भाषण की देवी माना जाता है। वे सभी प्रकार के सांसारिक और आध्यात्मिक ज्ञान की प्रदाता हैं।

2. उच्छिष्ठ मातंगी माता का मुख्य मंत्र क्या है?

उच्छिष्ठ मातंगी माता का मुख्य मंत्र है:

|| ॐ ह्रीं उच्छिष्ठ-चाण्डालिनी मातंगेश्वरी सर्वजनवासंमोहिनी स्वाहा ||

3. इस मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?

प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना चाहिए।

4. मंत्र जप का सर्वोत्तम समय कौन सा है?

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) में मंत्र जप करना सर्वोत्तम होता है।

5. मंत्र जप के लिए किस प्रकार की माला का उपयोग करना चाहिए?

रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला का उपयोग करना चाहिए।

6. क्या उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना हर कोई कर सकता है?

हां, लेकिन साधक की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और उसे शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना चाहिए।

7. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियों का पालन करना चाहिए?

शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संकल्प का पालन, साधना की गोपनीयता, और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

8. साधना के दौरान किस प्रकार का आहार लेना चाहिए?

साधना के दौरान साधक को तामसिक भोजन और मदिरा से बचना चाहिए। सात्विक और शुद्ध भोजन का सेवन करना चाहिए।

9. मंत्र जप का स्थान कैसा होना चाहिए?

मंत्र जप के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए, जहां किसी प्रकार की बाधा न हो।

10. उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?

इस मंत्र की साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए।

11. उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना से क्या-क्या लाभ प्राप्त होते हैं?

उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना से ज्ञान, बुद्धि, कला, संगीत, और भाषण में निपुणता प्राप्त होती है। साथ ही, आत्मविश्वास, मानसिक शांति, और सफलता भी मिलती है।

12. क्या साधना के बाद विश्राम करना आवश्यक है?

हां, साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करना चाहिए।

13. क्या उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना में कोई विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?

हां, सफेद पुष्प, चंदन, कुमकुम, और दीपक की आवश्यकता होती है।

14. क्या उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना केवल विशेष अवसरों पर की जा सकती है?

नहीं, उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में करना सर्वोत्तम होता है।

15. उच्छिष्ठ मातंगी माता की कृपा से कौन-कौन सी समस्याएं हल होती हैं?

विद्या, कला, संगीत, और भाषण में निपुणता, मानसिक शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही, सभी प्रकार के बौद्धिक और रचनात्मक कार्यों में सफलता मिलती है।

16. क्या साधना के दौरान किसी विशेष वस्त्र का उपयोग करना चाहिए?

साधना के दौरान सफेद रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए।

17. क्या उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना के दौरान किसी प्रकार की व्रत या उपवास रखना आवश्यक है?

साधना के दौरान व्रत या उपवास रखने से साधक की शुद्धता और साधना की प्रभावशीलता बढ़ती है।

18. मंत्र जप के दौरान ध्यान किस पर केंद्रित करना चाहिए?

मंत्र जप के दौरान ध्यान उच्छिष्ठ मातंगी माता के दिव्य स्वरूप और उनके आशीर्वाद पर केंद्रित करना चाहिए।

19. क्या उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना से व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याएं हल हो सकती हैं?

हां, उच्छिष्ठ मातंगी माता की कृपा से व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याएं भी हल हो सकती हैं, और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है।

20. उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना का प्रमुख उद्देश्य विद्या, कला, संगीत, और भाषण में निपुणता प्राप्त करना और जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और समृद्धि प्राप्त करना है।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

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