शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2024

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Mystical Powers: Panchanguli Sadhana Shivir – Transform Your Spiritual Journey

पंचांग की देवी- पंचांगुली देवी, जो अंतर्मन की शक्तियों को जगाये

अंतर्मन को जगाने वाली पंचांगुली देवी की “पंचांगुली साधना शिविर” का आयोजन मुंबई के पास वज्रेश्वरी मे होने जा रहा है। इस साधना का उद्देश्य मन की शक्तियों को जगाकर सामने वाले ब्यक्ति पर सही भविष्यवाणी करना होता है। इसके अलावा ये साधना व्यक्ति को ज्योतिष, हस्तरेखा, और भविष्यवाणी जैसी विद्याओं में कुशल बनाती है। पंचांगुली देवी को पंच तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाली माना जाता है और ये देवियाँ व्यक्ति की मानसिक और आध्यात्मिक क्षमताओं को जागृत करने में सहायक होती हैं।

पंचांगुली साधना के लाभ

  1. ज्योतिष में सफलता: पंचांगुली साधना करने से साधक को ज्योतिष शास्त्र में गहरी समझ और सही भविष्यवाणी करने की क्षमता प्राप्त होती है। यह साधना साधक को ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभावों को समझने में सक्षम बनाती है।
  2. हस्तरेखा (पॉमेस्ट्री) में निपुणता: इस साधना के द्वारा साधक की हस्तरेखा देखने और समझने की क्षमता में वृद्धि होती है। यह साधना साधक को व्यक्ति के हाथों की रेखाओं के माध्यम से उसके भविष्य के बारे में सटीक भविष्यवाणी करने की शक्ति देती है।
  3. भविष्यफल बताने की क्षमता: पंचांगुली देवी की साधना से साधक में भविष्यवाणी करने की क्षमता में अद्भुत सुधार होता है। यह साधना साधक को व्यक्तियों के जीवन में आने वाली कठिनाइयों और सुख-दुख के बारे में पूर्वानुमान करने में सक्षम बनाती है।
  4. अध्यात्मिक उपचार करने की क्षमता: पंचांगुली साधना से साधक में अध्यात्मिक उपचार करने की शक्ति जागृत होती है। साधक अपनी ऊर्जा और देवी की कृपा से अन्य लोगों की शारीरिक और मानसिक बीमारियों का उपचार कर सकता है।
  5. सही निर्णय लेने की क्षमता: पंचांगुली साधना से साधक में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। यह साधना साधक को जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में सही दिशा चुनने में मदद करती है।
  6. कुंडली का प्रिडिक्शन करने की क्षमता: इस साधना के द्वारा साधक कुंडली का सटीक विश्लेषण करने और ग्रहों की दशा-महादशा के अनुसार व्यक्ति के जीवन की दिशा निर्धारित करने की क्षमता प्राप्त करता है।
  7. गूढ विषयों को सीखने की क्षमता: पंचांगुली साधना से साधक में गूढ और रहस्यमय विषयों को समझने और सीखने की शक्ति बढ़ती है। साधक तंत्र, मंत्र, यंत्र आदि में निपुण हो सकता है।
  8. अध्यात्मिक उन्नति: इस साधना के माध्यम से साधक की आध्यात्मिक यात्रा में प्रगति होती है। साधक को आत्मज्ञान और आत्म-साक्षात्कार का अनुभव होता है।
  9. अंतर्मन की शक्ति का जाग्रत होना: पंचांगुली साधना से साधक के अंतर्मन की शक्तियों का जागरण होता है। साधक अपनी मानसिक क्षमताओं को पहचानता है और उनका सही उपयोग करने में सक्षम होता है।

पंचांगुली साधना के नियम

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पंचांगुली साधना को सफलतापूर्वक करने के लिए साधक को कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक है:

  1. उम्र: साधना करने वाले व्यक्ति की उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। यह साधना मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत व्यक्ति के लिए उपयुक्त है।
  2. लिंग: इस साधना को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। साधना में सफलता के लिए व्यक्ति की श्रद्धा और विश्वास महत्वपूर्ण है।
  3. वस्त्र: साधना करते समय साधक को नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनना अधिक शुभ माना जाता है।
  4. धूम्रपान और मांसाहार: साधना के दौरान साधक को धूम्रपान, पद्य पान और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। यह साधना की शुद्धता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
  5. ब्रह्मचर्य: साधना के दौरान साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। यह साधक की मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को साधना में केंद्रित रखने में मदद करता है।
  6. गोपनीयता: साधक को अपनी साधना को गुप्त रखना चाहिए। साधना के बारे में किसी से चर्चा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे साधना की ऊर्जा प्रभावित हो सकती है।
  7. स्थिरता: साधक को साधना के स्थान को नहीं बदलना चाहिए। एक ही स्थान पर नियमित रूप से साधना करने से साधक की ऊर्जा एकत्रित होती है और साधना में सफलता मिलती है।

पंचांगुली साधना की सिद्धि (Sadhana Siddhi)

पंचांगुली साधना की सिद्धि प्राप्त करने के लिए साधक को कम से कम 1,25,000 मंत्रों का जाप करना होता है जो साधना के लिए आवश्यक होता है। इस शिविर २ दिन लगातार मंत्र का जप किया जाता है, सिर्फ ४ घंटा सोने मिलता है।

पंचांगुली साधना शिविर

पंचांगुली साधना को सीखने और इसे सही ढंग से करने के लिए इस विशेष साधना शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें भाग लेकर साधक इस साधना को गहराई से सीख सकते हैं। इसके अलावा, अब ऑनलाइन भी इस साधना के लिए भाग लिया जा सकता है।

यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद है जो एस्ट्रोलोजी, नंब्रोलोजी, रेकी, प्रानिक हीलर, टैरो रीडर, एंजल थेरपी, अध्यात्मिक उपचार, अल्टर्नेटिव हीलर, प्रकृतिक उपचार चिकित्सक, हस्त रेखा, रमल शास्त्र, कौडी शास्त्र, मंत्र चिकित्सक या किसी भी पद्धति उपचार करते हो, उनके लिये ये शिविर अत्यंत जरूरी है।

पंचांगुली साधना शिविर मे भाग लेने वालों के लिये

  • इस शिविर मे दो दिन तक खाने पीने व रहने की सुविधा दी गई है।
  • साधना करते समय ढीले ढाले वस्त्र पहने
  • ब्लू व ब्लैक रंग के कपड़े छोड़ कर कोई भी रंग का कपड़ा पहन सकते है।
  • साधना मे भाग लेने के लिये १ नारियल व २५० ग्राम गाय का घी लाना अनिवार्य है।
  • आप कोई भी कपड़े पहने, लेकिन साधना मे ढीले-ढाले वस्त्र पहनना है।
  • इस साधना मे पंचांगुली साधना सामग्री (सिद्ध पंचांगुली यंत्र, सिद्ध पंचांगुली माला, पंचांगुली पारद गुटिका, सफेद-काली-लाल चिरमी दाना, आसन, सिद्ध गोमती चक्र, सिद्ध काली हल्दी, पंचांगुली कवच) के साथ दीक्षा दी जाती है।

पंचांगुली साधना- ऑनलाईन भाग लेने वालों के लिये

  • रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोई भी भक्त भाग ले सकता है।
  • आपको अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र व फोटो WhatsApp पर भेजना होगा।
  • पंचांगुली साधना सामग्री (सिद्ध पंचांगुली यंत्र, सिद्ध पंचांगुली माला, पंचांगुली पारद गुटिका, सफेद-काली-लाल चिरमी दाना, आसन, सिद्ध गोमती चक्र, सिद्ध काली हल्दी, पंचांगुली कवच) के साथ आपकी फोटो साधना हॉल मे रखी जाती है, जहां पर मंत्र का जाप किया जायेगा।
  • आपको उच्चारण के साथ मंत्र का ऑडियो WhatsApp द्वारा भेजा जायेगा।
  • दूसरे दिन दीक्षा दी जायेगी, इसकी डिटेल जानकारी WhatsApp या फोन पर दी जायेगी।
  • जो मंत्र दिया जायेगा उसको अपने समय के अनुसार जाप कर सकते है। यानी आपका जो रुटीन कार्य है, वह करे और बीच बीच मे समय निकालकर मंत्र का जप करे।
  • मंत्र जप के दौरान ब्लू व ब्लैक कपड़े न पहने।
  • आपको दूसरे दिन दीक्षा दी जायेगी, इसका समय WhatsApp द्वारा दिया जायेगा। शाम के समय हवन होगा, जिसे यूट्यूब पर लाईव दिखाया जायेगा।
  • दूसरे दिन साधना समाप्त होने के २४ घंटे के अंदर किसी को खाने पीने वस्तु दान करे, पैसे दान न करे।
  • इसके बाद पंचांगुली साधना सामग्री आपके घर पर विधि के साथ कुरियर से भे दी जाती है तथा बाकी की जानकारी WhatsApp पर दी जाती है।

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पंचांगुली साधना के नियम

  • २ दिन ब्रह्मचर्य रहे।
  • अपनी साधना गुप्त रखे।
  • मसालेदार चीजो का सेवन न करे।
  • धूम्रपान, मद्यपान व मांसाहार का सेवन न करे।
  • गुस्से पर नियंत्रण रखे।
  • जिस भी देवी को आप मानते है, उनसे अपने लिये साधना मे सफलता के मनोकामना करे।

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पंचांगुली साधना से जुड़े प्रश्न और उत्तर

  1. पंचांगुली साधना से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
    • पंचांगुली साधना से ज्योतिष, हस्तरेखा, भविष्यवाणी, और अध्यात्मिक उपचार में निपुणता प्राप्त होती है।
  2. क्या पंचांगुली साधना को कोई भी व्यक्ति कर सकता है?
    • हाँ, यह साधना 20 वर्ष से अधिक उम्र के स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
  3. पंचांगुली साधना के दौरान कौन-कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
    • साधक को सही कपड़े पहनने, धूम्रपान और मांसाहार से बचने, ब्रह्मचर्य का पालन करने और साधना को गुप्त रखने के नियमों का पालन करना चाहिए।
  4. मंत्र जप करते समय क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    • मंत्र की शुद्धता, जप का समय, एकाग्रता, मंत्र माला का उपयोग और साधना की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
  5. साधना के लिए कौन सा स्थान उपयुक्त होता है?
    • साधना के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए, जहाँ साधक बिना किसी विघ्न के साधना कर सके।
  6. क्या पंचांगुली साधना से व्यक्ति की मानसिक शक्तियाँ जाग्रत हो सकती हैं?
    • हाँ, पंचांगुली साधना से साधक की मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियाँ जाग्रत हो सकती हैं।
  7. इस साधना के दौरान क्या साधक को मंत्र जप के अलावा भी कुछ करना होता है?
    • मंत्र जप के साथ-साथ साधक को ध्यान, प्राणायाम, और अन्य आध्यात्मिक क्रियाओं का पालन भी करना चाहिए।
  8. क्या पंचांगुली साधना करने से कुंडली का विश्लेषण करने की क्षमता मिलती है?
    • हाँ, पंचांगुली साधना से साधक को कुंडली का सटीक विश्लेषण करने और भविष्यवाणी करने की शक्ति मिलती है।
  9. पंचांगुली साधना में किस रंग के वस्त्र पहनना उचित होता है?
    • साधना के दौरान सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
  10. पंचांगुली साधना को कितने समय तक करना चाहिए?
    • साधक को कम से कम 40 दिन तक नियमित रूप से साधना करनी चाहिए।
  11. क्या पंचांगुली साधना से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति हो सकती है?
    • हाँ, इस साधना से साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
  12. क्या इस साधना को करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है?
    • हाँ, गुरु का मार्गदर्शन साधक को साधना में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।
  13. पंचांगुली साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन क्यों आवश्यक है?
    • ब्रह्मचर्य का पालन साधक की ऊर्जा को साधना में केंद्रित रखने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
  14. साधना के स्थान को न बदलने का क्या कारण है?
    • साधना के स्थान को न बदलने से साधक की ऊर्जा एकत्रित होती है और साधना की सफलता में सहायक होती है।
  15. पंचांगुली साधना से अंतर्मन की शक्तियों का जागरण कैसे होता है?
    • यह साधना साधक को आत्म-साक्षात्कार और आत्म-विश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचानने और उनका सही उपयोग करने में मदद करती है।
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