Saturday, December 21, 2024

Buy now

spot_img
spot_img

Vijayadashami (Dashahara) Pujan – Success in every way

विजयादशमी (दशहरा) पूजन २०२४: हर क्षेत्र, कार्य मे विजय व सफलता पायें

विजयादशमी, जिसे दशहरा भी कहते हैं, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर अधर्म पर धर्म की जीत हासिल की थी। यह दिन जीवन के हर क्षेत्र में सफलता व विजय का प्रतीक माना जाता है। आइए जानें इस पावन दिन का महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त और इससे मिलने वाले लाभ।

विजयादशमी पूजन मुहूर्त २०२४

२०२४ में विजयादशमी १२ अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष मुहूर्त में पूजा की जाती है जो अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। शुभ मुहूर्त के अनुसार इस दिन प्रातः १०:१५ से १२:३० बजे तक का समय पूजा के लिए सबसे उत्तम रहेगा। इस समय देवी दुर्गा और भगवान राम की पूजा का विशेष महत्व है।

पूजन शिविर

Book this Pujan Shivir

विजयादशमी की संपूर्ण कथा: अधर्म पर धर्म की विजय

विजयादशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान राम और रावण के महाकाव्य युद्ध से जुड़ा है, जिसमें भगवान राम ने रावण का वध करके अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की थी। इसके अलावा, देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय की कथा भी विजयादशमी के महत्व को बढ़ाती है।

भगवान राम और रावण की कथा

रामायण के अनुसार, भगवान राम, अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। एक दिन, अयोध्या में राजकुमार राम को १४ वर्षों के वनवास पर भेजा गया। राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता भी वनवास के लिए साथ गए। वनवास के दौरान, लंका के राजा रावण ने छलपूर्वक माता सीता का हरण कर लिया और उन्हें अपनी राजधानी लंका ले गया।

सीता के अपहरण से क्रोधित और दुखी राम ने उन्हें वापस पाने के लिए समुद्र पार किया। उन्होंने वानर राजा सुग्रीव और हनुमान की सहायता से विशाल सेना तैयार की। राम और उनकी सेना ने लंका की ओर कूच किया। इसके बाद राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। कई दिनों तक चलने वाले इस युद्ध में रावण की शक्तियों का सामना करना पड़ा।

रावण, जो दस सिरों वाला असुर था, अत्यंत शक्तिशाली और महा विद्वान था। लेकिन उसकी शक्ति और बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल गलत उद्देश्यों के लिए किया गया। अंततः भगवान राम ने रावण को परास्त कर दिया और उसका वध किया। इस प्रकार, अच्छाई ने बुराई पर विजय प्राप्त की और सीता माता को मुक्त कराया गया। यह विजयादशमी का मुख्य संदेश है – अधर्म पर धर्म की जीत।

देवी दुर्गा और महिषासुर की कथा

विजयादशमी सिर्फ भगवान राम की विजय का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि यह देवी दुर्गा के महिषासुर पर विजय की भी याद दिलाती है। पुराणों के अनुसार, महिषासुर नाम का असुर अत्यंत शक्तिशाली था। उसने कठिन तपस्या करके ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान प्राप्त किया। वरदान के अनुसार, कोई भी देवता या मानव उसे मार नहीं सकता था, और वह अपने अहंकार और शक्ति के नशे में देवताओं को परेशान करने लगा।

महिषासुर ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया और सभी देवताओं को पराजित कर दिया। जब देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, और शिव से सहायता मांगी, तब इन तीनों ने अपनी शक्तियों को मिलाकर देवी दुर्गा का निर्माण किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध किया, जो नौ दिनों तक चला। दसवें दिन, देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया और बुराई पर जीत हासिल की। इसी विजय को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

विजयादशमी का महत्व और संदेश

विजयादशमी का संदेश यही है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी हो, अंततः अच्छाई की ही जीत होती है। यह पर्व समाज में नैतिकता, सत्य और न्याय की स्थापना का प्रतीक है। विजयादशमी हमें यह सिखाती है कि हमें अपने जीवन में धर्म, सच्चाई और सदाचार का पालन करना चाहिए, क्योंकि अंत में विजय उन्हीं की होती है जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं।

विजयादशमी पूजन विधि मंत्र के साथ

पूजन सामग्री:

  1. सुपारी
  2. पुष्प माला
  3. नारियल
  4. सिंदूर
  5. गंगाजल
  6. धूप-दीप
  7. फल और मिठाई

पूजन विधि:

  1. सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजन स्थान को साफ कर भगवान राम, देवी दुर्गा और अन्य देवताओं की प्रतिमा स्थापित करें।
  3. जल और अक्षत से देवताओं का आह्वान करें।
  4. फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  5. अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

मंत्र:

पूजा के दौरान ” ॐ रीं ह्रीं क्रीं प्रत्यंगिरे दुं हुं फट्ट” का जाप करें।

पूजा के दिन क्या खाएं और क्या नहीं

क्या खाएं:

  • फलाहार (फल, सूखे मेवे)
  • सात्विक भोजन (दूध, दही, हलवा)
  • नारियल पानी, मौसमी फल

क्या नहीं खाएं:

  • मांसाहार और तामसिक भोजन
  • लहसुन और प्याज
  • मदिरा और नशे की वस्तुएं

कब से कब तक पूजा करें

विजयादशमी का पूजा समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक होता है। खासतौर पर अपराह्न काल का समय पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया है, जो लगभग दोपहर २ बजे से शुरू होता है और शाम तक चलता है।

विजयादशमी (दशहरा) पूजन के नियम और सावधानियां

  1. पूजा करते समय मन और शरीर दोनों को शुद्ध रखें।
  2. पूजा में सात्विकता बनाए रखें, तामसिक आहार से परहेज करें।
  3. देवी-देवताओं की प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
  4. सही मुहूर्त में पूजा करें, क्योंकि शुभ समय में पूजा करने से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।
  5. घर के सभी सदस्यों को पूजा में सम्मिलित करें और पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करें।

विजयादशमी पूजन के लाभ

  1. जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
  2. शत्रुओं का नाश होता है।
  3. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  4. घर में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है।
  5. शरीर और मन को शुद्धता मिलती है।
  6. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  7. भगवान राम और दुर्गा माता की कृपा बनी रहती है।
  8. पारिवारिक संबंधों में मधुरता आती है।
  9. समाज में मान-सम्मान मिलता है।
  10. व्यापार और नौकरी में उन्नति होती है।
  11. घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  12. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  13. आर्थिक समृद्धि मिलती है।
  14. धार्मिक आस्था और विश्वास में वृद्धि होती है।
  15. अच्छे कर्मों का फल मिलता है।
  16. बच्चों के जीवन में भी शुभता का संचार होता है।
  17. सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

spiritual store

विजयादशमी (दशहरा) पूजन संबंधित प्रश्न उत्तर

१. विजयादशमी पूजा क्यों की जाती है?

विजयादशमी पूजा अधर्म पर धर्म की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था।

२. विजयादशमी पर कौन से देवता की पूजा होती है?

विजयादशमी पर भगवान राम, देवी दुर्गा और शस्त्रों की पूजा का विशेष महत्व होता है।

३. विजयादशमी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

२०२४ में विजयादशमी का शुभ मुहूर्त प्रातः १०:१५ से १२:३० बजे तक रहेगा।

४. विजयादशमी पर कौन से मंत्र का जाप करें?

“ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।” का जाप शुभ माना जाता है।

५. विजयादशमी पर कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?

इस दिन पूजा करते समय सात्विकता का पालन करें और तामसिक भोजन और नशे से बचें।

६. विजयादशमी पर किस रंग के वस्त्र पहनें?

विजयादशमी पर पीले, लाल और नारंगी रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं।

७. क्या विजयादशमी पर वाहन पूजा कर सकते हैं?

हाँ, विजयादशमी पर वाहन और शस्त्रों की पूजा का विशेष महत्व है।

८. विजयादशमी के दिन क्या खाना चाहिए?

सात्विक भोजन जैसे फल, दूध, दही और मिठाई खाना शुभ माना जाता है।

९. विजयादशमी पर क्या नहीं करना चाहिए?

मांसाहार, नशा और तामसिक वस्त्रों का परहेज करना चाहिए।

१०. विजयादशमी पर पूजा कब करनी चाहिए?

इस दिन पूजा का समय अपराह्न काल में होता है, जो दोपहर २ बजे से शुरू होता है।

११. विजयादशमी पर शस्त्र पूजा क्यों की जाती है?

शस्त्र पूजा करने से जीवन में शक्ति, साहस और सफलता की प्राप्ति होती है।

१२. विजयादशमी का धार्मिक महत्व क्या है?

यह दिन अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है, जिससे समाज में धर्म और न्याय की स्थापना होती है।

spot_img
spot_img

Related Articles

KAMAKHYA SADHANA SHIVIRspot_img
PITRA DOSHA NIVARAN PUJANspot_img

Latest Articles

FREE HOROSCOPE CONSULTINGspot_img
BAGALAMUKHI SHIVIR BOOKINGspot_img
Select your currency