चंद्र वज्र मंत्र – विघ्न और बाधाओं को दूर करने का शक्तिशाली उपाय
चंद्र वज्र मंत्र अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावी तांत्रिक मंत्र है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आने वाली बाधाओं को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है। इस मंत्र का संबंध चंद्र ग्रह से होता है, जो मन की शांति, भावनात्मक स्थिरता और समृद्धि का प्रतीक है। इस मंत्र का उच्चारण व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक संतुलन प्रदान करता है, जिससे उसे जीवन में शांति, सुख और सफलता मिलती है। यह मंत्र विशेष रूप से विघ्नों, बाधाओं और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।
चंद्र वज्र विनियोग मंत्र
इस मंत्र के विनियोग का उद्देश्य मंत्र जप को विधिवत प्रारंभ करना होता है। मंत्र के जप से पहले इसका सही उच्चारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि पूजा सफल हो सके।
विनियोग मंत्र:
“ॐ अस्य श्री चंद्र वज्र मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, चंद्र देवता, विघ्न बाधा नाशाय जपे विनियोगः।”
दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ
दिग्बंधन मंत्र का उद्देश्य चारों दिशाओं और उनके बीच की दिशाओं की सुरक्षा करना होता है ताकि मंत्र जप के समय कोई नकारात्मक शक्ति या बाधा जपकर्ता को परेशान न करे।
दिग्बंधन मंत्र:
- “ॐ भूर् भुवः स्वः पूर्वाय नमः,
- ॐ भूर् भुवः स्वः दक्षिणाय नमः,
- ॐ भूर् भुवः स्वः पश्चिमाय नमः,
- ॐ भूर् भुवः स्वः उत्तराय नमः,
- ॐ भूर् भुवः स्वः ईशानाय नमः,
- ॐ भूर् भुवः स्वः नैऋत्याय नमः,
- ॐ भूर् भुवः स्वः वायव्याय नमः,
- ॐ भूर् भुवः स्वः आग्नेयाय नमः,
- ॐ भूर् भुवः स्वः अधोराय नमः
- ॐ भूर् भुवः स्वः उर्ध्वराय नमः
अर्थ:
मैं सभी दिशाओं को प्रणाम करता हूं—पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और मध्य दिशाओं में उपस्थित सभी देवताओं को नमन करता हूं। मेरी साधना को कोई विघ्न न पहुंचाए, कृपा करके मेरी रक्षा करें।
चंद्र वज्र मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ
मंत्र:
“ॐ ऐं श्रां श्रीं श्रौं सः सोमाय विघ्न बाधां नष्टय हुं फट्।”
अर्थ:
हे सोम (चंद्र), आप समस्त विघ्न-बाधाओं का नाश करें। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं, बाधाओं, और अवरोधों का नाश होता है और सकारात्मकता का संचार होता है। यह मंत्र विशेष रूप से मन की शांति, मानसिक स्थिरता और समृद्धि लाने में सहायक है।
चंद्र वज्र मंत्र से लाभ
- मानसिक शांति की प्राप्ति।
- जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन।
- मन की चंचलता पर नियंत्रण।
- विघ्न-बाधाओं का नाश।
- आर्थिक समृद्धि और धन का आगमन।
- कार्यों में सफलता।
- शत्रुओं से रक्षा।
- स्वास्थ्य में सुधार।
- आत्मविश्वास में वृद्धि।
- मानसिक संतुलन।
- संतान सुख।
- विवाह में आ रही बाधाओं का नाश।
- शिक्षा में सफलता।
- समाज में प्रतिष्ठा की प्राप्ति।
- आध्यात्मिक उन्नति।
- अनुकूल ग्रहों का प्रभाव।
- भाग्य में वृद्धि।
चंद्र वज्र मंत्र पूजा सामग्री व मंत्र विधि
पूजा सामग्री:
- सफेद वस्त्र।
- सफेद चंदन।
- चावल (अक्षत)।
- दीपक (घी का)।
- कपूर।
- कमल का फूल।
- दूध और सफेद मिठाई।
- शुद्ध जल।
मंत्र विधि:
- सफेद वस्त्र धारण करें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- दीपक जलाकर पूजा स्थल को पवित्र करें।
- चावल और सफेद फूलों से भगवान चंद्र की पूजा करें।
- ध्यान और साधना के साथ 11 माला (1188 बार) चंद्र वज्र मंत्र का जप करें।
- सफेद मिठाई का भोग अर्पित करें।
- जल अर्पित कर पूजा समाप्त करें।
चंद्र वज्र मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहूर्त
जप का दिन:
सोमवार को प्रारंभ करना श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि यह चंद्र देव का दिन है।
अवधि:
मंत्र जप 11 से 21 दिन तक निरंतर करें।
मुहूर्त:
प्रातःकाल या रात्रि के समय, विशेषकर चंद्रमा की पूजा के समय, मंत्र जप करना शुभ होता है।
चंद्र वज्र मंत्र जप
चंद्र वज्र मंत्र का जप 11 माला यानी 1188 बार प्रतिदिन करना चाहिए। इससे मंत्र की शक्ति अधिक बढ़ती है और इसका प्रभाव शीघ्र होता है। मंत्र जप के लिए 11 से 21 दिन का समय निर्धारित किया जाता है।
मंत्र जप के नियम
- जपकर्ता की उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
- स्त्री और पुरुष दोनों ही इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
- नीले और काले वस्त्र न पहनें।
- धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का सेवन न करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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चंद्र वज्र मंत्र जप सावधानियाँ
- मंत्र का उच्चारण सही होना चाहिए।
- पवित्रता का पालन करें।
- जप के समय एकाग्रता बनाए रखें।
- मंत्र जप के दौरान अन्य विचारों को मन में न आने दें।
- स्थान का चयन शांति और एकांत वाला हो।
चंद्र वज्र मंत्र: सामान्य प्रश्न
1. चंद्र वज्र मंत्र क्या है?
उत्तर:चंद्र वज्र मंत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है, जिसका उद्देश्य जीवन की विघ्न-बाधाओं को दूर करना और मानसिक शांति प्रदान करना है। यह मंत्र चंद्र देव से संबंधित है, जो मन की शांति और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।
2. चंद्र वज्र मंत्र का जप कब करना चाहिए?
उत्तर:इस मंत्र का जप प्रातःकाल या रात्रि में चंद्रमा की उपस्थिति के समय करना सबसे शुभ माना जाता है। सोमवार को इसका जप प्रारंभ करना विशेष रूप से फलदायक होता है।
3. क्या चंद्र वज्र मंत्र का जप स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं?
उत्तर:हाँ, स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं। बस जप के दौरान शुद्धता, नियमों का पालन, और ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।
4. मंत्र जप के लिए क्या नियम हैं?
उत्तर:
- मंत्र जप के दौरान सफेद वस्त्र पहनें।
- नीले और काले वस्त्र न पहनें।
- धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का त्याग करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें और जप के समय एकाग्रता बनाए रखें।
5. इस मंत्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:चंद्र वज्र मंत्र का मुख्य उद्देश्य मानसिक शांति प्राप्त करना, विघ्न-बाधाओं को दूर करना, और जीवन में समृद्धि और सफलता लाना है।
6. मंत्र का उच्चारण कैसे करना चाहिए?
उत्तर:मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और सही ढंग से करना आवश्यक है। यह मंत्र ध्यान और साधना के साथ किया जाना चाहिए ताकि इसका पूर्ण प्रभाव मिल सके।
7. चंद्र वज्र मंत्र के जप की अवधि कितनी होती है?
उत्तर:मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन की होती है। प्रतिदिन 11 माला (1188 बार) मंत्र का जप किया जाता है।
8. क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष मुहूर्त में करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, इस मंत्र का जप प्रातःकाल या रात्रि के समय करना सर्वोत्तम है। चंद्रमा के दिन यानी सोमवार को मंत्र जप शुरू करना शुभ माना जाता है।
9. चंद्र वज्र मंत्र से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:इस मंत्र से 17 प्रमुख लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे कि मानसिक शांति, विघ्नों का नाश, समृद्धि, सफलता, आत्मविश्वास में वृद्धि, और शत्रुओं से रक्षा।
10. क्या मंत्र जप के दौरान कोई विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?
उत्तर: हाँ, मंत्र जप के लिए सफेद चंदन, चावल, दीपक, कपूर, कमल का फूल, दूध, और सफेद मिठाई का उपयोग किया जाता है। यह सामग्री चंद्र देवता की पूजा के लिए आवश्यक होती है।
11. क्या इस मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है?
उत्तर: मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन सोमवार को इसका प्रारंभ करना विशेष फलदायी होता है। यह दिन चंद्र देव का होता है, जिससे इसका प्रभाव बढ़ जाता है।
12. मंत्र जप के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र जप के दौरान शुद्धता का पालन करें, ब्रह्मचर्य रहें, धूम्रपान और मद्यपान से बचें। मंत्र जप के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करें और मानसिक रूप से एकाग्र रहें।