विकटा मंत्र: आध्यात्मिक शक्ति और कुल देवी की कृपा प्राप्ति का रहस्य
विकटा मंत्र का जप कुल देवी या कुल देवता की सिद्धि प्राप्त करने के लिए अचूक उपाय है। इस मंत्र के नियमित जप से साधक को ईश्वर का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह मंत्र व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है और उसे पूजा-पाठ में सफलता दिलाने में सहायक होता है। विकटा मंत्र का उच्चारण करते समय ध्यान केंद्रित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मंत्र साधक को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
विनियोग मंत्र और उसका अर्थ
विनियोग मंत्र:
“ॐ अस्य विकटा मंत्रस्य महाकाली ऋषिः। अनुष्टुप छन्दः। विकटा देवी देवता। श्रीं क्लीं ह्रीं बीजम्। स्वाहा शक्तिः। सिद्धये जपे विनियोगः।
अर्थ:
यह मंत्र विकटा देवी के लिए समर्पित है। इसका उद्देश्य साधक की साधना को पूर्णता प्रदान करना है। इसका विनियोग मंत्र देवी की कृपा प्राप्ति के लिए है।
दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ
दिग्बंधन मंत्र:
“ॐ ह्रीं दिग्विनायकाय नमः। ॐ ह्रीं ह्रीं क्लीं क्लीं दिशां सुरक्षा कुरु स्वाहा।”
अर्थ:
यह मंत्र साधना के दौरान दसों दिशाओं को सुरक्षित करने के लिए है। इससे साधक के आसपास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
विकटा मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ
विकटा मंत्र:
“ॐ विकटमुखी द्रष्ट करालिनी ज्वल ज्वल सर्व यक्ष भयंकरी धीर धीर गच्छ गच्छ भो भोः साधक किम् आज्ञा पयसि हुं।”
मंत्र का संपूर्ण अर्थ:
यह मंत्र देवी विकटा के उग्र और शक्तिशाली रूप को संबोधित करता है। इसमें साधक देवी से याचना करता है कि वे अपनी करालिनी (भयावह) शक्ति से सभी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव, बाधाएं और यक्ष-भूत जैसी नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट करें।
मंत्र में निम्न भावनाओं और संदेशों को दर्शाया गया है:
- “विकटमुखी”: देवी को उनके विकराल और उग्र रूप में आह्वान किया गया है। यह स्वरूप नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करता है।
- “द्रष्ट करालिनी”: इसका अर्थ है वह शक्ति जो अपने दृष्टिपात मात्र से असुरों और बाधाओं का विनाश कर देती है।
- “ज्वल ज्वल”: यह शब्द देवी से उनकी उग्र ऊर्जा को जागृत करने का निवेदन करता है ताकि साधक के मार्ग में आने वाले अवरोध समाप्त हो जाएं।
- “सर्व यक्ष भयंकरी”: देवी से प्रार्थना की जाती है कि वे सभी प्रकार के यक्षों और भयकारक शक्तियों को नष्ट करें।
- “धीर धीर गच्छ गच्छ”: साधक देवी को अपनी ओर आकर्षित करने और उन्हें साधना में उपस्थित होने के लिए आह्वान करता है।
- “भो भोः साधक किम् आज्ञा पयसि”: साधक देवी को निवेदन करता है कि वे उनकी आज्ञा को स्वीकार करें और साधक की इच्छाओं को पूरा करें।
- “हुं”: यह बीज मंत्र है, जो शक्ति और ऊर्जा का संचार करता है। यह देवी की कृपा प्राप्त करने का प्रतीक है।
मंत्र का उपयोग:
- यह मंत्र साधक के चारों ओर सुरक्षा कवच बनाता है।
- इसे विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं को समाप्त करने के लिए जपा जाता है।
- देवी विकटा की कृपा से साधक को मानसिक शांति और सफलता प्राप्त होती है।
इस मंत्र का जप करने से साधक का आत्मविश्वास बढ़ता है और वह हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है।
जप काल में इन चीजों का सेवन अधिक करें
- फलाहार करें।
- शुद्ध जल का सेवन करें।
- तुलसी के पत्ते खाएं।
- गाय का दूध पिएं।
- सात्विक भोजन करें।
विकटा मंत्र के लाभ
- इष्ट सिद्धि प्राप्त होती है।
- पूजा-पाठ में सफलता मिलती है।
- कुल देवी-देवता की कृपा होती है।
- मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।
- परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- आर्थिक समस्याएं समाप्त होती हैं।
- स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- शत्रुओं से रक्षा होती है।
- आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
- बुरी नजर से बचाव होता है।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
- संतान सुख प्राप्त होता है।
- ज्ञान और विवेक में वृद्धि होती है।
- समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
- आध्यात्मिक उन्नति होती है।
पूजा सामग्री और मंत्र विधि
आवश्यक सामग्री:
- देवी की प्रतिमा या चित्र।
- लाल वस्त्र।
- दीपक और घी।
- पुष्पमाला।
- धूप और कपूर।
- अक्षत और सिंदूर।
मंत्र विधि:
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें।
- देवी के चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- धूप और पुष्प चढ़ाएं।
- विकटा मंत्र का जप करें।
मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त
- मंगलवार और शुक्रवार को विशेष शुभ माना जाता है।
- प्रतिदिन 20 मिनट तक जप करें।
- मंत्र जप का समय ब्रह्म मुहूर्त में हो।
- लगातार 21 दिन तक मंत्र का जप करें।
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मंत्र जप के नियम
- साधक की उम्र 20 वर्ष से अधिक हो।
- स्त्री-पुरुष कोई भी जप कर सकता है।
- नीले या काले कपड़े न पहनें।
- धूम्रपान और मद्यपान का त्याग करें।
- मांसाहार का सेवन न करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- मन शांत और स्थिर रखें।
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जप के दौरान सावधानियां
- अशुद्ध स्थान पर जप न करें।
- मन को भटकने न दें।
- बिना स्नान के जप न करें।
- देवी की प्रतिमा का अपमान न करें।
- अधूरी सामग्री के साथ पूजा न करें।
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विकटा मंत्र प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: विकटा मंत्र का क्या महत्व है?
उत्तर: यह कुल देवी-देवता की सिद्धि और मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।
प्रश्न 2: जप के लिए कौन सा समय उचित है?
उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त में जप करना सबसे उचित है।
प्रश्न 3: मंत्र कितने दिनों तक जपना चाहिए?
उत्तर: इसे 21 दिन तक प्रतिदिन जपना चाहिए।
प्रश्न 4: क्या स्त्रियां यह मंत्र जप सकती हैं?
उत्तर: हां, स्त्री-पुरुष दोनों जप कर सकते हैं।
प्रश्न 5: जप के दौरान कौन से कपड़े पहनें?
उत्तर: हल्के रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनें।
प्रश्न 6: मंत्र जप से क्या लाभ होता है?
उत्तर: यह इष्ट सिद्धि, कार्य सिद्धि और मानसिक शांति प्रदान करता है।
प्रश्न 7: क्या इस मंत्र का जप कभी भी कर सकते हैं?
उत्तर: हां, लेकिन शुभ मुहूर्त में जप अधिक प्रभावी होता है।
प्रश्न 8: जप के समय किन चीजों से बचना चाहिए?
उत्तर: धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से बचना चाहिए।
प्रश्न 9: क्या मासिक धर्म के दौरान स्त्रियां जप कर सकती हैं?
उत्तर: नहीं, इस दौरान जप करना वर्जित है।
प्रश्न 10: क्या साधक का विवाहित होना आवश्यक है?
उत्तर: नहीं, अविवाहित व्यक्ति भी जप कर सकता है।
प्रश्न 11: क्या इस मंत्र का जप समूह में कर सकते हैं?
उत्तर: हां, लेकिन व्यक्तिगत जप अधिक प्रभावी होता है।
प्रश्न 12: क्या मंत्र जप के बाद विशेष पूजा करनी चाहिए?
उत्तर: हां, देवी को प्रसाद अर्पित कर धन्यवाद करें।