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Vilasini Yakshini Mantra – Path to Success

विलासिनी यक्षिणी मंत्र साधना: भौतिक सुख और समृद्धि प्राप्त करने का रहस्यमय मार्ग

विलासिनी यक्षिणी मंत्र, तंत्र साधना मे महत्वपूर्ण मंत्र माना जाता है। यह साधना उन साधकों के लिए होती है, जो भौतिक सुख, ऐश्वर्य और सफलता की आकांक्षा रखते हैं। यक्षिणियाँ, विशेषकर विलासिनी यक्षिणी, तांत्रिक परंपराओं में धन, समृद्धि और सांसारिक सुख की देवी मानी जाती हैं। इस साधना का सही ढंग से पालन करने पर साधक को अनंत लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

विलासिनी यक्षिणी का महत्व

विलासिनी यक्षिणी को तंत्र साधना में एक अत्यंत शक्तिशाली देवी के रूप में माना जाता है। वह सौंदर्य, विलास, और सुख-समृद्धि की दात्री मानी जाती हैं। जो साधक इनकी साधना करते हैं, उन्हें आर्थिक उन्नति, सौंदर्य वृद्धि, और भौतिक वस्त्रों की प्राप्ति होती है। उनके आशीर्वाद से साधक को अपार ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, और उसे जीवन के भौतिक सुखों का आनंद मिलता है।

मंत्र साधना का उद्देश्य

विलासिनी यक्षिणी मंत्र का उद्देश्य भौतिक जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति होता है। साधक इस मंत्र जप से न केवल आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी संतुलन और शांति प्राप्त कर सकते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य नौकरी, व्यापार, और व्यक्तिगत जीवन में उन्नति करना है।

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र का उपयोग साधना स्थल को सुरक्षित और शुद्ध रखने के लिए किया जाता है। यह मंत्र दसों दिशाओं में सुरक्षा कवच बनाने का कार्य करता है ताकि साधक की साधना किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा या बाधा से प्रभावित न हो। दिग्बंधन से साधक साधना में एकाग्रता बनाए रखता है और उसकी साधना पूर्ण होती है।

दिग्बंधन मंत्र:

ॐ आ ककुदाय नमः।
ॐ आ नृत्याय नमः।
ॐ आ कापिलाय नमः।
ॐ आ वराहाय नमः।
ॐ आ वातवे नमः।
ॐ आ निर्ऋते नमः।
ॐ आ आकाशाय नमः।
ॐ आ पृथिव्यै नमः।
ॐ आ दिशायै नमः।
ॐ आ अग्नये नमः।

अर्थ:

  • ॐ आ ककुदाय नमः – उत्तर दिशा के लिए
  • ॐ आ नृत्याय नमः – दक्षिण दिशा के लिए
  • ॐ आ कापिलाय नमः – पूर्व दिशा के लिए
  • ॐ आ वराहाय नमः – पश्चिम दिशा के लिए
  • ॐ आ वातवे नमः – वायु (हवा) के लिए
  • ॐ आ निर्ऋते नमः – निर्ऋति (पश्चिम-दक्षिण) के लिए
  • ॐ आ आकाशाय नमः – आकाश के लिए
  • ॐ आ पृथिव्यै नमः – पृथ्वी के लिए
  • ॐ आ दिशायै नमः – सभी दिशाओं के लिए
  • ॐ आ अग्नये नमः – अग्नि (आग) के लिए

यह दिग्बंधन मंत्र साधक को सभी दिशाओं से सुरक्षा प्रदान करता है और उसकी साधना को बाधा रहित बनाता है।

विलासिनी यक्षिणी मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:

॥ॐ ह्रीं क्लीं विलाशिनी यक्षिणे सर्व सुखं प्रदातु क्लीं स्वाहा॥

मंत्र का अर्थ:

  • : यह बीज मंत्र है जो सभी मंत्रों का मूल है। यह ब्रह्मांड की अनंत ऊर्जा को आकर्षित करता है।
  • ह्रीं: यह शक्ति का बीज मंत्र है, जो देवी की शक्ति को जाग्रत करता है।
  • क्लीं: यह कामना पूर्ति और आकर्षण का बीज मंत्र है, जो साधक की इच्छाओं की पूर्ति करता है।
  • विलाशिनी यक्षिणे: विलासिनी यक्षिणी को संबोधित कर साधक उनसे समृद्धि और सुख की याचना करता है।
  • सर्व सुखं प्रदातु: इसका अर्थ है “आप सभी प्रकार के सुख प्रदान करें।” यहां साधक यक्षिणी से सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति की प्रार्थना करता है।
  • क्लीं स्वाहा: इसका अर्थ है “आपकी कृपा से मेरी सभी इच्छाएं पूर्ण हों।” यह साधना की पूर्णता और यक्षिणी की शक्ति को अपने जीवन में स्थापित करने की प्रार्थना है।

इस मंत्र के माध्यम से साधक यक्षिणी की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति करता है।

मंत्रों की शक्ति

मंत्रों में अत्यधिक शक्तियाँ होती हैं, और तांत्रिक विद्या में मंत्रों का विशेष महत्व होता है। विलासिनी यक्षिणी मंत्र के उच्चारण से यक्षिणी की शक्तियों को जाग्रत किया जाता है। मंत्र की ध्वनि तरंगें सीधे साधक की ऊर्जा से जुड़ती हैं, और ये शक्तिशाली तरंगें यक्षिणी को आकर्षित करती हैं। नियमित जप से साधक यक्षिणी की कृपा प्राप्त करता है।

पूजा सामग्री के साथ मंत्र विधि

विलासिनी यक्षिणी मंत्र साधना में विशेष सामग्री और विधि का पालन आवश्यक होता है।

पूजा सामग्री:

  • 100 ग्राम गुग्गुल धूप
  • घी का दीपक
  • आसान (कुश या ऊनी)
  • माला (रुद्राक्ष या स्फटिक)

मंत्र जप विधि:

  1. साधना स्थल को शुद्ध करें और साधक को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
  2. 100 ग्राम गुग्गुल धूप को सामने रखें।
  3. घी का दीपक जलाएं।
  4. 11 माला (1188 मंत्र) रोज 21 दिन तक जप करें।
  5. साधना समाप्ति के बाद भोजन या फल दान करें।
  6. थोड़ा सा गुग्गुल धूप लेकर जलाएं और घर, दुकान या ऑफिस में उसका धुंआ फैलाएं।

विलासिनी यक्षिणी मंत्र साधना के लाभ

विलासिनी यक्षिणी मंत्र साधना के अनेक लाभ होते हैं, जो साधक के जीवन को समृद्धि और सौभाग्य से भर देते हैं:

  1. नौकरी में उन्नति
  2. व्यापार में उन्नति
  3. रोजगार के नए अवसर
  4. कर्ज मुक्ति
  5. विवाहित जीवन में सुख
  6. धन-संपत्ति की प्राप्ति
  7. व्यक्तिगत आकर्षण में वृद्धि
  8. सौंदर्य में वृद्धि
  9. मनोकामनाओं की पूर्ति
  10. शत्रुओं पर विजय
  11. कानूनी समस्याओं का समाधान
  12. भविष्य की अनिश्चितताओं से मुक्ति
  13. घर में सुख-शांति
  14. आध्यात्मिक उन्नति
  15. दैनिक जीवन में सभी बाधाओं का नाश

मंत्र जप के नियम

सफलता प्राप्त करने के लिए मंत्र जप के कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है:

  1. उम्र: 20 वर्ष के ऊपर के लोग ही इस साधना को कर सकते हैं।
  2. कपड़े: साधना के समय सफेद या पीले वस्त्र पहनें। ब्लू और ब्लैक कपड़े न पहनें।
  3. धूम्रपान और मद्यपान: इस साधना के दौरान धूम्रपान, मद्यपान, और मासाहार से दूर रहें।
  4. ब्रह्मचर्य: साधना के समय ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  5. जप की अवधि: 21 दिन तक रोज 1188 मंत्र (11 माला) जप करें।
  6. सावधानी: साधना के दौरान मानसिक शांति और स्थिरता बनाए रखें।

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जप सावधानियाँ

  1. साधना के समय पूरा ध्यान मंत्र जप पर केंद्रित होना चाहिए।
  2. साधना स्थल शुद्ध और शांत होना चाहिए।
  3. मानसिक और शारीरिक शुद्धता का पालन करें।
  4. साधना के समय अनावश्यक नकारात्मक विचारों से बचें।

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विलासिनी यक्षिणी मंत्र साधना से संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: क्या यह साधना हर किसी के लिए उपयुक्त है?

उत्तर: नहीं, यह साधना केवल उन साधकों के लिए उपयुक्त है जो मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्धता बनाए रखते हैं और सही नियमों का पालन करते हैं।

प्रश्न 2: साधना का सही समय क्या होता है?

उत्तर: साधना का शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त या शाम का समय होता है। जप के लिए दिन का समय भी उपयुक्त हो सकता है, जब वातावरण शांत हो।

प्रश्न 3: साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?

उत्तर: साधना को कम से कम 21 दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए। इससे साधक को पूर्ण फल प्राप्त होता है।

प्रश्न 4: क्या साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है?

उत्तर: हां, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह साधक की ऊर्जा को स्थिर रखने में सहायक होता है।

प्रश्न 5: क्या स्त्रियाँ भी यह साधना कर सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्रियाँ भी इस साधना को कर सकती हैं, बशर्ते वे नियमों का पालन करें और मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।

प्रश्न 6: क्या साधना के दौरान किसी विशेष दिशा का सामना करना चाहिए?

उत्तर: हां, साधना के दौरान पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना सबसे शुभ माना जाता है।

प्रश्न 7: साधना के लिए कौन सी माला का प्रयोग करना चाहिए?

उत्तर: साधना के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक माला का प्रयोग सबसे अच्छा माना जाता है।

प्रश्न 8: अगर साधना के दौरान गलती हो जाए तो क्या करना चाहिए?

उत्तर: अगर साधना के दौरान कोई गलती हो जाती है, तो उसे तुरंत सुधारने की कोशिश करनी चाहिए और साधना को फिर से शुरू करें।

प्रश्न 9: क्या साधना के दौरान कोई विशेष भोजन करना चाहिए?

उत्तर: साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए और मांसाहार से दूर रहना चाहिए।

प्रश्न 10: क्या साधना के बाद साधक को कुछ दान करना चाहिए?

उत्तर: हां, साधना समाप्त होने के बाद भोजन या फल का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

प्रश्न 11: क्या साधना के दौरान मंत्र का उच्चारण सही होना चाहिए?

उत्तर: हां, मंत्र का सही उच्चारण साधना की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

प्रश्न 12: साधना के लिए किस प्रकार का दीपक जलाना चाहिए?

उत्तर: साधना के लिए घी का दीपक जलाना सबसे शुभ माना जाता है।

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