विशुद्ध चक्र मंत्र जाप विधि: कुंडलिनी जागरण और मानसिक शांति का मार्ग
विशुद्ध चक्र मंत्र का महत्व आध्यात्मिक उन्नति में बेहद प्रमुख है। यह मंत्र गले के केंद्र में स्थित विशुद्ध चक्र को सक्रिय करता है, जो संचार, सच्चाई और आत्म-अभिव्यक्ति का केंद्र है। जब यह चक्र संतुलित होता है, तो व्यक्ति की वाणी में शक्ति, सच्चाई और स्पष्टता होती है। विशुद्ध चक्र मंत्र का नियमित जाप करने से नकारात्मकता दूर होती है और आत्मा शुद्ध होती है। यह मंत्र आपके आंतरिक और बाहरी संवाद को सशक्त बनाता है, जिससे आप अपनी भावनाओं और विचारों को बेहतर ढंग से व्यक्त कर पाते हैं।
विनियोग मंत्र व उसका अर्थ
विनियोग मंत्र:
॥ ॐ अस्य श्री विशुद्ध चक्र मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः, विशुद्ध चक्र देवता, हं बीजं, ॐ शक्ति, हं कीलकं, विशुद्ध चक्र जाग्रत्यर्थे जपे विनियोगः॥
अर्थ:
यह मंत्र ब्रह्मा ऋषि द्वारा रचित है, जिसका छंद गायत्री है। विशुद्ध चक्र देवता की कृपा से इस मंत्र का जाप किया जाता है। इसका बीजाक्षर ‘हं’ है और इसका कीलक मंत्र ‘हं’ है। इस मंत्र के जाप से विशुद्ध चक्र की जाग्रति होती है, जो संचार और सच्चाई के मार्ग को प्रकट करता है।
दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ
दिग्बंधन मंत्र:
॥ॐ ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
अर्थ:
यह मंत्र दसों दिशाओं की सुरक्षा और आध्यात्मिक बंधन के लिए किया जाता है। इस मंत्र के जाप से चारों दिशाओं की ऊर्जा संतुलित होती है और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। (सभी दिशाओं की तरफ मुंह करके इस मंत्र का जप कर चुटकी या ताली बजायें)
विशुद्ध चक्र मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ
मंत्र:
॥ॐ ह्रीं हं कुंडलेश्वरी हं नमः॥
अर्थ:
यह मंत्र कुंडलेश्वरी देवी को समर्पित है, जो विशुद्ध चक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं। “हं” विशुद्ध चक्र का बीज मंत्र है, जो इस चक्र की ऊर्जा को सक्रिय करता है। इस मंत्र के जाप से विशुद्ध चक्र की शुद्धि होती है, जिससे व्यक्ति की वाणी में स्पष्टता और सच्चाई का संचार होता है।
ॐ – यह ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, जो संपूर्णता का प्रतीक है और सभी मंत्रों का आरंभिक भाग है।
ह्रीं – यह ध्वनि शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतिनिधित्व करती है, जो विशुद्ध चक्र को जाग्रत करती है।
हं – यह विशुद्ध चक्र का प्रमुख बीजाक्षर है, जो इस चक्र की ऊर्जा को खोलता और शुद्ध करता है।
कुंडलेश्वरी – कुंडलिनी शक्ति की देवी, जो विशुद्ध चक्र पर शासन करती हैं, उन्हें प्रसन्न करने के लिए यह मंत्र जपा जाता है।
नमः – यह शब्द समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है, जिसका अर्थ है कि हम देवी को प्रणाम करते हैं और उनकी कृपा की प्रार्थना करते हैं।
इस मंत्र का नियमित जाप करने से कुंडलिनी जागरण की प्रक्रिया में सहायक होता है, और विशुद्ध चक्र के संतुलन से व्यक्ति की आत्म-अभिव्यक्ति और संवाद में सुधार होता है।
विशुद्ध चक्र मंत्र के लाभ
- संचार क्षमता में सुधार।
- सच्चाई और स्पष्टता में वृद्धि।
- आत्म-अभिव्यक्ति को सशक्त बनाना।
- नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना।
- ध्यान में एकाग्रता को बढ़ाना।
- शांति और स्थिरता का अनुभव।
- आत्मविश्वास में वृद्धि।
- रिश्तों में सुधार।
- थायराइड समस्याओं में राहत।
- मानसिक तनाव कम करना।
- आंतरिक शुद्धि।
- भय और चिंता से मुक्ति।
- आत्मा का विकास।
- कुंडलिनी जागरण की प्रक्रिया।
- आध्यात्मिक उन्नति।
- व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों में संतुलन।
- बेहतर संचार कौशल।
- सृजनात्मकता में वृद्धि।
पूजा सामग्री के साथ मंत्र विधि
पूजा सामग्री:
- श्वेत वस्त्र
- धूप और दीपक
- नीला फूल
- एकाक्षी नारियल
- तांबे का पात्र
- जल और गंगाजल
- कुशासन या रेशमी आसन
मंत्र विधि:
- प्रातःकाल पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुख करके सफेद वस्त्र पहनें।
- शुद्ध स्थान पर आसन लगाकर पूजा सामग्री तैयार करें।
- धूप दीपक जलाकर नीले फूल अर्पित करें।
- एकाक्षी नारियल लेकर तांबे के पात्र में जल भरकर कुंडलेश्वरी देवी का ध्यान करें।
- मंत्र का 108 बार जाप करें।
- रोजाना 20 मिनट तक 21 दिन तक जाप करें।
मंत्र जप के नियम
- उम्र 20 वर्ष के ऊपर होनी चाहिए।
- स्त्री-पुरुष कोई भी जाप कर सकता है।
- नीले या काले वस्त्र न पहनें।
- धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का सेवन न करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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मंत्र जप सावधानी
- साफ-सुथरे वातावरण में जाप करें।
- मंत्र उच्चारण सही ढंग से करें।
- पूर्ण ध्यान और एकाग्रता से जाप करें।
- नकारात्मक विचारों से बचें।
- रात के समय जाप न करें।
विशुद्ध चक्र मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: क्या विशुद्ध चक्र मंत्र सभी कर सकते हैं?
उत्तर: हां, यह मंत्र सभी के लिए उपयुक्त है, पर 20 वर्ष से ऊपर की उम्र के व्यक्ति ही इसे करें।
प्रश्न 2: इस मंत्र के जाप का सही समय क्या है?
उत्तर: प्रातःकाल या सांयकाल का समय मंत्र जाप के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
प्रश्न 3: क्या महिलाएं मंत्र जाप कर सकती हैं?
उत्तर: हां, महिलाएं भी विशुद्ध चक्र मंत्र का जाप कर सकती हैं।
प्रश्न 4: क्या इस मंत्र से स्वास्थ्य लाभ होता है?
उत्तर: हां, यह थायराइड और गले से संबंधित समस्याओं में लाभकारी होता है।
प्रश्न 5: मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
प्रश्न 6: क्या इस मंत्र के दौरान उपवास करना आवश्यक है?
उत्तर: उपवास करना आवश्यक नहीं है, परंतु शुद्ध आहार लेना चाहिए।
प्रश्न 7: क्या मंत्र जाप के लिए कोई विशेष दिशा है?
उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके मंत्र जाप करना श्रेष्ठ होता है।
प्रश्न 8: मंत्र का जाप कितने दिन करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र का जाप 21 दिनों तक नियमित रूप से करें।
प्रश्न 9: क्या इस मंत्र से मानसिक शांति प्राप्त होती है?
उत्तर: हां, विशुद्ध चक्र मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
प्रश्न 10: क्या जाप के दौरान कोई विशेष आसन आवश्यक है?
उत्तर: कुशासन या रेशमी आसन पर बैठकर मंत्र जाप करना उचित होता है।
प्रश्न 11: क्या मंत्र के जाप से कुंडलिनी जागरण होता है?
उत्तर: हां, यह मंत्र कुंडलिनी जागरण में सहायक होता है।
प्रश्न 12: क्या इस मंत्र का जाप किसी विशेष पूजा के दौरान करना चाहिए?
उत्तर: इसे किसी विशेष पूजा के दौरान या नियमित साधना में शामिल कर सकते हैं।