संपूर्ण वर्ष के पंचमी तिथियों का विवरण इस प्रकार है, जिसमें प्रत्येक पंचमी तिथि पर की जाने वाली पूजा और व्रत के बारे मे बताया गया है।
1. माघ मास (जनवरी-फरवरी)
- वसंत पंचमी (माघ शुक्ल पंचमी): इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है, जो विद्या, संगीत, कला और ज्ञान की देवी हैं। यह तिथि विशेष रूप से विद्यार्थियों और कलाकारों के लिए महत्वपूर्ण होती है। इस दिन पीले वस्त्र पहनने और पीले फूलों से पूजा करने की परंपरा है।
2. फाल्गुन मास (फरवरी-मार्च)
- रंग पंचमी (फाल्गुन कृष्ण पंचमी): यह होली के पांचवें दिन मनाई जाती है। इस दिन रंगों से खेला जाता है और इसे होली उत्सव का हिस्सा माना जाता है।
3. चैत्र मास (मार्च-अप्रैल)
- लक्ष्मी पंचमी (चैत्र शुक्ल पंचमी): इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसे ‘लक्ष्मी जयंती’ भी कहा जाता है। धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है।
- नाग पंचमी (चैत्र कृष्ण पंचमी): इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। इस पूजा से सर्प दोष दूर होता है और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
4. बैसाख मास (अप्रैल-मई)
- गंगा सप्तमी (बैसाख शुक्ल सप्तमी, कुछ जगह पंचमी को भी मनाते हैं): इस दिन गंगा माता की पूजा होती है। यह दिन गंगा नदी के धरती पर अवतरण के रूप में मनाया जाता है।
5. ज्येष्ठ मास (मई-जून)
- गंगा दशहरा (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी, लेकिन पंचमी के दिन भी गंगा स्नान का महत्व है): इस दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान से सभी पापों का नाश होता है।
6. आषाढ़ मास (जून-जुलाई)
- विवाह पंचमी (आषाढ़ शुक्ल पंचमी): इस दिन भगवान राम और माता सीता के विवाह की कथा का स्मरण किया जाता है। यह तिथि विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होती है।
7. श्रावण मास (जुलाई-अगस्त)
- नाग पंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी): नाग देवताओं की पूजा की जाती है। इस दिन नागों को दूध, मिठाई और फूल अर्पित किए जाते हैं। यह व्रत सर्प दोष को दूर करने के लिए किया जाता है।
8. भाद्रपद मास (अगस्त-सितंबर)
- ऋषि पंचमी (भाद्रपद शुक्ल पंचमी): सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। यह तिथि विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होती है, जो अपने पापों का निवारण करने और परिवार की समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं।
9. आश्विन मास (सितंबर-अक्टूबर)
- दुर्गा पंचमी (आश्विन शुक्ल पंचमी): शारदीय नवरात्रि के दौरान यह तिथि आती है और इसे स्कंद माता की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
- कलंक चौथ (आश्विन कृष्ण पंचमी): यह तिथि कुछ क्षेत्रों में मनाई जाती है और इसे कलंक दोष को दूर करने के लिए माना जाता है।
10. कार्तिक मास (अक्टूबर-नवंबर)
- देवप्रबोधिनी पंचमी (कार्तिक शुक्ल पंचमी): यह तिथि भगवान विष्णु के प्रबोधन के रूप में मनाई जाती है और इस दिन से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
- अन्नकूट पंचमी (कार्तिक शुक्ल पंचमी): गोवर्धन पूजा के अगले दिन यह तिथि आती है और इस दिन भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
11. मार्गशीर्ष मास (नवंबर-दिसंबर)
- मार्गशीर्ष पंचमी (मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी): इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसे “विवाह पंचमी” भी कहा जाता है और इस दिन श्रीराम और सीता के विवाह का उत्सव मनाया जाता है।
12. पौष मास (दिसंबर-जनवरी)
- सफला एकादशी और पंचमी: इस महीने में आने वाली पंचमी को सफला एकादशी का व्रत किया जाता है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
पंचमी तिथियाँ पूरे वर्ष विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा और व्रत के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। हर पंचमी तिथि का अपना विशेष महत्व होता है और यह व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए की जाती है। प्रत्येक पंचमी तिथि पर श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, और संतोष की प्राप्ति होती है।