Yam Dwitiya Puja – Significance, Story, Rituals

यम द्वितीया (भाई दूज) पूजा 2024 – शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा व सावधानियां

यम द्वितीया या भाई दूज पूजा भाई-बहन के प्रेम का पर्व है। इसे भाई दूज के नाम से भी जाना जाता है। यह पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।

मुहूर्त

यम द्वितीया या भाई दूज 2024 में रविवार, 3 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन यम द्वितीया पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:09 बजे से 3:19 बजे तक रहेगा (कुल अवधि: 2 घंटे 10 मिनट)। द्वितीया तिथि की शुरुआत 2 नवंबर 2024 को रात 8:21 बजे होगी और इसका समापन 3 नवंबर 2024 को रात 10:04 बजे होगा

पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धिकरण
    सूर्योदय से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध करें।
  2. पूजा सामग्री
    दीया, फूल, चंदन, रोली, चावल, मिठाई, नारियल, फल, कलश, धूप, अक्षत और भाई का सिंदूर।
  3. स्थापना
    एक चौकी पर चावल का एक छोटा टीला बनाएं और उस पर भाई का आसन लगाएं।
  4. तिलक और आरती
    भाई को तिलक लगाकर, अक्षत लगाएं और आरती करें। दीया जलाकर भाई की आरती उतारें और मिठाई खिलाएं।

यम द्वितीया (भाई दूज) की संपूर्ण कथा

यम द्वितीया, जिसे भाई दूज के नाम से भी जाना जाता है, की पौराणिक कथा भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा पर आधारित है। इस कथा के अनुसार, सूर्य देव और संज्ञा की संतान यमराज और यमुनाजी थे। यमुनाजी अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती थीं और चाहती थीं कि वह उनके घर आएं और भोजन करें। यमराज, जो मृत्यु के देवता हैं, अपने कार्यों में व्यस्त रहते थे, इसलिए वह यमुनाजी से मिलने नहीं जा पाते थे।

एक दिन यमुनाजी ने यमराज से आग्रह किया कि वे उनके घर आएं। यमराज ने उसकी यह बात मान ली और यमुनाजी के घर पहुंचे। यमुनाजी ने अपने भाई का हर्षोल्लास से स्वागत किया, उन्हें अपने हाथों से भोजन कराया और तिलक करके उनकी लंबी आयु की कामना की। यमराज, अपनी बहन के प्रेम और आतिथ्य से प्रसन्न होकर, बहन को वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे यमराज का भय नहीं होगा और उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी।

इस दिन से, यह परंपरा बन गई कि भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों की सुरक्षा का वचन देते हैं और उन्हें उपहार देते हैं।

श्रीकृष्ण और सुभद्रा कथा

इस पूजा के पीछे एक और कथा श्रीकृष्ण और सुभद्रा से जुड़ी है। जब श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करके विजय प्राप्त की, तो वे अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए। सुभद्रा ने उनका स्वागत तिलक, मिठाई और दीयों से किया, और उनकी लंबी उम्र की कामना की। तभी से भाई दूज का पर्व मनाया जाने लगा।

यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है, जहां बहनें अपने भाइयों की सुरक्षा और लंबी आयु की कामना करती हैं और भाई उन्हें जीवनभर सुरक्षा देने का वचन देते हैं।

क्या खाएं और क्या न खाएं

  1. खाएं: हल्का और सात्विक भोजन जैसे दाल, चावल, सब्जी, रोटी।
  2. न खाएं: मांस, शराब, प्याज-लहसुन, तामसिक भोजन।

नियम और सावधानियां

  1. बहनें इस दिन व्रत रखें और भाई की आरती करके भोजन ग्रहण करें।
  2. भाई को तिलक लगाने से पहले किसी अन्य कार्य में व्यस्त न हों।
  3. पूजा के दौरान कोई टोका-टाकी न करें।
  4. बहनें सफेद वस्त्र धारण करें और भाई के लिए नए वस्त्रों की व्यवस्था करें।

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यम द्वितीया के लाभ

  1. भाई की लंबी आयु की कामना पूरी होती है।
  2. यमराज के क्रोध से मुक्ति मिलती है।
  3. भाई-बहन के रिश्ते में मधुरता आती है।
  4. तिलक से स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है।
  5. पारिवारिक बंधन मजबूत होते हैं।
  6. घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  7. धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  8. आपसी समझ बढ़ती है।
  9. धार्मिक दृष्टिकोण से लाभ मिलता है।
  10. बुरी आत्माओं से रक्षा होती है।
  11. भविष्य में आने वाली समस्याओं का निवारण होता है।
  12. भाई-बहन के बीच अनंत प्रेम बना रहता है।

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यम द्वितीया पूजा संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: यम द्वितीता पूजा कब की जाती है?
उत्तर: यह पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को की जाती है।

प्रश्न 2: इस पूजा में कौन-कौन से सामग्री की आवश्यकता होती है?
उत्तर: दीया, चंदन, फूल, रोली, अक्षत, मिठाई, नारियल, फल और पूजा का आसन।

प्रश्न 3: पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है?
उत्तर: सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक का समय शुभ माना जाता है।

प्रश्न 4: पूजा में कौन से वस्त्र धारण करने चाहिए?
उत्तर: बहनें सफेद वस्त्र धारण करें और भाई के लिए नए वस्त्र रखें।

प्रश्न 5: पूजा में क्या खाएं और क्या न खाएं?
उत्तर: सात्विक भोजन करें। मांस, शराब, प्याज-लहसुन आदि तामसिक चीजें न खाएं।

प्रश्न 6: यम द्वितीता पूजा का महत्व क्या है?
उत्तर: इस पूजा से भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना की जाती है।

प्रश्न 7: पूजा के दौरान क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
उत्तर: पूजा के समय टोका-टाकी न करें और शुद्धिकरण का ध्यान रखें।

प्रश्न 8: क्या भाई दूज और यम द्वितीया एक ही पर्व है?
उत्तर: हां, भाई दूज और यम द्वितीया एक ही पर्व है।

प्रश्न 9: पूजा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: भाई की रक्षा, लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करना।

प्रश्न 10: इस दिन व्रत रखने का क्या महत्व है?
उत्तर: व्रत रखने से मन शुद्ध होता है और पूजा का फल प्राप्त होता है।

प्रश्न 11: क्या इस पूजा में विशेष मंत्रों का उच्चारण होता है?
उत्तर: हां, भाई के तिलक के समय विशेष मंत्रों का उच्चारण होता है।

प्रश्न 12: इस पूजा से कौन-कौन से लाभ होते हैं?
उत्तर: धार्मिक, मानसिक, और पारिवारिक लाभ प्राप्त होते हैं। भाई की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

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