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17-Syllable Chhinnamasta Mantra – Protection & Spiritual Growth

१७ अक्षर का छिन्नमस्ता मंत्र: शक्तियों का रहस्य और साधना विधि

१७ अक्षर का छिन्नमस्ता मंत्र तांत्रिक साधना में विशेष महत्व रखता है। इस मंत्र का नियमित जप करने से जीवन में आने वाली बाधाएं, शत्रु निवारण, और शनि दोष से मुक्ति मिलती है। यह मंत्र देवी छिन्नमस्ता का आशीर्वाद प्राप्त करने का साधन है, जिससे साधक को आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं।

विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:
“ॐ अस्य श्री छिन्नमस्ता महा-मंत्रस्य, महाकाली ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, छिन्नमस्ता देवी देवता, ह्रीं बीजम्, श्रीं शक्तिः, फट कीलकम्, छिन्नमस्ता प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।”
अर्थ: यह मंत्र छिन्नमस्ता देवी के आह्वान और साधना हेतु उपयोग में लाया जाता है, जिससे साधक देवी का आशीर्वाद प्राप्त कर सके।

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:
“ॐ पूर्वे रक्षतु इन्द्रः, आग्नेये अग्निः, दक्षिणे यमः, नैऋत्ये निऋति:, पश्चिमे वरुणः, वायव्ये वायु:, उत्तरे कुबेर:, ईशाने रुद्र:, ऊर्ध्वे ब्रह्मा, अधो विष्णुः।”
अर्थ: इस मंत्र के माध्यम से सभी दिशाओं से देवी छिन्नमस्ता के आह्वान और सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है, ताकि साधना में किसी प्रकार का विघ्न न आए।

१७ अक्षर का छिन्नमस्ता मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:
“ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं वज्र वैरोजनिये ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा।”

अर्थ: इस १७ अक्षर के छिन्नमस्ता मंत्र में प्रत्येक शब्द और बीज अक्षर का गहरा आध्यात्मिक महत्व है। आइए इसे संपूर्ण अर्थ के साथ समझते हैं:

  • : यह ब्रह्मांड की उत्पत्ति और शाश्वत शक्ति का प्रतीक है, जो सभी ऊर्जा का स्रोत है।
  • श्रीं: यह बीज अक्षर देवी लक्ष्मी और संपत्ति, समृद्धि, और शुभता को दर्शाता है।
  • ह्रीं ह्रीं: यह देवी छिन्नमस्ता की शक्ति और चेतना का प्रतीक है। यह बीज मंत्र जीवन में आध्यात्मिक और मानसिक शुद्धि को बढ़ावा देता है।
  • वज्र: वज्र शब्द का अर्थ है “अपराजेय” या “अटल शक्ति।” यह छिन्नमस्ता की अद्वितीय और निडर शक्ति का प्रतीक है।
  • वैरोजनिये: यह शब्द इस मंत्र में छिन्नमस्ता देवी की अपराजेयता और सर्वशक्तिमान स्वरूप का प्रतीक है, जो सभी बाधाओं को नष्ट कर देती हैं।
  • ह्रीं ह्रीं: यह शब्द दुबारा आवृत्त होकर छिन्नमस्ता की शक्ति को और बढ़ाता है, और साधक को उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
  • फट्: यह बीज ध्वनि सभी नकारात्मकता, बाधाओं, और शत्रुओं को नष्ट करने की शक्ति प्रदान करती है।
  • स्वाहा: यह शब्द साधना के संकल्प और पूर्णता का प्रतीक है, जिससे साधना सफलतापूर्वक संपन्न होती है।

संपूर्ण अर्थ:

इस मंत्र का जप करने से देवी छिन्नमस्ता की कृपा प्राप्त होती है, जो साधक को सभी बाधाओं से मुक्त करती हैं, शत्रुओं का नाश करती हैं, और जीवन में शक्ति, समृद्धि, और सुरक्षा का संचार करती हैं। यह मंत्र व्यक्ति के भीतर निडरता, आत्मबल, और आत्म-शुद्धि का विकास करता है।

जप काल में इन चीजों का सेवन ज्यादा करें

साधना के दौरान सात्विक भोजन, फलों, सूखे मेवों और कच्चे दूध का अधिक सेवन करना चाहिए। इससे साधना का प्रभाव अधिक तेज होता है, और मन एवं शरीर भी शुद्ध और ऊर्जा से भरे रहते हैं।

१७ अक्षर का छिन्नमस्ता मंत्र के लाभ

  1. शनि दोष से मुक्ति
  2. कार्य में सफलता
  3. शत्रु निवारण
  4. आध्यात्मिक रुचि की वृद्धि
  5. नज़र दोष से बचाव
  6. परिवार की सुरक्षा
  7. आर्थिक लाभ
  8. शांति और समृद्धि
  9. आत्मबल की वृद्धि
  10. मानसिक शांति
  11. भौतिक बाधाओं का निवारण
  12. स्वास्थ्य लाभ
  13. रोग निवारण
  14. भय से मुक्ति
  15. नकारात्मक ऊर्जा का नाश
  16. सकारात्मक ऊर्जा का संचार
  17. साहस में वृद्धि
  18. आत्मिक संतुष्टि

पूजा सामग्री के साथ मंत्र विधि

  • पूजा सामग्री: लाल वस्त्र, कुमकुम, चावल, फूल, नारियल, अगरबत्ती, दीपक, जल पात्र।
  • मंत्र जप का दिन: मंगलवार या अमावस्या तिथि।
  • अवधि: २१ दिन।
  • मुहुर्त: ब्रह्म मुहूर्त में (सुबह ४ से ६ बजे के बीच)।

मंत्र जप की विधि

साधक को मंत्र का जप रोज २० मिनट तक करना चाहिए। इसके लिए एकांत स्थान में बैठकर शांत मन से जप करना उचित होता है। २१ दिनों तक यह क्रम जारी रखना चाहिए।

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मंत्र जप के नियम

  1. उम्र २० वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
  2. स्त्री या पुरुष दोनों जप कर सकते हैं।
  3. काले और नीले रंग के कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का त्याग करें।
  5. साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप सावधानियाँ

  • जप के समय एकांत में रहें और किसी प्रकार का व्यवधान न हो।
  • जप करते समय मन में किसी अन्य विचार का आगमन न हो।
  • जप के बाद साधना का संकल्प लेकर ही उठें।

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१७ अक्षर का छिन्नमस्ता मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: १७ अक्षर का छिन्नमस्ता मंत्र किसके लिए उपयोगी है?
उत्तर: यह मंत्र शनि दोष, शत्रु निवारण, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए उपयोगी है।

प्रश्न 2: क्या इस मंत्र को स्त्री-पुरुष दोनों जप सकते हैं?
उत्तर: हां, इसे स्त्री और पुरुष दोनों जप सकते हैं।

प्रश्न 3: मंत्र का जप कब करना चाहिए?
उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त में, मंगलवार या अमावस्या को जप करना शुभ होता है।

प्रश्न 4: जप के दौरान कौन सी चीजें नहीं करनी चाहिए?
उत्तर: जप के दौरान मांसाहार, धूम्रपान और मद्यपान का त्याग करना चाहिए।

प्रश्न 5: मंत्र जप के नियम क्या हैं?
उत्तर: उम्र २० वर्ष से अधिक होनी चाहिए, और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

प्रश्न 6: क्या इस मंत्र से आर्थिक लाभ होता है?
उत्तर: हां, यह आर्थिक उन्नति में सहायक माना जाता है।

प्रश्न 7: क्या इस मंत्र का जप नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है?
उत्तर: हां, यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

प्रश्न 8: क्या शनि दोष से मुक्ति मिलती है?
उत्तर: हां, यह मंत्र शनि दोष निवारण में सहायक है।

प्रश्न 9: क्या साधना में व्रत रखना आवश्यक है?
उत्तर: व्रत रखना आवश्यक नहीं है, लेकिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।

प्रश्न 10: क्या मंत्र जप में किसी रंग का परहेज करना चाहिए?
उत्तर: हां, काले और नीले कपड़े न पहनें।

प्रश्न 11: क्या साधना में पूजा सामग्री का महत्व है?
उत्तर: हां, सही पूजा सामग्री से साधना का प्रभाव बढ़ता है।

प्रश्न 12: क्या साधना से आत्मबल में वृद्धि होती है?
उत्तर: हां, नियमित साधना आत्मबल को बढ़ाती है।

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