रोगनाशक प्रत्यांगिरा मंत्र: स्वास्थ्य, शांति और ऊर्जा
रोगमाशक प्रत्यांगिरा मंत्र अद्भुत शक्ति और आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत है। यह मंत्र रोगों के निवारण और मानसिक शांति के लिए अचूक है। इसका नियमित जप शरीर, मन और आत्मा को ऊर्जा से भर देता है। यह मंत्र न केवल रोगों से मुक्ति दिलाने वाला है बल्कि जीवन में सकारात्मकता लाने में भी सहायक है।
विनियोग मंत्र व उसका अर्थ
विनियोग मंत्र
ॐ अस्य श्री प्रत्यांगिरा महामंत्रस्य, अगस्त्य ऋषिः। अनुष्टुप् छन्दः। प्रत्यांगिरा देवता। श्रीं बीजम्। ह्रीं शक्तिः। प्रत्यंगिरा साध्ये विनियोगः॥
अर्थ
इस मंत्र का ऋषि अगस्त्य हैं, छंद अनुष्टुप है। इसमें प्रत्यांगिरा देवी का स्मरण कर, मंत्र जप का विनियोग किया जाता है।
दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ
दिग्बंधन मंत्र
ॐ ह्रीं अर्ह श्रीं शांति करोति सर्वदिक् दिग्वासिनः बलं कुरु स्वाहा।
अर्थ
इस मंत्र से दसों दिशाओं में सुरक्षा कवच बनाया जाता है। यह हमें नकारात्मक ऊर्जा से बचाने में सहायक है।
रोगनाशक प्रत्यांगिरा मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ
मंत्र:
ॐ ह्रीं अर्ह श्रीं शातीजनः शांतीकरः श्रीं सर्वसंघ शांती ह्रीं प्रत्यंगिरे स्वाहा।
संपूर्ण अर्थ:
इस मंत्र में अद्भुत आध्यात्मिक और चिकित्सकीय शक्तियाँ छिपी हुई हैं। यह मंत्र रोगों को हराने और मानसिक शांति प्रदान करने के लिए जपा जाता है।
- “ॐ”: यह ब्रह्मांडीय ध्वनि है, जो अनंत ऊर्जा और शक्ति का स्रोत है।
- “ह्रीं”: यह बीज मंत्र है, जो देवी प्रत्यांगिरा की कृपा और उनकी ऊर्जा का आह्वान करता है।
- “अर्ह”: यह पवित्रता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है, जो हमारे अंदर शुद्धता का संचार करता है।
- “श्रीं”: यह समृद्धि, सुख, और कल्याण का प्रतीक है।
- “शातीजनः”: इसका अर्थ है, “शांति का उद्भव।” यह जीवन के हर क्षेत्र में शांति लाने की क्षमता रखता है।
- “शांतीकरः”: यह मन और शरीर में शांति को स्थापित करता है।
- “सर्वसंघ शांती”: इसका अर्थ है, “समस्त समूह या समस्त परिस्थितियों में शांति।”
- “ह्रीं प्रत्यंगिरे स्वाहा”: यह देवी प्रत्यांगिरा को समर्पण और उनका आह्वान करने का प्रतीक है।
मुख्य उद्देश्य:
यह मंत्र शरीर के रोगों, मानसिक अशांति, और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने में सहायक है। देवी प्रत्यांगिरा की कृपा से यह जप जीवन में सुख, शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति सुनिश्चित करता है।
जप काल में इन चीजों का सेवन ज्यादा करें
- ताजे फल और हरी सब्जियाँ।
- शुद्ध जल और तुलसी मिला पानी।
- दूध और हल्दी।
- सूखे मेवे जैसे बादाम और अखरोट।
- गंगाजल का नियमित सेवन।
रोगमाशक प्रत्यांगिरा मंत्र के लाभ
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करता है।
- चेहरे पर तेज लाने वाला।
- मन में उत्साह का संचार करता है।
- ऊर्जा का स्तर बढ़ाता है।
- नकारात्मकता को दूर करता है।
- मनोबल में वृद्धि करता है।
- नींद को गहरा और शांतिपूर्ण बनाता है।
- तनाव को कम करता है।
- सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है।
- शारीरिक थकान दूर करता है।
- ध्यान की गुणवत्ता में सुधार करता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि करता है।
- हृदय को स्वस्थ रखता है।
- स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
- शरीर में उर्जा प्रवाह को सुधारता है।
- आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
- मानसिक शांति लाने वाला।
पूजा सामग्री के साथ मंत्र विधि
आवश्यक सामग्री
- शुद्ध गंगाजल।
- कुमकुम और चंदन।
- धूप-दीप।
- पीले पुष्प।
- पंचामृत।
रोगमाशक प्रत्यांगिरा मंत्र विधि
- शुद्ध आसन पर बैठें।
- पूजा सामग्री को व्यवस्थित करें।
- दीपक जलाकर मंत्र जप शुरू करें।
- ध्यान के साथ मंत्र का जप करें।
- जप के बाद देवी को अर्पित करें।
मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त
- दिन: मंगलवार या शुक्रवार।
- अवधि: लगातार 18 दिन।
- मुहूर्त: प्रातःकाल 4 से 6 बजे।
विधि
- प्रतिदिन 20 मिनट तक जप करें।
- 18 दिन तक इसे नियमित रखें।
- हर जप के बाद पुष्प चढ़ाएं।
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नियम
- उम्र 20 वर्ष से ऊपर हो।
- स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।
- नीले और काले वस्त्र न पहनें।
- धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से बचें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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जप के दौरान सावधानियाँ
- शुद्धता का ध्यान रखें।
- शांत स्थान पर जप करें।
- अनुचित भोजन का सेवन न करें।
- ध्यान भंग से बचें।
- नियमितता बनाए रखें।
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रोगमाशक प्रत्यांगिरा मंत्र प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: यह मंत्र किसके लिए उपयोगी है?
उत्तर: यह हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है।
प्रश्न 2: मंत्र जप कितने समय तक करना चाहिए?
उत्तर: 18 दिन तक 20 मिनट प्रतिदिन।
प्रश्न 3: क्या यह मंत्र रात में जप सकते हैं?
उत्तर: हां, परंतु ब्रह्ममुहूर्त सर्वोत्तम है।
प्रश्न 4: क्या महिलाएँ इसे कर सकती हैं?
उत्तर: हां, महिलाएँ भी कर सकती हैं।
प्रश्न 5: क्या विशेष पूजा सामग्री चाहिए?
उत्तर: सामान्य सामग्री पर्याप्त है।
प्रश्न 6: मंत्र का प्रभाव कब तक रहता है?
उत्तर: नियमित जप से यह स्थायी बनता है।
प्रश्न 7: क्या मंत्र से मानसिक रोग ठीक हो सकते हैं?
उत्तर: हां, यह मानसिक शांति देता है।
प्रश्न 8: क्या मंत्र का जप घर पर कर सकते हैं?
उत्तर: हां, घर पर करना उपयुक्त है।
प्रश्न 9: क्या बच्चों पर मंत्र का प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलता है।
प्रश्न 10: क्या इस मंत्र के लिए विशेष आसन चाहिए?
उत्तर: शुद्ध आसन पर्याप्त है।
प्रश्न 11: क्या मंत्र केवल बीमार व्यक्ति के लिए है?
उत्तर: नहीं, यह सबके लिए है।
प्रश्न 12: क्या मंत्र के साथ ध्यान आवश्यक है?
उत्तर: हां, ध्यान से प्रभाव बढ़ता है।