बगलामुखी साबर मंत्र: शत्रु से मुक्ति और कार्य मे सफलता
बगलामुखी साबर मंत्र साधकों के लिए अत्यंत शक्तिशाली है। यह मंत्र शत्रुओं का दमन करता है और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। इसके प्रयोग से मानसिक शांति, विजय, और कार्य सिद्धि प्राप्त होती है। यह मंत्र देवी बगलामुखी की कृपा पाने और जीवन में स्थिरता लाने का सशक्त माध्यम है।
दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ
दिग्बंधन मंत्र:
ॐ ह्लीं, पूर्वे रक्ष मां, आग्नेयायां रक्ष मां, दक्षिणे रक्ष मां।
नैऋत्ये रक्ष मां, पश्चिमे रक्ष मां, वायव्ये रक्ष मां, उत्तर रक्ष मां।
ईशान्ये रक्ष मां, ऊर्ध्वे रक्ष मां, अधो रक्ष मां।
अर्थ:
यह मंत्र साधक को दसों दिशाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। देवी बगलामुखी हर दिशा में ऊर्जा का घेरा बनाकर साधक को सुरक्षित रखती हैं।
बगलामुखी साबर मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ
मंत्र:
ॐ ह्लीं महाक्रूरी महाकराली राज मुख बंधनम्, ग्राममुख बंधनम्।
कालमुख बंधनम्, चोरमुख बंधनम्, व्याघ्रमुख बंधनम्।
सर्वदुष्ट ग्रह बंधनम्, शत्रु बंधनम्, न करे काज तो मृत्युंजय भैरव की आन।
अर्थ:
यह मंत्र देवी बगलामुखी की शक्ति और कृपा को जागृत करने का आह्वान करता है।
- “ॐ ह्लीं महाक्रूरी महाकराली”: देवी को महाक्रूर (शत्रुओं का नाश करने वाली) और महाकराली (प्रचंड शक्ति का स्वरूप) के रूप में संबोधित किया गया है।
- “राज मुख बंधनम्, ग्राममुख बंधनम्”: यह मंत्र शत्रुओं की हर स्तर पर गतिविधियों को रोकता है, चाहे वे राजनैतिक हों या सामाजिक।
- “कालमुख बंधनम्, चोरमुख बंधनम्, व्याघ्रमुख बंधनम्”: यह शत्रुओं, चोरों, और खतरनाक परिस्थितियों जैसे व्याघ्र (शेर) की नकारात्मक ऊर्जा को रोकता है।
- “सर्वदुष्ट ग्रह बंधनम्, शत्रु बंधनम्”: यह मंत्र अशुभ ग्रहों और दुष्ट शक्तियों के प्रभाव को समाप्त करता है और शत्रुओं को शक्तिहीन करता है।
- “न करे काज तो मृत्युंजय भैरव की आन”: अंत में, यह पुष्टि करता है कि यदि मंत्र फलित न हो, तो मृत्युंजय भैरव की शक्ति इस कार्य को सिद्ध करेगी।
संपूर्ण अर्थ:
यह मंत्र साधक को हर प्रकार की नकारात्मकता और शत्रु बाधाओं से मुक्त करता है। यह देवी बगलामुखी की कृपा से शक्ति, विजय और सुरक्षा का प्रतीक है। साधक को हर दिशा और परिस्थिति में सुरक्षित रखता है और शत्रुओं के षड्यंत्र को निष्फल करता है।
जप काल में इन चीजों का सेवन ज्यादा करें
मंत्र जप के दौरान साधक को अपने आहार और जीवनशैली में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। ये चीजें साधक की ऊर्जा को बढ़ाती हैं और साधना को सफल बनाने में मदद करती हैं।
- पीले रंग का भोजन:
- हल्दी वाला दूध
- चने की दाल
- बेसन से बनी मिठाई या लड्डू
- केसर युक्त दूध या मिठाई
- सात्त्विक भोजन:
- बिना लहसुन और प्याज का खाना।
- हरी सब्जियां, दही, और फल।
- ताजे और घर के बने हुए भोजन का सेवन करें।
- फल और मेवे:
- केले, आम, और पपीता जैसे पीले फल खाएं।
- बादाम, काजू, और मखाना का सेवन करें।
- पेय पदार्थ:
- शुद्ध जल का अधिक सेवन करें।
- तुलसी और अदरक से बनी हर्बल चाय।
- नींबू पानी और नारियल पानी।
- सात्त्विक ऊर्जा बढ़ाने वाले पदार्थ:
- शहद का सेवन करें।
- गाय का शुद्ध घी।
- चूर्ण और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां (यदि आवश्यक हों)।
ध्यान दें:
- तामसिक और राजसिक भोजन जैसे मसालेदार, तेलीय, मांसाहारी, या बासी भोजन से बचें।
- शराब, धूम्रपान और कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन न करें।
- सादा और सात्त्विक भोजन साधक के मन और शरीर को शुद्ध रखता है और जप की शक्ति को बढ़ाता है।
बगलामुखी साबर मंत्र से लाभ
- शत्रुओं का प्रभाव समाप्त होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- कार्यों में सफलता मिलती है।
- आत्मविश्वास बढ़ता है।
- आर्थिक स्थिरता आती है।
- ग्रह दोष समाप्त होते हैं।
- परिवार में शांति बनी रहती है।
- कानूनी मामलों में विजय मिलती है।
- मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
- स्वास्थ्य लाभ होता है।
- क्रोध पर नियंत्रण होता है।
- प्रेम संबंधों में सुधार होता है।
- भय समाप्त होता है।
- जीवन में स्थिरता आती है।
- कार्यों में स्थिरता बनी रहती है।
- विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है।
- ध्यान और साधना में सफलता मिलती है।
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पूजा सामग्री और मंत्र विधि
आवश्यक सामग्री:
- पीला आसन
- 50 ग्राम हल्दी
- बगलामुखी माता की फोटो
- सरसों के तेल का दीपक
मंत्र विधि:
- पीले वस्त्र पहनें।
- माता बगलामुखी की फोटो के सामने दीपक जलाएं।
- हल्दी सामने रखें।
- 20 मिनट तक मंत्र का जप करें।
- 11 दिन तक यही प्रक्रिया दोहराएं।
- जप के बाद फल या भोजन दान करें।
- हल्दी में घी मिलाकर तिलक बनाएं और उपयोग करें।
Dattatreya pujan shivir
मंत्र जप के नियम
बगलामुखी साबर मंत्र जप के दौरान साधक को कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। यह नियम साधना की पवित्रता और सफलता सुनिश्चित करते हैं।
1. उम्र और पात्रता
- मंत्र जप के लिए साधक की उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
- स्त्री और पुरुष, दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
2. पवित्रता और संयम
- जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है।
- शारीरिक और मानसिक पवित्रता बनाए रखें।
- जप के समय मन शांत और सकारात्मक होना चाहिए।
3. वेशभूषा
- पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि यह देवी बगलामुखी का प्रिय रंग है।
- नीले और काले रंग के कपड़े न पहनें।
4. आहार नियम
- सात्त्विक भोजन करें।
- तामसिक भोजन जैसे मांस, मछली, और अंडे का सेवन न करें।
- धूम्रपान, मद्यपान और नशीले पदार्थों से बचें।
5. जप का समय और स्थान
- जप के लिए सुबह या रात का समय (ब्रह्म मुहूर्त या रात्रि 9-12 बजे) सबसे उपयुक्त है।
- जप के लिए एकांत और शांत स्थान चुनें।
- पीले आसन का उपयोग करें और हमेशा एक ही स्थान पर बैठकर जप करें।
6. मंत्र जप की अवधि
- रोजाना 20 मिनट तक मंत्र का जप करें।
- यह प्रक्रिया 11 दिन तक लगातार करें।
7. सामग्री और दिशा
- देवी बगलामुखी की फोटो के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- अपने सामने हल्दी रखें और उसका उपयोग तिलक बनाने के लिए करें।
8. सजगता और अनुशासन
- जप के समय पूरी एकाग्रता बनाए रखें।
- जप के बाद किसी को भोजन या फल दान करना शुभ माना जाता है।
- हल्दी के तिलक का उपयोग सिर पर, बालों में, गले में, या कान के पीछे करें।
9. मंत्र जप के दौरान क्या न करें
- व्यर्थ बातें न करें और व्यर्थ विचारों से बचें।
- मोबाइल फोन और अन्य उपकरणों से दूरी बनाए रखें।
10. देवी के प्रति आस्था
- देवी बगलामुखी की कृपा में अटूट विश्वास रखें।
- साधना के दौरान श्रद्धा और समर्पण बनाए रखें।
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मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: बगलामुखी साबर मंत्र क्या है?
उत्तर: यह मंत्र शत्रु नाश और कार्य सिद्धि के लिए शक्तिशाली साधना है।
प्रश्न 2: इस मंत्र का प्रयोग कब करना चाहिए?
उत्तर: शुभ मुहूर्त में और विशेष रूप से अमावस्या को।
प्रश्न 3: क्या इसे घर पर कर सकते हैं?
उत्तर: हां, उचित विधि और नियमों के साथ।
प्रश्न 4: मंत्र में कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
उत्तर: पीला आसन, हल्दी, दीपक, और देवी की फोटो।
प्रश्न 5: कितने दिन तक जप करना चाहिए?
उत्तर: 11 या 18 दिन तक।
प्रश्न 6: क्या स्त्रियां इस मंत्र का प्रयोग कर सकती हैं?
उत्तर: हां, सभी नियमों का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 7: क्या मंत्र का उच्चारण जोर से करना चाहिए?
उत्तर: नहीं, मानसिक रूप से जप करना उत्तम है।
प्रश्न 8: मंत्र के लाभ क्या हैं?
उत्तर: शत्रु नाश, कार्य सिद्धि, और मानसिक शांति।
प्रश्न 9: क्या इसे रात्रि में जप सकते हैं?
उत्तर: हां, रात्रि जप अधिक प्रभावी है।
प्रश्न 10: क्या साधना में विश्राम लिया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, साधना लगातार होनी चाहिए।
प्रश्न 11: तिलक कहां लगाना चाहिए?
उत्तर: माथे, बालों में, गले, या कान के पीछे।
प्रश्न 12: क्या मंत्र के बाद दान करना अनिवार्य है?
उत्तर: हां, इससे साधना पूर्ण होती है।