Bhishma Dwadashi Vrat – Auspicious Time Worship & Benefits

भीष्म द्वादशी व्रत २०२५: मोक्ष प्राप्ति और पितृ तृप्ति का परम मार्ग

यह व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से पितरों की मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भीष्म पितामह ने अपने शरीर का त्याग किया था, इसलिए इसे भीष्म निर्वाण द्वादशी भी कहते हैं। इस व्रत को करने से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खुलता है।


व्रत का मुहूर्त 2025

इस व्रत का पालन करने के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है। पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि (9 फरवरी २०२५) को यह व्रत किया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए।


भीष्म द्वादशी व्रत विधि व मंत्र

सामग्री:

  • गंगा जल
  • पंचामृत
  • तुलसी के पत्ते
  • सफेद वस्त्र
  • धूप, दीप
  • चावल, गुड़
  • पंचगव्य

विधि:

  1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान विष्णु और भीष्म पितामह का पूजन करें।
  3. धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें और नीचे दिया गया मंत्र पढ़ें: मंत्र: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।”
  4. पूरे दिन व्रत रखें और संध्या समय विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  5. रात्रि में भोग अर्पित कर व्रत कथा का श्रवण करें।

क्या खाएं और क्या न खाएं

खाएं:

  • फल, दूध, मेवा
  • कंद-मूल, मूंगफली
  • साबूदाना, सेंधा नमक
  • तिल-गुड़ के लड्डू

न खाएं:

  • प्याज-लहसुन
  • मसालेदार भोजन
  • अनाज और दाल
  • मांसाहार, मद्यपान

भीष्म द्वादशी व्रत के लाभ

  1. पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  2. मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  3. घर में सुख-समृद्धि आती है।
  4. दांपत्य जीवन सुखमय होता है।
  5. स्वास्थ्य लाभ होता है।
  6. मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  7. ग्रह दोष समाप्त होते हैं।
  8. दरिद्रता दूर होती है।
  9. कार्यों में सफलता मिलती है।
  10. वंश की उन्नति होती है।
  11. मानसिक शांति मिलती है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  13. अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
  14. दान-पुण्य करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
  15. जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त होते हैं।
  16. आयु वृद्धि होती है।
  17. भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

भीष्म द्वादशी व्रत की संपूर्ण कथा

यह व्रत महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह को समर्पित है। इस व्रत का पालन माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भीष्म पितामह की पूजा की जाती है।

महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। महाभारत युद्ध के दौरान वे शर-शय्या पर लेटे रहे और माघ शुक्ल द्वादशी के दिन सूर्य उत्तरायण होने पर उन्होंने अपने प्राण त्यागे। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया, जिसे सुनने मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है।

भीष्म द्वादशी व्रत करने से पितृ दोष समाप्त होते हैं और व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रतधारी प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु और भीष्म पितामह की पूजा करता है। तिल दान, ब्राह्मण भोज, और गंगा स्नान का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति इस दिन उपवास रखकर भीष्म पितामह की कथा सुनता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।


भोग

भगवान को तुलसी दल सहित दूध, पंचामृत, फल और तिल-गुड़ का भोग लगाना चाहिए।

Aghor lakshmi sadhana shivir


शुरुआत और समाप्ति विधि

  • व्रत सूर्योदय से पूर्व स्नान करके संकल्प के साथ शुरू करें।
  • संध्या को पूजा के बाद फलाहार करें।
  • अगले दिन सुबह भगवान विष्णु को भोग लगाकर व्रत समाप्त करें।

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सावधानियाँ

  1. व्रत के दिन मन को शांत रखें।
  2. क्रोध, लोभ और अहंकार से बचें।
  3. झूठ न बोलें और बुरे विचारों से बचें।
  4. रात्रि में सात्विक आहार ही ग्रहण करें।
  5. नशीले पदार्थों का सेवन न करें।

Akhanda dwadashi puja


मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

1. भीष्म द्वादशी व्रत क्यों किया जाता है?

उत्तर: इस व्रत से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है।

2. व्रत में कौन-से मंत्र का जप करें?

उत्तर: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करें।

3. व्रत में कौन-से भगवान की पूजा की जाती है?

उत्तर: भगवान विष्णु और भीष्म पितामह की पूजा की जाती है।

4. इस व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है?

उत्तर: माघ शुक्ल द्वादशी तिथि को प्रातःकाल व्रत रखें।

5. व्रत के दिन कौन-सा भोग लगाना चाहिए?

उत्तर: तिल-गुड़, पंचामृत और फल का भोग लगाएं।

6. क्या महिलाएं यह व्रत कर सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्री-पुरुष दोनों यह व्रत कर सकते हैं।

7. व्रत करने से कौन-से लाभ होते हैं?

उत्तर: मोक्ष प्राप्ति, पितृ तृप्ति, सुख-समृद्धि आदि लाभ होते हैं।

8. इस व्रत के दिन क्या नहीं खाना चाहिए?

उत्तर: अनाज, प्याज-लहसुन और मांसाहार वर्जित है।

9. क्या व्रत के दिन दूध पी सकते हैं?

उत्तर: हां, दूध और फलाहार ले सकते हैं।

10. भीष्म द्वादशी का आध्यात्मिक महत्व क्या है?

उत्तर: यह व्रत आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

11. क्या इस व्रत में संध्या आरती करनी चाहिए?

उत्तर: हां, संध्या आरती और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

12. क्या व्रत में केवल जल उपवास किया जा सकता है?

उत्तर: हां, लेकिन फलाहार भी किया जा सकता है।

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