Thursday, December 26, 2024

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राक्षसेश्वर भैरव / Rakshaseshwar Bhairav Mantra

राक्षसेश्वर भैरव मंत्र साधना – साहस, शक्ति और शत्रु मुक्ति

राक्षसेश्वर भैरव भगवान शिव के उग्र और शक्तिशाली रूपों में से एक हैं। यह रूप विशेष रूप से बुरी शक्तियों और दुश्मनों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए पूजा जाता है। राक्षसेश्वर भैरव मंत्र का जाप व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों और शत्रुओं से मुक्त करता है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को शक्ति, साहस और विजय की प्राप्ति होती है। इस साधना को सही विधि और नियमों के अनुसार करने से अद्भुत परिणाम प्राप्त होते हैं।

राक्षसेश्वर भैरव मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

भ्रं वज्रनखाय राक्षसेश्वराय सर्वजन वश्यं कुरु कुरु नमः

मंत्र का अर्थ:

  • “भ्रं” – भैरव का बीज मंत्र, जो शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है।
  • “वज्रनखाय” – वज्र के समान कठोर और अजेय नाखूनों वाले भैरव का आह्वान।
  • “राक्षसेश्वराय” – राक्षसों और नकारात्मक शक्तियों के स्वामी।
  • “सर्वजन वश्यं कुरु कुरु” – सभी को अपने वश में करने की शक्ति प्रदान करना।
  • “नमः” – समर्पण और सम्मान।

यह मंत्र व्यक्ति को आत्मविश्वास और साहस प्रदान करता है, और जीवन में आने वाली हर प्रकार की नकारात्मकता और शत्रुओं को समाप्त करता है।

राक्षसेश्वर भैरव मंत्र के लाभ

  1. शत्रुओं से सुरक्षा और नाश।
  2. नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति।
  3. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  4. साहस और शक्ति की प्राप्ति।
  5. मानसिक और भावनात्मक संतुलन।
  6. शत्रुओं को वश में करने की शक्ति।
  7. कार्यक्षेत्र में सफलता।
  8. स्वास्थ्य में सुधार।
  9. धन और समृद्धि की प्राप्ति।
  10. परिवार और घर की सुरक्षा।
  11. जीवन में स्थिरता और शांति।
  12. सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों में सुधार।
  13. भय और चिंता से मुक्ति।
  14. मनोबल में वृद्धि।
  15. शत्रुओं पर विजय प्राप्ति।
  16. जीवन में सकारात्मकता और संतुलन का आह्वान।
  17. जीवन में बाधाओं और परेशानियों से मुक्ति।

राक्षसेश्वर भैरव मंत्र विधि

दिन और मुहूर्त:

  • शुभ दिन: शनिवार और मंगलवार विशेष रूप से इस मंत्र साधना के लिए उत्तम माने जाते हैं।
  • शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे तक) या रात्रि में भैरव काल (रात्रि 12 बजे से 2 बजे तक) का समय सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
  • अवधि: मंत्र जाप 11 से 21 दिन तक किया जा सकता है।

मंत्र जाप की संख्या:

  • प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) का जाप करें।

आवश्यक सामग्री:

  1. शुद्ध आसन (कुश या ऊन का)।
  2. सरसों के तेल का दीपक।
  3. कपूर और धूप।
  4. राक्षसेश्वर भैरव की मूर्ति या तस्वीर।
  5. रुद्राक्ष माला या स्फटिक माला।

राक्षसेश्वर भैरव मंत्र जाप के नियम

  1. साधक की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  3. काले और नीले कपड़े न पहनें। सफेद या लाल वस्त्र धारण करें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान, पान और मांसाहार से परहेज करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक जीवन शैली अपनाएं।

जप के दौरान सावधानियां

  • मंत्र जाप के समय मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  • साधना के दौरान किसी प्रकार की नकारात्मकता से बचें।
  • एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें।
  • नियमित रूप से जाप के समय का पालन करें।
  • साधना पूरी होने तक आसन और स्थान न बदलें।

राक्षसेश्वर भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

1. राक्षसेश्वर भैरव मंत्र का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: इस मंत्र का उद्देश्य साधक को शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करना और जीवन में आत्मविश्वास बढ़ाना है।

2. इस मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

उत्तर: 20 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

3. क्या मंत्र जाप के लिए विशेष दिन का चयन करना चाहिए?

उत्तर: हां, शनिवार और मंगलवार को इस मंत्र का जाप विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

4. मंत्र जाप के समय कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप के समय लाल या सफेद वस्त्र पहनने चाहिए। नीले और काले वस्त्रों से बचना चाहिए।

5. क्या मंत्र जाप के दौरान भोजन का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: हां, साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें और मांसाहार, धूम्रपान व मद्यपान से बचें।

6. क्या मंत्र का जाप घर पर कर सकते हैं?

उत्तर: हां, मंत्र का जाप घर पर एक शांत और पवित्र स्थान पर किया जा सकता है।

7. मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप की अवधि 11 से 21 दिन तक होनी चाहिए। प्रतिदिन 11 माला का जाप करना चाहिए।

8. मंत्र जाप के लिए कौन सी माला का उपयोग करना चाहिए?

उत्तर: रुद्राक्ष माला या स्फटिक माला का उपयोग मंत्र जाप के लिए किया जा सकता है।

9. क्या साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है?

उत्तर: हां, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।

10. क्या इस मंत्र से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है?

उत्तर: हां, इस मंत्र का जाप शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक होता है।

11. मंत्र जाप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप के बाद राक्षसेश्वर भैरव का ध्यान करें और साधना को श्रद्धापूर्वक समाप्त करें।

12. क्या मंत्र जाप के दौरान ध्यान और एकाग्रता महत्वपूर्ण है?

उत्तर: हां, मंत्र जाप के दौरान ध्यान और एकाग्रता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है ताकि साधना के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकें।

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