माता विंध्यवासिनी चालीसा का नियमित ४० दिन पाठ कर लिया तो समझो, हर तरह की मुसीबत व आर्थिक अड़चनो से मुक्ति मिल गयी। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को माता की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख-शांति आती है।
चालीसा का पाठ
॥दोहा॥
जय विंध्यवासिनी मां, जयती जगदंबा।
सकल सृष्टि विख्याता, सदा करो कल्याण॥
॥चालीसा॥
जयति जय विंध्यवासिनी, महामाया जगदंबा।
भक्तन हितकारी सदा, दूर करै सब तृष्णा॥1॥
सिंह वाहिनी महाशक्ति, शक्ति रूपी वरदायिनी।
सकल लोक में प्रसिद्धि, दैव्य जगत की माई॥2॥
सकल कामना पूर्ण कर, कृपा दृष्टि बरसाओ।
विष्णु प्रिया अम्बा जय, सदा सहाय हो तुम॥3॥
दुर्गम पथ में सहारा, त्राही मां सदा सखी।
भक्तन पर विपत्ति आय, दूर करो हर्षित हो॥4॥
रथ पे चढ़कर जाओ, भक्तन के कष्ट हरता।
जग पालन हार तुम, धर्म रक्षा करतार॥5॥
आदि शक्ति तुम विख्याता, सकल विश्व विदित।
भक्त जन की रखवारी, सदा हर्षित रहो॥6॥
संकट में सहाय करो, जगत को पालन कारी।
नव दुर्गा रूप अवतारा, सकल शत्रु संहार॥7॥
कालिका स्वरूप धरा, तारा अम्बिका माता।
भैरवी महाकाली, शक्ति रूप आद्या॥8॥
पाप हारिणी महाशक्ति, सबके कष्ट निवारिणी।
विघ्नों को मिटाओ, जगत पालन हारी॥9॥
शरण में आये भक्त जन, सदा सहाय करो।
सुख समृद्धि दो माता, भवसागर से तारो॥10॥
विष्णु की प्रिया विंध्यवासिनी, कृपा सदा बरसाओ।
चरणों में शरण दो माता, सदा सहाय रहो॥11॥
जगत में कल्याण करो, दुःख का हरण करो।
भक्तों को सुख दो माता, सदा शरण दो॥12॥
सिंह वाहिनी महामाया, संहार करो अधर्म।
धर्म स्थापना करो, जगत में सुख का वास॥13॥
दुर्गति का हरण करो, कृपा दृष्टि बरसाओ।
जगत पालन हारी तुम, शक्ति रूप धारिणी॥14॥
त्राहि त्राहि करू भक्त, सहाय सदा करो।
जगत में सुख का वास हो, सदा रक्षा करो॥15॥
संकट में सहाय करो, विघ्नों का हरण करो।
जगदंबा सहाय करो, शरण में आये जन को॥16॥
मां विंध्यवासिनी चालीसा, पाठ करे जो भक्त।
सकल कष्ट मिट जाये, सदा सुख का वास॥17॥
दुःख-दर्द मिट जाये, कृपा सदा बरसाओ।
सुख समृद्धि का वास हो, भक्तन को सहाय॥18॥
जयति जय विंध्यवासिनी, कृपा दृष्टि बरसाओ।
सकल जगत में प्रसिद्धि, सदा शरण दो॥19॥
चालीसा पढ़े जो भक्त, सदा सुखी रहे।
विघ्न-बाधा दूर हो, सदा कृपा दृष्टि हो॥20॥
॥दोहा॥
शरण में आये भक्त जन, सदा सहाय रहो।
मां विंध्यवासिनी जय, सदा सुखी रहो॥
लाभ
- कष्ट निवारण: इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और वे मानसिक शांति का अनुभव करते हैं।
- धार्मिक और आध्यात्मिक विकास: इस चालीसा के नियमित पाठ से भक्तों का धार्मिक और आध्यात्मिक विकास होता है।
- शत्रु बाधा से मुक्ति: यह चालीसा शत्रु बाधा और संकटों से रक्षा करती है और जीवन में सफलता प्रदान करती है।
- परिवार में सुख-शांति: इस चालीसा के पाठ से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- संकटों से रक्षा: माता विंध्यवासिनी की कृपा से जीवन के हर संकट का समाधान मिलता है।
- भय का निवारण: यह चालीसा भय और असुरक्षा की भावना को दूर करती है।
- स्वास्थ्य लाभ: माता की कृपा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- विघ्न बाधाओं का निवारण: इस चालीसा के नियमित पाठ से जीवन की सभी विघ्न बाधाओं का निवारण होता है।
- विपत्ति से मुक्ति: यह चालीसा विपत्ति और दुःखों से मुक्ति दिलाती है।
- धन-संपत्ति में वृद्धि: इस चालीसा के पाठ से धन-संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- कार्य सिद्धि: यह चालीसा कार्य सिद्धि के लिए विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है।
- मनोकामना पूर्ति: इस चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- धैर्य और साहस में वृद्धि: इस चालीसा के पाठ से धैर्य और साहस में वृद्धि होती है।
- शांति और संयम: इस चालीसा के पाठ से मन में शांति और संयम का विकास होता है।
- गृहस्थ सुख: इस चालीसा के पाठ से गृहस्थ जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
- दुर्भाग्य का निवारण: इस चालीसा का पाठ दुर्भाग्य और कठिनाईयों को दूर करता है।
- समाज में प्रतिष्ठा: इस चालीसा के पाठ से समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त होता है।
पाठ विधि
दिन और समय
- दिन: शुक्रवार और मंगलवार का दिन माता विंध्यवासिनी की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- समय: प्रातःकाल और संध्याकाल का समय सबसे उचित होता है। यदि संध्या समय संभव न हो, तो दिन में किसी भी समय किया जा सकता है।
अवधि और मुहुर्त
- अवधि: इस चालीसा का पाठ नियमित रूप से 40 दिनों तक किया जा सकता है। एक बार शुरू करने के बाद इसे बिना किसी व्यवधान के पूरा करना चाहिए।
- मुहूर्त: शुभ मुहूर्त में माता विंध्यवासिनी का पूजन और चालीसा पाठ करना अति उत्तम माना जाता है। विशेष पर्वों और नवरात्रि में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
नियम और सावधानियाँ
- शुद्धि और स्वच्छता: चालीसा पाठ के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धि का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पाठ करने से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- शुद्ध वातावरण: पाठ के लिए एक शुद्ध और पवित्र स्थान चुनें। अगरबत्ती या धूप जलाकर वातावरण को सुगंधित और शुद्ध करें।
- भक्ति भावना: चालीसा का पाठ करते समय मन में पूर्ण भक्ति और श्रद्धा का भाव रखें। माता की कृपा प्राप्त करने के लिए मन को एकाग्र करें।
- नियमितता: यदि चालीसा पाठ की शुरुआत की है, तो उसे नियमित रूप से पूरा करना चाहिए। बीच में छोड़ना अशुभ माना जाता है।
- आसन का प्रयोग: पाठ करते समय साफ और आरामदायक आसन का प्रयोग करें। जमीन पर बैठकर पाठ करना सर्वोत्तम होता है।
- शुद्ध उच्चारण: चालीसा के मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करें। उच्चारण की शुद्धता से माता विंध्यवासिनी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
- अन्य ध्यान और पूजा: माता विंध्यवासिनी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर, फल-फूल अर्पित करके पूजा करें।
- प्रसाद वितरण: चालीसा पाठ के बाद प्रसाद वितरण करें। इसे अन्य भक्तों और परिवार के सदस्यों के साथ साझा करें।
- ध्यान और ध्यान मुद्रा: चालीसा पाठ के पहले और बाद में कुछ समय के लिए ध्यान करें। ध्यान मुद्रा में बैठना श्रेष्ठ होता है।
- भजन और कीर्तन: चालीसा पाठ के बाद माता विंध्यवासिनी के भजन और कीर्तन करें। इससे वातावरण पवित्र और मंगलमय हो जाता है।
- विशेष ध्यान: नवरात्रि या विशेष पर्वों के दौरान चालीसा पाठ का विशेष महत्व होता है। इन दिनों में अधिक श्रद्धा से पाठ करें।
- परिवार सहित पाठ: संभव हो तो परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर चालीसा का पाठ करें। इससे परिवार में एकता और शांति बनी रहती है।
माता विंध्यवासिनी चालीसा के सामान्य प्रश्न
- माता विंध्यवासिनी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
- चालीसा का पाठ नियमित रूप से रोजाना किया जा सकता है। यदि विशेष कामना हो तो 40 दिनों तक लगातार करें।
- क्या माता विंध्यवासिनी चालीसा का पाठ अकेले करना चाहिए या समूह में?
- इसे अकेले या समूह में, दोनों तरह से किया जा सकता है। समूह में पाठ करने से अधिक शक्ति और उत्साह का अनुभव होता है।
- क्या चालीसा पाठ करने के लिए किसी विशेष दिशा का चयन करना चाहिए?
- उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
- माता विंध्यवासिनी चालीसा का पाठ कितनी अवधि तक करना चाहिए?
- आप इसे 9, 21, 40, या 108 बार भी कर सकते हैं, लेकिन 40 बार का पाठ अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।
- चालीसा पाठ के दौरान कौन-कौन सी सामग्री का उपयोग करना चाहिए?
- पूजा के लिए फूल, दीपक, अगरबत्ती, प्रसाद, और माता की मूर्ति या चित्र का उपयोग किया जा सकता है।
- क्या चालीसा पाठ करते समय विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?
- हाँ, साफ और शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए, सफेद या लाल रंग के वस्त्र सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।
- क्या चालीसा पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
- हाँ, शुद्धता, ध्यान, और भक्ति भावना का पालन करना चाहिए। सात्विक आहार लेना और संयमित रहना भी आवश्यक है।
- क्या चालीसा पाठ के बाद कोई विशेष मंत्र या स्तोत्र पढ़ना चाहिए?
- हाँ, आप माता विंध्यवासिनी की आरती या अन्य स्तोत्रों का पाठ कर सकते हैं।
- क्या चालीसा पाठ के दौरान प्रसाद चढ़ाना आवश्यक है?
- हाँ, प्रसाद चढ़ाना आवश्यक है और पाठ के बाद इसे परिवार के साथ साझा करना चाहिए।
- चालीसा पाठ के दौरान यदि किसी कारणवश बाधा आ जाए, तो क्या करना चाहिए?
- बाधा दूर होने के बाद पुनः शुद्ध होकर पाठ प्रारंभ करें।