हनुमानाष्टकम्: नकारात्मक उर्जाओं का सामना करने की शक्ति
हनुमानाष्टकम् भगवान हनुमान की स्तुति में रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जो उनके महान पराक्रम, भक्ति, और सेवाभाव को वर्णित करता है। इसका पाठ भक्तों को साहस, शक्ति, और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने की शक्ति प्रदान करता है।
संपूर्ण हनुमानाष्टकम् व उसका अर्थ
स्तोत्र:
भजामि हनुमन्तं ध्येय सर्वार्थसाधकम्।
रुद्रावतार कल्याणं पीठमाश्रयमीश्वरम्॥ 1॥
अञ्जनासूनुमनघं वातात्मजममीश्वरम्।
श्रीरामहृदयेशं च फाल्गुनप्रियभक्षकम्॥ 2॥
कुण्डलिनि शिरोदीप्तं वाच्पटुतरं वरम्।
तारकासुरसंहारं वेदवेदाङ्गपारगम्॥ 3॥
इन्द्रादिसुरमौलिस्थ वन्द्यपादारविन्दकम्।
रुद्राद्यावतारेशं ध्येय लक्ष्मणजीवनम्॥ 4॥
सुग्रीवेण सहितं ध्यायेद्वायु सुतं प्रभुम्।
सप्तसागरतीरस्थं लङ्काविध्वंसकारकम्॥ 5॥
वायुपुत्रमहाशूरं पूज्य भक्तवत्सलम्।
ध्यायेत् सर्वार्थसिद्ध्यर्थं भक्तानुग्रहकात्त्रकम्॥ 6॥
आञ्जनेयं अतिपाटलाननं काञ्चनाद्रिकमनीयविग्रहम्।
पारिजाततरुमूलवासिनं भावयामि पवमाननन्दनम्॥ 7॥
यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम्।
बाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमति राक्षसान्तकम्॥ 8॥
॥ इति श्री हनुमानाष्टकम् सम्पूर्णम् ॥
अर्थ:
- मैं उन हनुमानजी की स्तुति करता हूँ, जिनका ध्यान करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं। वे कल्याणस्वरूप हैं और शिवजी के अवतार हैं।
- वे अंजना के पुत्र और पवन के समान तेजस्वी हैं। वे श्रीराम के हृदय में निवास करते हैं और अर्जुन के प्रिय भक्षक हैं।
- उनके मस्तक पर कुंडल दीप्त हैं, वे वाणी के श्रेष्ठ ज्ञाता हैं। तारकासुर का संहार करने वाले और वेद-शास्त्रों के पारंगत हैं।
- उनके चरणकमल इन्द्र आदि देवताओं द्वारा वंदनीय हैं। वे रुद्र आदि के अवतार हैं और लक्ष्मणजी के जीवनदाता हैं।
- वे सुग्रीव के संग साथी हैं, जिन्हें लंका का विनाश करने का सामर्थ्य है। वे वायुपुत्र और महान शूरवीर हैं।
- वायुपुत्र महाशूर, भक्तों के रक्षक, और सर्वारथसिद्धि के लिए साध्य हैं।
- वे अंजनी के पुत्र, उज्ज्वल मुख, और सोने के पर्वत समान आकर्षक हैं। वे पारिजात वृक्ष के नीचे वास करते हैं।
- जहाँ-जहाँ रघुनाथजी का कीर्तन होता है, वहाँ-वहाँ हनुमानजी अपनी आँखों में आँसू लिए हुए उपस्थित होते हैं।
हनुमानाष्टकम् के लाभ
- सभी संकटों से मुक्ति: हनुमानाष्टकम् का पाठ जीवन के सभी संकटों को दूर करता है।
- साहस और बल की वृद्धि: यह स्तोत्र साहस, बल और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
- संकट मोचन: यह पाठ जीवन के कठिन समय में राहत देता है।
- शत्रुओं से रक्षा: हनुमानाष्टकम् का पाठ शत्रुओं से रक्षा करता है और उन्हें पराजित करता है।
- कार्य सिद्धि: यह स्तोत्र भक्तों के सभी कार्यों में सफलता दिलाता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: यह स्तोत्र स्वास्थ्य में सुधार करता है और रोगों से मुक्ति दिलाता है।
- शांति और मानसिक संतुलन: यह पाठ मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: हनुमानाष्टकम् भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
- नकारात्मकता का नाश: यह स्तोत्र नकारात्मकता और बुरे विचारों का नाश करता है।
- शक्ति का संचार: यह पाठ शरीर और मन में नई ऊर्जा और शक्ति का संचार करता है।
- श्रीराम की कृपा: यह स्तोत्र भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त करने का साधन है।
- बाधाओं का निवारण: यह पाठ जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है।
- धन और समृद्धि: हनुमानाष्टकम् का पाठ धन और समृद्धि लाने में सहायक होता है।
- जीवन में स्थिरता: यह स्तोत्र जीवन में स्थिरता और समृद्धि बनाए रखता है।
- परिवार में सुख-शांति: यह पाठ परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य लाता है।
- विद्याओं की प्राप्ति: हनुमानाष्टकम् का पाठ ज्ञान और विद्या प्राप्त करने में सहायक होता है।
- भय से मुक्ति: यह स्तोत्र भय, चिंता और असुरक्षा की भावना को दूर करता है।
- भक्ति और विश्वास: यह पाठ भक्त के मन में भगवान हनुमान के प्रति भक्ति और विश्वास को दृढ़ करता है।
- संतान प्राप्ति: संतान प्राप्ति की कामना करने वालों के लिए यह स्तोत्र फलदायी होता है।
- सभी प्रकार के रोगों का निवारण: हनुमानाष्टकम् का पाठ सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाता है और स्वास्थ्य में सुधार करता है।
हनुमानाष्टकम् विधि
मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहुर्त
- दिन: हनुमानाष्टकम् का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार के दिन इसका पाठ विशेष फलदायी होता है।
- अवधि: इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से किया जा सकता है, लेकिन 21 दिनों तक नियमित पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।
- मुहुर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) का समय हनुमानाष्टकम् के पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
नियम
- पाठ से पहले पवित्रता और शुद्धता का ध्यान रखें।
- पाठ के दौरान शुद्ध वस्त्र धारण करें और शांति का माहौल बनाए रखें।
- पाठ को श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
- भोजन में सादा और सात्विक भोजन करें। मांसाहार और धूम्रपान से बचें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें और किसी भी प्रकार के अनैतिक कार्यों से बचें।
- हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक और धूप जलाएं।
- पाठ के दौरान पूर्ण ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें।
हनुमानाष्टकम् से संबंधित सावधानियाँ
- पाठ को नियमित करें और अनियमितता से बचें।
- किसी भी प्रकार के अहंकार और क्रोध से बचें।
- पाठ के बाद भगवान हनुमान से क्षमा याचना करें और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।
- साधना के समय शांतिपूर्ण और स्वच्छ स्थान का चयन करें।
- हनुमानाष्टकम् का पाठ करते समय नकारात्मक विचारों को मन में न आने दें।
- स्तोत्र का पाठ करते समय मन को स्थिर और एकाग्र बनाए रखें।
- हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए सच्चे मन से प्रार्थना करें।
हनुमानाष्टकम् से संबंधित सामान्य प्रश्न
- प्रश्न: हनुमानाष्टकम् क्या है?
उत्तर: हनुमानाष्टकम् भगवान हनुमान की स्तुति में रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जो उनके पराक्रम, भक्ति और सेवा भाव को वर्णित करता है। - प्रश्न: हनुमानाष्टकम् का पाठ किस समय करना चाहिए?
उत्तर: हनुमानाष्टकम् का पाठ ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में या शाम को सूर्यास्त के बाद किया जा सकता है। - प्रश्न: हनुमानाष्टकम् का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: हनुमानाष्टकम् का पाठ कम से कम 21 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए। - प्रश्न: हनुमानाष्टकम् का पाठ किस प्रकार की समस्याओं का समाधान करता है?
उत्तर: हनुमानाष्टकम् का पाठ जीवन की सभी समस्याओं जैसे संकट, बाधा, शत्रुता, और भय का समाधान करता है। - प्रश्न: हनुमानाष्टकम् का पाठ कौन कर सकता है?
उत्तर: हनुमानाष्टकम् का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह किसी भी उम्र या लिंग का हो। - प्रश्न: क्या हनुमानाष्टकम् का पाठ स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है?
उत्तर: हाँ, हनुमानाष्टकम् का पाठ स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। - प्रश्न: क्या हनुमानाष्टकम् का पाठ धन और समृद्धि लाता है?
उत्तर: हाँ, यह स्तोत्र धन और समृद्धि लाने में सहायक होता है। - प्रश्न: क्या हनुमानाष्टकम् का पाठ किसी विशेष दिन किया जाना चाहिए?
उत्तर: हनुमानाष्टकम् का पाठ मंगलवार और शनिवार को विशेष फलदायी माना जाता है। - प्रश्न: हनुमानाष्टकम् का पाठ करते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: पाठ करते समय शुद्धता, पवित्रता, ब्रह्मचर्य, और सात्विक आहार का पालन करना चाहिए। - प्रश्न: हनुमानाष्टकम् का पाठ करने से क्या विवाह में समस्याओं का समाधान होता है?
उत्तर: हाँ, हनुमानाष्टकम् का पाठ विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान करने में सहायक होता है।