Chhath Puja Vrat Rituals, Story, Benefits

Chhath Puja Vrat Rituals, Story, Benefits

छठ पूजा- 05 नवंबर से लेकर 08 नवंबर 2024- सूर्य देव और छठी मईया की आराधना से संतान सुख की प्राप्ति

छठ पूजा व्रत सूर्य देव और छठी मईया की आराधना के लिए किया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। इस व्रत का पालन करने से घर में सुख, समृद्धि, और संतान की प्राप्ति होती है। छठ पूजा की खासियत यह है कि इसमें शुद्धता, संयम और भक्ति का विशेष महत्व होता है।

छठ पूजा व्रत कब किया जाता है?

छठ पूजा व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। यह दीपावली के छठे दिन होता है। व्रत मुख्य रूप से चार दिनों तक चलता है, जिसमें नहाय-खाय से शुरुआत होती है और सूर्य अर्घ्य देकर समाप्त होता है।

व्रत विधि मंत्र के साथ

व्रत विधि

  1. पहले दिन नहाय-खाय से व्रत की शुरुआत होती है।
  2. दूसरे दिन खरना होता है, जिसमें व्रती शाम को गुड़ से बने प्रसाद का सेवन करते हैं।
  3. तीसरे दिन व्रती निर्जला उपवास रखकर नदी या तालाब के किनारे अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
  4. चौथे दिन सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होता है।

मंत्र

“ॐ ह्रीं षष्ठी देवै क्लीं आदित्याय नमः”
सूर्य को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप करें।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

क्या खाएं

सात्विक भोजन जैसे चावल, दाल, और चने का साग। प्रसाद में ठेकुआ, चावल के लड्डू, और फल शामिल होते हैं।

क्या न खाएं

नमक, लहसुन, प्याज, और तामसिक भोजन से बचें।

कब से कब तक व्रत रखें

व्रत चार दिनों तक चलता है। पहले दिन नहाय-खाय से शुरू होता है और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होता है।

छठ पूजा व्रत के लाभ

  1. संतान सुख की प्राप्ति।
  2. मन की शांति।
  3. स्वास्थ्य लाभ।
  4. धन-धान्य की वृद्धि।
  5. पारिवारिक सुख-शांति।
  6. जीवन में संतुलन।
  7. शत्रुओं से मुक्ति।
  8. सामाजिक समृद्धि।
  9. आत्मबल में वृद्धि।
  10. दीर्घायु प्राप्ति।
  11. आंतरिक शुद्धि।
  12. संतान की लंबी आयु।
  13. सूर्य देव की कृपा।
  14. मानसिक और शारीरिक ऊर्जा।
  15. कष्टों का निवारण।
  16. पुण्य की प्राप्ति।
  17. पारिवारिक स्वास्थ्य और समृद्धि।

छठ पूजा व्रत के नियम

  1. व्रत के दौरान शुद्धता और संयम का पालन करें।
  2. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य देना अनिवार्य है।
  3. व्रत के दौरान निर्जला उपवास रखें।
  4. व्रत का पालन बिना किसी लोभ या स्वार्थ के करें।
  5. परंपरागत वस्त्र पहनें और परिवार की मंगलकामना करें।

छठ पूजा व्रत की संपूर्ण कथा

प्राचीन काल में राजा प्रियंवद नामक एक निःसंतान राजा था। राजा प्रियंवद ने संतान प्राप्ति की बहुत कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। एक दिन, राजा ने महर्षि कश्यप से पुत्र प्राप्ति का उपाय पूछा। महर्षि कश्यप ने उन्हें संतान प्राप्ति के लिए एक विशेष यज्ञ करने की सलाह दी। यज्ञ के प्रभाव से राजा की पत्नी मालिनी गर्भवती हुईं। लेकिन जब उन्होंने पुत्र को जन्म दिया, तो वह मृत था। इस घटना से राजा और रानी अत्यंत दुखी हो गए।

दुखी मन से राजा ने आत्महत्या करने का निश्चय किया। जब राजा अपने प्राण त्यागने के लिए तैयार थे, तभी ब्रह्मा की मानस पुत्री देवी षष्ठी उनके सामने प्रकट हुईं। देवी षष्ठी ने राजा से कहा, “हे राजा, चिंता मत करो। मैं तुम्हारे दुखों को दूर करूंगी। यदि तुम मेरी पूजा करोगे और विधिपूर्वक व्रत रखोगे, तो तुम्हें संतान सुख की प्राप्ति होगी।”

राजा द्वारा व्रत का पालन

राजा प्रियंवद ने देवी षष्ठी के आदेश का पालन करते हुए व्रत किया। उन्होंने विधिपूर्वक षष्ठी देवी की पूजा की और पूरे नियमों का पालन किया। व्रत पूरा होते ही राजा की पत्नी मालिनी ने एक स्वस्थ और सुंदर पुत्र को जन्म दिया। राजा और रानी का जीवन खुशियों से भर गया। इसके बाद से राजा ने हर साल षष्ठी देवी की पूजा और व्रत करने का संकल्प लिया। इसी घटना के बाद से छठ पूजा व्रत की परंपरा शुरू हुई।

यह व्रत आज भी उसी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि जो भी भक्त छठी मईया की पूजा और व्रत करता है, उसे संतान सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

व्रत का भोग

व्रत में छठी मईया को ठेकुआ, चावल के लड्डू, और फल अर्पित किए जाते हैं। प्रसाद के रूप में गन्ना, नारियल, और केले भी शामिल होते हैं।

व्रत कब शुरू और कब समाप्त करें

छठ व्रत नहाय-खाय से शुरू होता है और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होता है।

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व्रत में सावधानियाँ

  1. व्रत के दौरान शरीर और मन की शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. पूजा स्थल पर शांति और पवित्रता बनाए रखें।
  3. प्रसाद बनाने में शुद्धता का ध्यान रखें।
  4. व्रत के दौरान क्रोध या बुरी भावनाओं से दूर रहें।
  5. प्रसाद में कोई अपवित्र सामग्री न डालें।

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छठ पूजा व्रत संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: छठ पूजा व्रत क्यों किया जाता है?

उत्तर: यह व्रत संतान की लंबी आयु और समृद्धि के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2: छठ व्रत कब किया जाता है?

उत्तर: यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है।

प्रश्न 3: छठ पूजा में क्या खाएं?

उत्तर: प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू और फल खाए जाते हैं।

प्रश्न 4: छठ व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?

उत्तर: नमक, लहसुन, प्याज, और तामसिक भोजन नहीं खाना चाहिए।

प्रश्न 5: छठ पूजा में कौन-सा मंत्र बोलना चाहिए?

उत्तर: अर्घ्य देते समय “ॐ आदित्याय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।

प्रश्न 6: छठ पूजा व्रत कितने दिन तक चलता है?

उत्तर: यह व्रत चार दिन तक चलता है।

प्रश्न 7: छठ पूजा का भोग क्या होता है?

उत्तर: भोग में ठेकुआ, चावल के लड्डू, और फल अर्पित किए जाते हैं।