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Kumarika Poojan Blessings Through Kanya Worship

कुमारिका पूजन व्रत – कन्याओं की पूजा से कैसे प्राप्त करें देवी दुर्गा की कृपा

कुमारिका पूजन व्रत जिसे कन्या पूजन व्रत भी कहा जाता है, ये व्रत देवी दुर्गा और कुमारिकाओं को समर्पित होता है। नवरात्रि के दौरान इसे करने का विशेष महत्व है। इस व्रत में कन्याओं की पूजा करके देवी की कृपा प्राप्त की जाती है।

व्रत कब किया जाता है?

कुमारिका पूजन व्रत नवरात्रि के दिनों में विशेष रूप से अष्टमी और नवमी को किया जाता है। यह व्रत साल में दो बार—चैत्र और शारदीय नवरात्रि के समय मनाया जाता है। अष्टमी और नवमी के दिन कुमारिकाओं को भोजन करवाना और उनका पूजन करना शुभ माना जाता है।

कुमारिका पूजन व्रत विधि

सामग्री:

  • लाल कपड़ा
  • अक्षत, रोली, चावल
  • धूप, दीप, नैवेद्य
  • 9 कुमारिकाएं (अथवा जितनी उपलब्ध हों)

व्रत पूजन मंत्र:

  1. “ॐ कुमारिकायै नमः” (प्रत्येक कन्या के चरण धोने के समय)
  2. “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते” (पूजा के समय)

पूजन विधि:

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें।
  2. पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और वहां लाल कपड़ा बिछाएं।
  3. कुमारिकाओं को आमंत्रित करें।
  4. उनके चरण धोकर तिलक करें और मंत्रोच्चारण करें।
  5. उन्हें प्रसाद और भोजन कराएं, फिर आशीर्वाद लें।

व्रत में क्या खाएं, क्या न खाएं?

व्रत में क्या खाएं:

  • फल, दूध, साबुदाना, कुट्टू का आटा, सेंधा नमक से बने खाद्य पदार्थ।

व्रत में क्या न खाएं:

  • लहसुन, प्याज, मसालेदार भोजन, अनाज से बने खाद्य पदार्थ न खाएं। तामसिक भोजन से बचें।

व्रत कब से कब तक रखें?

कुमारिका पूजन व्रत अष्टमी या नवमी के दिन सूर्योदय से पहले प्रारंभ किया जाता है और कन्याओं को भोजन कराने के बाद समाप्त होता है। व्रत सूर्योदय से लेकर पूजा समाप्ति तक चलता है।

कुमारिका पूजन व्रत से लाभ

  1. मनोकामना पूर्ण होती है।
  2. आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
  3. कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  4. परिवार में सुख-शांति आती है।
  5. रोगों से छुटकारा मिलता है।
  6. वैवाहिक जीवन में सुख मिलता है।
  7. संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  8. दैवीय कृपा प्राप्त होती है।
  9. समृद्धि और शांति का संचार होता है।
  10. मानसिक शांति मिलती है।
  11. सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है।
  12. बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
  13. शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
  14. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  15. समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
  16. गृह कलेश का नाश होता है।
  17. भविष्य के संकटों से सुरक्षा होती है।

व्रत के नियम

  1. दिन भर उपवास रखें और एक समय भोजन करें।
  2. केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  3. मन में पवित्रता और शुद्धता बनाए रखें।
  4. देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।
  5. व्रत के दौरान संयम और धैर्य रखें।

कुमारिका पूजन व्रत की संपूर्ण कथा

बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में एक निर्धन ब्राह्मण परिवार रहता था। परिवार में एक कन्या थी, जिसका नाम सुशीला था। सुशीला बचपन से ही देवी दुर्गा की परम भक्त थी। वह प्रतिदिन पूरे नियम से देवी दुर्गा की पूजा और व्रत करती थी। उसकी भक्ति इतनी प्रबल थी कि गांव के लोग उसे देवी दुर्गा की भक्त मानने लगे थे। सुशीला रोज सुबह स्नान कर पूजा में लीन हो जाती और देवी दुर्गा की आराधना करती थी।

सुशीला के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। वे मुश्किल से अपना गुजारा कर पाते थे। फिर भी सुशीला ने कभी अपनी भक्ति में कमी नहीं आने दी। वह हर नवरात्रि में कुमारिकाओं का पूजन करती, उन्हें भोजन कराती और देवी से आशीर्वाद मांगती थी। उसकी यह परंपरा वर्षों से चली आ रही थी। लेकिन एक बार सुशीला को बहुत बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा।

नवरात्रि के समय उनके पास इतना भी धन नहीं था कि वे कुमारिकाओं को भोजन करा सकें। सुशीला इस बात से बहुत दुखी हुई। उसने माता दुर्गा से प्रार्थना की कि वे उसे कोई मार्ग दिखाएं। सुशीला ने अपनी भक्ति को और भी मजबूत किया और देवी दुर्गा का व्रत रखा। उसने निश्चय किया कि चाहे कुछ भी हो, वह इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करेगी।

देवी दुर्गा का आशीर्वाद

सुशीला के मन की पुकार सुनकर देवी दुर्गा प्रकट हुईं। देवी ने कहा, “तू चिंता मत कर, सुशीला। तेरी भक्ति से मैं बहुत प्रसन्न हूं। अब से तुझे किसी चीज की कमी नहीं होगी।”

भोग

व्रत में देवी को भोग के रूप में हलवा, पूरी, चना, नारियल, और फल अर्पित किए जाते हैं। इसे कन्याओं को भोजन के रूप में परोसा जाता है।

व्रत कब शुरू और कब समाप्त करें?

व्रत अष्टमी या नवमी के दिन सूर्योदय से शुरू होता है। पूजा और कन्या भोज के बाद इसे समाप्त किया जाता है।

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व्रत में सावधानियां

  1. व्रत के दौरान किसी से कटु वचन न बोलें।
  2. सात्विक विचारों को बनाए रखें।
  3. पूर्ण विधि से पूजन करें।
  4. पूजा के दौरान ध्यान से मंत्रों का उच्चारण करें।
  5. कन्याओं का सम्मानपूर्वक स्वागत करें।

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कुमारिका पूजन व्रत संबंधित प्रश्न और उत्तर

1. कुमारिका पूजन व्रत का महत्व क्या है?

उत्तर: यह व्रत देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए किया जाता है और कन्याओं की पूजा का विशेष महत्व है।

2. कौन-कौन इस व्रत को कर सकते हैं?

उत्तर: सभी उम्र और वर्ग के लोग यह व्रत कर सकते हैं, विशेषकर महिलाएं।

3. व्रत कब रखा जाता है?

उत्तर: यह व्रत अष्टमी या नवमी के दिन नवरात्रि के दौरान रखा जाता है।

4. व्रत के दौरान क्या खाएं?

उत्तर: फल, दूध, साबुदाना, कुट्टू का आटा और सेंधा नमक खा सकते हैं।

5. क्या व्रत में अनाज खा सकते हैं?

उत्तर: नहीं, व्रत में अनाज और तामसिक भोजन वर्जित होता है।

6. व्रत में क्या पूजा सामग्री चाहिए?

उत्तर: रोली, अक्षत, दीपक, धूप, नैवेद्य, और लाल कपड़ा आवश्यक सामग्री है।

7. व्रत के कौन से मंत्र का जाप करें?

उत्तर: “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके” मंत्र का जाप करें।

8. व्रत के दौरान कौन-सी सावधानियां रखनी चाहिए?

उत्तर: तामसिक भोजन न खाएं और कटु वचन न बोलें।

9. क्या कन्याओं को भोजन कराना आवश्यक है?

उत्तर: हां, यह व्रत का मुख्य अंग है, कुमारिकाओं को भोजन कराना अत्यंत शुभ होता है।

10. क्या व्रत के दौरान किसी विशेष वस्त्र का प्रयोग करें?

उत्तर: सफेद या लाल रंग के वस्त्र धारण करना शुभ होता है।

11. कुमारिका पूजन व्रत से क्या लाभ होता है?

उत्तर: व्रत से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।

12. क्या व्रत को अधूरा छोड़ सकते हैं?

उत्तर: नहीं, व्रत को पूर्ण विधि से ही संपन्न करना चाहिए।

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