Varalakshmi Vrat – How to Observe & Worship

वरलक्ष्मी व्रत- कैसे करें पूजा, व्रत नियम, और पूरी व्रत कथा

वरलक्ष्मी व्रत हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए किया जाता है। लक्ष्मी जी को धन, सुख, समृद्धि, और वैभव की देवी माना जाता है। इस व्रत का पालन करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

वरलक्ष्मी व्रत कब किया जाता है?

यह व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की शुक्रवार को किया जाता है। इसके अलावा किसी भी शुक्ल पक्ष का शुक्रवार को यह व्रत किया जा सकता है। यह विशेषतः दक्षिण भारत में प्रमुखता से मनाया जाता है।

व्रत विधि मंत्र के साथ

व्रत विधि

  1. प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें।
  2. घर को स्वच्छ करें और पूजा स्थल तैयार करें।
  3. देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
  4. हाथ में जल, चावल और फूल लेकर संकल्प लें।
  5. व्रत कथा सुनें और देवी लक्ष्मी का ध्यान करें।
  6. आठ प्रकार के अनाज और फलों का भोग अर्पित करें।
  7. दिनभर उपवास करें और शाम को पूजा करें।

मंत्र

“ॐ श्री वर लक्ष्म्यै क्लीं नमः”
इस मंत्र का जाप व्रत के दौरान करें।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

क्या खाएं

फल, दूध, सूखे मेवे, और सात्विक भोजन कर सकते हैं।

क्या न खाएं

लहसुन, प्याज, अनाज, और तामसिक भोजन से बचें।

कब से कब तक व्रत रखें

व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर, संध्या समय पूजा के बाद समाप्त करें।

वरलक्ष्मी व्रत के लाभ

  1. धन की प्राप्ति।
  2. मानसिक शांति।
  3. रोगों से मुक्ति।
  4. विवाह में बाधाओं का नाश।
  5. परिवार में सुख-शांति।
  6. संतान सुख।
  7. व्यवसाय में उन्नति।
  8. कर्ज से मुक्ति।
  9. पुण्य की प्राप्ति।
  10. बुरी नजर से रक्षा।
  11. शत्रुओं से छुटकारा।
  12. सौभाग्य की वृद्धि।
  13. दीर्घायु प्राप्ति।
  14. आंतरिक शुद्धि।
  15. देवी लक्ष्मी की कृपा।
  16. कल्याणकारी जीवन।
  17. आत्मविश्वास में वृद्धि।

वरलक्ष्मी व्रत के नियम

  1. मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।
  2. दिनभर उपवास करें।
  3. पूजा विधि का पालन करें।
  4. संयमित आचरण रखें।
  5. परिवार की मंगलकामना करें।

वरलक्ष्मी व्रत की संपूर्ण कथा

प्राचीन काल में मगध देश के एक नगर में चारुमति नाम की एक धार्मिक, विनम्र और पुण्यशील स्त्री रहती थी। चारुमति अपने माता-पिता और पति की बहुत सेवा करती थी। वह हमेशा समाज की भलाई के कामों में लगी रहती थी, इसलिए उसके घर में भी सुख-शांति बनी रहती थी। उसकी भक्ति, सेवा और धर्मपरायणता से देवी लक्ष्मी अत्यधिक प्रसन्न हो गईं।

एक रात, देवी लक्ष्मी चारुमति के सपने में प्रकट हुईं। देवी लक्ष्मी ने कहा, “हे चारुमति! तुम धर्मपरायण और सेवा भावी हो। मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूँ। तुम्हें वरलक्ष्मी व्रत करना चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हें न केवल धन-समृद्धि प्राप्त होगी, बल्कि तुम्हारा परिवार भी सुख-शांति से भरा रहेगा।”

चारुमति ने देवी लक्ष्मी की बात को गंभीरता से लिया। अगले दिन जब वह जागी, तो उसने व्रत करने का संकल्प लिया। उसने अपने पड़ोसियों और मित्रों को भी देवी लक्ष्मी द्वारा बताए गए इस व्रत के बारे में बताया। सभी स्त्रियों ने मिलकर व्रत का पालन करने का निश्चय किया।

व्रत का पालन और परिणाम

सभी स्त्रियाँ एकत्र होकर वरलक्ष्मी व्रत के लिए तैयार हुईं। उन्होंने अपने-अपने घरों को स्वच्छ किया और पूजा की तैयारी की। देवी लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित कर, विधिपूर्वक पूजा अर्चना की। व्रत करने वाली स्त्रियों ने पूरे श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत का पालन किया।

पूजा समाप्त होने के बाद, सभी स्त्रियों ने देवी लक्ष्मी की कृपा का अनुभव किया।

व्रत का भोग

व्रत के समापन पर देवी लक्ष्मी को मीठे पकवान, फल, और पंचामृत का भोग लगाएं।

व्रत कब शुरू और कब समाप्त करें

व्रत सूर्योदय से प्रारंभ करें और शाम को पूजा के पश्चात समाप्त करें।

Know more about vaibhav lakshmi vrat

व्रत में सावधानियाँ

  1. पूजा विधि को सही से पालन करें।
  2. व्रत के दौरान मन को शुद्ध रखें।
  3. अनावश्यक वस्त्राभूषणों का प्रदर्शन न करें।
  4. व्रत की कथा को ध्यानपूर्वक सुनें।
  5. पूजा में तुलसी का पत्ता न रखें।

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व्रत संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: वरलक्ष्मी व्रत क्यों मनाया जाता है?

उत्तर: यह व्रत देवी लक्ष्मी की कृपा और सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2: वरलक्ष्मी व्रत कब किया जाता है?

उत्तर: यह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की शुक्रवार को किया जाता है।

प्रश्न 3: व्रत में क्या खाना चाहिए?

उत्तर: फल, दूध और सूखे मेवे खा सकते हैं।

प्रश्न 4: व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?

उत्तर: लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन नहीं खाना चाहिए।

प्रश्न 5: व्रत की पूजा विधि क्या है?

उत्तर: देवी लक्ष्मी की पूजा कर कथा सुनें और दिनभर उपवास रखें।

प्रश्न 6: व्रत के मंत्र कौन से हैं?

उत्तर: “ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें।

प्रश्न 7: व्रत का समय कब होता है?

उत्तर: व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर संध्या पूजा के बाद समाप्त होता है।

प्रश्न 8: व्रत से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर: धन, सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 9: व्रत की कथा क्या है?

उत्तर: चारुमति नामक स्त्री द्वारा देवी लक्ष्मी के निर्देश पर व्रत किया गया था।

प्रश्न 10: व्रत का भोग क्या होता है?

उत्तर: भोग में मीठे पकवान, फल और पंचामृत अर्पित किए जाते हैं।

प्रश्न 11: व्रत के दौरान कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?

उत्तर: पूजा विधि को ध्यानपूर्वक पालन करें और मन को शुद्ध रखें।

प्रश्न 12: व्रत के नियम क्या हैं?

उत्तर: संयमित आचरण रखें और दिनभर उपवास करें।

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