दिग्बंधन क्या है? देवी दुर्गा के मंत्र से दसों दिशाओं में सुरक्षा कैसे करें
दिग्बंधन एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य साधक के चारों ओर सुरक्षा कवच बनाना होता है ताकि उसे किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर, या अवांछित बाधाओं से बचाया जा सके। “दिग्बंधन” शब्द दो भागों से मिलकर बना है: ‘दिग’ का अर्थ है दिशा और ‘बंधन’ का अर्थ है बांधना या सीमित करना। इस प्रक्रिया के दौरान, साधक अपने चारों ओर दसों दिशाओं से रक्षा के लिए मंत्रों का जाप करता है।
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दिग्बंधन का उदाहरण
जब कोई साधक दिग्बंधन करता है, तो वह मानता है कि देवी या देवता उसकी सुरक्षा के लिए चारों दिशाओं, ऊपर (आकाश) और नीचे (पाताल) से एक सुरक्षा कवच बना रहे हैं। यह कवच उसे बुरी शक्तियों और नकारात्मक प्रभावों से बचाने में मदद करता है।
नए व्यक्ति को इसे समझाने के लिए हम इसे एक सरल उदाहरण से समझ सकते हैं:
माता दुर्गा दिग्बंधन का सरल उदाहरण
मान लीजिए आप कमरे में हैं और महसूस कर रहे हैं कि बाहर से नकारात्मक शक्ति आपको नुकसान पहुंचा सकती है।
इस स्थिति में, दिग्बंधन मंत्र का जाप करें और देवी दुर्गा को चारों दिशाओं में सुरक्षा कवच बनाते हुए कल्पना करें।
मंत्र:
ॐ क्लीं ह्रीं श्रीं दुर्गायै दिग्बंधन कुरु कुरु फट् स्वाहा।
कैसे करें दिग्बंधन?
पहले दिशा की कल्पना करें – आँखें बंद करें और पूर्व दिशा से शुरू कर प्रत्येक दिशा पर ध्यान केंद्रित करें।
मंत्र का जाप करें – हर दिशा में मंत्र उच्चारण करें और कल्पना करें कि देवी दुर्गा आपकी रक्षा कर रही हैं।
दसों दिशाओं में सुरक्षा – मंत्र जाप के बाद, मानसिक रूप से एक घेरा बनाएं जो आपको सभी दिशाओं से सुरक्षित रखे।
उदाहरण
मान लीजिए आप किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जा रहे हैं और आपको बाधा आने का भय हो रहा है।
इस स्थिति में, दिग्बंधन मंत्र का जाप करें और देवी दुर्गा की सुरक्षा का अनुभव करें।
यह मंत्र आपके चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बनाता है, जिससे कोई नकारात्मक प्रभाव आप तक नहीं पहुंचता।
दिग्बंधन मंत्र नकारात्मक शक्तियों को दूर रखता है और आपके कार्यों में सफलता व शांति सुनिश्चित करता है।