अर्धनारेश्वर साबर मंत्र का प्रयोग विवाहित जीवन या प्रेम प्रणय संबंधो मे मजबूती प्रदान करता है। अर्धनारेश्वर भगवान शिव और माता पार्वती का संयुक्त रूप है, जो शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है। अर्धनारेश्वर रूप में भगवान शिव के आधे शरीर में पार्वती और आधे में शिव का स्वरूप होता है। यह रूप स्त्री और पुरुष तत्वों के संतुलन, सृजन और संरक्षण का प्रतिनिधित्व करता है। अर्धनारेश्वर साबर मंत्र एक तांत्रिक और प्रभावशाली मंत्र है जिसका प्रयोग साधक विशेष उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए करते हैं।
अर्धनारेश्वर साबर मंत्र
अर्धनारेश्वर साबर मंत्र इस प्रकार है:
“ॐ नमः शिवाय, जय गिरिजा पति दीन दयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला, करो हमारे काज, सुखी रहे हम दास, ॐ अर्धनारेश्वराय नमः”
यह मंत्र विशेष रूप से उन साधकों के लिए है जो अपने जीवन में पारिवारिक जीवन, विवाहित जीवन, मन पसंद जीवनसाथी, समृद्धि, सुख-शांति और आध्यात्मिक उन्नति की इच्छा रखते हैं। इस मंत्र का जाप करने से साधक को जीवन में कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।
अर्धनारेश्वर साबर मंत्र विधि
मंत्र जप का दिन और अवधि
अर्धनारेश्वर साबर मंत्र के जप के लिए किसी भी शुभ दिन का चयन कर सकते हैं, जैसे सोमवार, महाशिवरात्रि, या किसी अन्य धार्मिक पर्व। इस मंत्र का जप कम से कम 11 दिनों तक लगातार करना चाहिए। 21 दिनों तक यह साधना करना और भी प्रभावशाली माना जाता है।
मुहुर्त
इस अर्धनारेश्वर साबर मंत्र जप के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) सबसे उत्तम समय माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है, जिससे साधक का मन एकाग्र रहता है। यदि ब्रह्म मुहूर्त में मंत्र जप संभव न हो, तो सुबह के समय (सूर्योदय के बाद) या शाम को (सूर्यास्त के बाद) भी जप कर सकते हैं।
सामग्री
अर्धनारेश्वर साबर मंत्र जप के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- एक स्वच्छ और शांत स्थान
- लाल रंग का आसन
- रुद्राक्ष या स्फटिक की माला
- धूप, दीप और चंदन
- ताजे फूल (लाल रंग के फूल विशेष रूप से उपयोगी हैं)
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण)
- साफ जल का पात्र
अर्धनारेश्वर साबर मंत्र जप संख्या
इस साबर मंत्र का जप प्रतिदिन 11 माला (1 माला में 108 मंत्र होते हैं) करना चाहिए। इसका अर्थ है कि प्रतिदिन 1188 बार इस मंत्र का जप करना चाहिए। किसी भी सोमवार से शुरु करके लगातार ११ दिन इस मंत्र का जप करना चाहिये।
अर्धनारेश्वर साबर मंत्र जप के नियम
अर्धनारेश्वर साबर मंत्र जप से पहले गणेश चेटक मंत्र का जप करना चाहिए। यह जप साधक को शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्रदान करता है और साधना को सफल बनाता है। गणेश चेटक मंत्र का जप करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:
- उम्र: साधक की उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
- स्त्री-पुरुष: इस मंत्र जप को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
- वस्त्र: जप के समय नीले या काले रंग के कपड़े न पहनें। सफेद या पीले रंग के कपड़े पहनना उचित माना जाता है।
- धूम्रपान और मद्यपान: मंत्र जप के दौरान धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से पूरी तरह से बचना चाहिए।
- ब्रह्मचर्य: साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
मंत्र जप सावधानी
अर्धनारेश्वर साबर मंत्र जप करते समय निम्नलिखित सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए:
- मंत्र जप के लिए शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें।
- मंत्र जप के समय मन को एकाग्र रखें और अन्य विचारों से दूर रहें।
- मंत्र जप के दौरान किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचें और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करें।
- मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक माला का उपयोग करें, जिससे ऊर्जा का संचय हो सके।
- साधना के दौरान नियमों का कठोरता से पालन करें और कोई भी नियम न तोड़ें।
- साधना के बीच में किसी भी तरह की बाधा आने पर, तुरंत पुनः मंत्र जप शुरू न करें, बल्कि साधना को शांतिपूर्ण ढंग से जारी रखें।
- साधना के समय धार्मिकता और संयम का पालन करें और अपनी दैनिक गतिविधियों में संयमित रहें।
- मंत्र जप के दौरान किसी भी प्रकार के असमंजस या संदेह को मन में न लाएं।
- मंत्र सिद्धि प्राप्ति के बाद भी साधना को नियमित रूप से जारी रखें।
- मंत्र जप के दौरान जितना हो सके, धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करें और भक्ति में मन लगाएं।
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: अर्धनारेश्वर साबर मंत्र का जप क्यों करना चाहिए?
उत्तर: यह मंत्र साधक के जीवन में संतुलन, सुख-शांति और आध्यात्मिक उन्नति लाता है।
प्रश्न 2: क्या अर्धनारेश्वर साबर मंत्र का जप स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, इस मंत्र का जप स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं, लेकिन नियमों का पालन आवश्यक है।
प्रश्न 3: इस मंत्र का जप कब करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र जप के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे उत्तम समय है, लेकिन सुबह या शाम के समय भी जप किया जा सकता है।
प्रश्न 4: मंत्र जप के दौरान कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए?
उत्तर: मंत्र जप के दौरान सफेद या पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए। नीले या काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
प्रश्न 5: मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर: जप के दौरान शांत और स्वच्छ स्थान, एकाग्र मन, माला का सही चयन, और धार्मिकता का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 6: क्या मंत्र जप के दौरान भोजन की कोई विशेषता होती है?
उत्तर: हाँ, मंत्र जप के दौरान साधक को शुद्ध और सात्विक भोजन करना चाहिए और मांसाहार से बचना चाहिए।
प्रश्न 7: गणेश चेटक मंत्र का क्या महत्व है?
उत्तर: गणेश चेटक मंत्र साधक को शुद्धि प्रदान करता है और अर्धनारेश्वर साबर मंत्र साधना को सफल बनाने में सहायक होता है।
प्रश्न 8: मंत्र जप कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: इस मंत्र का जप प्रतिदिन 11 माला यानी 1188 बार करना चाहिए।
प्रश्न 9: मंत्र जप के लिए कौन सी माला का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक माला का उपयोग करना चाहिए।
प्रश्न 10: क्या मंत्र जप के दौरान धूम्रपान और मद्यपान की अनुमति है?
उत्तर: नहीं, मंत्र जप के दौरान धूम्रपान और मद्यपान से पूरी तरह बचना चाहिए।
प्रश्न 11: अर्धनारेश्वर साबर मंत्र का जप किस दिन से शुरू करना चाहिए?
उत्तर: किसी भी शुभ दिन, जैसे सोमवार या महाशिवरात्रि से इस मंत्र का जप शुरू कर सकते हैं।
प्रश्न 12: मंत्र जप के दौरान मन की एकाग्रता कैसे बनाए रखें?
उत्तर: नियमित ध्यान, प्राणायाम और धार्मिकता के पालन से मन को एकाग्र रखने में सहायता मिलती है।
प्रश्न 13: क्या साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है ताकि साधक का मन शुद्ध और एकाग्र रहे।
प्रश्न 14: मंत्र जप के दौरान कोई बाधा आने पर क्या करना चाहिए?
उत्तर: बाधा आने पर शांतिपूर्वक बाधा को दूर करें और साधना जारी रखें। तुरंत पुनः मंत्र जप न करें।
प्रश्न 15: मंत्र सिद्धि प्राप्ति के बाद क्या साधना जारी रखनी चाहिए?
उत्तर: हाँ, मंत्र सिद्धि प्राप्ति के बाद भी साधना को नियमित रूप से जारी रखना चाहिए ताकि उसकी ऊर्जा और प्रभाव बना रहे।
अर्धनारेश्वर साबर मंत्र एक प्रभावशाली और शक्ति-संपन्न मंत्र है, जो साधक के जीवन में संतुलन, सुख-शांति और आध्यात्मिक उन्नति लाता है। इस मंत्र का जप करने से साधक को जीवन में कई लाभ प्राप्त होते हैं, लेकिन इसे नियमों और सावधानियों के साथ करना आवश्यक है। सही विधि से मंत्र जप करने पर साधक को सिद्धि प्राप्त होती है और