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Narali Poornima- Worship of sea god

नारली पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो विशेष रूप से महाराष्ट्र, गोवा के आपस पास व पश्चिमी तट के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। इसे “रक्षा बंधन” और “राखी पूर्णिमा” के नाम से भी जाना जाता है, क्योकि इसी दिन रक्षा बंधन त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नारियल को समुद्र में अर्पित किया जाता है, इसलिए इसे “नारली पूर्णिमा” कहा जाता है।

नारली पूर्णिमा का महत्व

नारली पूर्णिमा का मुख्य महत्व समुद्र की पूजा से जुड़ा हुआ है। इस दिन मछुआरे समुद्र देवता की पूजा करते हैं और समुद्र में नारियल अर्पित करते हैं, ताकि समुद्र देवता उनकी रक्षा करें और उन्हें सुरक्षित यात्रा प्रदान करें। यह दिन विशेष रूप से मछुआरा समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे इस दिन से मानसून के बाद समुद्र में मछली पकड़ने के लिए वापस लौटते हैं।

नारली पूर्णिमा की पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धिकरण: इस दिन प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण किए जाते हैं।
  2. पूजा सामग्री: पूजा के लिए नारियल, फूल, धूप, दीपक, मिठाई, चावल, और पान-सुपारी की व्यवस्था की जाती है।
  3. समुद्र पूजा: परिवार के सदस्य समुद्र के किनारे जाकर नारियल को पूजा के रूप में समुद्र में अर्पित करते हैं।
  4. आरती और प्रसाद: पूजा के बाद समुद्र देवता की आरती की जाती है और फिर प्रसाद का वितरण होता है।

नारली पूर्णिमा की कथा

माना जाता है कि एक बार समुद्र देवता अत्यंत क्रोधित हो गए थे और उन्होंने अपने क्रोध में मछुआरों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर दिया था। तब मछुआरों ने समुद्र देवता की शांति के लिए नारियल अर्पित किए और उनसे क्षमा मांगी। इसके बाद से, नारली पूर्णिमा पर मछुआरे समुद्र की पूजा करते हैं और नारियल अर्पित कर उसकी कृपा प्राप्त करते हैं।

नारली पूर्णिमा के लाभ

  1. समुद्र की शांति: समुद्र देवता को नारियल अर्पित कर उनसे शांति और सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है।
  2. सुरक्षा और समृद्धि: इस दिन की गई पूजा से मछुआरों के जीवन में सुरक्षा और समृद्धि आती है।
  3. पारिवारिक समृद्धि: इस दिन की पूजा से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  4. पारंपरिक धरोहर का संरक्षण: इस त्योहार के माध्यम से पारंपरिक धरोहर को सहेजा जाता है और अगली पीढ़ी को इसके महत्व से अवगत कराया जाता है।

नारली पूर्णिमा के अन्य पहलू

  1. रक्षा बंधन: इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना करती हैं।
  2. मछुआरा समाज के लिए खास दिन: यह दिन विशेष रूप से मछुआरा समाज के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन वे समुद्र में वापस मछली पकड़ने के लिए जाते हैं।

नारली पूर्णिमा सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह समुद्र के प्रति आभार व्यक्त करने और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सुरक्षा की भावना को मजबूत करने का दिन है। यह त्योहार हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने और पारंपरिक मूल्यों को संजोने की प्रेरणा देता है।

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