Buy now

spot_img
spot_img

Baglamukhi gupta Chalisa paath for hidden enemy

छुपे हुये शत्रो से बचाने वाली बगलामुखी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को बगलामुखी माता की कृपा के साथ हर तरह की सुरक्षा मिलती है. यह चालीसा कोर्ट-केस, विवाद और विघ्नों से छुटकारा पाने में सहायक होती है और अन्य लाभों के साथ ही समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद करती है। इस चालीसा के पाठ से शत्रुओं और अशुभ ताकतों से रक्षा मिलती है और व्यक्ति का जीवन सुरक्षित रहता है। बगलामुखी चालीसा के पाठ से व्यक्ति को आत्मविश्वास और साहस की भावना प्राप्त होती है और उसे अच्छे कर्मों के लिए प्रेरित किया जाता है।

बगलामुखी

बगलामुखी माता, जिन्हें बगलामुखी देवी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म की दस महाविद्याओं में से एक हैं। इन्हें स्तंभन शक्ति की देवी माना जाता है, जो शत्रुओं को निष्क्रिय कर देती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं। बगलामुखी माता की पूजा विशेष रूप से शत्रुओं के नाश और विपत्तियों से बचाव के लिए की जाती है।

चालीसा

श्री बगलामुखी माता चालीसा

दोहा:
जय बगलामुखी देवी, जय जय जगदंबे।
शत्रु संकट हरन कर, वंदन करूं अंबे॥

चौपाई:
जयति जयति बगलामुखी माता, 
शत्रु विनाशिनी वरदात।

पीतांबर धारिणी माते, 
शुभ्र वस्त्र शोभित राते॥

त्रिशूल कमल खड्ग विराजे, 
शुभ्र केश मुकुट छवि साजे।

शत्रु संहारक तुंम हो माई, 
भक्तन की रक्षा कराई॥

जगत पालन हारिणी माता, 
भक्तन की तुंम हो त्राता॥

सभी दु:ख हर लावो माते, 
सुख सम्पत्ति दियो वरदाते॥

बगलामुखी तुंम हो बलशाली, 
शत्रु दलन की हो तुम प्याली॥

शत्रु हरण कर दियो सुख दाता, 
सर्व संकट नाश कर त्राता॥

ध्यान धरूं मैं तुंम्हारा, 
सभी संकट हरन हारा॥

जो भी भक्त तुंम्हें ध्यावे, 
सभी संकट दूर भगावे॥

शत्रु बाधा दूर हो जाए, 
सुख शांति का वास हो पाए॥

तंत्र मंत्र से रक्षा होई, 
भक्तन का कल्याण कर होई॥

बगलामुखी माता की आरती, 
सभी संकट दूर हो भारती॥

जय जय बगलामुखी माई, 
भक्तन की तुंम हो सहाई॥

दोहा:
जय बगलामुखी देवी, जय जय जगदंबे।
शत्रु संकट हरन कर, वंदन करूं अंबे॥

लाभ

  1. शत्रु विनाश: शत्रुओं का नाश होता है और वे निष्क्रिय हो जाते हैं।
  2. विपत्तियों से रक्षा: जीवन में आने वाली विपत्तियों से रक्षा होती है।
  3. कानूनी मामलों में जीत: कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है।
  4. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और मनोबल बढ़ता है।
  5. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  6. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है और ध्यान में वृद्धि होती है।
  7. धनलाभ: धनलाभ होता है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  8. शारीरिक स्वास्थ्य: शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  9. मानसिक शांति: मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव कम होता है।
  10. सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  11. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  12. सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  13. संपत्ति: संपत्ति में वृद्धि होती है।
  14. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  15. शत्रु बाधा से मुक्ति: शत्रुओं की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  16. सकारात्मक दृष्टिकोण: जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है।
  17. संकल्पशक्ति में वृद्धि: संकल्पशक्ति में वृद्धि होती है और मनोबल बढ़ता है।
  18. धैर्य और साहस: धैर्य और साहस में वृद्धि होती है।
  19. आध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
  20. गृहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

विधि

  1. तैयारी: पूजा के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल: पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान चुनें और वहाँ बगलामुखी माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. सामग्री: पूजा के लिए पीले फूल, धूप, दीप, अक्षत, हल्दी, चावल, नैवेद्य आदि की व्यवस्था करें।
  4. आरंभ: सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें और फिर बगलामुखी माता की पूजा आरंभ करें।
  5. मंत्र जप: बगलामुखी माता के मंत्र का जाप करें।
  6. चालीसा पाठ: बगलामुखी माता चालीसा का पाठ करें।
  7. आरती: बगलामुखी माता की आरती उतारें।
  8. प्रसाद: पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।
  9. व्रत: व्रत रखने वाले दिन फलाहार करें और अन्न का सेवन न करें।

दिन, मुहूर्त और अवधि

  • दिन: बगलामुखी जयंती या विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को बगलामुखी माता की पूजा की जाती है।
  • मुहूर्त: पूजा का शुभ मुहूर्त रात्री का होता है।
  • अवधि: पूजा की अवधि लगभग 1-2 घंटे की होती है।

नियम

  1. पूजा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  2. स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  3. व्रत का पालन करें और केवल फलाहार करें।
  4. पूजा के दौरान मन को शुद्ध और शांत रखें।
  5. श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करें।

Get mantra diksha

सावधानियां

  1. पूजा के लिए स्वच्छ और शांत वातावरण का चयन करें।
  2. पूजा के दौरान किसी प्रकार की नकारात्मकता को मन में न आने दें।
  3. व्रत का पालन पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ करें।
  4. पूजा के बाद प्रसाद को सभी के साथ बांटें और खुद भी ग्रहण करें।
  5. किसी भी प्रकार की अशुद्धता से बचें।

spiritual store

महत्वपूर्ण प्रश्न

बगलामुखी माता कौन हैं?
ये माता स्तंभन शक्ति की देवी हैं जो शत्रुओं को निष्क्रिय कर देती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं।

इनकी माता की पूजा कब की जाती है?
बगलामुखी जयंती, मंगलवार और शनिवार के दिन बगलामुखी माता की पूजा की जाती है।

बगलामुखी माता की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री चाहिए?
पीले फूल, धूप, दीप, अक्षत, हल्दी, चावल, नैवेद्य आदि की आवश्यकता होती है।

बगलामुखी माता की पूजा का क्या महत्व है?
माता की पूजा करने से शत्रु विनाश, विपत्तियों से रक्षा, और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

बगलामुखी माता की आरती कब करनी चाहिए?
बगलामुखी माता की आरती पूजा के अंत में की जाती है।

क्या बगलामुखी माता की पूजा के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
हां, बगलामुखी माता की पूजा के दौरान व्रत रखना शुभ माना जाता है।

बगलामुखी माता चालीसा का क्या महत्व है?
माता चालीसा का नियमित पाठ करने से माता की कृपा प्राप्त होती है।

बगलामुखी माता की पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
स्वच्छता, शुद्धता, और मन की शांति का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

बगलामुखी माता की पूजा के बाद प्रसाद कैसे बांटना चाहिए?
प्रसाद को सभी के साथ बांटें और खुद भी ग्रहण करें।

बगलामुखी माता की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
रात्री का समय शुभ माना जाता है।

बगलामुखी माता की पूजा के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
स्वच्छता का ध्यान रखें, अशुद्धता से बचें, और मन को शांत और शुद्ध रखें।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Choose Pujan Option
spot_img
spot_img

Related Articles

spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency