Navdurga gupta Chalisa paath for wealth & prosperity

माता की कृपा दिलाने वाली नवदुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है। चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को दुर्गम कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और उन्हें विघ्नों से निजात मिलती है। इस चालीसा के पाठ से व्यक्ति का मानसिक स्थिति मजबूत होता है और उन्हें आत्मविश्वास मिलता है। नवदुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक रूप से सुखी और संतुलित जीवन प्राप्त होता है।

नवदुर्गा हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये नौ रूप हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री। नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन इन रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ रूपों का महत्व और शक्ति विभिन्न तंत्र-मंत्र, योग-साधना, और धार्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

नवदुर्गा चालीसा

ये चालीसा एक महत्वपूर्ण भक्ति पाठ है जिसमें नवदुर्गा के नौ रूपों की महिमा और स्तुति का वर्णन है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से भक्तों को माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और संतोष आता है।

चालीसा

१ जय गिरिवर राज किशोरी। जय महेश मुख चंद चकोरी॥

जय गंगा मइया जटाधारी। जय उमा मंगल करिहारी॥

२ जय अंबिका भवानी जगदम्बे। जय गोरी शंकर प्रिय अम्बे॥

जय शिवानि, जय जय अति प्रियँ। जय जगदम्बा त्रिपुर भैरवी॥

३ जय मातेश्वरी, सृष्टि विधात्री। जय तारे अद्वैत रूपा॥

जय महेश मुख चंद की जोड़ी। जय गिरिराज किशोरी अति गोरी॥

४ जय आद्या शक्ति जगदम्बे। जय जगदम्बा दानव दल खम्बे॥

जय अंबे जय अंबे सुखधामिनी। जय जय अति मंगल गुणखानी॥

५ नवनिधि को सुख देने वाली। दुःख दारिद्र्य विनाशिनी काली॥

सहस्र चंद्रदिवाकर गाता। विष्णु सदा यह जाप सुनाता॥

६ महालक्ष्मी तुम ही भवानी। आदि रूप समस्त भुवानी॥

राम सुमिरि सिय मानस पूजा। नित नवनीत वृतिका दूजा॥

७ ध्यान जोत जपत अनूपा। शम्भु करे सादर यह धूपा॥

सोमनाथ ध्यान धरत निशिदिन। जान सदा तेरी महिमा वदन॥

८ कंचन थार कपूर की बाती। हरिकर ध्यान धरत रघुराती॥

हर हर शम्भु जय अंबिके देवी। जय गोरी शिव मुनि मन बेवी॥

९ नाथ ध्यान धरि ध्यान लगावत। जो यह चालीसा गावे॥

सकल मनोरथ फल पावे॥

लाभ

  1. शांति और मानसिक संतुलन: नवदुर्गा चालीसा का पाठ करने से मन में शांति और स्थिरता आती है।
  2. आध्यात्मिक प्रगति: यह आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वालों के लिए लाभदायक होता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: इससे स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: नवदुर्गा चालीसा पढ़ने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. धन-संपत्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
  6. संकटों से मुक्ति: जीवन के संकटों और समस्याओं का समाधान होता है।
  7. संतान सुख: जिन लोगों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही, उनके लिए यह लाभदायक है।
  8. दांपत्य जीवन में सुख: वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  9. भय का नाश: सभी प्रकार के भय और अज्ञानता का नाश होता है।
  10. शत्रुओं का नाश: दुश्मनों और विरोधियों से रक्षा होती है।
  11. ईश्वरीय कृपा: माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
  12. धार्मिक लाभ: धर्म-कर्म में रुचि बढ़ती है।
  13. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
  14. मुक्ति का मार्ग: मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  15. शक्ति और साहस: मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  16. धैर्य और सहनशीलता: जीवन में धैर्य और सहनशीलता आती है।
  17. विद्या और ज्ञान: ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है।
  18. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
  19. कर्मों का फल: अच्छे कर्मों का फल शीघ्र ही प्राप्त होता है।
  20. सकारात्मक दृष्टिकोण: जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।

विधि

  1. साफ-सफाई: पाठ करने से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
  2. पूजा स्थान: एक शांत और साफ स्थान पर माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. प्रारंभिक मंत्र: नवदुर्गा चालीसा पाठ शुरू करने से पहले गणेश वंदना और दुर्गा चालीसा का संक्षिप्त पाठ करें।
  4. दीप प्रज्वलन: दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाएं।
  5. आसन: स्वच्छ आसन पर बैठकर पाठ करें।
  6. जल और पुष्प: एक लोटा जल और पुष्प माँ दुर्गा के चरणों में अर्पित करें।
  7. संकल्प: एक छोटा संकल्प लें कि आप यह पाठ किस उद्देश्य से कर रहे हैं।
  8. पाठ: पूरे मनोयोग से नवदुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  9. आरती: पाठ समाप्त होने के बाद दुर्गा आरती करें।
  10. प्रसाद: अंत में सभी को प्रसाद वितरित करें।

दिन, अवधि और मुहुर्थ

  • दिन: किसी भी दिन नवदुर्गा चालीसा का पाठ किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शुक्रवार को करना अधिक शुभ माना जाता है।
  • अवधि: नवरात्रि के नौ दिनों में प्रतिदिन पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।
  • मुहुर्थ: ब्रह्म मुहुर्त (सुबह 4-6 बजे) में पाठ करना सबसे अच्छा माना जाता है। इसके अलावा, संध्या समय (शाम 6-8 बजे) में भी पाठ किया जा सकता है।

नियम

  1. शुद्धता: शरीर, मन और वाणी की शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. संकल्प: बिना किसी विक्षेप के पाठ करें।
  3. समय: नियमित समय पर पाठ करें।
  4. आसन: एक निश्चित स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  5. भक्ति: पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करें।
  6. नियमितता: नियमित रूप से पाठ करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  7. प्रसाद: पाठ के बाद प्रसाद का वितरण अवश्य करें।

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नवदुर्गा चालीसा पाठ सावधानियां

  1. ध्यान: पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें और इधर-उधर की बातें न सोचें।
  2. स्थिरता: एक ही स्थान पर बैठकर पाठ करें, बार-बार उठना नहीं चाहिए।
  3. समय: नियमित समय पर पाठ करें, समय का उल्लंघन न करें।
  4. श्रद्धा: पाठ करते समय माँ दुर्गा के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।
  5. साफ-सफाई: पाठ करने के स्थान को साफ और पवित्र रखें।
  6. साधना: अन्य किसी साधना में विघ्न न डालें।
  7. ध्यान: पाठ करते समय ध्यान और प्राणायाम का भी अभ्यास करें।
  8. धूम्रपान: पाठ के दौरान धूम्रपान, शराब आदि का सेवन न करें।
  9. वाणी: अपशब्दों का प्रयोग न करें।
  10. सात्विक आहार: सात्विक भोजन का सेवन करें।

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नवदुर्गा चालीसा पाठ- सामान्य प्रश्न

  1. नवदुर्गा चालीसा क्या है?
    नवदुर्गा चालीसा माँ दुर्गा के नौ रूपों की स्तुति और महिमा का वर्णन करने वाला भक्ति पाठ है।
  2. नवदुर्गा चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शुक्रवार को करना शुभ माना जाता है।
  3. नवदुर्गा चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए?
    शुद्धता और श्रद्धा के साथ, नियमित समय पर, साफ-सुथरे स्थान पर, संकल्प लेकर पाठ करें।
  4. नवदुर्गा चालीसा के पाठ से क्या लाभ होते हैं?
    मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, आर्थिक समृद्धि, संतान सुख, भय का नाश आदि अनेक लाभ होते हैं।
  5. क्या नवदुर्गा चालीसा का पाठ नवरात्रि में ही करना चाहिए?
    नहीं, नवदुर्गा चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि में इसका विशेष महत्व होता है।
  6. नवदुर्गा के नौ रूप कौन-कौन से हैं?
    शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री।
  7. नवदुर्गा चालीसा पाठ का समय क्या होना चाहिए?
    ब्रह्म मुहुर्त (सुबह 4-6 बजे) और संध्या समय (शाम 6-8 बजे) में पाठ करना सबसे अच्छा माना जाता है।
  8. क्या नवदुर्गा चालीसा का पाठ एक बार में ही करना चाहिए?
    हां, पाठ को बिना किसी बाधा के एक बार में पूरा करना चाहिए।
  9. क्या नवदुर्गा चालीसा का पाठ करते समय कोई विशेष विधि होती है?
    हां, साफ-सफाई, दीप प्रज्वलन, जल और पुष्प अर्पित करना आदि शामिल हैं।
  10. क्या नवदुर्गा चालीसा का पाठ करने से सभी समस्याओं का समाधान होता है?
  11. हां, नवदुर्गा चालीसा का पाठ करने से जीवन के अनेक संकटों और समस्याओं का समाधान होता है।

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