मनोकामना पूरी करने वाला बजरंग बाण एक पवित्र और शक्तिशाली भक्ति स्तोत्र है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। इसे विशेष रूप से संकटों और विपत्तियों से मुक्ति पाने के लिए पढ़ा जाता है। बजरंग बाण के पठन से भक्तों को आंतरिक शांति, सुरक्षा और साहस मिलता है। यह स्तोत्र भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अद्वितीय माना जाता है।
संपूर्ण बजरंग बाण
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीतहि ते, विनय करे सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करे हनुमान।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकन्दन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
असबर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जै जै जै हनुमान गोसाई।
कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥
जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
दोहा
लंक विध्वंस रावण कंठी, विदित जगत बिधाता।
तुम्हरे ताणे रहत सहाय, सदा हरिवंश विधाता॥
मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी॥
अंजनी सूत असीम हितकारी।
हिंडोलित जय सिया बलिहारी॥
बजरंगी सुनो सिय पिय प्यारे।
सिंहासनि एक लोक पुरंदरे॥
अद्भुत रूप भाल बाले।
सुवन होय सब कार्य सिद्ध बाले॥
बजरंगी सुनो राम रतन।
राम कहैं तुम श्रुतमणि धन॥
अचल अडिग अतुलित बल धामा।
तुम्हरी शरण पयोधि रनधामा॥
राम द्वार ध्वज ऊपर गाड़ा।
सुमिरो तुम्हहि सकल दुख हारा॥
राम-राम जय राम मुरारी।
तुम सम बलवान राम दुहारी॥
ब्रह्मा विष्णु शिव पार ना पावैं।
नारद सारद सदा सुहावैं॥
कहां विधि धरि व्यथा बखानी।
सुमिरो तुम्हहि सकल गुण खानी॥
तुम हो सकल सुख करि साधक।
मनोकामना सिद्ध प्रदायक॥
दोहा
अंजनी ललन शंकर सुवन।
वायु जाति अति बलवन्त॥
महाबीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुण्डल कंचन केसा॥
हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै।
काँधे मूंज जनेउ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥
विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो यश गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
यम कुबेर दिगपाल जहांते।
कवि कोविद कहि सके कहांते॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहे तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥
भूत पिशाच निकट नहीं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावैं।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावैं॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
असबर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जै जै जै हनुमान गोसाई।
कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥
जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
लाभ
- संकटों से मुक्ति: बजरंग बाण का नियमित पठन जीवन के सभी संकटों को दूर करता है।
- आध्यात्मिक शांति: भगवान हनुमान की कृपा से मन को शांति और संतुलन मिलता है।
- साहस और बल: यह स्तोत्र मानसिक और शारीरिक साहस प्रदान करता है।
- धार्मिकता की वृद्धि: भक्त की धार्मिकता और भक्ति बढ़ती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: जीवन में आने वाले कठिनाईयों से निपटने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
- नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा: नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।
- धन और समृद्धि: आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
- परिवारिक सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बना रहता है।
- दुष्टों का नाश: बुरी शक्तियों और दुश्मनों का नाश होता है।
- प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है।
- कार्यक्षेत्र में सफलता: व्यवसाय और नौकरी में सफलता मिलती है।
- भयमुक्त जीवन: जीवन में किसी भी प्रकार के भय का नाश होता है।
- विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक उन्नति होती है।
- पारिवारिक विवादों का नाश: परिवार में होने वाले विवाद समाप्त होते हैं।
- मानसिक तनाव से मुक्ति: मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।
- रोगों का नाश: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
- सर्वांगीण विकास: जीवन के हर क्षेत्र में सर्वांगीण विकास होता है।
विधि
- दिन: मंगलवार और शनिवार भगवान हनुमान के लिए विशेष माने जाते हैं। इन दिनों में बजरंग बाण का पाठ करना शुभ होता है।
- अवधि: बजरंग बाण का नियमित पठन एक महीने तक करना चाहिए। कुछ लोग इसे 21 दिनों तक भी करते हैं।
- मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और शाम को सूर्यास्त के समय पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
- स्नान और शुद्धि: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- धूप और दीपक: भगवान हनुमान की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाएं।
- प्रसाद: पाठ के बाद भगवान हनुमान को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें।
नियम
- स्वच्छता: पाठ करने से पहले शरीर और स्थान की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
- शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और पवित्र रखें।
- संकल्प: बजरंग बाण का पाठ करने से पहले एक संकल्प लें।
- ध्यान: भगवान हनुमान के ध्यान में पूरी तरह लीन होकर पाठ करें।
- व्रत: मंगलवार और शनिवार को व्रत रखें तो और भी शुभ फल मिलता है।
- नियमितता: एक बार पाठ शुरू करने के बाद इसे नियमित रूप से समाप्त करें।
- सात्विक आहार: सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक आहार से बचें।
- भक्तिपूर्ण हृदय: भगवान हनुमान के प्रति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा रखें।
- समय: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।
- विनम्रता: भगवान हनुमान से विनम्रता और प्रेमपूर्वक प्रार्थना करें।
बजरंग बाण पढ़ते समय सावधानियाँ
- अव्यवधानता: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो।
- अपवित्रता: पाठ करने वाले का मन और शरीर अपवित्र न हो।
- ध्यान की कमी: ध्यान की कमी न हो, पूरे मनोयोग से पाठ करें।
- गलत उच्चारण: श्लोकों का गलत उच्चारण न करें।
- आलस्य: आलस्य और उदासीनता से बचें।
- द्वेष भावना: मन में किसी के प्रति द्वेष भावना न रखें।
- शोर-शराबा: पाठ करते समय शोर-शराबा न हो।
- तामसिक वस्त्र: तामसिक वस्त्र न पहनें।
- अन्य कार्य: पाठ के समय अन्य कार्य न करें।
- समय की पाबंदी: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।
बजरंग बाण के पृश्न उत्तर
- बजरंग बाण क्या है?
बजरंग बाण भगवान हनुमान का एक स्तोत्र है जो संकटों और विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है। - बजरंग बाण का पठन कब करना चाहिए?
मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से पठन करना शुभ माना जाता है। - क्या बजरंग बाण का पठन किसी भी समय किया जा सकता है?
हां, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त और सूर्यास्त के समय इसका पठन अधिक शुभ माना जाता है। - क्या बजरंग बाण का पाठ करने से सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं?
हां, इसे भक्तिपूर्वक करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। - बजरंग बाण का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
इसे 21 दिनों या एक महीने तक नियमित रूप से करना चाहिए। - क्या बजरंग बाण का पाठ करने से धन-संपत्ति मिल सकती है?
हां, भगवान हनुमान की कृपा से आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है। - क्या बजरंग बाण का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
हां, यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है। - बजरंग बाण का पाठ कैसे शुरू करें?
स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें, और भगवान हनुमान की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाकर पाठ शुरू करें। - क्या बजरंग बाण का पाठ करते समय व्रत रखना आवश्यक है?
व्रत रखना आवश्यक नहीं है, लेकिन इससे और अधिक शुभ फल मिलता है। - क्या बजरंग बाण का पाठ करते समय कोई विशेष दिशा में बैठना चाहिए?
उत्तर या पूर्व दिशा में बैठना शुभ माना जाता है। - क्या बजरंग बाण का पाठ समूह में किया जा सकता है?
हां, इसे समूह में भी किया जा सकता है। - क्या बजरंग बाण का पाठ करने से भय दूर होता है?
हां, यह भय और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति दिलाता है।