Batuk Bhairav Kavach- Wealth Blessing Protection

Batuk Bhairav Kavach- Wealth Blessing Protection

बटुक भैरव कवच – शत्रुओं से सुरक्षा का प्रभावी उपाय

बटुक भैरव कवचम्, माता दुर्गा के आशिर्वाद के साथ हर तरह की सुरक्षा प्रदान करता है। ये भगवान शिव के उग्र रूप भैरव के सौम्य रूप माने जाते हैं। बटुक भैरव कवचम् व्यक्ति को शत्रु बाधा, बुरी नजर, और तंत्र-मंत्र दोषों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह कवच जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और उन्नति के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। इसके नियमित पाठ से साधक को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।

संपूर्ण बटुक भैरव कवचम् व उसका अर्थ

कवचम्:

ॐ ह्लीं बटुकाय महाक्रूरीं बटुकाय ह्लीं फट्
ॐ बटुक भैरवाय सर्वरोग निवारणाय सर्वशत्रु विनाशाय सर्वकार्य सिद्धये फट्
ॐ सर्वसिद्धि कुर्वणाय महादेवाय ह्लीं बटुकाय फट्
ॐ बटुक भैरवाय सर्वपाप निवारणाय सर्वसिद्धि प्रदाय फट्

अर्थ:

ॐ ह्लीं बटुकाय महाक्रूरीं बटुकाय ह्लीं फट्

    • : सम्पूर्ण ब्रह्मांड की सर्वशक्तिमान ऊर्जा।
    • ह्लीं: समृद्धि और शक्ति का बीज मंत्र।
    • बटुकाय: बटुक भैरव को संबोधित करता है, जो संकटों से मुक्ति देने वाले हैं।
    • महाक्रूरीं: महान और शक्तिशाली, जो सभी संकटों और बाधाओं को दूर करते हैं।
    • फट्: तत्काल प्रभाव और शक्ति का सूचक।

    ॐ बटुक भैरवाय सर्वरोग निवारणाय सर्वशत्रु विनाशाय सर्वकार्य सिद्धये फट्

      • : दिव्य ऊर्जा और शक्ति।
      • बटुक भैरवाय: बटुक भैरव को निवेदन।
      • सर्वरोग निवारणाय: सभी प्रकार के रोगों से छुटकारा।
      • सर्वशत्रु विनाशाय: सभी शत्रुओं का नाश करने के लिए।
      • सर्वकार्य सिद्धये: सभी कार्यों में सफलता और पूर्णता।
      • फट् : मंत्र की शक्ति और पूर्णता को मान्यता देने का संकेत।

      ॐ सर्वसिद्धि कुर्वणाय महादेवाय ह्लीं बटुकाय फट्

        • : सर्वशक्तिमान दिव्य शक्ति।
        • सर्वसिद्धि कुर्वणाय: सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए।
        • महादेवाय: महादेव को संबोधित करता है।
        • ह्लीं: समृद्धि और सफलता का बीज मंत्र।
        • बटुकाय: बटुक भैरव को संबोधित।
        • फट् : पूर्णता और सम्मान का संकेत।

        ॐ बटुक भैरवाय सर्वपाप निवारणाय सर्वसिद्धि प्रदाय फट्

          • : दिव्य शक्ति और ऊर्जा।
          • बटुक भैरवाय: बटुक भैरव को निवेदन।
          • सर्वपाप निवारणाय: सभी पापों से मुक्ति के लिए।
          • सर्वसिद्धि प्रदाय: सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने के लिए।
          • फट् : मंत्र को पूर्णता और सम्मान देने का संकेत।

          यह कवच स्तोत्र बटुक भैरव की कृपा और शक्तियों को प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह साधक को सभी प्रकार की बाधाओं, पापों, और रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है और सभी कार्यों की सिद्धि को सुनिश्चित करता है।

          बटुक भैरव कवचम् के लाभ

          1. शत्रु बाधा से सुरक्षा
          2. तंत्र-मंत्र से बचाव
          3. बुरी नजर से रक्षा
          4. व्यापार में उन्नति
          5. मानसिक शांति की प्राप्ति
          6. शारीरिक रोगों से मुक्ति
          7. अदृश्य शक्तियों से सुरक्षा
          8. भय से मुक्ति
          9. दुर्घटना से बचाव
          10. कानूनी मामलों में सफलता
          11. परिवार में सुख-शांति
          12. कर्ज से छुटकारा
          13. रोजगार में वृद्धि
          14. साधना में सफलता
          15. आत्मबल की वृद्धि
          16. आध्यात्मिक उन्नति
          17. आर्थिक लाभ

          बटुक भैरव कवच का पाठ किसको करना चाहिए

          इस कवच का पाठ वह कर सकता है जो जीवन में बाधाओं, शत्रुओं, और मानसिक अशांति का सामना कर रहा हो। यह कवच विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो तंत्र-मंत्र से प्रभावित हैं, व्यापार में समस्याएं झेल रहे हैं, या किसी शत्रु से परेशान हैं। साधक को एकाग्र मन और श्रद्धा के साथ पाठ करना चाहिए।

          विधि

          बटुक भैरव कवच का पाठ मंगलवार, शनिवार, या किसी भी भैरव अष्टमी के दिन शुरू करें। यह पाठ 41 दिनों तक लगातार किया जाना चाहिए। जप का मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त या रात्रि 10 बजे के बाद का समय सबसे उपयुक्त होता है। साधक को हर दिन एक निश्चित समय पर पाठ करना चाहिए, और पाठ के दौरान पूर्ण शुद्धता और ध्यान रखना चाहिए।

          बटुक भैरव कवचम् नियम

          1. साधना और पूजा को हमेशा गुप्त रखें।
          2. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
          3. मांसाहार, मद्यपान, और धूम्रपान से बचें।
          4. पाठ के दौरान लाल वस्त्र धारण करें।
          5. साधना के दौरान नीले या काले वस्त्र न पहनें।
          6. तामसिक आचरण से दूर रहें।
          7. शुद्ध स्थान और सामग्री का प्रयोग करें।

          Know more about Batuk bhairav mantra

          बटुक भैरव कवचम् सावधानी

          1. कवच का पाठ करते समय साधक को पूर्ण शुद्धता रखनी चाहिए।
          2. मानसिक और शारीरिक स्थिरता बनाए रखें।
          3. तामसिक विचारों और क्रोध से बचें।
          4. कवच का उपयोग कभी भी बुरे उद्देश्यों के लिए न करें।
          5. साधना के दौरान ध्यान रखें कि आसपास कोई अशुद्धता न हो।
          6. पाठ के दौरान मंत्र उच्चारण में कोई गलती न करें।

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          बटुक भैरव कवच प्रश्नोत्तर

          प्रश्न 1: बटुक भैरव कवच किसके लिए उपयोगी है?
          उत्तर: यह कवच शत्रु बाधा, तंत्र दोष, और जीवन में सफलता पाने के लिए उपयोगी है।

          प्रश्न 2: कवच पाठ का उचित समय क्या है?
          उत्तर: कवच का पाठ ब्रह्म मुहूर्त में या रात 10 बजे के बाद करना चाहिए।

          प्रश्न 3: कितने दिन तक बटुक भैरव कवच का पाठ करना चाहिए?
          उत्तर: यह कवच 41 दिनों तक नियमित रूप से जपना चाहिए।

          प्रश्न 4: क्या विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?
          उत्तर: पाठ के दौरान लाल वस्त्र पहनना चाहिए और नीले-काले वस्त्र से बचना चाहिए।

          प्रश्न 5: क्या तामसिक भोजन और व्यवहार से बचना चाहिए?
          उत्तर: हां, तामसिक भोजन, मद्यपान, और धूम्रपान से दूर रहना चाहिए।

          प्रश्न 6: क्या साधना को गुप्त रखना आवश्यक है?
          उत्तर: हां, साधना और पूजा को गुप्त रखना अत्यंत आवश्यक है।

          प्रश्न 7: बटुक भैरव कवच के मुख्य लाभ क्या हैं?
          उत्तर: शत्रु बाधा, तंत्र दोष, कर्ज से मुक्ति, और व्यापार में उन्नति इसके मुख्य लाभ हैं।

          प्रश्न 8: क्या इस कवच से रोगों से मुक्ति मिल सकती है?
          उत्तर: हां, बटुक भैरव कवच रोग निवारण में अत्यधिक प्रभावी है।

          प्रश्न 9: क्या इस कवच से परिवार में सुख-शांति आती है?
          उत्तर: हां, कवच के नियमित पाठ से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

          प्रश्न 10: क्या इस कवच का पाठ कानूनी मामलों में मदद कर सकता है?
          उत्तर: हां, कवच का पाठ कानूनी मामलों में सफलता दिलाने में सहायक है।

          प्रश्न 11: क्या साधक को पाठ के दौरान किसी विशेष सामग्री का प्रयोग करना चाहिए?
          उत्तर: हां, लाल चंदन, रक्तवर्ण पुष्प, और तांबे के पात्र का प्रयोग करना चाहिए।

          प्रश्न 12: बटुक भैरव कवच का पाठ किस दिन से शुरू करना चाहिए?
          उत्तर: मंगलवार, शनिवार या भैरव अष्टमी के दिन से कवच का पाठ शुरू करना चाहिए।