भाद्रपद पूर्णिमा व्रत: 17.09.2024
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। इस व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। इसे करने से व्यक्ति के सभी दुख-दर्द समाप्त होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह व्रत जीवन में शांति, सौभाग्य, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है।
व्रत विधि मंत्र के साथ
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत की शुरुआत प्रातःकाल स्नान करके करें। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं। उन्हें फूल, फल, दीप, धूप, और तुलसी दल अर्पित करें। व्रत का संकल्प लें और “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करें। दिनभर उपवास रखें और भगवान विष्णु की कथा सुनें। रात्रि में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें। अगले दिन ब्राह्मण भोजन कराकर व्रत का पारण करें।
व्रत किस दिन आता है
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि को आता है। यह व्रत चंद्र कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह दिन पवित्रता और धर्म का प्रतीक है।
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं
व्रत के दौरान केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें। फल, दूध, मखाना, साबूदाना, और सूखे मेवे खा सकते हैं। तामसिक भोजन जैसे मांस, प्याज, लहसुन, और अनाज से परहेज करें। व्रत में केवल एक बार भोजन करें और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
व्रत कब से कब तक रखें
व्रत की शुरुआत पूर्णिमा तिथि के सूर्योदय से होती है और अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। इस व्रत में दिनभर उपवास रखें और रात्रि में जागरण करें। अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दान देकर व्रत का समापन करें। व्रत का पालन श्रद्धा और भक्ति से करना चाहिए।
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत व्रत के लाभ
- भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
- जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
- व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है।
- रोग, शोक, और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- पारिवारिक जीवन में शांति और प्रेम बढ़ता है।
- आर्थिक तंगी और ऋणों से मुक्ति मिलती है।
- मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
- पितृ दोष का नाश होता है।
- व्रत से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- मानसिक शांति और धैर्य की वृद्धि होती है।
- कठिनाईयों से उबरने की शक्ति मिलती है।
- भगवान विष्णु की अनंत कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत के नियम
- व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- तामसिक भोजन और अनैतिक कार्यों से दूर रहें।
- दिनभर उपवास और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- व्रत के दौरान झूठ और चोरी से बचें।
- रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन करें।
- व्रत के दिन ब्राह्मण भोजन कराकर दान दें।
- मन, वचन, और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
- व्रत का पालन पूरे श्रद्धा और समर्पण से करें।
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत संपूर्ण कथा
एक समय की बात है, महर्षि गौतम के आश्रम में एक निर्धन ब्राह्मण रहता था। वह अत्यंत धार्मिक और भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। उसने निर्धनता और दुखों से त्रस्त होकर महर्षि गौतम से अपने दुखों के निवारण का उपाय पूछा। महर्षि गौतम ने उसे भाद्रपद पूर्णिमा व्रत करने की सलाह दी।
ब्राह्मण ने विधिपूर्वक भाद्रपद पूर्णिमा व्रत किया और भगवान विष्णु की पूजा की। व्रत के प्रभाव से उसके सभी कष्ट दूर हो गए और उसे धन-धान्य की प्राप्ति हुई। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद दिया और उसके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन हुआ। इस व्रत से यह संदेश मिलता है कि सच्चे हृदय से किया गया व्रत सभी दुखों का नाश करता है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत का भोग
व्रत के दिन भगवान विष्णु को फल, दूध, मिठाई, पंचामृत, और तुलसी दल का भोग लगाएं। बिना तुलसी के भोग को अपूर्ण माना जाता है। भगवान को अर्पित किए गए भोग को व्रत के बाद प्रसाद रूप में ग्रहण करें। भोग में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
व्रत के दौरान सावधानियां
- व्रत के दिन क्रोध, लोभ, और अहंकार से बचें।
- अनैतिक गतिविधियों और बुरे विचारों से दूर रहें।
- तामसिक आहार का सेवन न करें।
- शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
- व्रत के दौरान गरीबों और जरुरतमंदों की सहायता करें।
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत संबंधित प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: क्या भाद्रपद पूर्णिमा व्रत सभी कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, भाद्रपद पूर्णिमा व्रत सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं। यह व्रत विशेष रूप से पितृ दोष निवारण के लिए फलदायी है।
प्रश्न 2: व्रत के दौरान किन चीजों से परहेज करना चाहिए?
उत्तर: व्रत के दौरान तामसिक भोजन, शराब, मांसाहार, और किसी भी प्रकार की अनैतिक गतिविधियों से दूर रहना चाहिए।
प्रश्न 3: भाद्रपद पूर्णिमा व्रत का भोग क्या लगाएं?
उत्तर: भगवान विष्णु को फल, दूध, मिठाई, पंचामृत, और तुलसी पत्र का भोग अर्पित करें।
प्रश्न 4: भाद्रपद पूर्णिमा व्रत के लाभ क्या हैं?
उत्तर: व्रत करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, पितृ दोष का नाश होता है, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 5: भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत क्यों करना चाहिए?
उत्तर: इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
प्रश्न 6: क्या इस व्रत में उपवास आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, इस व्रत में दिनभर उपवास रखना आवश्यक है और केवल फलाहार करना चाहिए।
प्रश्न 7: क्या व्रत के दिन यात्रा करना ठीक है?
उत्तर: व्रत के दिन यात्रा से बचना चाहिए और पूरा दिन भगवान की भक्ति में व्यतीत करना चाहिए।
प्रश्न 8: व्रत के दौरान कौन से मंत्र का जाप करें?
उत्तर: “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करना चाहिए और भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए।
प्रश्न 9: क्या व्रत के दिन किसी प्रकार का दान आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, व्रत के दिन ब्राह्मण भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्रश्न 10: व्रत का पारण कब करना चाहिए?
उत्तर: व्रत का पारण द्वितीया तिथि के सूर्योदय के बाद करना चाहिए और ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए।
प्रश्न 11: व्रत के दिन पूजा का सही समय क्या है?
उत्तर: पूजा का सही समय प्रातःकाल का होता है। भगवान विष्णु की पूजा सूर्योदय से पहले करनी चाहिए।
प्रश्न 12: व्रत के दौरान क्या ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: व्रत के दौरान मन को शांत रखें, भगवान का ध्यान करें, और सद्विचारों को अपनाएं।