दुर्गा अष्टमी (शरद नवरात्रि) – शुक्रवार 11.09.2024
दुर्गा अष्टमी व्रत, जिसे महाअष्टमी व्रत भी कहते हैं, शरद नवरात्रि का आठवां दिन होता है। यह दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप, महागौरी, की उपासना के लिए समर्पित है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसे अष्टमी के रूप में देवी की शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। दुर्गा अष्टमी पर भक्त मां दुर्गा की आराधना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह व्रत जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाता है और सभी कष्टों का नाश करता है।
घट स्थापना व संपूर्ण विधि मंत्र के साथ
दुर्गा अष्टमी के दिन घट स्थापना करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। घट स्थापना मुहूर्त प्रातःकाल का होता है, विशेष रूप से शुभ चौघड़िया में। घट स्थापना के लिए सबसे पहले एक साफ जगह पर लाल कपड़ा बिछाएं। एक मिट्टी के बर्तन में मिट्टी और सात प्रकार के अनाज बोएं। इस बर्तन में जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर नारियल, आम के पत्ते और लाल वस्त्र अर्पित करें। घट स्थापना के समय “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे” मंत्र का जाप करें।
व्रत किस दिन आता है
दुर्गा अष्टमी व्रत शरद नवरात्रि के आठवें दिन मनाया जाता है। यह दिन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसे देवी दुर्गा की पूजा और कन्या पूजन के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप, महागौरी की उपासना की जाती है।
दुर्गा अष्टमी व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं
व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें। फल, दूध, मखाना, साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, और सूखे मेवे खा सकते हैं। तामसिक भोजन, जैसे प्याज, लहसुन, मांस, और अन्न से परहेज करें। उपवास के दिन केवल एक बार भोजन करें और मां दुर्गा की आराधना करें। व्रत के दौरान जल का सेवन पर्याप्त मात्रा में करें।
दुर्गा अष्टमी व्रत कब से कब तक रखें
दुर्गा अष्टमी व्रत अष्टमी तिथि के सूर्योदय से लेकर अगले दिन नवमी तिथि तक रखा जाता है। इस दिन उपवास रखने के बाद कन्या पूजन और हवन का आयोजन करें। व्रत का पारण नवमी तिथि को कन्या पूजन और भोजन कराने के बाद करें। व्रत का पालन श्रद्धा और समर्पण के साथ करना चाहिए।
दुर्गा अष्टमी व्रत के लाभ
- मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
- जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
- सभी प्रकार के दुखों और कष्टों का नाश होता है।
- शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- मानसिक शांति और आत्मबल की वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- धन-संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- परिवार में शांति और प्रेम का वास होता है।
- व्रत करने से पापों का नाश होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
- संतान सुख और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- देवी की अनंत कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
व्रत के नियम
- व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- तामसिक भोजन और अनैतिक कार्यों से दूर रहें।
- दिनभर उपवास और मां दुर्गा की पूजा करें।
- व्रत के दौरान झूठ और चोरी से बचें।
- रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन करें।
- व्रत के दिन कन्या पूजन और भोजन कराएं।
- मन, वचन, और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
- व्रत का पालन पूरे श्रद्धा और समर्पण से करें।
दुर्गा अष्टमी व्रत संपूर्ण कथा
प्राचीन समय की बात है, एक बार धरती पर असुरों का आतंक बढ़ गया। असुरों के राजा महिषासुर ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के पास गए और उन्हें अपनी व्यथा सुनाई। तब तीनों देवताओं ने अपनी शक्तियों से देवी दुर्गा का आवाहन किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध किया और अष्टमी के दिन उसका वध किया।
महिषासुर का वध कर देवी ने सभी देवताओं को स्वर्ग पुनः प्राप्त कराया। इसी दिन को महाअष्टमी के रूप में मनाया जाता है। देवी दुर्गा ने अष्टमी के दिन अपने आठवें स्वरूप, महागौरी के रूप में प्रकट होकर भक्तों की सभी समस्याओं का समाधान किया। तभी से अष्टमी व्रत का महत्व बढ़ गया और इसे मां दुर्गा की आराधना के रूप में मनाया जाने लगा।
दुर्गा अष्टमी व्रत का भोग
व्रत के दिन मां दुर्गा को फल, मिठाई, हलवा, पूरी, चना, और पंचामृत का भोग लगाएं। भोग में विशेष रूप से नारियल, केला, और मिष्ठान्न का प्रयोग करें। मां को अर्पित किए गए भोग को व्रत के बाद प्रसाद रूप में ग्रहण करें। भोग में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
Goddess Durga kavach path mantra
व्रत के दौरान सावधानियां
- व्रत के दिन क्रोध, लोभ, और अहंकार से बचें।
- अनैतिक गतिविधियों और बुरे विचारों से दूर रहें।
- तामसिक आहार का सेवन न करें।
- शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
- व्रत के दौरान गरीबों और जरुरतमंदों की सहायता करें।
दुर्गा अष्टमी व्रत संबंधित प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: क्या दुर्गा अष्टमी व्रत सभी कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, दुर्गा अष्टमी व्रत सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं। यह व्रत विशेष रूप से भक्तों के लिए फलदायी है।
प्रश्न 2: व्रत के दौरान किन चीजों से परहेज करना चाहिए?
उत्तर: व्रत के दौरान तामसिक भोजन, शराब, मांसाहार, और किसी भी प्रकार की अनैतिक गतिविधियों से दूर रहना चाहिए।
प्रश्न 3: दुर्गा अष्टमी व्रत का भोग क्या लगाएं?
उत्तर: मां दुर्गा को फल, मिठाई, हलवा, पूरी, और पंचामृत का भोग अर्पित करें।
प्रश्न 4: दुर्गा अष्टमी व्रत के लाभ क्या हैं?
उत्तर: व्रत करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, शत्रुओं पर विजय मिलती है, और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
प्रश्न 5: दुर्गा अष्टमी का व्रत क्यों करना चाहिए?
उत्तर: इस व्रत को करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
प्रश्न 6: क्या इस व्रत में उपवास आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, इस व्रत में दिनभर उपवास रखना आवश्यक है और केवल फलाहार करना चाहिए।
प्रश्न 7: क्या व्रत के दिन यात्रा करना ठीक है?
उत्तर: व्रत के दिन यात्रा से बचना चाहिए और पूरा दिन मां दुर्गा की भक्ति में व्यतीत करना चाहिए।
प्रश्न 8: व्रत के दौरान कौन से मंत्र का जाप करें?
उत्तर: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे” मंत्र का जाप करना चाहिए और मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।
प्रश्न 9: क्या व्रत के दिन किसी प्रकार का दान आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, व्रत के दिन कन्या पूजन कराकर और ब्राह्मण भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्रश्न 10: व्रत का पारण कब करना चाहिए?
उत्तर: व्रत का पारण नवमी तिथि के सूर्योदय के बाद कन्या पूजन और ब्राह्मण भोजन कराने के बाद करें।
प्रश्न 11: व्रत के दिन पूजा का सही समय क्या है?
उत्तर: पूजा का सही समय प्रातःकाल का होता है। मां दुर्गा की पूजा सूर्योदय से पहले करनी चाहिए।
प्रश्न 12: व्रत के दौरान क्या ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: व्रत के दौरान मन को शांत रखें, मां का ध्यान करें, और सद्विचारों को अपनाएं।