भगवती कवचम् पाठ् सुख समृद्धि व मनोकामना पूर्ति के लिये
भगवती कवचम् पाठ एक शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है जो देवी दुर्गा की आराधना में समर्पित है। यह कवच भक्तों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें देवी के विभिन्न रूपों की स्तुति की जाती है, जिससे साधक को अपने जीवन में शक्ति, साहस, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
संपूर्ण पाठ
भगवती कवचम् संस्कृत भाषा में लिखा गया है और इसमें देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से साधक को अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ संपूर्ण भगवती कवचम् का पाठ प्रस्तुत है:
ॐ अस्य श्री भगवती कवचस्तोत्रमन्त्रस्य,
शङ्कर ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः,
भगवती देवता, श्री भगवती प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।
ध्यानम्:
ध्यायेत्तु देवि दानवदेहदहनं,
कनकं काञ्चनाभां,
गाढाङ्गं गृह्णतीं धनुःशरशतं,
शंखं च क्रमांतिकाम्।
यां दृष्ट्वा दनुजाः पलायनपराः,
सङ्क्रुद्धया सञ्जिताः,
तेषां स्मरणमात्रवशगाः,
पादाः प्रणम्याः सदा॥
कवचम्:
ॐ नमः शिवायै सदा,
मस्तकं रक्षतु मे भवानी,
ललाटे त्रिपुरारिप्रिया,
नेत्रे चिन्तामणिप्रदा।
कर्णे कात्यायनी रक्षेत,
नासायां पार्वती सदा,
मुखे मे ब्रह्मणि रक्षेत,
जिह्वायां सर्वमङ्गला।
कण्ठे चण्डिकां रक्षेत,
हृदये कालिकां सदा,
नाभौ च कामिनी रक्षेत,
गुह्ये रक्षेतु वैष्णवी।
कात्यायनी महादेवी,
जङ्घायां सर्वमङ्गला,
पादौ मे वसुन्धरा,
सर्वाङ्गे रक्षतु चामुण्डा।
भगवती कवचम् का अर्थ
अर्थ: पैरों की वसुन्धरा देवी रक्षा करें और पूरे शरीर की चामुण्डा देवी रक्षा करें।
ॐ नमः शिवायै सदा, मस्तकं रक्षतु मे भवानी:
अर्थ: शिव की प्रिया भवानी सदैव मेरे मस्तक की रक्षा करें।
ललाटे त्रिपुरारिप्रिया, नेत्रे चिन्तामणिप्रदा:
अर्थ: ललाट पर त्रिपुरारि (शिव) की प्रिया और नेत्रों में चिंतामणि प्रदान करने वाली देवी रक्षा करें।
कर्णे कात्यायनी रक्षेत, नासायां पार्वती सदा:
अर्थ: कानों की रक्षा कात्यायनी देवी करें और नासिका की पार्वती देवी सदैव रक्षा करें।
मुखे मे ब्रह्मणि रक्षेत, जिह्वायां सर्वमङ्गला:
अर्थ: मुख की ब्रह्मणि देवी रक्षा करें और जिह्वा की सर्वमंगल देवी सदैव रक्षा करें।
कण्ठे चण्डिकां रक्षेत, हृदये कालिकां सदा:
अर्थ: कण्ठ (गला) की चण्डिका देवी रक्षा करें और हृदय की कालिका देवी सदैव रक्षा करें।
नाभौ च कामिनी रक्षेत, गुह्ये रक्षेतु वैष्णवी:
अर्थ: नाभि की कामिनी देवी रक्षा करें और गुप्त अंगों की वैष्णवी देवी रक्षा करें।
कात्यायनी महादेवी, जङ्घायां सर्वमङ्गला:
अर्थ: जंघाओं की महादेवी कात्यायनी रक्षा करें और पैरों की सर्वमंगल देवी रक्षा करें।
पादौ मे वसुन्धरा, सर्वाङ्गे रक्षतु चामुण्डा:
अर्थ: पैरों की वसुन्धरा देवी रक्षा करें और पूरे शरीर की चामुण्डा देवी रक्षा करें।
लाभ
भगवती कवचम् का नियमित पाठ करने से साधक को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- भय से मुक्ति: सभी प्रकार के भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: शारीरिक रोगों और दुर्बलता से सुरक्षा मिलती है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता को दूर करता है।
- दुष्ट आत्माओं से सुरक्षा: नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
- शत्रुओं का नाश: शत्रुओं और विरोधियों से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक प्रगति होती है।
- सफलता प्राप्ति: जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
- धन और समृद्धि: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
- परिवार की सुरक्षा: परिवार के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: विद्यार्थियों को विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- मनोकामना पूर्ति: साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- शांति और सौहार्द: घर में शांति और सौहार्द का वातावरण बना रहता है।
- दुर्घटनाओं से सुरक्षा: दुर्घटनाओं और अनहोनी घटनाओं से रक्षा होती है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा: समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान की वृद्धि होती है।
- दिव्य दृष्टि: साधक को दिव्य दृष्टि और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति होती है।
भगवती कवचम् पाठ की विधि
दिन और अवधि
भगवती कवचम् का पाठ सोमवार या शुक्रवार से शुरू करना शुभ माना जाता है। इसे लगातार 41 दिन तक करना चाहिए। प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और एकांत में बैठकर भगवती कवचम् का पाठ करें।
मुहूर्त
भगवती कवचम् का पाठ करने के लिए प्रातःकाल 4 से 6 बजे का समय उत्तम माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण होता है।
नियम
- पूजा और साधना को गुप्त रखें: साधक को अपनी साधना को गुप्त रखना चाहिए। इसे किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए।
- नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करना आवश्यक है। बीच में कोई भी दिन छोड़ा नहीं जाना चाहिए।
- शुद्धता: पाठ से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
- संयम: साधना के दौरान साधक को संयमित जीवन शैली अपनानी चाहिए।
- भोजन: साधक को सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
- सकारात्मक सोच: साधक को सकारात्मक और शुद्ध विचारों को बनाए रखना चाहिए।
- एकाग्रता: पाठ के दौरान मन को एकाग्र और शांत रखें।
भगवती कवचम् पाठ के दौरान सावधानियां
- अनुशासन: साधना के दौरान किसी भी प्रकार का अनुशासनहीन व्यवहार न करें।
- ध्यान भंग न हो: पाठ के समय किसी भी प्रकार का ध्यान भंग न हो, इसके लिए एकांत स्थान का चयन करें।
- शुद्धता का पालन: शरीर, वस्त्र और स्थान की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
- धूप-दीप जलाना: पाठ के समय धूप-दीप जलाना चाहिए, जिससे वातावरण पवित्र और शुद्ध बना रहे।
- धैर्य: साधक को धैर्य रखना चाहिए और परिणाम की जल्दी न करें।
- समय का पालन: निश्चित समय पर ही पाठ करें, समय का पालन आवश्यक है।
- शुद्ध उच्चारण: मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करना चाहिए, किसी भी प्रकार की त्रुटि से बचें।
भगवती कवचम् पाठ: प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: भगवती कवचम् क्या है?
उत्तर: भगवती कवचम् देवी दुर्गा की आराधना में एक पवित्र स्तोत्र है जो साधक को सुरक्षा और शक्ति प्रदान करता है।
प्रश्न 2: भगवती कवचम् का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: भगवती कवचम् का पाठ सोमवार या शुक्रवार से शुरू करना शुभ होता है और इसे प्रातःकाल 4 से 6 बजे के बीच करना चाहिए।
प्रश्न 3: भगवती कवचम् पाठ की अवधि क्या होती है?
उत्तर: भगवती कवचम् पाठ की अवधि 41 दिन होती है।
प्रश्न 4: भगवती कवचम् के कितने लाभ हैं?
उत्तर: भगवती कवचम् के 15 प्रमुख लाभ हैं जैसे कि भय से मुक्ति, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति आदि।
प्रश्न 5: क्या भगवती कवचम् साधना को गुप्त रखना चाहिए?
उत्तर: हां, भगवती कवचम् साधना को गुप्त रखना चाहिए और इसे किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 6: भगवती कवचम् पाठ के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: भगवती कवचम् पाठ के दौरान अनुशासन, शुद्धता, धैर्य, और समय का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 7: क्या भगवती कवचम् का पाठ शत्रुओं से रक्षा करता है?
उत्तर: हां, भगवती कवचम् का पाठ शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
प्रश्न 8: भगवती कवचम् से धन की प्राप्ति होती है?
उत्तर: हां, भगवती कवचम् का पाठ आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति में सहायक होता है।
प्रश्न 9: क्या भगवती कवचम् का पाठ मानसिक तनाव को दूर करता है?
उत्तर: हां, भगवती कवचम् का पाठ मानसिक तनाव और चिंता को दूर करता है।
प्रश्न 10: भगवती कवचम् का पाठ परिवार की सुरक्षा कैसे करता है?
उत्तर: भगवती कवचम् का पाठ करने से परिवार के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है और वे नकारात्मक शक्तियों से बचे रहते हैं।