वाराही कवचम् पाठ- सभी तरह के शत्रुओं को शांत कर दे
वाराही कवचम् पाठ, देवी वाराही की स्तुति में रचित एक शक्तिशाली स्तोत्र है। देवी वाराही को अष्टमातृका (आठ माताओं) में से एक माना जाता है। वाराही देवी को अष्टभुजा धारी माना जाता है और वे अपने भक्तों की रक्षा करने वाली तथा उन्हें आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। वाराही कवचम् का नियमित पाठ करने से साधक को देवी वाराही की असीम कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
वाराही कवचम्
श्री गणेशाय नमः।
ध्यानम्
सिन्दूर-शोण-सद्युक्तं रत्न-केयूर-भूषिताम्। सिंहासन-स्थितां देवीं त्रिनेत्रां मुण्डमालिनीम्॥
रक्तवस्त्र-धरा देवीं रक्तस्रवण-लोचनाम्। रक्तपाणिं चन्द्रकलां शङ्ख-चक्र-गदाधराम्॥
विवृद्ध-दन्ता-संपन्नां सिन्दूरोन्मेष-मेखलाम्। वाराहीं वरदां देवीं चामुण्डां प्रथयाम्यहम्॥
कवचम् :
अस्य श्रीवाराही कवचस्य, महादेव ऋषिः। अनुष्टुप् छन्दः। श्री वाराही देवता। श्रीं बीजं। क्लीं शक्तिः। ह्रीं कीलकम्। वाराहीप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।
श्लोक 1: ॐ वाराही मे शिरः पातु, भालं पातु महेश्वरी। ललाटं पातु चामुण्डा, नेत्रे मे रक्तलोचना॥
अर्थ: ॐ वाराही देवी मेरे सिर की रक्षा करें, महेश्वरी मेरे माथे की रक्षा करें। चामुण्डा मेरे ललाट की रक्षा करें और रक्तलोचना मेरे नेत्रों की रक्षा करें।
श्लोक 2: कर्णं पातु महादेवी, नासिके वारुणी सदा। मुखं पातु महालक्ष्मीः, जिह्वां पातु महेश्वरी॥
अर्थ: महादेवी मेरे कानों की रक्षा करें, वारुणी देवी मेरी नासिका की रक्षा करें। महालक्ष्मी मेरे मुख की और महेश्वरी मेरी जिह्वा की रक्षा करें।
श्लोक 3: कण्ठं पातु महाविद्या, स्कन्धौ पातु महाद्युति। वक्षः पातु महावीर्या, हृदयं पातु सर्वदा॥
अर्थ: महाविद्या देवी मेरे कण्ठ की रक्षा करें, महाद्युति मेरे स्कंधों की रक्षा करें। महावीर्या मेरे वक्ष की और मेरा हृदय सर्वदा सुरक्षित रखें।
श्लोक 4: नाभिं पातु महासिद्धिः, कटीं पातु महास्मिता। गुह्यं पातु महाघोरि, पृष्ठं पातु महाबला॥
अर्थ: महासिद्धि मेरी नाभि की रक्षा करें, महास्मिता मेरी कटी की रक्षा करें। महाघोरि मेरे गुप्त अंगों की और महाबला मेरे पृष्ठ भाग की रक्षा करें।
श्लोक 5: हस्तौ पातु महाविद्या, पादौ पातु महाभुजा। सर्वाङ्गं पातु महादेवी, त्वचं पातु महेश्वरी॥
अर्थ: महाविद्या मेरे हाथों की रक्षा करें, महाभुजा मेरे पैरों की रक्षा करें। महादेवी मेरे संपूर्ण अंगों की रक्षा करें और महेश्वरी मेरी त्वचा की रक्षा करें।
श्लोक 6: य इदं कवचं दिव्यं सन्निधौ पठति प्रियम्। सर्वत्र विजयं कुर्यात्, सर्वत्र जयमाप्नुयात्॥
अर्थ: जो भी इस दिव्य कवच का पाठ करता है, उसे सभी स्थानों पर विजय और जय प्राप्त होती है।
श्लोक 7: सर्वारिष्टं विनिर्मुक्तः सर्वरोग-भयापहः। सर्वकष्ट-विनाशाय पाठयेद् यत्नतः सदा॥
अर्थ: यह कवच सभी प्रकार की विपत्तियों से मुक्त करता है और सभी रोग और भय को दूर करता है। इसे नियमित रूप से श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करने से सभी कष्टों का नाश होता है।
वाराही कवचम् के लाभ
वाराही कवचम् का नियमित और विधिपूर्वक पाठ करने से साधक को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ 15 प्रमुख लाभों का उल्लेख किया गया है:
- शत्रु नाश: वाराही कवचम् का पाठ शत्रुओं के नाश में अत्यंत प्रभावी माना जाता है। इससे शत्रु शक्तियाँ पराजित होती हैं।
- धन और समृद्धि: इस कवच का पाठ आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति में सहायक होता है।
- भय से मुक्ति: वाराही कवचम् के पाठ से साधक को किसी भी प्रकार के भय और आशंका से मुक्ति मिलती है।
- स्वास्थ्य सुरक्षा: यह कवच शरीर के रोगों से रक्षा करता है और आरोग्य प्रदान करता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: साधक को नकारात्मक शक्तियों और आत्माओं से सुरक्षा मिलती है।
- परिवार की सुरक्षा: परिवार के सदस्यों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित होता है।
- मानसिक शांति: मन की शांति और स्थिरता प्राप्त होती है, जिससे मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
- विद्या और बुद्धि: विद्यार्थी के लिए यह कवच विद्या और बुद्धि में वृद्धि का साधन है।
- सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों और विपदाओं से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है और वह आत्मिक शांति प्राप्त करता है।
- सर्वकार्य सिद्धि: साधक के सभी कार्य सिद्ध होते हैं और उसे सफलता प्राप्त होती है।
- यात्रा में सुरक्षा: यात्राओं में सुरक्षा और सुखद अनुभव मिलता है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है।
- शक्ति और साहस: साधक में शक्ति और साहस का संचार होता है, जिससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकता है।
- धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ: साधक को धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं, जो उसे मोक्ष की प्राप्ति की ओर अग्रसर करते हैं।
वाराही कवचम् पाठ की विधि
दिन और अवधि
वाराही कवचम् का पाठ मंगलवार या शुक्रवार से प्रारंभ करना शुभ माना जाता है। इसे नियमित रूप से 41 दिन तक करना चाहिए। इस अवधि में साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और साधना के प्रति पूर्ण समर्पण रखना चाहिए।
मुहूर्त
वाराही कवचम् का पाठ करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) सर्वोत्तम समय माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध होता है, जो साधना के लिए उपयुक्त होता है।
वाराही कवचम् पाठ के नियम
- पूजा और साधना को गुप्त रखें: साधना को गुप्त रखना चाहिए। किसी को भी अपनी साधना के बारे में बताना नहीं चाहिए।
- नियमितता बनाए रखें: साधना में नियमितता बहुत महत्वपूर्ण है। पाठ को प्रतिदिन एक ही समय पर और एक ही स्थान पर करना चाहिए।
- शुद्धता का पालन करें: शरीर, वस्त्र, और पूजा स्थल की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
- संयमित जीवन: साधना के दौरान संयमित जीवन शैली का पालन करें। सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन से बचें।
- पूर्ण श्रद्धा और विश्वास: साधना के दौरान देवी वाराही की आराधना में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।
- मंत्रों का शुद्ध उच्चारण: मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करना आवश्यक है। उच्चारण में कोई त्रुटि नहीं होनी चाहिए।
- एकाग्रता बनाए रखें: साधना के समय मन को एकाग्र रखें और ध्यान को भंग न होने दें।
वाराही कवचम् पाठ के दौरान सावधानियाँ
- साधना स्थल पर शांति बनाए रखें: साधना स्थल को शांत और पवित्र रखें।
- ध्यान भंग न हो: साधना के समय ध्यान भंग न होने दें। इसके लिए एकांत स्थान का चयन करें।
- अनुशासन का पालन करें: साधना के समय अनुशासन का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।
- समय का पालन करें: निश्चित समय पर ही पाठ करें, समय का पालन आवश्यक है।
- शुद्धता का पालन करें: शरीर, वस्त्र, और स्थान की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
- सकारात्मक सोच बनाए रखें: साधना के दौरान सकारात्मक और शुद्ध विचारों को बनाए रखें।
- मंत्र उच्चारण में सावधानी: मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करें, त्रुटि से बचें।
वाराही कवचम् पाठ: प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: वाराही कवचम् क्या है?
उत्तर: वाराही कवचम् देवी वाराही की आराधना में किया जाने वाला एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो साधक को सुरक्षा और शक्ति प्रदान करता है।
प्रश्न 2: वाराही कवचम् का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: वाराही कवचम् का पाठ मंगलवार या शुक्रवार से शुरू करना शुभ माना जाता है और इसे ब्रह्म मुहूर्त में करना चाहिए।
प्रश्न 3: वाराही कवचम् पाठ की अवधि क्या होती है?
उत्तर: वाराही कवचम् पाठ की अवधि 41 दिन होती है।
प्रश्न 4: वाराही कवचम् के कितने लाभ हैं?
उत्तर: वाराही कवचम् के 15 प्रमुख लाभ हैं जैसे शत्रु नाश, धन और समृद्धि, भय से मुक्ति आदि।
प्रश्न 5: क्या वाराही कवचम् साधना को गुप्त रखना चाहिए?
उत्तर: हां, वाराही कवचम् साधना को गुप्त रखना चाहिए और इसे सार्वजनिक रूप से साझा नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 6: वाराही कवचम् पाठ के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: वाराही कवचम् पाठ के दौरान अनुशासन, शुद्धता, धैर्य, और समय का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 7: क्या वाराही कवचम् का पाठ शत्रुओं से रक्षा करता है?
उत्तर: हां, वाराही कवचम् का पाठ शत्रुओं से रक्षा करता है।
प्रश्न 8: वाराही कवचम् से धन की प्राप्ति होती है?
उत्तर: हां, वाराही कवचम् का पाठ आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति में सहायक होता है।
प्रश्न 9: क्या वाराही कवचम् का पाठ मानसिक तनाव को दूर करता है?
उत्तर: हां, वाराही कवचम् का पाठ मानसिक तनाव और चिंता को दूर करता है।
प्रश्न 10: वाराही कवचम् का पाठ परिवार की सुरक्षा कैसे करता है?
उत्तर: वाराही कवचम् का पाठ करने से परिवार के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है और वे नकारात्मक शक्तियों से बचे रहते हैं।
प्रश्न 11: वाराही कवचम् पाठ से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति कैसे होती है?
उत्तर: विद्यार्थी यदि वाराही कवचम् का पाठ नियमित रूप से करते हैं, तो उन्हें विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 12: वाराही कवचम् पाठ से मनोकामना कैसे पूरी होती है?
उत्तर: वाराही कवचम् पाठ से देवी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
प्रश्न 13: वाराही कवचम् पाठ के लिए किस प्रकार का भोजन करना चाहिए?
उत्तर: वाराही कवचम् पाठ के दौरान साधक को सात्विक भोजन करना चाहिए और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
प्रश्न 14: वाराही कवचम् पाठ से दुर्घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर: वाराही कवचम् पाठ से साधक दुर्घटनाओं और अनहोनी घटनाओं से सुरक्षित रहते हैं।
प्रश्न 15: वाराही कवचम् पाठ के लिए कौन सा समय सबसे उत्तम है?
उत्तर: वाराही कवचम् पाठ के लिए प्रातः