Wednesday, December 4, 2024

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Bhanu Saptami Vrat for success & respect

भानु सप्तमी व्रत: विधि, महत्व और चमत्कारी लाभ

भानु सप्तमी व्रत का संबंध भगवान सूर्य से है, जिन्हें वेदों में “भानु” कहा गया है। यह व्रत माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को किया जाता है। इसके अलावा किसी भी महीने की कृष्ण पक्ष की सप्तमी को व्रत कर सकते है। इसे रथ सप्तमी या सूर्य सप्तमी भी कहा जाता है। यह व्रत व्यक्ति के जीवन में तेज, ऊर्जा और सकारात्मकता लाने का एक शक्तिशाली उपाय है।

भानु सप्तमी व्रत का महत्व

  1. सूर्य उपासना का दिन: इस दिन भगवान सूर्य की उपासना करने से स्वास्थ्य, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  2. पापों का नाश: इस व्रत के प्रभाव से पिछले जन्मों के पाप नष्ट होते हैं।
  3. आध्यात्मिक लाभ: यह व्रत आत्मा को शुद्ध करने और मोक्ष की ओर बढ़ने में सहायक है।
  4. वैज्ञानिक महत्व: सूर्य ऊर्जा का स्रोत है, और इस व्रत से शरीर में ऊर्जा और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

भानु सप्तमी व्रत की विधि

भानु सप्तमी व्रत भगवान सूर्य की उपासना का पवित्र पर्व है। इसे श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। व्रत की विधि निम्नलिखित है:

1. प्रातःकाल स्नान और शुद्धि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल या स्वच्छ जल से स्नान करें।
  • साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  • पूजन स्थल को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।

2. सूर्य को अर्घ्य देना

  • तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें लाल फूल, गुड़, तिल, और चावल मिलाएं।
  • पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान सूर्य को जल अर्पित करें।
  • “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें।

3. भगवान सूर्य की पूजा

  • सूर्य प्रतिमा या सूर्य चक्र का ध्यान करें।
  • लाल वस्त्र, लाल फूल, दीपक, धूप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • विशेष रूप से गुड़ और तिल से बनी मिठाई अर्पित करें।

4. व्रत कथा सुनें

  • पूजा के बाद भानू सप्तमी व्रत कथा का श्रवण करें।
  • कथा सुनने से व्रत का पुण्य बढ़ता है और भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

5. सूर्य मंत्र का जाप

  • “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” या “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप 108 बार करें।
  • यदि संभव हो तो गायत्री मंत्र का भी जाप करें।

6. उपवास और फलाहार

  • व्रत के दिन निराहार रहें या फलाहार करें।
  • सात्विक भोजन और स्वच्छ आचरण का पालन करें।

7. दान और सेवा

  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तिल, और गुड़ का दान करें।
  • गौ, ब्राह्मण और गरीबों की सेवा करें।

8. संध्या आरती

  • सूर्यास्त के समय भगवान सूर्य की आरती करें।
  • प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन को ऊर्जा और समृद्धि से भर दें।

9. व्रत का समापन

  • रात्रि में केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  • अगले दिन प्रातः व्रत का समापन करें और भगवान सूर्य का धन्यवाद करें।

यह व्रत श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में शांति, ऊर्जा और सफलता का संचार होता है।

भानू सप्तमी व्रत कथा

भानू सप्तमी व्रत की कथा का वर्णन पुराणों में मिलता है। यह व्रत भगवान सूर्य को समर्पित है, जो जीवन को ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करते हैं। इस कथा को सुनने और मानने से व्रती को पापों से मुक्ति, पुण्य और विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।

कथा का प्रारंभ

प्राचीन काल में एक नगर में धनवान व्यापारी अपने परिवार के साथ रहता था। वह बहुत ही धार्मिक और दयालु था, लेकिन उसके जीवन में एक बड़ी समस्या थी। उसका पुत्र आलसी, क्रोधी और दुर्व्यसनी था। परिवार की संपत्ति का नाश करने के बाद, वह गंभीर रोग से पीड़ित हो गया।

व्यापारी की चिंता

व्यापारी और उसकी पत्नी अपने पुत्र को लेकर अत्यंत चिंतित थे। उन्होंने कई वैद्यों और ज्योतिषियों से सलाह ली, लेकिन कोई भी उपाय कारगर नहीं हुआ। अंततः उन्होंने एक ऋषि से संपर्क किया।

ऋषि का समाधान

ऋषि ने व्यापारी से कहा, “आपका पुत्र पिछले जन्मों के पापों का फल भोग रहा है। यदि आप भानू सप्तमी व्रत करें और भगवान सूर्य की उपासना करें, तो आपके पुत्र के पाप नष्ट हो जाएंगे और वह स्वस्थ हो जाएगा।”

भानू सप्तमी व्रत का पालन

ऋषि के निर्देशानुसार, व्यापारी और उसकी पत्नी ने माघ शुक्ल सप्तमी को स्नान करके भगवान सूर्य की पूजा की। उन्होंने तांबे के लोटे से अर्घ्य अर्पित किया, लाल पुष्प, गुड़, और तिल अर्पित किए। साथ ही, व्रत कथा का श्रवण किया और दिनभर निराहार रहकर भगवान सूर्य से प्रार्थना की।

भगवान सूर्य का आशीर्वाद

उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य ने प्रकट होकर कहा, “तुम्हारी श्रद्धा और तपस्या से मैं प्रसन्न हूं। तुम्हारे पुत्र के सभी पाप नष्ट हो गए हैं। अब वह दीर्घायु और स्वस्थ रहेगा।”

पुत्र का जीवन परिवर्तन

व्रत के प्रभाव से व्यापारी का पुत्र रोगमुक्त हो गया। उसका स्वभाव बदल गया, और वह अपने माता-पिता की सेवा करने लगा। वह धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने लगा।

भानू सप्तमी व्रत का महत्व

इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भानू सप्तमी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो सकते हैं। यह व्रत भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है, जो जीवन में स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि प्रदान करता है।

कथा सुनने और व्रत करने के बाद भगवान सूर्य को धन्यवाद दें और दान करें। इससे व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।

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भानु सप्तमी व्रत के लाभ

  1. स्वास्थ्य में सुधार: यह व्रत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  2. धन और समृद्धि: व्रत के प्रभाव से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  3. पारिवारिक सुख: इस व्रत से पारिवारिक कलह समाप्त होते हैं।
  4. आध्यात्मिक जागरूकता: यह व्रत आत्मा की शुद्धि और आंतरिक शांति प्रदान करता है।
  5. मान सम्मानः ये व्रत मान-सम्मान को को बढ़ाता है

व्रत में ध्यान रखने योग्य बातें

  1. व्रत के दिन सात्विक आहार लें।
  2. नकारात्मक विचारों और झूठ से दूर रहें।
  3. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय भगवान सूर्य की आराधना अवश्य करें।
  4. व्रत के दौरान दूसरों की सेवा और दान को प्राथमिकता दें।

Bagalamukhi sadhana shivir

भानु सप्तमी मुहुर्त २०२५

  • 2024: 10 दिसंबर, मंगलवार (कृष्ण पक्ष की सप्तमी)
  1. January: 23rd January
  2. February: 22nd February
  3. March: 24th March
  4. April: 22nd April
  5. May: 22nd May
  6. June: 20th June
  7. July: 19th July
  8. August: 18th August
  9. September: 16th September
  10. October: 15th October
  11. November: 14th November
  12. December: 13th December

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भानु सप्तमी व्रत से जुड़े प्रमुख प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1: भानु सप्तमी व्रत क्या है?

उत्तर: भानु सप्तमी व्रत भगवान सूर्य को समर्पित है, जो माघ शुक्ल सप्तमी को किया जाता है। इसे रथ सप्तमी भी कहते हैं।

प्रश्न 2: भानु सप्तमी व्रत का महत्व क्या है?

उत्तर: यह व्रत स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और पापों से मुक्ति प्रदान करता है। इसे करने से आत्मा की शुद्धि होती है।

प्रश्न 3: भानु सप्तमी व्रत किस प्रकार मनाया जाता है?

उत्तर: सूर्योदय से पहले स्नान, सूर्य को अर्घ्य, सूर्य मंत्र का जाप, पूजा, व्रत कथा श्रवण और दान से यह व्रत पूर्ण होता है।

प्रश्न 4: इस व्रत में कौन से मंत्र का जाप किया जाता है?

उत्तर: “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करने का महत्व है।

प्रश्न 5: भानु सप्तमी व्रत में कौन-कौन से पूजन सामग्री का उपयोग होता है?

उत्तर: जल, लाल फूल, गुड़, तिल, धूप, दीप और चावल जैसी सामग्री का उपयोग होता है।

प्रश्न 6: भानु सप्तमी व्रत कौन कर सकता है?

उत्तर: यह व्रत सभी जाति, धर्म और उम्र के लोग कर सकते हैं। विशेष रूप से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोग इसे करें।

प्रश्न 7: व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

उत्तर: सात्विक आहार ग्रहण करें, नकारात्मक विचारों से बचें, और दिनभर भगवान सूर्य का ध्यान करें।

प्रश्न 8: क्या भानु सप्तमी व्रत में उपवास रखना आवश्यक है?

उत्तर: हां, व्रत रखने वाले को पूरे दिन निराहार रहना चाहिए। फलाहार या जल ग्रहण किया जा सकता है।

प्रश्न 9: भानु सप्तमी व्रत की कथा क्यों सुननी चाहिए?

उत्तर: व्रत कथा सुनने से व्रत का महत्व समझ आता है और इसका पुण्य अधिक मिलता है।

प्रश्न 10: भानु सप्तमी व्रत से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर: यह व्रत स्वास्थ्य सुधारता है, धन-समृद्धि लाता है, और पारिवारिक कलह को समाप्त करता है।

प्रश्न 11: क्या भानू सप्तमी पर दान देना जरूरी है?

उत्तर: हां, जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना इस व्रत का एक अनिवार्य अंग है।

प्रश्न 12: भानु सप्तमी का वैज्ञानिक महत्व क्या है?

उत्तर: सूर्य ऊर्जा का स्रोत है। इस व्रत के दौरान सूर्य को जल चढ़ाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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