Mokshada Ekadashi Vrat for Divine Blessings

मोक्षदा एकादशी व्रत 2025: पाप मुक्ती, मोक्ष व सुख शांती की प्राप्ति

मोक्षदा एकादशी व्रत सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है, जो भक्तों को पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष प्रदान करता है। यह व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी व्रत के प्रभाव से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और आत्मा को परम शांति मिलती है।

व्रत 2025

  • तिथि आरंभ: 30 नवंबर 2025, रात 8:47 बजे
  • तिथि समाप्त: 1 दिसंबर 2025, शाम 7:09 बजे
  • व्रत पारण का समय: 2 दिसंबर 2025, सुबह 7:10 बजे से 9:20 बजे तक

महत्व:

ये एकादशी मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है। इसे पवित्र व्रत माना जाता है, जो पितरों को मोक्ष प्रदान करने के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण या विष्णु जी की पूजा की जाती है।

व्रत की शुरुआत और समाप्ति

मोक्षदा एकादशी व्रत का आरंभ और समापन विशेष नियमों और विधियों के साथ किया जाता है। यह व्रत पूर्ण श्रद्धा और नियमबद्ध तरीके से करने से विशेष फल प्रदान करता है।

व्रत की शुरुआत कैसे करें?

  1. प्रातःकाल स्नान और शुद्धता:
    • व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर गंगाजल युक्त जल से स्नान करें।
    • साफ और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. संकल्प लें:
    • भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
    • दोनों हाथों में जल लेकर यह कहें:
      “हे भगवान विष्णु! मैं आपकी कृपा और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मोक्षदा एकादशी व्रत का संकल्प लेता हूं।”
  3. पूजा की तैयारी:
    • पूजा स्थान को स्वच्छ करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
    • दीपक, धूप, पुष्प और तुलसी पत्र का उपयोग करें।
  4. पूजा और मंत्र जाप:
    • भगवान विष्णु की पूजा करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
    • श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
    • दिनभर व्रत रखें और रात में श्री हरि की कथा सुनें।

व्रत का समापन कैसे करें?

  1. पारण का समय ध्यान रखें:
    • द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद पारण करें।
    • पारण के लिए समय का ध्यान रखना अनिवार्य है, क्योंकि सही समय पर व्रत का समापन करना शुभ माना जाता है।
  2. भगवान को भोग अर्पित करें:
    • भगवान विष्णु को फल, पंचामृत और खीर का भोग लगाएं।
    • तुलसी पत्र अर्पित करना न भूलें।
  3. दान और पुण्य कर्म करें:
    • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।
    • अन्न, वस्त्र और धन का दान व्रत को पूर्ण करता है।
  4. भोजन ग्रहण करें:
    • पहले भगवान का प्रसाद ग्रहण करें।
    • उसके बाद केवल सात्विक भोजन करें।

विशेष ध्यान:

  • व्रत की शुरुआत और समापन दोनों में मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  • पारण में किसी भी प्रकार की जल्दबाजी या लापरवाही न करें।
  • व्रत समाप्त करने के बाद भगवान का आभार व्यक्त करना न भूलें।

व्रत सामग्री:

  • तुलसी दल
  • चावल
  • फल
  • पंचामृत
  • दीपक
  • कुमकुम
  • धूप और अगरबत्ती

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

मोक्षदा एकादशी व्रत के दौरान शुद्ध और सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए। व्रत के नियमों का पालन करते हुए कुछ चीजें खाना वर्जित है।

व्रत में क्या खाएं?

  1. फल:
    • केला, सेब, नारियल, अंगूर, और अनार जैसे फल खा सकते हैं।
  2. सूखे मेवे:
    • काजू, बादाम, अखरोट और किशमिश का सेवन करें।
  3. दूध और दूध से बने पदार्थ:
    • दूध, दही, पनीर और मखाने से बनी खीर।
  4. साबूदाना:
    • साबूदाने की खिचड़ी या पकोड़े।
  5. सिंघाड़े और कुट्टू का आटा:
    • कुट्टू की पूरी, परांठे या हलवा।
  6. तुलसी जल:
    • तुलसी के पत्तों वाला जल या शरबत।
  7. सेंधा नमक:
    • व्रत में सिर्फ सेंधा नमक का उपयोग करें।
  8. कोकोनट वाटर:
    • नारियल पानी पीना शरीर को ऊर्जावान रखता है।

व्रत में क्या न खाएं?

  1. अनाज:
    • गेहूं, चावल, जौ और मक्का।
  2. दाल और बीन्स:
    • मूंग, चना और अरहर जैसी दालें।
  3. तामसिक भोजन:
    • मांस, मछली, अंडा और शराब।
  4. लहसुन और प्याज:
    • व्रत में लहसुन और प्याज पूरी तरह वर्जित हैं।
  5. तला हुआ और मसालेदार भोजन:
    • अधिक तेल और मिर्च-मसाले वाले भोजन से बचें।
  6. पैक्ड और प्रोसेस्ड फूड:
    • नमकीन, चिप्स, या अन्य प्रिजर्वेटिव युक्त चीजें न खाएं।
  7. नमक का अधिक सेवन:
    • सामान्य नमक का उपयोग न करें।

विशेष ध्यान:

  • व्रत के दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखें और पर्याप्त पानी पिएं।
  • सात्विक भोजन से मन और आत्मा दोनों शुद्ध रहते हैं।
  • अनजाने में वर्जित भोजन करने से व्रत का फल नहीं मिलता।

मोक्षदा एकादशी व्रत के लाभ

  1. पापों का नाश होता है।
  2. आत्मा को शांति मिलती है।
  3. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  4. परिवार में सुख-शांति आती है।
  5. आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  6. मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  7. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. मानसिक तनाव कम होता है।
  9. संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  10. समाज में सम्मान बढ़ता है।
  11. अधूरे कार्य पूर्ण होते हैं।
  12. दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।
  13. नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  14. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  15. ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।

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मोक्षदा एकादशी व्रत की संपूर्ण कथा

मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा पवित्र और प्रेरणादायक है, जो मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाती है। यह कथा महाभारत के समय की है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को इस व्रत के महत्व और कथा का वर्णन किया था।

कथा का प्रारंभ

प्राचीन काल में महिष्मति नगर पर राजा वैखानस का राज्य था। वह धर्मप्रिय, दयालु और प्रजा का पालन करने वाला शासक था। एक रात उन्होंने स्वप्न में अपने पितरों को नरक में अत्यधिक कष्ट भोगते हुए देखा। वह इस दृश्य से व्यथित हो उठे और इसके पीछे का कारण जानने के लिए अपने कुलगुरु और ऋषियों से परामर्श लिया।

ऋषियों की सलाह

कुलगुरु ने राजा को बताया कि उनके पितरों को पूर्व जन्म के पापों के कारण नरक जाना पड़ा है। उन्हें मोक्ष प्रदान करने का एकमात्र उपाय मोक्षदा एकादशी व्रत है। ऋषियों ने राजा को व्रत की विधि और भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा का महत्व बताया।

व्रत का पालन

राजा वैखानस ने पूरे नियमों का पालन करते हुए मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। उन्होंने पूरे भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा की और अपने पितरों के उद्धार के लिए प्रार्थना की।

पितरों का उद्धार

भगवान विष्णु उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि उनके पितरों को नरक से मुक्ति मिलेगी। उनके पितरों को स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। राजा वैखानस के इस व्रत के प्रभाव से उनका जीवन भी सुख-शांति और समृद्धि से भर गया।

कथा का संदेश

मोक्षदा एकादशी व्रत न केवल पितरों के उद्धार के लिए बल्कि अपने आत्मिक कल्याण और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि सच्ची भक्ति और नियमपूर्वक व्रत रखने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में शांति और सुख का वास होता है।

व्रत के लिए भोग

  • भगवान विष्णु को खीर, फल और पंचामृत का भोग लगाएं।
  • तुलसी पत्र अर्पित करना अनिवार्य है।

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व्रत में सावधानियां

  1. व्रत के दिन अनुशासन का पालन करें।
  2. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  3. असत्य भाषण से बचें।
  4. नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  5. व्रत की सामग्री शुद्ध होनी चाहिए।

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मोक्षदा एकादशी व्रत से जुड़े प्रश्न और उत्तर

1. मोक्षदा एकादशी का महत्व क्या है?

उत्तर: यह व्रत आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है।

2. व्रत कब करना चाहिए?

उत्तर: मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को।

3. क्या व्रत में अन्न खा सकते हैं?

उत्तर: नहीं, केवल फलाहार करें।

4. क्या महिलाएं व्रत कर सकती हैं?

उत्तर: हां, सभी कर सकते हैं।

5. क्या संतान सुख के लिए यह व्रत लाभदायक है?

उत्तर: हां, यह व्रत संतान सुख प्रदान करता है।

6. क्या यह व्रत हर साल करना चाहिए?

उत्तर: हां, इसे नियमित रूप से करना शुभ होता है।

7. क्या भगवान विष्णु के बिना अन्य देवी-देवता की पूजा कर सकते हैं?

उत्तर: व्रत में केवल श्री विष्णु की पूजा करें।

8. क्या व्रत में जल ग्रहण कर सकते हैं?

उत्तर: हां, जल ग्रहण कर सकते हैं।

9. व्रत का प्रभाव कितने समय में दिखता है?

उत्तर: श्रद्धा और भक्ति के अनुसार तुरंत या धीरे-धीरे।

10. क्या रोगी व्रत कर सकते हैं?

उत्तर: रोगी फलाहार और भक्ति के साथ व्रत कर सकते हैं।

11. क्या व्रत में मंत्र जाप आवश्यक है?

उत्तर: हां, मंत्र जाप व्रत को पूर्णता देता है।

12. व्रत का क्या पुण्यफल है?

उत्तर: व्रत से मोक्ष और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।

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