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Bhuvaneshwari Kavacham for Wealth & Prosperity

भुवनेश्वरी कवच पाठ- निर्धनता, भय, शत्रु नष्ट करे

मनोकामना पूर्ण करने वाला भुवनेश्वरी कवच पाठ देवी भुवनेश्वरी की कृपा प्राप्त करने और जीवन की हर कठिनाई से मुक्ति पाने के लिए एक अत्यंत प्रभावशाली साधना है। देवी भुवनेश्वरी को समस्त ब्रह्मांड की रानी और महाशक्ति के रूप में पूजा जाता है। वे सृजन, संरक्षण, और संहार की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनका कवच पाठ उनके भक्तों को भय, शत्रु, रोग, और दरिद्रता से बचाने के साथ-साथ उनकी इच्छाओं की पूर्ति करता है।

संपूर्ण भुवनेश्वरी कवच पाठ व उसका अर्थ

भुवनेश्वरी कवच पाठ का पाठ भक्त को देवी भुवनेश्वरी की कृपा प्राप्त करने के लिए करना चाहिए। यह कवच पाठ देवी के संरक्षण के लिए एक स्तुति है और इसे करने से साधक की सभी प्रकार की कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं।

संपूर्ण भुवनेश्वरी कवच पाठ

॥ भुवनेश्वरी कवचम् ॥

अस्य श्री भुवनेश्वरी कवच मन्त्रस्य सदाशिव ऋषिः। अनुष्टुप् छन्दः। भुवनेश्वरी देवता।
ह्रीं बीजं। ह्रीं शक्तिः। ह्रीं कीलकं। श्री भुवनेश्वरी प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥

ध्यानम्॥
ध्यायेत्पद्मासनस्थां विकासितवदनां चारुचन्द्रावतंसां,
रत्नाकल्पोल्लसत्त्रां नयनयुगलप्रीणितं सेव्यमानाम्।
वाग्भिर्वाणीर्विहङ्गैर्विहरदिवलया कङ्कणैः शोभिताङ्गीं,
सुभ्राभासा स्वरुपां त्रिभुवनजननीं भुवनेशीं नमामि॥

कवचम्॥
शिरः पातु महादेवी, चन्द्ररेखा विभूषणा।
लोचने शर्वाणी पातु, जिह्वां पातु सरस्वती॥१॥

घ्राणं पातु वरारोहा, कर्णौ पातु सुभाषिणी।
वदनं पातु ममेशानी, कण्ठं पातु सुलोचना॥२॥

स्कन्धौ पातु शुभांगी च, करौ पातु करेश्वरी।
स्तनौ पातु वरारोहा, हृदयं पातु शुभप्रिया॥३॥

नाभिं पातु जगद्धात्री, कटिं पातु वसुन्धरा।
सर्वांगे पातु सर्वेशी, त्रैलोक्य विजयाभिधा॥४॥

भुवनेश्वरी मम पातु सर्वदैव सर्वसम्मिता।
सुरेश्वरी स्वया पातु, दुःस्वप्ने पातु सर्वदा॥५॥

इदं कवचमज्ञात्वा यो भक्तः श्रद्धयान्वितः।
जपति स नरो नित्यमन्ते सिद्धिं प्राप्नुयात् ध्रुवम्॥६॥

॥ इति श्री भुवनेश्वरी कवचम् सम्पूर्णम्॥

भुवनेश्वरी कवच का अर्थ

ध्यान:

  • “मैं उन भुवनेश्वरी देवी की ध्यान करता हूँ, जो कमलासन पर विराजमान हैं, जिनका मुख विकसित है और जो सुशोभित चन्द्रावली का आभूषण धारण करती हैं। वे रत्नों से अलंकृत हैं और जिनकी सुन्दर आँखें सभी को आकर्षित करती हैं। वे वाणी, देवियों और पक्षियों से घिरी रहती हैं, और उनके हाथ में दिव्य कंकण शोभायमान होते हैं। वे त्रिभुवन की जननी और भुवनेश्वरी देवी हैं, मैं उन्हें प्रणाम करता हूँ।”

कवच:

  1. “महादेवी, जो चन्द्ररेखा से विभूषित हैं, मेरे शिर का संरक्षण करें। शर्वाणी, जो समस्त शिव की शक्ति हैं, मेरी आँखों की रक्षा करें। सरस्वती देवी, मेरी जिह्वा की रक्षा करें।”
  2. “वरारोहा देवी मेरी घ्राण शक्ति (सूंघने की शक्ति) की रक्षा करें। सुभाषिणी देवी मेरे कानों की रक्षा करें। इशानी देवी मेरे मुख का संरक्षण करें, और सुलोचना देवी मेरे कंठ की रक्षा करें।”
  3. “शुभांगी देवी मेरे स्कंधों की रक्षा करें, और करेश्वरी देवी मेरे हाथों की रक्षा करें। वरारोहा देवी मेरे स्तनों की रक्षा करें, और शुभप्रिया देवी मेरे हृदय का संरक्षण करें।”
  4. “जगद्धात्री देवी मेरी नाभि की रक्षा करें, वसुंधरा देवी मेरी कटि की रक्षा करें। सर्वेश्वरी देवी मेरे समस्त अंगों की रक्षा करें, और वे त्रैलोक्यविजया देवी हैं, जो सभी त्रिलोकों की विजेता हैं।”
  5. “भुवनेश्वरी देवी सर्वदा मेरी रक्षा करें, जो सभी के द्वारा पूजनीय हैं। सुरेश्वरी देवी दुःस्वप्नों से भी मेरी रक्षा करें।”
  6. “इस कवच का पाठ बिना ज्ञान के जो भक्त श्रद्धा सहित करता है, वह अंततः सिद्धि को प्राप्त करता है।”

भुवनेश्वरी कवच पाठ के लाभ

  1. सुरक्षा: यह कवच साधक को सभी प्रकार की नकारात्मकता, शत्रुओं, और बुरी शक्तियों से बचाता है।
  2. समृद्धि: देवी भुवनेश्वरी की कृपा से साधक को आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
  3. मनोकामना पूर्ण: इस कवच का नियमित पाठ साधक की सभी इच्छाओं को पूर्ण करता है।
  4. शांति और मानसिक स्थिरता: मानसिक अशांति को दूर करता है और साधक को शांति प्रदान करता है।
  5. स्वास्थ्य में सुधार: इस कवच का पाठ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है।
  6. सकारात्मक ऊर्जा: घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति को प्रोत्साहित करता है।
  8. धार्मिक आस्था को मजबूत: साधक की धार्मिक आस्था को और अधिक मजबूत करता है।
  9. संरक्षण: साधक को जीवन की सभी समस्याओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  10. ज्ञान और बुद्धिमत्ता: साधक की ज्ञान और बुद्धिमत्ता में वृद्धि करता है।
  11. शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा करता है और उनके बुरे प्रभाव से मुक्ति दिलाता है।
  12. पारिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य बनाए रखता है।
  13. विवाह में सफलता: विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है।
  14. संतान सुख: संतान की प्राप्ति और उनके कल्याण के लिए सहायक।
  15. भय से मुक्ति: साधक को भय और चिंता से मुक्ति दिलाता है।

भुवनेश्वरी कवच पाठ विधि

दिन, अवधि, और मुहूर्त

  1. दिन: भुवनेश्वरी कवच का जप विशेष रूप से रविवार या शुक्रवार को करना शुभ माना जाता है, जो देवी भुवनेश्वरी के दिन माने जाते हैं।
  2. अवधि: इस पाठ का जप 41 दिनों तक लगातार करना चाहिए, जिससे साधक को मनोकामना की सिद्धि प्राप्त हो।
  3. मुहूर्त: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और संध्या के समय (शाम 6 से 8 बजे) इस पाठ के लिए सबसे उत्तम समय माने गए हैं।

पूजा सामग्री

  1. श्री भुवनेश्वरी की मूर्ति या चित्र: देवी भुवनेश्वरी का चित्र या मूर्ति के समक्ष पाठ करें।
  2. दीपक और धूप: पाठ के समय दीपक और धूप जलाना आवश्यक है।
  3. फूल: ताजे फूल अर्पित करें, विशेष रूप से कमल के फूल, जो देवी भुवनेश्वरी को प्रिय हैं।
  4. चंदन: चंदन से तिलक करें और इसे मूर्ति पर भी अर्पित करें।
  5. पंचामृत: पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी) से अभिषेक करें।
  6. मंत्र पुष्पांजलि: पाठ के अंत में मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करें।

भुवनेश्वरी कवच पाठ के नियम

  1. पूजा की पवित्रता: पाठ के समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. गुप्त साधना: भुवनेश्वरी कवच पाठ को गुप्त रखें और इसे अन्य लोगों से साझा न करें। यह साधना की गोपनीयता बनाए रखने में सहायक है।
  3. नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करें, इसे बीच में न छोड़ें।
  4. आहार का पालन: सात्विक आहार का सेवन करें और तामसिक भोजन (मांस, मदिरा आदि) से परहेज करें।
  5. संयम: साधक को साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  6. साधना का स्थान: साधना के लिए एक ही स्थान का चयन करें और पाठ के दौरान स्थान को न बदलें।
  7. सकारात्मक विचार: साधक को सकारात्मक विचारों और मानसिकता को बनाए रखना चाहिए।
  8. मन की एकाग्रता: पाठ के समय मन को एकाग्रित रखें और ध्यान देवी भुवनेश्वरी पर केंद्रित करें।
  9. संकल्प: साधना से पूर्व संकल्प करें कि आप इसे पूर्ण मनोभाव से करेंगे।
  10. मंत्रों की सही उच्चारण: मंत्रों का सही उच्चारण और नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है।

Kamakhya sadhana shivir

भुवनेश्वरी कवच पाठ की सावधानी

अनुशासन: साधना के समय अनुशासन का पालन करें। किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचें।

  1. संकल्प का पालन: साधना के दौरान संकल्प का पालन करें और इसे पूरा करें।
  2. अवधान: साधना के दौरान बाहरी अवधानों से बचें और मन को पूर्णतः केंद्रित रखें।
  3. आध्यात्मिक मार्गदर्शन: यदि आप साधना में नए हैं, तो किसी अनुभवी गुरु का मार्गदर्शन लें।
  4. समर्पण: पाठ के दौरान पूर्ण समर्पण और श्रद्धा का भाव रखें।

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भुवनेश्वरी कवच पाठ- पृश्न उत्तर

  1. क्या भुवनेश्वरी कवच पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    • यह पाठ विशेषकर ब्रह्ममुहूर्त और संध्या के समय करना अधिक प्रभावी माना जाता है।
  2. क्या इस पाठ के लिए कोई विशेष दिशा होती है?
    • पूर्व दिशा की ओर मुख करके पाठ करना शुभ माना जाता है।
  3. क्या साधक को एक विशेष स्थान पर ही इस पाठ को करना चाहिए?
    • हां, साधना का स्थान न बदलें और एक ही स्थान पर इसे करें।
  4. क्या पाठ के दौरान विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
    • हां, सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक भोजन से परहेज करें।
  5. क्या इस पाठ को गुप्त रखा जाना चाहिए?
    • हां, साधना को गुप्त रखना चाहिए और इसे अन्य लोगों से साझा नहीं करना चाहिए।
  6. पाठ की अवधि कितनी होनी चाहिए?
    • यह पाठ 41 दिनों तक लगातार करना चाहिए।
  7. क्या इस पाठ के लिए विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?
    • स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।
  8. क्या पाठ के दौरान संगीत सुन सकते हैं?
    • पाठ के समय मौन और शांत वातावरण में जप करना चाहिए।
  9. क्या इस पाठ से समृद्धि प्राप्त हो सकती है?
    • हां, यह पाठ आर्थिक समृद्धि और जीवन की समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।
  10. क्या इस पाठ से मानसिक शांति मिलती है?
    • हां, यह पाठ मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।

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