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Lakshmi Ganesha Pujan Shivir

Lakshmi Ganesha Pujan Shivir

17 Sept. 2024- लक्ष्मी-गणेश पूजन शिविर- (अनंत चतुर्दशी) वज्रेश्वरी

लक्ष्मी-गणेश पूजन शिविर का आयोजन अनंत चतुर्दशी के शुभ मुहुर्थ पर किया जा रहा है। इसका का उद्देश्य भक्तों को मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त कराना है। यह शिविर विशेष रूप से उन लोगों के लिए आयोजित किया जाता है जो अपनी आर्थिक स्थिति, कर्ज, विघ्न बाधा की समस्या को सुधारना चाहते हैं और जीवन में समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं।

इस शिविर मे आप आकर भी भाग ले सकते है या ऑनलाईन भी भाग ले सकते है।

लक्ष्मी-गणेश पूजन शिविर से लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि: लक्ष्मी-गणेश पूजा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  2. शांति और संतोष: पूजा से मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  3. परिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य बना रहता है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: नियमित पूजा से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. व्यापार में वृद्धि: व्यापार में वृद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है।
  6. विघ्नों का नाश: भगवान गणेश की पूजा से सभी विघ्नों का नाश होता है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  8. दृढ़ संकल्प: पूजा से मन में दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  9. समस्याओं का समाधान: जीवन की समस्याओं का समाधान मिलता है।
  10. आध्यात्मिक उन्नति: पूजा से आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
  11. सुख-समृद्धि का विस्तार: परिवार में सुख-समृद्धि का विस्तार होता है।
  12. कर्मों का शुद्धिकरण: पूजा से पापों का नाश और पुण्य का संचय होता है।

Book pujan shivir

पूजा के दिन क्या खाएं और क्या न खाएं?

क्या खाएं: पूजा के दिन हल्का और सात्त्विक भोजन करें। फलों का सेवन करें, जैसे सेब, केला, और अंगूर। दूध और उससे बने पदार्थ जैसे खीर, पनीर और दही का सेवन करें। सूखे मेवे जैसे बादाम, काजू, और किशमिश खा सकते हैं।

क्या न खाएं: तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, मांस और मछली से परहेज करें। शराब और तम्बाकू का सेवन न करें। अधिक मसालेदार और तैलीय भोजन से भी बचें।

पूजा के दौरान सावधानियां

  1. शारीरिक शुद्धता: पूजा से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  2. मानसिक शुद्धता: पूजा के दौरान मन को शांत और स्थिर रखें।
  3. भक्तिभाव: भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा में पूर्ण श्रद्धा और भक्ति का भाव रखें।
  4. सही दिशा: पूजा स्थल को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखें।
  5. समय का ध्यान: पूजा का समय शुभ मुहूर्त में करें।

लक्ष्मी-गणेश पूजन शिविर मे भाग लेने वालों के लिये

  • इस शिविर इस शिविर मे भाग लेना चाहते है तो ब्लू ब्लैक कपड़े न पहने।
  • एक नारियल व घी लेकर आना होगा।
  • आप कोई भी कपड़े पहने, लेकिन साधना मे ढीले-ढाले वस्त्र पहनना है।
  • इस साधना मे लक्ष्मी-गणेश कवच हमारी तरफ से दिया जायेगा।
  • पूजन का समय २ से ५ घंटे तक का हो सकता है।

ऑनलाईन भाग लेने वालों के लिये

  • रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोई भी भक्त भाग ले सकता है।
  • आपको अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र व फोटो WhatsApp पर भेजना होगा।
  • आपको उच्चारण के साथ मंत्र का ऑडियो WhatsApp द्वारा भेजा जायेगा।
  • जो मंत्र दिया जायेगा उसको अपने समय के अनुसार जाप कर सकते है। यानी आपका जो रुटीन कार्य है, वह करे और बीच बीच मे समय निकालकर मंत्र का जप करे।
  • मंत्र जप के दौरान ब्लू व ब्लैक कपड़े न पहने।
  • पूजन हवन यूट्यूब पर लाईव दिखाया जायेगा।
  • पूजन समाप्त होने के २४ घंटे के अंदर किसी को खाने पीने वस्तु दान करे, पैसे दान न करे।
  • लक्ष्मी-गणेश पूजन समाप्त होने के बाद यंत्र व सामग्री आपको भेजी जायेगी।

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लक्ष्मी-गणेश पूजन- ऑनलाईन भाग लेने वालों के लिये

इसके बाद लक्ष्मी-गणेश पूजन सामग्री आपके घर पर विधि के साथ कुरियर से भेज दी जाती है तथा बाकी की जानकारी WhatsApp पर दी जाती है।

रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोई भी भक्त भाग ले सकता है।

आपको अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र व फोटो WhatsApp पर भेजना होगा।

लक्ष्मी-गणेश पूजन सामग्री आपके फोटो साधना हॉल मे रखी जाती है, जहां पर पूजा होगी।

जो मंत्र दिया जायेगा उसको अपने समय के अनुसार जाप कर सकते है। यानी आपका जो रुटीन कार्य है, वह करे और बीच बीच मे समय निकालकर मंत्र का जप करे।

मंत्र जप के दौरान ब्लू व ब्लैक कपड़े न पहने।

दूसरे दिन साधना समाप्त होने के २४ घंटे के अंदर किसी को खाने पीने वस्तु दान करे, पैसे दान न करे।

Chhaya Purush Sadhana Shivir at Vajreshwari

chhaya purush sadhana shivir

छाया पुरुष साधना, एक ऐसी विधि है जिसमे अपने ही शरीर की छाया के द्वारा मार्गदर्शन लिया जाता है। साधक आत्म-साक्षात्कार और आंतरिक शक्ति प्राप्त करने के लिए इनकी साधना करते है। इस साधना का उद्देश्य अपनी छाया के माध्यम से एक अदृश्य सहायक पुरुष (छाया पुरुष) को जागृत करना होता है, जो साधक की सहायता और मार्गदर्शन करता है। यह साधना उन लोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है जो अपनी आध्यात्मिक, मानसिक, आर्थिक व व्यावसायिक यात्रा में उन्नति चाहते हैं।

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छाया पुरुष साधना के लाभ

  1. आत्मज्ञान और अन्तर्दृष्टि (Intuitions): साधना के माध्यम से साधक को अत्यधिक स्पष्ट और सटीक अन्तर्दृष्टि प्राप्त होती है।
  2. ऊर्जा से मार्गदर्शन (Guidance from energy): छाया पुरुष, साधक को ऊर्जा के रूप में मार्गदर्शन करता है।
  3. बिजनेस में सहायता (Business assistance): यह साधना बिजनेस के निर्णय लेने में सहायता करती है।
  4. निर्णय लेने में मदद (Decision making): कठिन निर्णय लेने में छाया पुरुष सहायक सिद्ध होता है।
  5. डर दूर करना (Removing fear): छाया पुरुष साधना साधक के सभी डर और भय को दूर करने में मदद करती है।
  6. सहयोगी की तरह मदद (Assistance as a companion): छाया पुरुष एक अदृश्य सहयोगी के रूप में हमेशा साधक के साथ रहता है।
  7. नौकरी-बिजनेस में सफलता (Success in job and business): यह साधना नौकरी और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
  8. शत्रुओं को दूर करना (Removing enemies): साधक के शत्रुओं को दूर करने में छाया पुरुष मदद करता है।
  9. विघ्न बाधा दूर करना (Removing obstacles): जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं को छाया पुरुष साधना दूर करने में सक्षम है।
  10. तंत्र बाधा दूर करना (Removing tantra obstructions): तांत्रिक बाधाओं और ऊपरी बाधाओं को यह साधना दूर करती है।
  11. मुसीबतों से बचाना (Protecting from troubles): छाया पुरुष साधना मुसीबतों से बचाने में सहायक होती है।
  12. मानसिक शक्ति (Mental strength): साधना से मानसिक शक्ति और धैर्य का विकास होता है।
  13. आध्यात्मिक उन्नति (Spiritual advancement): साधक की आध्यात्मिक यात्रा में छाया पुरुष महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  14. विचार शक्ति में वृद्धि (Increase in thought power): साधना से विचार शक्ति और क्रियात्मकता में वृद्धि होती है।
  15. संकल्प शक्ति (Willpower): साधक की संकल्प शक्ति को दृढ़ और मजबूत बनाता है।
  16. ध्यान और एकाग्रता (Meditation and concentration): छाया पुरुष साधना से ध्यान और एकाग्रता की क्षमता बढ़ती है।

साधना की सिद्धि (Sadhana Siddhi)

इस साधना की सिद्धि प्राप्त करने के लिए साधक को 1,25,000 मंत्रों का जाप करना होता है। साधना के लिए आवश्यक होता है। इस शिविर २ दिन लगातार मंत्र का जप किया जाता है, सिर्फ ४ घंटा सोने मिलता है।

साधना शिविर

छाया पुरुष साधना को सीखने और इसे सही ढंग से करने के लिए इस विशेष साधना शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें भाग लेकर साधक इस साधना को गहराई से सीख सकते हैं। इसके अलावा, अब ऑनलाइन भी साधना के लिए भाग लिया जा सकता है।

यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अपने जीवन में आत्मविश्वास, सफलता और सुरक्षा के साथ तरक्की चाहते हैं।

शिविर मे भाग लेने वालों के लिये

  • इस शिविर मे दो दिन तक खाने पीने व रहने की सुविधा दी गई है।
  • साधना करते समय ढीले ढाले वस्त्र पहने
  • ब्लू व ब्लैक रंग के कपड़े छोड़ कर कोई भी रंग का कपड़ा पहन सकते है।
  • साधना मे भाग लेने के लिये १ नारियल व २५० ग्राम गाय का घी लाना अनिवार्य है।
  • आप कोई भी कपड़े पहने, लेकिन साधना मे ढीले-ढाले वस्त्र पहनना है।
  • इस साधना मे छाया पुरुष साधना सामग्री (सिद्ध छाया पुरुष यंत्र, सिद्ध छाया पुरुष माला, छाया पुरुष पारद गुटिका, सफेद-काली-लाल चिरमी दाना, आसन, सिद्ध गोमती चक्र, सिद्ध काली हल्दी, छाया पुरुष कवच) दी जाती है।

ऑनलाईन भाग लेने वालों के लिये

  • रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोई भी भक्त भाग ले सकता है।
  • आपको अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र व फोटो WhatsApp पर भेजना होगा।
  • छाया पुरुष साधना सामग्री (सिद्ध छाया पुरुष यंत्र, सिद्ध छाया पुरुष माला, छाया पुरुष पारद गुटिका, सफेद-काली-लाल चिरमी दाना, आसन, सिद्ध गोमती चक्र, सिद्ध काली हल्दी, छाया पुरुष कवच) के साथ आपकी फोटो साधना हॉल मे रखी जाती है, जहां पर मंत्र का जाप किया जायेगा।
  • आपको उच्चारण के साथ मंत्र का ऑडियो WhatsApp द्वारा भेजा जायेगा।
  • दूसरे दिन दीक्षा दी जायेगी, इसकी डिटेल जानकारी WhatsApp या फोन पर दी जायेगी।
  • जो मंत्र दिया जायेगा उसको अपने समय के अनुसार जाप कर सकते है। यानी आपका जो रुटीन कार्य है, वह करे और बीच बीच मे समय निकालकर मंत्र का जप करे।
  • मंत्र जप के दौरान ब्लू व ब्लैक कपड़े न पहने।
  • आपको दूसरे दिन दीक्षा दी जायेगी, इसका समय WhatsApp द्वारा दिया जायेगा। शाम के समय हवन होगा, जिसे यूट्यूब पर लाईव दिखाया जायेगा।
  • दूसरे दिन साधना समाप्त होने के २४ घंटे के अंदर किसी को खाने पीने वस्तु दान करे, पैसे दान न करे।
  • इसके बाद छाया पुरुष साधना सामग्री आपके घर पर विधि के साथ कुरियर से भे दी जाती है तथा बाकी की जानकारी WhatsApp पर दी जाती है।

नियम

  • २ दिन ब्रह्मचर्य रहे।
  • अपनी साधना गुप्त रखे।
  • मसालेदार चीजो का सेवन न करे।
  • धूम्रपान, मद्यपान व मांसाहार का सेवन न करे।
  • गुस्से पर नियंत्रण रखे।
  • जिस भी देवी को आप मानते है, उनसे अपने लिये साधना मे सफलता के मनोकामना करे।

Note

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Tantrokta Rudrabhishek pujan for Family Peace

Tantrokta Rudrabhishek pujan for Family Peace

मुंबई के निकट वज्रेश्वरी मे शिवरात्रि के मुहुर्थ पर तंत्रोक्त विधि से रुद्राभिषेक पूजन का आयोजन हो रहा है. इसमे भगवान शिव के सभी १२ ज्योतिर्लिंग की पूजा के साथ ही रुद्राभिषेक पूजन करवाया जायेगा. ये पूजा मनुष्य के सभी पाप को नष्टकर ग्रहस्थ जीवन को सुखमय बनाती है. नजर, तंत्र बाधा व शत्रु दोष को नष्ट करती है. और नौकरी, ब्यवसाय मे सफलता मिलती है.

इसमें भाग लेने के दो तरीके है एक तो शिविर मे आकर साधना में भाग ले सकते है दूसरा आप ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं अगर आप भाग लेना चाहते हैं तो नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया है वहां पर फॉर्म भरकर आप इस शिविर मे शामिल हो सकते है

RUDRABHISHEK PUJAN SHIVIR – BOOKING

रुद्राभिषेक पूजा से कई धार्मिक, आध्यात्मिक और भौतिक लाभ

  1. आध्यात्मिक लाभ: रुद्राभिषेक पूजा से मनुष्य का मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। यह शांति, संतुलन और आत्मसमर्पण की भावना प्रदान करता है।
  2. शारीरिक लाभ: इस पूजा से शारीरिक रूप से स्वास्थ्य और ताकत मिलती है। यह रोगनिवारण और लंबी आयु के लिए भी लाभकारी होता है।
  3. आर्थिक लाभ: रुद्राभिषेक पूजा से आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है और धन लाभ हो सकता है। यह व्यापार में सफलता और आर्थिक संपन्नता की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
  4. परिवारिक और सामाजिक लाभ: इस पूजा से परिवार में एकता और सद्भावना बनी रहती है, जो परिवार के सभी सदस्यों के लिए लाभकारी है। साथ ही, समाज में भी आपकी स्थिति में सम्मान मिल सकता है।
  5. आत्मिक लाभ: यह पूजा आपको अपने आप से और भगवान से जुड़ने की भावना प्रदान कर सकती है, जिससे आपका आत्मविश्वास और स्वाभिमान मजबूत होता है।

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तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा पृश्न उत्तर

  1. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा क्या है?
    • ये विशेष पूजा है, जिसमें रुद्र के विभिन्न स्वरूपों का अभिषेक किया जाता है।
  2. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    • इसका मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना, मनोकामनाओं की पूर्ति, और जीवन में शांति और समृद्धि लाना है।
  3. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के लिए कौन सा दिन शुभ होता है?
    • इस पूजा के लिए सोमवार, महाशिवरात्रि, श्रावण मास के सोमवार, और प्रदोष व्रत का दिन शुभ माना जाता है।
  4. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री (Samagri) की आवश्यकता होती है?
    • जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, चंदन, बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, चावल, धूप, दीपक, और रुद्राक्ष माला।
  5. क्या तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा घर पर की जा सकती है?
    • हां, यह पूजा घर पर भी की जा सकती है, लेकिन पूजा स्थल को पवित्र और शुद्ध रखना आवश्यक है।
  6. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा का समय क्या होना चाहिए?
    • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) पूजा का उत्तम समय है।
  7. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा कितने दिनों तक करनी चाहिए?
    • इसे 11, 21, 40, या 108 दिनों तक किया जा सकता है। नियमितता और श्रद्धा महत्वपूर्ण है।
  8. क्या तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
    • यह आवश्यक नहीं है, लेकिन पूजा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए व्रत रखना लाभकारी हो सकता है।
  9. क्या तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
    • हां, पूजा के दौरान पवित्रता, सत्य, अहिंसा, और संयम का पालन करना चाहिए।
  10. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के लाभ क्या हैं?
    • मनोकामनाओं की पूर्ति, मानसिक शांति, रोग मुक्ति, आर्थिक समृद्धि, और परिवार में सुख-शांति।

Maya devi sadhana shivir

Maya devi sadhana shivir

मुंबई के निकट वज्रेश्वरी मे माता माया देवी की  साधना शिविर का आयोजन होने जा रहा है. इस साधना की खास बात यह है कि इनकी साधना से माता कालीमाता कामख्या की भी कृपा प्राप्त होती है.

माया देवी भौतिक सुख व मोक्ष प्रदान करती है. माता काली आकर्षण शक्ति के साथ शत्रु व तंत्र बाधा से सुरक्षा प्रदान करती है. वही माता कामख्या हर तरह के आर्थिक बंधन, नौकरी बंधन, विवाह बंधन, ब्यापार बंधन, नजर बंधन से मुक्ति दिलाती है.

इसमें भाग लेने के दो तरीके है एक तो शिविर मे आकर साधना में भाग ले सकते है दूसरा आप ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं अगर आप भाग लेना चाहते हैं तो नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया है वहां पर फॉर्म भरकर आप इस शिविर मे शामिल हो सकते है 

BOOKING- MAYA DEVI SADHANA SHIVIR

माया देवी साधना FAQ

माया देवी हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण देवी हैं, जो शक्ति और माया (भ्रम) की देवी मानी जाती हैं। उनकी साधना करने से साधक को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ माया देवी साधना के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) दिए गए हैं:

  1. माया देवी कौन हैं?
    • माया देवी हिंदू धर्म में शक्ति और माया (भ्रम) की देवी मानी जाती हैं। वे भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जी की एक रूप हैं।
  2. माया देवी की साधना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    • माया देवी की साधना का मुख्य उद्देश्य माया (भ्रम) से मुक्ति पाना और दिव्य ज्ञान प्राप्त करना है। यह साधना मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाती है।
  3. माया देवी की साधना के लिए कौन सा मंत्र उपयोगी है?
    • माया देवी का प्रमुख मंत्र है: “॥ॐ ह्रीं श्रीं माया देव्यै नमः॥”
  4. माया देवी की साधना करने के लिए कौन सा दिन शुभ होता है?
    • माया देवी की साधना के लिए शुक्रवार और पूर्णिमा का दिन शुभ माना जाता है।
  5. माया देवी की साधना के लिए कौन सी सामग्री (Samagri) की आवश्यकता होती है?
    • लाल कपड़ा, लाल फूल, चंदन, धूप, दीपक, नारियल, मिठाई, और माया देवी की मूर्ति या चित्र।
  6. क्या माया देवी की साधना घर पर कर सकते हैं?
    • हां, माया देवी की साधना घर पर भी की जा सकती है, बशर्ते पूजा स्थल पवित्र और शुद्ध हो।
  7. माया देवी की साधना का समय क्या होना चाहिए?
    • साधना का सबसे उत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) है, परन्तु साधक अपनी सुविधा अनुसार शाम को भी कर सकते हैं।
  8. माया देवी की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?
    • साधना की अवधि 21 दिनों से लेकर 108 दिनों तक हो सकती है, लेकिन नियमितता और श्रद्धा महत्वपूर्ण है।
  9. क्या माया देवी की साधना के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
    • यह आवश्यक नहीं है, लेकिन साधना के प्रभाव को बढ़ाने के लिए व्रत रखना लाभकारी हो सकता है।
  10. क्या माया देवी की साधना करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
    • हां, साधना के दौरान पवित्रता, सत्य, अहिंसा, और संयम का पालन करना चाहिए।
  11. क्या माया देवी की साधना के लिए कोई विशेष आसन या मुद्रा है?
    • साधक पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर साधना कर सकते हैं। ध्यान और एकाग्रता बनाए रखने के लिए यह आसन उपयुक्त हैं।
  12. माया देवी की साधना के लाभ क्या हैं?
    • मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, माया (भ्रम) से मुक्ति, दिव्य ज्ञान, मानसिक शक्ति, और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  13. क्या माया देवी की साधना के दौरान किसी प्रकार के भोग चढ़ाने चाहिए?
    • हां, साधना के दौरान मिठाई, फल, नारियल, और दूध का भोग चढ़ाना शुभ होता है।
  14. क्या माया देवी की साधना करते समय किसी विशेष दिशा में बैठना चाहिए?
    • हां, साधना करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।
  15. क्या माया देवी की साधना के दौरान कोई विशेष ध्वनि (संगीत) का उपयोग करना चाहिए?
    • साधना के दौरान भजन, कीर्तन, या मंत्रों का उच्चारण करना लाभकारी हो सकता है।
  16. क्या माया देवी की साधना के दौरान ध्यान (Meditation) करना आवश्यक है?
    • हां, साधना के दौरान ध्यान करना मानसिक और आध्यात्मिक लाभ को बढ़ाता है।
  17. क्या माया देवी की साधना से किसी प्रकार का भौतिक लाभ होता है?
    • हां, मानसिक शांति और संतुलन के साथ-साथ जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है।
  18. माया देवी की साधना में कौन-कौन सी बाधाएँ आ सकती हैं?
    • ध्यान की कमी, मानसिक विचलन, अनुशासनहीनता, और अनियमितता साधना में बाधा बन सकते हैं।
  19. क्या माया देवी की साधना में किसी गुरु की आवश्यकता होती है?
    • हां, यदि संभव हो तो किसी गुरु के मार्गदर्शन में साधना करना लाभकारी होता है।
  20. माया देवी की साधना के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    • साधना के दौरान पवित्रता, संयम, नियमितता, और मन की एकाग्रता का ध्यान रखना चाहिए।

माया देवी की साधना एक शक्तिशाली और प्रभावी साधना है, जो साधक को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। नियमितता, श्रद्धा, और समर्पण के साथ की गई साधना से साधक को माया (भ्रम) से मुक्ति मिलती है और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।

Shri Vidya Sadhana Shivir- Divine Energy, Prosperity & Protection

Shri Vidya Sadhana Shivir- Divine Energy, Prosperity & Protection

श्रीविद्या साधना शिविर – आर्थिक सुरक्षा, कर्ज और संकट मुक्ति

Shri Vidya Sadhana Shivir एक अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली साधना अवसर है, जिसमें साधक को दिव्य स्त्री शक्ति की आराधना के माध्यम से आत्मिक, मानसिक और भौतिक समृद्धि प्राप्त होती है। यह शिविर 18-19 अक्टूबर 2025 को Divyayog Ashram में आयोजित किया जा रहा है, जो आपके जीवन को ऋण, बाधाओं और दुर्भाग्य से मुक्त करने का दिव्य माध्यम बन सकता है।

श्रीविद्या साधना त्रिपुरा सुंदरी देवी की शक्ति को जागृत करती है, जिससे साधक को आर्थिक सुरक्षा, तंत्र दोष से रक्षा, शत्रु बाधा से मुक्ति, और जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस श्रीविद्या साधना शिविर के माध्यम से आप अपने जीवन में अद्भुत परिवर्तन अनुभव कर सकते हैं।

तिथि: 18-19 अक्टूबर 2025 | स्थान: Divyayog Ashram


श्रीविद्या साधना शिविर से मिलने वाले प्रमुख लाभ

(जीवन की प्रत्येक दिशा में दिव्यता और सुरक्षा)

  1. कर्ज से मुक्ति
  2. व्यवसाय में आने वाली रुकावटों का अंत
  3. परिवार की पूर्ण सुरक्षा
  4. नौकरी और व्यापार में तरक्की
  5. शत्रुओं से मुक्ति
  6. तांत्रिक बाधाओं से सुरक्षा
  7. नज़र दोष से राहत
  8. आर्थिक स्थिरता और समृद्धि
  9. मानसिक संतुलन और शांति
  10. दाम्पत्य जीवन में सौहार्द्र
  11. रिश्तों में प्रेम और सामंजस्य
  12. ग्रह दोष और वास्तु दोष से मुक्ति
  13. आत्मविश्वास में वृद्धि
  14. मनोकामनाओं की पूर्ति
  15. भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति
  16. सुदृढ़ निर्णय शक्ति का विकास
  17. आध्यात्मिक उन्नति
  18. कर्मों की शुद्धि
  19. पूर्व जन्म के दोषों का निवारण
  20. सिद्ध श्रीविद्या यंत्र और कवच की प्राप्ति

कौन भाग ले सकता है इस श्रीविद्या साधना शिविर में?

श्रीविद्या साधना शिविर में भाग लेने के लिए व्यक्ति की आयु कम से कम 20 वर्ष होनी चाहिए। इसमें स्त्री और पुरुष दोनों भाग ले सकते हैं। यह शिविर उन सभी के लिए लाभकारी है:

  • जो आर्थिक, मानसिक और पारिवारिक संकट से जूझ रहे हैं
  • जिनके व्यापार या नौकरी में बार-बार रुकावटें आ रही हैं
  • जो आत्मिक शक्ति और सुरक्षा की तलाश में हैं
  • जिन्हें जीवन में अदृश्य बाधाओं का अनुभव हो रहा है
  • जो शत्रुओं और तांत्रिक प्रभावों से पीड़ित हैं

ऑनलाइन और ऑफलाइन – दोनों माध्यम से भागीदारी संभव

आप श्रीविद्या साधना शिविर में Divyayog Ashram में आकर प्रत्यक्ष रूप से भाग ले सकते हैं या फिर अपने घर से ऑनलाइन माध्यम द्वारा भी जुड़ सकते हैं।

ऑफलाइन लाभ:

  • गुरुजी के सान्निध्य में साधना
  • दिव्य ऊर्जा से युक्त स्थान पर साधना
  • व्यक्तिगत मार्गदर्शन

ऑनलाइन लाभ:

  • संपूर्ण सामग्री घर पर प्राप्त होगी

Divyayog Ashram द्वारा प्रदान की जाने वाली सिद्ध श्रीविद्या सामग्री

श्रीविद्या साधना शिविर में भाग लेने वाले प्रत्येक साधक को दिव्ययोग आश्रम की ओर से निम्नलिखित सिद्ध सामग्री प्रदान की जाएगी:

  • श्रीविद्या माला – मंत्र सिद्ध
  • श्रीविद्या यंत्र – त्रिपुरा सुंदरी स्वरूप
  • श्रीविद्या पारद गुटिका – पवित्र ऊर्जा का माध्यम
  • देवी आसन – साधना के लिए शुद्ध स्थान
  • रक्षा सूत्र – शक्ति व रक्षण हेतु
  • कौड़ी – नकारात्मक ऊर्जा से बचाव
  • चिरमी दाना – लाल, सफेद, काला – त्रिविध शक्ति
  • श्रीविद्या कवच – आत्मरक्षा हेतु सिद्ध
  • श्रीविद्या ईबुक – साधना विधि व गूढ़ रहस्य

⚠️ श्रीविद्या साधना शिविर में भाग लेने के नियम

(सफल साधना हेतु आवश्यक अनुशासन)

  1. आयु 20 वर्ष से अधिक होना अनिवार्य है
  2. स्त्री और पुरुष दोनों भाग ले सकते हैं
  3. नीले और काले रंग के वस्त्र न पहनें
  4. मांसाहार, धूम्रपान, मद्यपान का पूर्णतः त्याग करें
  5. साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें
  6. समय पर साधना में उपस्थित रहें
  7. मोबाइल, टीवी, आदि से दूर रहें
  8. मन, वाणी और विचारों की शुद्धता बनाए रखें
  9. गुरु निर्देशों का पालन करें
  10. दी गई सामग्री का अपवित्र प्रयोग न करें
  11. साधना के बाद सामग्री को सुरक्षित स्थान पर रखें
  12. अंत में सिद्ध यंत्र व कवच प्रदान किया जाएगा

श्रीविद्या साधना शिविर से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

1. क्या गृहस्थ व्यक्ति इस साधना में भाग ले सकता है?

उत्तर: हाँ, यह श्रीविद्या साधना शिविर विशेष रूप से गृहस्थ साधकों के लिए उपयुक्त है।

2. क्या साधना से कर्ज और आर्थिक बाधा दूर होती है?

उत्तर: हाँ, श्रीविद्या साधना से कर्ज मुक्ति और आर्थिक सुरक्षा संभव है।

3. क्या ऑनलाइन जुड़ने पर भी समान लाभ मिलते हैं?

उत्तर: हाँ, सभी सामग्री घर पर भेजी जाएगी और निर्देश अनुसार साधना करवाई जाएगी।

4. क्या यह साधना स्त्रियाँ भी कर सकती हैं?

उत्तर: हाँ, पूर्ण नियम और पवित्रता के साथ स्त्रियाँ भी भाग ले सकती हैं।

5. सामग्री कैसे प्राप्त होगी?

उत्तर: ऑनलाइन जुड़ने वालों को कोरियर के माध्यम से सिद्ध सामग्री भेजी जाएगी।

6. क्या यह साधना शत्रु बाधा से मुक्ति देती है?

उत्तर: हाँ, यह श्रीविद्या साधना शत्रु निवारण में अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।

7. क्या साधना के बाद यंत्र सिद्ध होता है?

उत्तर: हाँ, पूजन के पश्चात सिद्ध यंत्र व कवच गुरु द्वारा प्रदान किया जाएगा।

8. क्या श्रीविद्या ईबुक में पूरी विधियाँ दी गई हैं?

उत्तर: हाँ, ईबुक में मंत्र, ध्यान, न्यास, पूजन विधि सहित सब जानकारी होती है।

9. क्या पहले से तांत्रिक दोष हो तो यह काम करेगा?

उत्तर: हाँ, यह साधना तंत्र बाधा और दृष्ट दोष से मुक्ति हेतु बेहद उपयोगी है।

10. क्या साधना के दौरान विश्राम या गैप लिया जा सकता है?

उत्तर: नहीं, साधना सतत और अनुशासित रूप से करनी होती है।

11. क्या इस शिविर के बाद दीक्षा भी होती है?

उत्तर: यह शिविर दीक्षा शिविर नहीं है, लेकिन साधना के द्वार खोलता है।

12. क्या यह साधना स्वास्थ्य सुधार में भी सहायक है?

उत्तर: हाँ, मानसिक तनाव, भय और ऊर्जा दोष से मुक्ति दिलाती है।


श्रीविद्या साधना शिविर – सारांश विवरण

  • तिथि: 18-19 अक्टूबर 2025
  • स्थान: Divyayog Ashram
  • माध्यम: ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों
  • संपर्क: 📞 7710812329 | ✉️ di**************@***il.com
  • पंजीकरण वेबसाइट: BOOK NOW

अब समय है – श्रीविद्या के दिव्य द्वार पर प्रवेश का

श्रीविद्या साधना शिविर केवल एक शिविर नहीं, यह जीवन की नकारात्मकता को समाप्त कर देवी त्रिपुरा सुंदरी की कृपा से जीवन को दिव्यता, स्थिरता और सुरक्षा देने वाला अवसर है।

पंजीकरण शीघ्र करें – स्थान सीमित हैं।


Pashupat Pujan Shivir- Receive Protection, Power & Purity

Pashupat Pujan Shivir- Receive Protection, Power & Purity

पाशुपत पूजन शिविर – शिव की कृपा से पाप, श्राप और बाधा मुक्ति का दिव्य माध्यमदिनांक: 30 अगस्त 2025 | स्थान: Divyayog Ashram

Pashupat Pujan Shivir एक अत्यंत प्रभावशाली और दिव्य आयोजन है, जो 30 अगस्त 2025 को Divyayog Ashram में आयोजित किया जा रहा है। यह शिविर उन श्रद्धालुओं के लिए है जो अपने जीवन में लगातार आ रही बाधाओं, कष्टों और दुर्भाग्य से छुटकारा पाना चाहते हैं। पाशुपत पूजन के माध्यम से साधक को पापों से मुक्ति, श्राप निवारण, शत्रु शांति और आर्थिक, पारिवारिक सुरक्षा प्राप्त होती है।

यह पाशुपत पूजन शिविर केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की अनुभूति है। इसमें शिव के पाशुपत रूप की आराधना कर शक्तिशाली सिद्धियां प्राप्त होती हैं।


पाशुपत पूजन शिविर से मिलने वाले प्रमुख लाभ

(शिव शक्ति द्वारा जीवन में दिव्यता और रक्षा)

  1. पापों से संपूर्ण मुक्ति
  2. पूर्वजों के श्राप का निवारण
  3. शत्रुओं की समाप्ति
  4. तंत्र-मंत्र और काले जादू से सुरक्षा
  5. नजर दोष और ऊपरी बाधा से मुक्ति
  6. आर्थिक रुकावटों का अंत
  7. नौकरी व व्यापार में सुरक्षा और स्थायित्व
  8. पारिवारिक झगड़े और अशांति का समाधान
  9. मानसिक तनाव और भय से राहत
  10. कोर्ट केस व शत्रु मुकदमों में विजय
  11. जीवन में स्थिरता और उन्नति
  12. गृह दोष और वास्तु दोष से मुक्ति
  13. आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति
  14. ब्रह्मांडीय शक्ति से जुड़ाव
  15. साधना में सफलता
  16. आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि
  17. रोग नाश और ऊर्जा संतुलन
  18. देवताओं की विशेष कृपा
  19. मनोकामनाओं की पूर्ति
  20. सिद्ध पाशुपत यंत्र और रक्षा कवच की प्राप्ति

कौन भाग ले सकता है इस पाशुपत पूजन शिविर में?

पाशुपत पूजन शिविर में 20 वर्ष से ऊपर के कोई भी श्रद्धालु – स्त्री या पुरुष – भाग ले सकते हैं। यह शिविर विशेष रूप से उन लोगों के लिए है:

  • जो तंत्र बाधाओं, श्राप या पापों से पीड़ित हैं
  • जो अपने घर-परिवार की सुरक्षा चाहते हैं
  • जो आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शांति की खोज में हैं
  • जो व्यापार, नौकरी या विवाह में रुकावट महसूस कर रहे हैं

सच्चे श्रद्धा भाव से आने वाले हर साधक को इस पूजन शिविर का दिव्य अनुभव प्राप्त होगा।


ऑनलाइन और ऑफलाइन – दोनों माध्यम से भागीदारी संभव

पाशुपत पूजन शिविर में आप Divyayog Ashram में प्रत्यक्ष उपस्थित होकर भाग ले सकते हैं या ऑनलाइन माध्यम से घर बैठे जुड़ सकते हैं।

ऑनलाइन जुड़ने पर आपको:

  • मंत्रों की सही उच्चारण विधि
  • साधना सामग्री घर पर भेजी जाएगी

ऑफलाइन उपस्थित साधकों को विशेष पूजन स्थल पर बैठाकर मंत्रोच्चार, पूजन विधि और आशीर्वाद दिया जाएगा।


पूजन के बाद प्राप्त होने वाली सिद्ध सामग्री

इस पाशुपत पूजन शिविर में भाग लेने वाले प्रत्येक साधक को Divyayog Ashram की ओर से विशेष सिद्ध पूजन सामग्री दी जाएगी:

  • पाशुपत यंत्र – सिद्ध और शक्तिपूर्ण
  • पाशुपत रक्षा कवच – ऊर्जा सुरक्षा हेतु

ये सभी माध्यम शिव कृपा को स्थायी रूप से जीवन में स्थापित करने वाले हैं।


पाशुपत पूजन शिविर में भाग लेने के नियम

(सफलता हेतु नियमों का पालन अनिवार्य)

  1. साधक की उम्र 20 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए
  2. स्त्री और पुरुष – दोनों शिविर में भाग ले सकते हैं
  3. ब्लू व ब्लैक रंग के वस्त्र पहनने की मनाही है
  4. धूम्रपान, मद्यपान व मांसाहार वर्जित है
  5. पूजन काल में ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है
  6. साधना सामग्री को पवित्र स्थान में रखें
  7. पूजन विधि व मंत्रों का सही उच्चारण करें
  8. मोबाइल, टीवी व अन्य विचलन से दूर रहें
  9. गुरु निर्देशों का संपूर्ण पालन करें
  10. स्थान व समय की शुद्धता बनाए रखें
  11. बिना श्रद्धा भाग न लें – केवल आस्था से ही प्रभाव होता है
  12. पूजन पूर्ण होने पर सिद्ध यंत्र व कवच प्रदान किया जाएगा

पाशुपत पूजन शिविर से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न व उत्तर

1. क्या यह पूजन गृहस्थ लोग कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, यह पाशुपत पूजन शिविर गृहस्थ जीवन के कष्टों को दूर करने हेतु विशेष रूप से उपयुक्त है।

2. क्या यह शिविर केवल पुरुषों के लिए है?

उत्तर: नहीं, स्त्रियाँ भी पूरी श्रद्धा व नियमों का पालन करके इसमें भाग ले सकती हैं।

3. क्या ऑनलाइन जुड़ने पर भी सिद्धि प्राप्त होती है?

उत्तर: हाँ, गुरु निर्देशों के अनुसार ऑनलाइन जुड़कर भी सिद्ध फल प्राप्त होते हैं।

4. सामग्री हमें कैसे प्राप्त होगी?

उत्तर: पंजीकरण के बाद सभी सामग्री को डाक/कोरियर द्वारा आपके पते पर भेजा जाएगा।

5. क्या पाशुपत कवच हमेशा पहना जा सकता है?

उत्तर: हाँ, यह सिद्ध कवच आपके शरीर और ऊर्जा की सुरक्षा हेतु हर समय उपयोगी है।

6. क्या किसी विशेष मंत्र का जाप कराना होगा?

उत्तर: हाँ, गुरु जी द्वारा दिए गए पाशुपत मंत्र का जप अनिवार्य रहेगा।

7. क्या रात्रि में भी पूजन करना होगा?

उत्तर: नहीं, पूजन विशिष्ट मुहूर्त और समय पर किया जाएगा।

8. क्या यह साधना एक बार पर्याप्त है?

उत्तर: हाँ, पूर्ण श्रद्धा व विधिपूर्वक की गई एक बार की पूजा भी जीवन परिवर्तनकारी होती है।

9. क्या यह पूजन भय, तंत्र, शत्रु से बचाता है?

उत्तर: हाँ, यह पूजन इन सभी बाधाओं को समाप्त करने की दिव्य शक्ति रखता है।

10. क्या दिव्य अनुभूतियाँ होती हैं इस पूजन से?

उत्तर: अनेक साधकों को शिव दर्शन, ऊर्जा अनुभव और स्वप्न संकेत मिलते हैं।

11. क्या पूजन के बाद दीक्षा मिलती है?

उत्तर: नहीं, यह एक पूजन शिविर है, दीक्षा कार्यक्रम अलग से होता है।

12. क्या संतान या विवाह संबंधी समस्या में भी यह लाभकारी है?

उत्तर: हाँ, यह पूजन जीवन की हर क्षेत्र की बाधा हटाने वाला सिद्ध उपाय है।


📌 पाशुपत पूजन शिविर – संक्षिप्त जानकारी

  • तिथि: 30 अगस्त 2025
  • स्थान: Divyayog Ashram
  • माध्यम: ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों
  • संपर्क: 📞 7710812329 | ✉️ di**************@***il.com
  • पंजीकरण लिंक: BOOK NOW

🔔 अब अवसर है शिव से जुड़ने का

पाशुपत पूजन शिविर केवल एक आयोजन नहीं, यह एक आध्यात्मिक क्रांति है। इससे जीवन में आने वाली हर बाधा, कष्ट, तंत्र-शक्ति और दुर्भाग्य समाप्त हो सकते हैं। आपका जीवन शिव की ऊर्जा से भर सकता है।

आज ही पंजीकरण करें – स्थान सीमित हैं।


Pashupat Sadhana Shivir – Liberation, Protection, Power Through Shiva

Pashupat Sadhana Shivir – Liberation, Protection, Power Through Shiva

पाशुपत साधना शिविर – पाप, श्राप और शत्रु विनाश की दिव्य यात्रा(30-31 अगस्ट 2025 | स्थान: Divyayog Ashram)

Pashupat Sadhana Shivir एक अत्यंत दुर्लभ और प्रभावशाली तांत्रिक साधना अवसर है जो दिव्ययोग आश्रम द्वारा 30-31 अगस्ट 2025 को आयोजित किया जा रहा है। यह शिविर पापों से मुक्ति, श्राप निवारण, शत्रु बाधा शांति, तंत्र और नजर दोष से रक्षा, परिवार, व्यापार और आर्थिक स्थिति की सुरक्षा प्रदान करने वाला अत्यंत शक्तिशाली माध्यम है।

यह शिविर उन साधकों के लिए है जो अपने जीवन में गहराई से परिवर्तन लाना चाहते हैं। जो लोग तंत्र से मुक्ति, अलौकिक शक्ति की प्राप्ति और महाशिव की कृपा पाना चाहते हैं – उनके लिए पाशुपत साधना शिविर जीवन को नया मोड़ देने वाला अवसर सिद्ध होगा।


Pashupat Sadhana Shivir के प्रमुख लाभ

  1. पापों से मुक्ति
  2. पूर्वजों के श्राप से मुक्ति
  3. शत्रुओं से संरक्षण
  4. काला जादू और तंत्र प्रयोगों से सुरक्षा
  5. व्यापार व नौकरी में स्थायित्व
  6. आर्थिक अस्थिरता का अंत
  7. घर की नकारात्मक ऊर्जा का शुद्धिकरण
  8. नजर दोष से मुक्ति
  9. ग्रह दोषों का प्रभाव कम होना
  10. पारिवारिक झगड़े का समाधान
  11. कोर्ट-कचहरी से छुटकारा
  12. आत्मविश्वास और साहस की वृद्धि
  13. डर, भय और मानसिक कमजोरी का नाश
  14. आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि
  15. ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ाव
  16. योग्यता और कार्यक्षमता में सुधार
  17. आध्यात्मिक जागरण
  18. पूर्व जन्म के कर्मों की शुद्धि
  19. देवी-देवताओं की कृपा प्राप्ति
  20. पूर्ण जीवन रक्षण कवच की प्राप्ति

कौन भाग ले सकता है इस पावन साधना शिविर में?

इस पाशुपत साधना शिविर में कोई भी स्त्री या पुरुष जो 20 वर्ष से अधिक उम्र का है, भाग ले सकता है। यह शिविर विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो:

  • अपने जीवन से कष्टों को हटाना चाहते हैं।
  • मानसिक, आर्थिक और आध्यात्मिक शक्ति की खोज में हैं।
  • तंत्र-बाधा, नजर दोष या काले जादू से पीड़ित हैं।
  • परिवार व व्यापार की सुरक्षा चाहते हैं।

यह शिविर आपके जीवन को नकारात्मकता से निकालकर शिव ऊर्जा से भर देगा।


ऑनलाइन और ऑफलाइन – दोनों माध्यम से भागीदारी

आप इस पाशुपत साधना शिविर में दिव्ययोग आश्रम में आकर प्रत्यक्ष रूप से भाग ले सकते हैं या फिर अपने घर से ऑनलाइन जुड़ सकते हैं।

ऑफलाइन आने वाले साधकों को विशेष दिव्य पूजा स्थान में बैठाकर गुरु मार्गदर्शन में साधना करवाई जाएगी।


शिविर में दी जाने वाली सिद्ध साधना सामग्री (Divyayog Ashram द्वारा)

सभी पंजीकृत साधकों को निम्नलिखित सिद्ध पाशुपत सामग्री प्रदान की जाएगी:

  • पाशुपत माला – मंत्र सिद्ध कराई गई
  • पाशुपत यंत्र – सिद्ध एवं अभिमंत्रित
  • पाशुपत पारद गुटिका – अत्यंत प्रभावशाली
  • देवी आसन – साधना के लिए शुभ स्थान हेतु
  • रक्षा सूत्र – शिव ऊर्जा से मंत्रित
  • कौड़ी – पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक
  • चिरमी दाना – लाल, सफेद व काले रंग में
  • पाशुपत कवच – रक्षा हेतु सिद्ध कवच
  • पाशुपत साधना ईबुक– इसमे साधना के अनेको प्रयोग दिये गये है

ये सभी वस्तुएँ साधना के बाद आजीवन लाभ देने वाली रहेंगी।


Pashupat Sadhana Shivir में भाग लेने के नियम

(हर साधक को इन नियमों का पालन करना अनिवार्य है)

  1. उम्र 20 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री व पुरुष – दोनों भाग ले सकते हैं।
  3. नीले या काले रंग के वस्त्र न पहनें।
  4. शिविर काल में मांसाहार, धूम्रपान, मद्यपान पूर्णतः वर्जित है।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।
  6. मन, शरीर और वाणी की शुद्धता बनाए रखें।
  7. श्रद्धा और संकल्प भाव से ही साधना करें।
  8. साधना सामग्री को पवित्र स्थान में रखें।
  9. निर्धारित समय पर साधना करें – निर्देशों का पालन करें।
  10. मोबाइल और अन्य विकर्षण से दूर रहें।
  11. गुरु द्वारा दी गई विधि का उल्लंघन न करें।
  12. शिविर के बाद दीक्षा सिद्ध पाशुपत यंत्र व कवच मिलेगा।

पाशुपत साधना शिविर से जुड़े सामान्य प्रश्न व उत्तर

1. क्या यह साधना गृहस्थ व्यक्ति कर सकता है?

उत्तर: हाँ, यह शिविर विशेष रूप से गृहस्थों के लिए है। कोई भी श्रद्धालु स्त्री या पुरुष इसे कर सकता है।

2. क्या साधना से शत्रु बाधा दूर हो सकती है?

उत्तर: बिल्कुल, यह पाशुपत साधना शत्रु शांति और तंत्र बाधा से रक्षा हेतु अत्यंत प्रभावशाली है।

3. क्या ऑनलाइन भाग लेने पर भी समान लाभ मिलेंगे?

उत्तर: हाँ, सभी को समान सिद्ध सामग्री व विधि दी जाएगी। अंतर नहीं होगा।

4. सामग्री कैसे मिलेगी?

उत्तर: ऑनलाइन साधकों को डाक/कोरियर द्वारा भेज दी जाएगी।

5. क्या सभी को पाशुपत यंत्र और कवच मिलेगा?

उत्तर: हाँ, साधना पूर्ण होने पर गुरु द्वारा सिद्ध यंत्र और कवच दिए जाएंगे।

6. क्या पहले तंत्र प्रयोग से पीड़ित व्यक्ति इसमें भाग ले सकता है?

उत्तर: अवश्य, यह शिविर तंत्र बाधा मुक्ति के लिए सबसे श्रेष्ठ उपायों में से है।

7. क्या बच्चों के लिए यह उपयुक्त है?

उत्तर: यह शिविर 20 वर्ष से ऊपर वालों के लिए है। बच्चों को अलग उपाय सुझाए जाते हैं।

8. क्या स्त्रियाँ इस शिविर में भाग ले सकती हैं?

उत्तर: हाँ, साधना के नियमों का पालन करते हुए स्त्रियाँ पूर्ण रूप से भाग ले सकती हैं।

9. क्या इस साधना से नौकरी में स्थिरता आएगी?

उत्तर: हाँ, यह साधना कार्य सिद्धि, नौकरी की सुरक्षा और उन्नति हेतु अत्यंत लाभकारी है।

10. क्या किसी पूर्व जन्म के श्राप से मुक्ति मिलेगी?

उत्तर: हाँ, यह साधना पूर्व जन्म के दोष और श्राप निवारण में सहायक है।

11. क्या यह साधना बार-बार करनी होती है?

उत्तर: नहीं, एक बार विधिपूर्वक की गई साधना से सिद्ध पाशुपत कवच आजीवन रक्षा करता है।

12. क्या गुरु मार्गदर्शन मिलेगा?

उत्तर: जी हाँ, दिव्ययोग आश्रम के गुरुजन पूरे शिविर में मार्गदर्शन करेंगे।


पाशुपत साधना शिविर का संक्षिप्त सारांश

  • तिथि: 30–31 अगस्ट 2025
  • स्थान: Divyayog Ashram
  • प्रारूप: ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों
  • संपर्क हेतु: 📞 7710812329 | ✉️ di**************@***il.com
  • संपूर्ण जानकारी व पंजीकरण: BOOK NOW

अब जीवन को बदलने का समय है

पाशुपत साधना शिविर केवल एक साधना नहीं, बल्कि महाशिव की कृपा प्राप्त करने का दुर्लभ अवसर है। इस शिविर में भाग लेकर आप अपने जीवन की तमाम बाधाओं को समाप्त कर सकते हैं, और एक सशक्त, सुरक्षित व ऊर्जावान जीवन की ओर बढ़ सकते हैं।

🌿 पंजीकरण शीघ्र करें – स्थान सीमित हैं।

Relieve Gas and Indigestion with Powerful Vayu Mudra Mantra

Relieve Gas and Indigestion with Powerful Vayu Mudra Mantra

गैस, अपच और भारीपन? बस यह मुद्रा करें और मंत्र बोलें!

Relieve Gas and Indigestion- आज के तेज़ और तनावपूर्ण जीवन में अनियमित भोजन, देर रात खाना, तली-भुनी चीजें, और बैठे रहने की आदत के कारण गैस, अपच और भारीपन जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। यह समस्याएं केवल शरीर को ही नहीं, मानसिक रूप से भी थका देती हैं।

प्राचीन योगशास्त्र में ऐसे विकारों के लिए कई हस्त मुद्राओं का वर्णन मिलता है। उन्हीं में से एक है वायु मुद्रा। यह एक अत्यंत सरल लेकिन प्रभावशाली योगिक मुद्रा है, जो शरीर में वायु तत्व के असंतुलन को ठीक कर गैस, अपच और पेट भारीपन से मुक्ति दिलाती है। इस मुद्रा का नियमित अभ्यास और संबंधित मंत्र के जप से पेट की क्रियाएं ठीक होती हैं, भूख खुलती है और शरीर हल्का महसूस होता है।


वायु मुद्रा क्या है?

वायु मुद्रा एक हस्त मुद्रा है जो शरीर में वायु तत्त्व को नियंत्रित करने के लिए की जाती है। यह मुद्रा तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे के मूल में लगाने से बनती है, और शेष तीन अंगुलियाँ सीधी रहती हैं।

संकेत: वायु तत्त्व का असंतुलन ही गैस, अपच, पेट फूलना, जोड़ों का दर्द जैसे विकारों का मूल कारण है। वायु मुद्रा इसे ठीक करती है।


वायु मुद्रा के 15 अद्भुत लाभ

पाचन क्रिया को सुधारने वाले लाभ

  1. गैस और पेट फूलने में तुरंत राहत देती है।
  2. अपच और भारीपन को दूर करती है।
  3. कब्ज को समाप्त कर मल त्याग नियमित करती है।
  4. भोजन के पाचन को गति देती है।
  5. भूख की कमी को दूर करती है।

ऊर्जा और ताजगी देने वाले लाभ

  1. शरीर में जमी वायु को बाहर निकालती है।
  2. पेट दर्द और ऐंठन में लाभकारी है।
  3. सिरदर्द और चक्कर को कम करती है (जो गैस से होता है)।
  4. मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन को शांत करती है।
  5. नींद बेहतर बनाती है।

शरीर को स्वस्थ और सशक्त करने वाले लाभ

  1. मोटापे को कम करने में सहायक है।
  2. मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है।
  3. पेट की गर्मी और जलन को कम करती है।
  4. बिना दवा के प्राकृतिक उपचार का माध्यम।
  5. नियमित अभ्यास से शरीर में ऊर्जा प्रवाह संतुलित होता है।

वायु मुद्रा का अभ्यास कब और कैसे करें?

उत्तम समय और अवधि

  • सुबह का समय: प्रातः खाली पेट करना सबसे लाभकारी।
  • शाम का समय: भोजन के 2 घंटे बाद करें।
  • समय अवधि: एक बार में 10–15 मिनट, दिन में दो बार करें।
  • अवधि: कम से कम 21 दिन लगातार करें।

विशेष मुहूर्त (प्रारंभ हेतु)

  • सप्ताह के दिन: सोमवार या गुरुवार से शुरू करें।
  • स्थान: शांत वातावरण, खुली हवा या पूजा कक्ष।
  • आसन: पद्मासन, सुखासन या वज्रासन में बैठें।

मंत्र और विधि – वायु मुद्रा के साथ प्रयोग

उपयोग मंत्र:

“ॐ वायुदेवाय नमः”

विधि:

  1. सबसे पहले वायु मुद्रा बनाएं (तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे की जड़ में रखें)।
  2. आँखें बंद करें, रीढ़ सीधी रखें।
  3. गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें।
  4. मंत्र का उच्चारण करें या मानसिक रूप से जप करें।
  5. एक बार में 108 बार मंत्र का जप करें।
  6. जप के बाद 2 मिनट ध्यान करें और फिर मुद्रा छोड़ दें।

मंत्र से ऊर्जा जागरण होता है और वायु तत्व नियंत्रित होता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या वायु मुद्रा को बच्चे और बुजुर्ग कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, यह पूर्णतः सुरक्षित है। कोई भी उम्र कर सकती है।

2. क्या इसे बिना मंत्र के किया जा सकता है?

उत्तर: हाँ, लेकिन मंत्र से लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं।

3. कितने दिनों में असर दिखता है?

उत्तर: 7–10 दिनों में फर्क महसूस होने लगता है।

4. क्या इसे पेट दर्द में तुरंत किया जा सकता है?

उत्तर: हाँ, तुरंत लाभ मिलता है।

5. क्या यह दवा का विकल्प है?

उत्तर: यह एक प्राकृतिक माध्यम है, गंभीर स्थिति में चिकित्सकीय सलाह लें।

6. क्या इसे खाना खाने के तुरंत बाद किया जा सकता है?

उत्तर: नहीं, कम से कम 1.5 घंटे बाद करें।

7. क्या यह हर मौसम में किया जा सकता है?

उत्तर: हाँ, यह ऋतुओं से प्रभावित नहीं होती।

वायु मुद्रा एक ऐसा सरल लेकिन शक्तिशाली उपाय है जो पेट की समस्याओं को प्राकृतिक रूप से ठीक करता है। नियमित अभ्यास से यह न केवल शरीर को हल्का बनाती है, बल्कि मानसिक शांति और आंतरिक ऊर्जा भी प्रदान करती है। यदि आप गैस, अपच या भारीपन से परेशान हैं, तो यह मुद्रा आपके लिए वरदान सिद्ध हो सकती है।


Cure Knee Pain Naturally Using Neem and Hanuman Mantra

Cure Knee Pain Naturally Using Neem and Hanuman Mantra

घुटनों का दर्द हो या गठिया – सिर्फ 1 नीम पत्ता कर देगा चमत्कार!

Cure Knee Pain Naturally – आज के समय में घुटनों का दर्द और गठिया की समस्या एक आम परेशानी बन चुकी है, खासकर वृद्धजन और मध्यम आयु वर्ग के लोगों के लिए। चलना-फिरना, उठना-बैठना, सीढ़ियाँ चढ़ना या यहाँ तक कि आराम से सोना भी कठिन हो जाता है। लेकिन आयुर्वेद और तंत्र शास्त्र में ऐसे कई सरल और प्रभावशाली उपाय बताए गए हैं जो बिना किसी दवा के इन कष्टों से मुक्ति दिला सकते हैं।

नीम का एक पत्ता – जी हां! बस एक नीम पत्ता और हनुमान जी का सिद्ध मंत्र “ॐ हं हनुमते रुद्राय नमः” आपके दर्द में चमत्कारी राहत ला सकता है। यह उपाय न केवल शारीरिक दर्द को शांत करता है बल्कि गठिया जैसी पुरानी बीमारियों की जड़ में जाकर उनका समाधान करता है।

दिव्ययोग आश्रम द्वारा अनुभूत यह उपाय हजारों लोगों के जीवन में बदलाव लाया है। नीम की शक्ति और हनुमान मंत्र का सम्मिलन शरीर में रुकी हुई ऊर्जा को पुनः जाग्रत करता है और जोड़ों में लचीलापन लौटाता है।


अद्भुत लाभ (Benefits)

  1. घुटनों के पुराने दर्द में त्वरित राहत मिलती है।
  2. गठिया (Arthritis) के लक्षणों में सुधार होता है।
  3. जोड़ों की सूजन कम होती है।
  4. शरीर में रुकी ऊर्जा पुनः प्रवाहित होती है।
  5. चलने-फिरने में सुविधा होती है।
  6. नींद के दौरान दर्द से राहत मिलती है।
  7. जोड़ों की जकड़न खुलती है।
  8. हड्डियों की शक्ति में वृद्धि होती है।
  9. शरीर में वात दोष संतुलित होता है।
  10. नीम की शुद्धता से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।
  11. मानसिक रूप से व्यक्ति अधिक ऊर्जावान अनुभव करता है।
  12. आत्मिक शक्ति जाग्रत होती है।
  13. शारीरिक थकावट व कमजोरी कम होती है।
  14. अनिंद्रा और चिड़चिड़ापन में सुधार होता है।
  15. यह उपाय बिना दवा के शरीर को स्वाभाविक रूप से ठीक करता है।

उपयोग के नियम (Niyam)

  • प्रयोग सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद करें।
  • हर दिन एक नया नीम का ताजा पत्ता लें।
  • पत्ता पूरी तरह हरा व साबुत हो, टूटा न हो।
  • मंत्र जाप के समय शांत और एकाग्र मन रखें।
  • प्रयोग करते समय मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज वर्जित हो।
  • कम से कम 11 दिनों तक यह प्रयोग नियमित करें।
  • नीम पत्ते को प्रयोग के बाद गमले या मिट्टी में दबा दें।

शुभ मुहूर्त (Auspicious Timing)

  • प्रारंभ हेतु: मंगलवार या शनिवार का दिन सर्वोत्तम।
  • समय: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4–6 बजे) या रात 9 बजे के बाद।
  • विशेष तिथि: हनुमान जयंती, अमावस्या, शुक्ल पक्ष की अष्टमी।
  • यदि पीड़ा अत्यधिक हो तो बिना मुहूर्त भी आरंभ किया जा सकता है।

मंत्र और विधि (Mantra & Vidhi)

मंत्र:
“ॐ हं हनुमते रुद्राय नमः”

विधि:

  1. सुबह ताजे नीम के पेड़ से एक हरा, साबुत पत्ता तोड़ें।
  2. उसे गंगाजल से धोकर शुद्ध करें।
  3. एक शांत स्थान पर दीपक जलाकर बैठें।
  4. हाथ में पत्ता लेकर 21 बार “ॐ हं हनुमते रुद्राय नमः” मंत्र का जाप करें।
  5. अब उस पत्ते को पीसकर हल्का गरम करें और घुटने या पीड़ित स्थान पर बाँधें।
  6. यदि बाँधना संभव न हो, तो पत्ते को केवल उस स्थान पर रगड़ें।
  7. प्रयोग के बाद पत्ते को मिट्टी में विसर्जित करें।

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सामान्य प्रश्नोत्तर

Q1. क्या यह उपाय गठिया के किसी भी स्तर पर असर करता है?
हां, प्रारंभिक और मध्यम अवस्था पर यह अत्यंत प्रभावी है।

Q2. क्या नीम पत्ते को किसी तेल में मिलाकर भी प्रयोग कर सकते हैं?
हां, सरसों के तेल में नीम पत्ता मिलाकर हल्का गर्म करके भी प्रयोग किया जा सकता है।

Q3. बच्चों या वृद्धों पर भी यह उपाय सुरक्षित है?
हां, यह प्रयोग पूर्णतः प्राकृतिक है और किसी भी उम्र में किया जा सकता है।

Q4. प्रयोग के कितने दिन में असर दिखता है?
सामान्यतः 5–7 दिन में दर्द में कमी महसूस होने लगती है।

Q5. क्या इस प्रयोग के साथ दवाएं बंद कर दें?
नहीं, यदि डॉक्टर की दवा चल रही हो तो बिना परामर्श के न रोकें। यह उपाय सहायक माध्यम है।

Q6. क्या इस उपाय को लंबे समय तक करना पड़ता है?
11 दिन के प्रयोग से लाभ होता है, लेकिन जरूरत अनुसार जारी रखा जा सकता है।

Q7. क्या मंत्र का उच्चारण ज़रूरी है?
हां, मंत्र के कंपन से प्रयोग की ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है।


घुटनों का दर्द और गठिया जैसे रोग, केवल दवाओं से ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक और आध्यात्मिक माध्यमों से भी पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। नीम पत्ता और “ॐ हं हनुमते रुद्राय नमः” मंत्र का यह चमत्कारी प्रयोग दिव्ययोग आश्रम के अनुभवी साधकों द्वारा बार-बार सिद्ध किया गया है। यह शरीर, मन और आत्मा – तीनों पर कार्य करता है।

यदि आप भी बिना दवा, बिना साइड इफेक्ट के अपने जीवन से दर्द को विदा देना चाहते हैं, तो आज ही यह प्रयोग शुरू करें – और अनुभव करें वह दिव्य ऊर्जा जो आपके हर जोड़ में नया जीवन भर दे।

हनुमान जी की कृपा से… दर्दमुक्त जीवन आपका हो!


One Coin, One Mantra – End Fearful Sleep Forever

One Coin, One Mantra – End Fearful Sleep Forever

1 सिक्का रखो तकिए के नीचे – डर और बुरे सपने होंगे गायब!

One Coin, One Mantra – रात को सोते समय बार-बार डर लगना, बुरे सपने आना, नींद टूट जाना या नींद में चौंक जाना – ये समस्याएं आजकल बच्चों से लेकर बड़ों तक में आम होती जा रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ एक छोटा सा तांत्रिक उपाय आपके इन कष्टों को मिटा सकता है? हां, यदि आप एक साधारण उपाय – तकिए के नीचे एक अभिमंत्रित सिक्का रखते हैं और विशेष तांत्रिक भैरव मंत्र “ॐ भ्रं भैरवाय नमः” का जाप करते हैं, तो यह साधारण-सा दिखने वाला उपाय आपके जीवन में अत्यंत चमत्कारी परिवर्तन ला सकता है।

यह प्रयोग केवल नींद से जुड़ी परेशानियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नकारात्मक शक्तियों, डर, नजर दोष, मनोविकार, मानसिक भय, और यहां तक कि गुप्त बाधाओं को भी समाप्त करने की शक्ति रखता है। यह एक सिद्ध प्रयोग है, जो दिव्य तांत्रिक परंपरा से आया है और सैकड़ों साधकों ने इसे सफलतापूर्वक अनुभव किया है।


अद्भुत लाभ (Benefits)

  1. डर और बुरे स्वप्न से मुक्ति मिलती है।
  2. बच्चों के रोने और नींद में डरने की आदत दूर होती है।
  3. नींद गहरी और शांतिपूर्ण होती है।
  4. मानसिक अस्थिरता और बेचैनी कम होती है।
  5. अनजाना भय और रात की चिंता समाप्त होती है।
  6. तांत्रिक और गुप्त बाधाओं से रक्षा मिलती है।
  7. नजर दोष से सुरक्षा मिलती है।
  8. नींद में चौंकने की प्रवृत्ति खत्म होती है।
  9. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  10. घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
  11. मानसिक शुद्धि और भावनात्मक संतुलन प्राप्त होता है।
  12. आत्मिक बल और सुरक्षा कवच का निर्माण होता है।
  13. बच्चों की रात्रिकालीन अशांति में लाभ होता है।
  14. नींद में दिखने वाले डरावने दृश्य कम हो जाते हैं।
  15. यह प्रयोग पूरे परिवार की रक्षा ऊर्जा को सक्रिय करता है।

उपयोग के नियम (Niyam)

  • प्रयोग के लिए केवल नया या स्वच्छ तांबे या पीतल का सिक्का लें।
  • मंत्र जाप के समय पवित्रता का ध्यान रखें।
  • प्रयोग केवल रात्रि में करें, सोने से पहले।
  • प्रयोग करते समय कोई अशुद्ध वस्त्र या नकारात्मक विचार न रखें।
  • सिक्के को प्रतिदिन नहीं हटाना चाहिए; केवल हफ्ते में एक बार धोकर फिर से स्थापित करें।
  • किसी और को वह सिक्का न दें।
  • प्रयोग काल में मांस, मदिरा या अपवित्र आचरण न करें।

शुभ मुहूर्त (Auspicious Timing)

  • प्रारंभ हेतु अमावस्या, अष्टमी या शनिवार रात्रि विशेष शुभ होते हैं।
  • रात्रि 9 बजे के बाद से लेकर सोने से पहले का समय उत्तम है।
  • यदि यह प्रयोग मंगलवार या शनिवार को आरंभ किया जाए तो विशेष प्रभावी माना गया है।
  • महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी, भैरव साधना हेतु सर्वश्रेष्ठ होती है।

मंत्र और विधि (Mantra & Method)

मंत्र:
🔱 ॐ भ्रं भैरवाय नमः 🔱

विधि:

  1. एक नया तांबे या पीतल का सिक्का लें।
  2. उसे गंगाजल या गौमूत्र से शुद्ध करें।
  3. दीपक जलाकर सामने रखें।
  4. सिक्के को अपने हाथ में लेकर 108 बार ॐ भ्रं भैरवाय नमः मंत्र का जाप करें।
  5. अब इस सिक्के को अपने तकिए के नीचे रखें और सो जाएं।
  6. प्रत्येक रात्रि सोने से पहले मंत्र का 11 बार जाप अवश्य करें।
  7. यह प्रयोग 21 रात्रियों तक नियमित करें।

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सामान्य प्रश्नोत्तर

Q1. क्या यह प्रयोग बच्चे भी कर सकते हैं?
हां, यह प्रयोग बच्चों के लिए अत्यंत लाभकारी है। माता-पिता यह प्रयोग बच्चों के तकिए में कर सकते हैं।

Q2. किस सिक्के का उपयोग करें – चांदी, तांबा या पीतल?
तांबा या पीतल का सिक्का सर्वश्रेष्ठ है। चांदी का उपयोग विशेष ऊर्जा के लिए भी किया जा सकता है।

Q3. क्या प्रयोग के दौरान किसी नियम का उल्लंघन हो गया तो प्रभाव कम हो जाएगा?
हां, शुद्धता, संयम और नियमों का पालन आवश्यक है।

Q4. क्या हर किसी के लिए यह प्रयोग काम करता है?
यह प्रयोग सिद्ध और तांत्रिक रूप से प्रभावशाली है। श्रद्धा और नियमितता से अवश्य फल मिलता है।

Q5. क्या इस प्रयोग के साथ अन्य मंत्र या पूजा भी कर सकते हैं?
👉 हां, लेकिन इस प्रयोग के समय ध्यान एकाग्र और विशुद्ध होना चाहिए।

Q6. क्या प्रयोग पूरा होने पर सिक्के को हटा देना चाहिए?
21 दिन बाद यदि चाहें तो सिक्के को बहते जल में प्रवाहित कर सकते हैं। चाहें तो नियमित उपयोग में भी रख सकते हैं।

Q7. क्या इस प्रयोग से आत्मबल भी बढ़ता है?
हां, यह मंत्र और प्रयोग न केवल भय मिटाता है, बल्कि आत्मबल और आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।


भय, बुरे स्वप्न, तांत्रिक बाधा और मानसिक अस्थिरता से मुक्ति का यह प्रयोग अत्यंत सरल और प्रभावकारी है। केवल एक सिक्का और एक मंत्र – यही है वह रहस्य जो आपके जीवन को बदल सकता है। दिव्ययोग आश्रम में यह प्रयोग सैकड़ों साधकों ने किया और अद्भुत लाभ प्राप्त किए। यदि आप भी मानसिक शांति, गहरी नींद और आत्मिक सुरक्षा चाहते हैं, तो इस चमत्कारी प्रयोग को आज ही आरंभ करें।

“ॐ भ्रं भैरवाय नमः” – यह केवल मंत्र नहीं, बल्कि एक सुरक्षा कवच है।


Knee Pain or Arthritis? This Point Will Change Life

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घुटनों का दर्द हो या गठिया – ये एक्यूप्रेशर पॉइंट और मंत्र बदल देगा जीवन

घुटनों का दर्द और गठिया आजकल सिर्फ बुजुर्गों की नहीं, युवाओं की भी गंभीर समस्या बन चुकी है। यह दर्द चलने, बैठने, उठने, सीढ़ियाँ चढ़ने, या यहां तक कि रात को सोने में भी तकलीफ देता है। दवाएं और तेल कभी अस्थायी राहत तो देते हैं, लेकिन असली समाधान शरीर के ऊर्जा केंद्रों को संतुलित करके ही संभव है।

DivyayogAshram आपके लिए लेकर आया है एक अद्भुत समाधान – एक्यूप्रेशर पॉइंट और वैदिक मंत्र का दिव्य प्रयोग। यह प्रयोग बिना दवा, बिना किसी साइड इफेक्ट के आपके जोड़ों के दर्द को जड़ से कम करने में सहायक हो सकता है। सिर्फ एक सही बिंदु पर दबाव और साथ में दिव्य मंत्र का जाप करने से शरीर की सूक्ष्म ऊर्जा जाग्रत होती है, जिससे घुटनों में चमत्कारी सुधार देखा गया है। यह उपाय घर बैठे, किसी भी समय किया जा सकता है।


एक्यूप्रेशर पॉइंट और मंत्र विधि

पॉइंट:
घुटनों के दर्द के लिए सबसे प्रभावशाली बिंदु है –
ST-36 (Zusanli) बिंदु – यह बिंदु घुटने के ठीक नीचे, टिबिया (शिन बोन) की बाहरी ओर लगभग 3 अंगुल नीचे होता है।

विधि:

  1. अपने हाथों की उंगलियों या अंगूठे से ST-36 बिंदु पर हल्के से मध्यम दबाव दें।
  2. दबाव देने का समय – प्रति पैर 1-2 मिनट।
  3. इस दौरान निम्नलिखित मंत्र का जप करें:

मंत्र:
“ॐ नमो भगवते धन्वंतरये अमृतकलश हस्ताय सर्वरोग निवारणाय स्वाहा।”
(इस मंत्र का 9 या 11 बार उच्चारण करें)

  1. यह प्रक्रिया दिन में दो बार करें – सुबह और रात को सोने से पहले।

चमत्कारी लाभ

  1. पुराने घुटनों के दर्द में राहत
  2. गठिया (Arthritis) के लक्षणों में सुधार
  3. चलने-फिरने में आसानी
  4. सूजन और जकड़न में कमी
  5. दवाओं की निर्भरता में कमी
  6. ऊर्जा प्रवाह में सुधार
  7. नींद की गुणवत्ता में वृद्धि
  8. जीवनशैली में सुधार
  9. सर्दी-गर्मी के दर्द से राहत
  10. संतुलन और स्थिरता में सुधार
  11. ओस्टियोआर्थराइटिस के दर्द में उपयोगी
  12. जोड़ों की चिकनाई बढ़ाने में सहायक
  13. बढ़ती उम्र में भी सक्रियता बनाए रखे
  14. ध्यान और ध्यानाभ्यास में सहायता
  15. शरीर में सूक्ष्म ऊर्जा जाग्रत होती है

DivyayogAshram के सुझाव

  • एक्यूप्रेशर पॉइंट दबाते समय गहरी सांस लें।
  • मंत्र का उच्चारण मन से, श्रद्धा सहित करें।
  • नियमित प्रयोग से ही स्थायी परिणाम मिलते हैं।
  • इसे ध्यान या योग अभ्यास के साथ मिलाकर करने से लाभ दोगुना हो जाता है।

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सामान्य प्रश्न

Q1: क्या यह उपाय हर उम्र के व्यक्ति कर सकते हैं?
हाँ, 12 वर्ष से ऊपर के सभी व्यक्ति कर सकते हैं, वृद्धों के लिए यह विशेष रूप से उपयोगी है।

Q2: क्या इस बिंदु को स्वयं दबाया जा सकता है?
हाँ, लेकिन बेहतर परिणाम के लिए किसी प्रशिक्षित व्यक्ति से दबवाना भी अच्छा रहेगा।

Q3: कितने दिन में असर दिखता है?
कुछ लोगों को 3-5 दिनों में राहत महसूस होती है, जबकि गंभीर मामलों में 15-20 दिन तक लग सकते हैं।

Q4: क्या इसे दवाओं के साथ किया जा सकता है?
हाँ, लेकिन धीरे-धीरे दवाओं की आवश्यकता कम होती जाती है।

Q5: क्या यह उपाय गठिया के सभी प्रकारों में उपयोगी है?
यह अधिकतर प्रकारों में उपयोगी है, विशेषकर ओस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस में।

Q6: क्या यह प्रयोग दिन में एक से अधिक बार किया जा सकता है?
हाँ, सुबह और रात को किया जाना विशेष रूप से लाभकारी है।

Q7: क्या मंत्र जप ज़रूरी है?
हाँ, मंत्र से सूक्ष्म ऊर्जा सक्रिय होती है और प्रयोग की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।


घुटनों का दर्द और गठिया जैसे रोग यदि जीवन में स्थायी पीड़ा बन गए हैं, तो यह प्रयोग आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। DivyayogAshram द्वारा सुझाया गया यह एक्यूप्रेशर और मंत्र आधारित उपाय सरल, प्रभावी और पूरी तरह प्राकृतिक है। न दवा की जरूरत, न साइड इफेक्ट – सिर्फ विश्वास, नियमितता और सही विधि से ही जीवन बदल सकता है।


Relieve Headache Instantly with Divine Point and Mantra

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सिर्फ 1 बिंदु दबाओ – सिरदर्द 1 मिनट में गायब! | मंत्र सहित चमत्कारी उपाय

सिरदर्द एक आम समस्या है, जो तनाव, थकान, नींद की कमी, गैस, उच्च रक्तचाप या अन्य कारणों से हो सकती है। जब सिर में दर्द उठता है, तो काम करना, ध्यान लगाना और जीवन का आनंद लेना कठिन हो जाता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि बिना दवा लिए सिर्फ 1 बिंदु को दबाकर सिरदर्द को मात्र 1 मिनट में दूर किया जा सकता है?

प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति – एक्यूप्रेशर और वैदिक मंत्रों के अद्भुत समन्वय से DivyayogAshram द्वारा प्रस्तुत यह प्रयोग पूर्णतः प्राकृतिक, सुरक्षित और अत्यंत प्रभावशाली है। इस चमत्कारी उपाय में आप जानेंगे कि सिरदर्द से तुरंत राहत पाने के लिए कौन-सा बिंदु दबाना है, कितनी देर दबाना है, और कौन-सा मंत्र जपना है।


एक्यूप्रेशर बिंदु और मंत्र विधि

बिंदु: दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी (Index Finger) के बीच का मांसल भाग – जिसे LI-4 या हेगू पॉइंट कहा जाता है।

विधि:

  1. सीधे बैठें और शांत मन से बाईं हथेली में दाहिने हाथ के अंगूठे से इस बिंदु को दबाएं।
  2. लगभग 1 मिनट तक निरंतर दबाव दें – हल्के से मध्यम दबाव रखें।
  3. दबाव के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जप करें:

मंत्र:
“ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः सिरदर्द नाशाय स्वाहा”
(3 या 9 बार मंत्र का उच्चारण करें)

  1. चाहें तो दूसरी हथेली पर भी यही प्रक्रिया दोहराएं।

सुझाव:

  • यह प्रयोग सुबह और आवश्यकता पड़ने पर दिन में 2 बार कर सकते हैं।
  • इस बिंदु को दबाते समय गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें।

चमत्कारी लाभ

  1. सिरदर्द में तत्काल राहत
  2. माइग्रेन के दर्द में भी असरकारी
  3. तनाव और चिंता में कमी
  4. मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में वृद्धि
  5. दवाओं की निर्भरता से मुक्ति
  6. नींद की गुणवत्ता में सुधार
  7. आंखों के तनाव में कमी
  8. उच्च रक्तचाप जनित सिरदर्द में उपयोगी
  9. सर्दी-जुकाम से जुड़े सिरदर्द में राहत
  10. चक्र संतुलन में सहायता
  11. थकान और मानसिक बोझ से मुक्ति
  12. ऊर्जा का प्रवाह सुचारु
  13. आध्यात्मिक ध्यान में उपयोगी
  14. विद्यार्थियों के लिए एकाग्रता बढ़ाने में सहायक
  15. अत्यंत सरल, तुरंत प्रयोग योग्य उपाय

DivyayogAshram द्वारा सुझाए गए नियम

  • प्रयोग से पूर्व हाथ-पैर साफ करें।
  • शांत वातावरण में बैठें या लेटें।
  • अगर सिरदर्द बार-बार हो, तो डॉक्टर से परामर्श भी लें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1: क्या यह उपाय बच्चों पर भी किया जा सकता है?
हाँ, 10 वर्ष से ऊपर के बच्चों पर हल्के दबाव के साथ यह प्रयोग किया जा सकता है।

Q2: इस बिंदु को कितनी बार दबाया जा सकता है?
दिन में 2 से 3 बार 1-1 मिनट के लिए दबाना पर्याप्त होता है।

Q3: क्या इस विधि से माइग्रेन का इलाज संभव है?
यह माइग्रेन के शुरुआती लक्षणों में अत्यधिक लाभकारी है। नियमित प्रयोग से फर्क दिखता है।

Q4: क्या यह मंत्र किसी विशेष देवी-देवता से जुड़ा है?
यह मंत्र विशेष रूप से वैदिक ऊर्जा से प्रेरित है जो शरीर के सूक्ष्म केंद्रों को सक्रिय करता है।

Q5: क्या यह उपाय गर्भवती महिलाएं कर सकती हैं?
LI-4 बिंदु गर्भावस्था में न दबाएं, यह गर्भाशय संकुचन को प्रेरित कर सकता है।

Q6: क्या इस बिंदु को दोनों हाथों पर दबाना चाहिए?
हाँ, दोनों हाथों पर बारी-बारी से दबाना बेहतर परिणाम देता है।

Q7: क्या यह उपाय योग या ध्यान के साथ भी किया जा सकता है?
बिल्कुल, यह ध्यान और श्वास अभ्यास के साथ और भी शक्तिशाली हो जाता है।

यदि आप सिरदर्द की समस्या से बार-बार परेशान रहते हैं और दवाओं पर निर्भर नहीं रहना चाहते, तो DivyayogAshram द्वारा प्रस्तुत यह अद्भुत एक्यूप्रेशर और मंत्र प्रयोग आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। यह सरल, तेज़ और प्रभावी उपाय आपके शरीर की ऊर्जा को पुनः संतुलित कर आपको सिरदर्द से शीघ्र राहत प्रदान करेगा।


Kamakhya Sindoor Mantra Practice – No One Can Stop

Kamakhya Sindoor Mantra Practice – No One Can Stop

Powerful Kamakhya Sindoor Totka for Victory and Success!

Kamakhya Sindoor Mantra Practice – कामख्या देवी तंत्र की अधिष्ठात्री शक्ति हैं, जिनकी सिंदूर शक्ति अद्भुत मानी जाती है। “Kamakhya Sindur” को तंत्र जगत में सिद्धि, आकर्षण, विजय और कार्यसिद्धि का दिव्य माध्यम माना गया है। जब कोई कार्य बार-बार रुकता हो, शत्रु सामने अड़चन डालते हों या कोई अदृश्य बाधा लक्ष्य को रोक रही हो – तब कामख्या सिंदूर के विशेष प्रयोग से सब कुछ संभव हो जाता है।

मंत्र “ॐ क्लीं क्लीं कामख्या क्लीं नमः” को यदि सही विधि से सिंदूर प्रयोग के साथ किया जाए, तो कोई भी व्यक्ति या बाधा टिक नहीं सकती।
DivyayogAshram के अनुभवी साधक इसे सिद्ध कर अनेक बार कार्य सिद्धि पा चुके हैं।


लाभ – Kamakhya Sindur से कार्य सिद्धि के चमत्कारी प्रभाव

  1. रुके हुए कार्य तुरंत गति पकड़ते हैं।
  2. ऑफिस या व्यापारिक निर्णय में विजय मिलती है।
  3. कोर्ट केस में विजय की संभावना बढ़ती है।
  4. सरकारी कामों में फँसे प्रकरण आसानी से निकलते हैं।
  5. विरोधी शांत हो जाते हैं या सहायता करने लगते हैं।
  6. दूसरों पर आपका प्रभाव और आकर्षण बढ़ता है।
  7. इंटरव्यू या परीक्षाओं में आत्मबल और सफलता मिलती है।
  8. तंत्र बाधा या काली शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
  9. घर में लक्ष्मी और कार्यसिद्धि की ऊर्जा का संचार होता है।
  10. शत्रु या जलन करने वालों से बचाव होता है।
  11. आकर्षण शक्ति बढ़ने से लोग आपकी बात मानने लगते हैं।
  12. आपकी योजना सफल होकर जीवन में प्रगति लाती है।
  13. व्यापार में रुकी डील्स और पेमेंट निकलने लगती हैं।
  14. मानसिक तनाव और असफलता की आशंका दूर होती है।
  15. यह प्रयोग आत्मबल, आत्मविश्वास और दैवी शक्ति से भर देता है।

मंत्र और विधि (Mantra & Vidhi)

🔸मंत्र:
ॐ क्लीं क्लीं कामख्या क्लीं नमः

🔸विधि (Step-by-step Process):

  1. किसी शुक्रवार या अमावस्या की रात से इस प्रयोग को प्रारंभ करें।
  2. एक तांबे की थाली में थोड़ा Kamakhya Sindur रखें।
    (DivyayogAshram द्वारा अभिमंत्रित सिंदूर हो तो सर्वोत्तम)
  3. सिंदूर के पास एक दीपक (घी या तिल तेल) जलाएं।
  4. अब सामने कामख्या माता का चित्र रखें – उसमें भी थोड़ा सिंदूर अर्पित करें।
  5. 108 बार उपरोक्त मंत्र का जप करें।
    (माला से करें, रुद्राक्ष या चंपा माला श्रेष्ठ है)
  6. जप करते समय ध्यान रखें कि सिंदूर को बीच में देखना है, जैसे वह शक्ति का केंद्र हो।
  7. 7 दिनों तक लगातार यह प्रक्रिया दोहराएं।
    हर दिन ताजे सिंदूर और दीपक का प्रयोग करें।
  8. 7वें दिन वह सिंदूर अपने लक्ष्य संबंधित स्थान पर लगा दें –
    जैसे ऑफिस फाइल पर, तिजोरी में, दुकान में, या कोर्ट कागज पर।
  9. शेष सिंदूर को लाल कपड़े में बांधकर अपने पूजा स्थान में रखें।
  10. प्रयोग पूर्ण होने के बाद “कामख्या देवी” को 5 लड्डू या खीर का भोग लगाएं।

शुभ मुहूर्त (Auspicious Muhurat)

विशेष मुहूर्त:

  • अमावस्या, पूर्णिमा, शुक्रवार, नवरात्रि की अष्टमी या नवमी, काली चौदस, गुप्त नवरात्रि

सिद्ध तिथियाँ:

जप समय:

  • रात्रि 9:00 PM से 12:00 AM तक
  • एकांत और शांत स्थान श्रेष्ठ रहेगा।

महत्वपूर्ण FAQs

1. क्या यह प्रयोग पुरुष और महिला दोनों कर सकते हैं?
हाँ, यह प्रयोग दोनों के लिए समान रूप से प्रभावी है।

2. क्या Kamakhya Sindur ऑनलाइन मिल सकता है?
हाँ, आप DivyayogAshram से प्रमाणित और अभिमंत्रित सिंदूर मंगा सकते हैं।

3. यदि एक दिन छूट जाए तो क्या प्रभाव घटेगा?
हाँ, 7 दिन का क्रम टूटा तो पुनः पहले दिन से आरंभ करना श्रेष्ठ रहेगा।

4. क्या मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना आवश्यक है?
जी हाँ, “क्लीं” बीज मंत्र है – इसे स्पष्ट और भाव से बोलना जरूरी है।

5. क्या इस प्रयोग से किसी को नुकसान हो सकता है?
नहीं, यह प्रयोग सिर्फ आपकी कार्यसिद्धि हेतु है – इसमें किसी को हानि नहीं होती।

6. क्या इस प्रयोग को बार-बार किया जा सकता है?
हाँ, लेकिन हर बार नया सिंदूर और सामग्री प्रयोग करनी चाहिए।

7. क्या यह प्रयोग रात्रि में ही करना आवश्यक है?
रात्रि समय शक्ति प्रधान होता है, लेकिन दिन में भी शांत वातावरण में किया जा सकता है।

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🔗 📦 Order Information (For Website Placement)

👉 📌 अभिमंत्रित Kamakhya Sindur
👉 ⏳ प्रयोग अवधि: 7 दिन
👉 🎯 प्रयोग उद्देश्य: कार्य सिद्धि, निर्णय सफलता, कोर्ट केस विजय
👉 👉 📍उपलब्धता: www.divyayogastore.com
👉 🧘 प्रयोग मार्गदर्शन: DivyayogAshram के विशेष साधकों द्वारा निर्देशित


⚠️ Disclaimer: यह प्रयोग शुद्ध आस्था, श्रद्धा और सही विधि से ही कार्य करता है। तांत्रिक उद्देश्यों हेतु अनावश्यक उपयोग से बचें।

Nikumbhala Sadhana: Unlock the Impossible with Divine Power

Nikumbhala Sadhana: Unlock the Impossible with Divine Power

जो कोई न कर सके, वह कर दिखाएगी निकुंभला देवी साधना!

Nikumbhala Sadhana – निकुंभला देवी – रावण की कुलदेवी, तंत्र जगत की गुप्त और परम सिद्ध शक्ति मानी जाती हैं। यह साधना उन लोगों के लिए है जो जीवन में असंभव को संभव करना चाहते हैं। जब जीवन हर ओर से बंद हो, जब न्याय न मिले, जब शत्रु हावी हों, जब व्यापार ठप हो, जब विवाह, संतान या संपत्ति में बाधाएं हों – तब निकुंभला देवी की साधना दिव्य शक्ति बनकर सामने आती है।
यह साधना एक गुप्त तांत्रिक प्रक्रिया है, जिसमें साधक देवी के कालरूप को जागृत करता है। यह साधना केवल इच्छित फल ही नहीं देती, बल्कि साधक को अदृश्य तांत्रिक रक्षण भी प्रदान करती है। यदि आपने सब कुछ आज़मा लिया है, और अब जीवन में कोई मार्ग नहीं बचा, तो यह साधना आपके लिए है। निकुंभला देवी वह कर सकती हैं जो कोई न कर सके।


निकुंभला साधना के दिव्य लाभ

  1. शत्रु विनाश एवं अदृश्य तांत्रिक रक्षा
  2. असंभव कार्य की सिद्धि
  3. व्यापार और धन में अत्यधिक वृद्धि
  4. विवाह एवं संतान संबंधी बाधाओं का अंत
  5. कोर्ट केस व कानूनी मामलों में विजय
  6. आत्मबल, तेज और शक्ति में वृद्धि
  7. अदृश्य दुश्मनों से रक्षा
  8. ग्रह बाधाओं एवं ऊपरी असर से मुक्ति
  9. संपत्ति विवादों का समाधान
  10. राजनीति या सामाजिक क्षेत्र में उन्नति
  11. भय, असुरक्षा और कमजोरी से छुटकारा
  12. अचानक भाग्योदय
  13. दुर्भाग्य का नाश और सौभाग्य की प्राप्ति
  14. तांत्रिक शक्तियों का जागरण
  15. दिव्य स्वप्नदर्शन और आंतरिक मार्गदर्शन

साधना के नियम (Niyam)

  • साधना काल: अमावस्या, मंगलवार या शनिवार से प्रारंभ करें
  • स्थान: एकांत, पवित्र और शांत स्थान (यथासंभव दक्षिण दिशा में मुख रखें)
  • वस्त्र: काले या नीले रंग के वस्त्र पहनें
  • शुद्धता: ब्रह्मचर्य, शुद्ध आहार, मौन आवश्यक
  • समय: रात्रि 12 बजे के बाद (निशा काल सर्वोत्तम)
  • देवी चित्र या मूर्ति रखें और रक्षायंत्र स्थापित करें

🕉 मंत्र जप विधि (Mantra Vidhi)

🔸 मंत्र:
ॐ क्रीं ह्रीं निकुंभला कालरूपिणी नमः।

  • 11, 21 या 108 माला जप करें (रुद्राक्ष माला का प्रयोग करें)
  • एक नारियल पर देवी का नाम लिखकर पूजा करें
  • 21 दिन तक दीपक और धूप जलाएं
  • प्रतिदिन एक नीला पुष्प देवी को चढ़ाएं
  • अंतिम दिन हवन करें (घी, गुग्गुलु, लवंग, इलायची आदि से)

सामान्य प्रश्न

Q1: क्या यह साधना सभी कर सकते हैं?
A1: यह साधना केवल मानसिक रूप से दृढ़ और गंभीर साधकों के लिए उपयुक्त है।

Q2: साधना के लिए गुरु आवश्यक है?
A2: यदि आप तांत्रिक साधनाओं में नए हैं, तो गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है।

Q3: मंत्र का जाप दिन में किया जा सकता है?
A3: यह रात्रिकालीन साधना है – विशेष रूप से मध्यरात्रि में प्रभावी होती है।

Q4: क्या इस साधना से तांत्रिक शक्ति मिलती है?
A4: हाँ, नियमित साधना से रक्षण और जागरण अनुभव होता है।

Q5: कौन-से दिन शुरू करें?
A5: अमावस्या, भूतड़ी अमावस्या, या कालाष्टमी सर्वोत्तम माने जाते हैं।

Q6: क्या विशेष भोग चढ़ाना चाहिए?
A6: नारियल, गुड़, नीला फूल और नींबू चढ़ाना शुभ माना गया है।

Q7: अगर साधना बीच में छूट जाए तो?
A7: पुनः संकल्प लेकर पूरे विधिविधान से दोबारा शुरू करें।

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Guru Purnima Mantra That Removes Every Problem From Life

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गुरु पूर्णिमा टोटके और मंत्र – जीवन के सभी कष्ट होंगे दूर

गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली पर्व है, जब साधक अपने जीवन में गुरु तत्व की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष उपाय, टोटके और मंत्रों का प्रयोग करते हैं। यह दिन न केवल कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि अपने भाग्य, स्वास्थ्य, संबंध, और आर्थिक जीवन में सुधार लाने का भी उत्तम समय है। शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु की कृपा से ही अज्ञान का नाश होता है और आत्मज्ञान प्राप्त होता है।

इस के दिन किए गए विशिष्ट टोटके और मंत्र साधनाएं जीवन के सभी कष्टों को दूर करने की शक्ति रखते हैं। DivyayogAshram की परंपरा में यह मान्यता है कि यदि इस दिन सरल किन्तु प्रभावशाली टोटकों और मंत्रों का पालन किया जाए, तो व्यक्ति अपने जीवन में अद्भुत परिवर्तन अनुभव करता है। यह दिन दुर्भाग्य से सौभाग्य की ओर यात्रा का आरंभ बन सकता है।


मंत्र और टोटका विधि

मंत्र:
ॐ ऐं श्रीं गुं गुरुभ्यो नमः
विधि:

  1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ पीले वस्त्र पहनें।
  2. घर के मंदिर में दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  3. गुरु या अपने इष्ट का चित्र सामने रखें।
  4. पीले चावल, केसर, और हल्दी मिश्रित जल से पूजन करें।
  5. मंत्र का 108 बार जाप करें।
  6. इसके बाद एक छोटा सा टोटका करें –
    एक पीला कपड़ा लें, उसमें थोड़ी सी हल्दी, गुड़, और 5 गोमती चक्र रखें। इसे गुरुवार को घर के पूजा स्थान में रखें और 7 दिन बाद जल में प्रवाहित करें।

लाभ

  1. भाग्य जाग्रत होता है
  2. गुरु कृपा से सभी कार्यों में सफलता मिलती है
  3. धन, वैभव और समृद्धि का मार्ग खुलता है
  4. शिक्षा में वृद्धि होती है
  5. विवाह बाधाएं दूर होती हैं
  6. संतान सुख की प्राप्ति होती है
  7. कोर्ट केस और शत्रु बाधाएं शांत होती हैं
  8. मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है
  9. आध्यात्मिक उन्नति होती है
  10. बुरी नजर और नकारात्मकता से रक्षा होती है
  11. रोग और कष्टों से मुक्ति मिलती है
  12. पारिवारिक कलह समाप्त होती है
  13. व्यापार और नौकरी में वृद्धि होती है
  14. आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता बढ़ती है
  15. जीवन के सभी क्षेत्रों में शुभता का प्रवेश होता है

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सामान्य प्रश्न

Q1: क्या ये टोटके किसी विशेष व्यक्ति के लिए ही हैं?
नहीं, ये सभी आयु और वर्ग के लोगों के लिए उपयोगी हैं।

Q2: क्या बिना गुरु के भी ये उपाय किए जा सकते हैं?
हाँ, गुरु तत्व को ध्यान में रखकर किए गए उपाय भी प्रभावी होते हैं।

Q3: क्या इस मंत्र के लिए कोई विशेष समय है?
प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के समय श्रेष्ठ होता है।

Q4: क्या टोटका करते समय किसी खास दिशा की ओर बैठना चाहिए?
उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।

Q5: क्या इस टोटके को हर साल दोहराया जा सकता है?
हाँ, इसे हर गुरु पूर्णिमा पर दोहराना अत्यंत शुभ होता है।

Q6: अगर गोमती चक्र न मिले तो क्या करें?
उसकी जगह पीली कौड़ी या हल्दी की गांठ का प्रयोग किया जा सकता है।

Q7: क्या मंत्र का जाप रोज़ किया जा सकता है?
हाँ, इस मंत्र का नियमित जप भी जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है।

Chant Guru Mantra Once – Life Will Change!

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गुरु पूर्णिमा पर ये 1 मंत्र बदल देगा आपका भाग्य! जरूर जानें

Chant Guru Mantra – गुरु पूर्णिमा, भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक पर्व है, जब साधक अपने गुरु के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यह दिन केवल सम्मान का नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने का होता है। इस दिन उच्च कोटि की ऊर्जा प्रवाहित होती है जो सही मंत्र और विधि से साधक के भाग्य को जाग्रत कर सकती है।

“ॐ गुरवे नमः” जैसे सरल लेकिन प्रभावशाली मंत्रों का जाप इस दिन विशेष रूप से फलदायक होता है। यदि सही भाव, विधि और श्रद्धा से इस मंत्र का जाप किया जाए, तो यह हमारे जीवन में रुके हुए कार्यों को गति देता है, ज्ञान का द्वार खोलता है और कर्मों की ग्रंथियों को काटता है।

DivyayogAshram की परंपरा में, यह मंत्र गुरु ऊर्जा को आह्वान करने और जीवन की दिशा बदलने का सशक्त माध्यम माना गया है।


गुरु पूर्णिमा मंत्र और विधि

मंत्र:
ॐ ऐं श्रीं गुं गुरवे नमः
( Om Aim Shreem Gumm Gurave Namah)

जप संख्या:
108 बार या 1080 बार (गुरु पूर्णिमा के दिन)

विधि:

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  3. सामने गुरु या अपने इष्टदेव का चित्र या प्रतीक रखें।
  4. दीपक जलाएं और चंदन या अगरबत्ती अर्पित करें।
  5. ध्यानपूर्वक “ॐ गुरवे नमः” मंत्र का जाप करें।
  6. मंत्र जाप के बाद गुरु के चरणों में प्रणाम करें और आशीर्वाद मांगें।
  7. गुरु दक्षिणा रूप में अन्न, वस्त्र, या पुस्तक दान करें।

चमत्कारी लाभ

  1. भाग्य जाग्रत होता है और रुकावटें दूर होती हैं।
  2. गुरु कृपा से आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
  3. शिक्षा और करियर में तेज़ उन्नति होती है।
  4. मानसिक शांति और संतुलन आता है।
  5. आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है।
  6. पुराने कर्मों के बंधन टूटते हैं।
  7. अच्छे मार्गदर्शक और सहयोगी जीवन में आते हैं।
  8. आध्यात्मिक रक्षा कवच बनता है।
  9. घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  10. साधना में सफलता मिलने लगती है।
  11. गुरु तत्व से जुड़ाव होता है।
  12. अवसाद, चिंता और डर में राहत मिलती है।
  13. विवाह, संतान और धन संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।
  14. इम्यूनिटी और स्वास्थ्य में सुधार आता है।
  15. जीवन के हर क्षेत्र में अद्भुत परिवर्तन आता है।

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Frequently Asked Questions

Q1: क्या यह मंत्र सभी के लिए उपयोगी है?
हाँ, यह मंत्र सभी आयु और वर्ग के लोगों के लिए उपयोगी है।

Q2: इस मंत्र को किस समय जपें?
गुरु पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद ब्रह्म मुहूर्त या सुबह 6 से 9 बजे के बीच सर्वोत्तम होता है।

Q3: क्या इस मंत्र को बिना दीक्षा के जप सकते हैं?
हाँ, “ॐ गुरवे नमः” सार्वभौमिक गुरु मंत्र है, इसे सभी लोग जप सकते हैं।

Q4: मंत्र जाप करते समय क्या कोई विशेष आसन आवश्यक है?
हाँ, कुशासन या ऊन का आसन शुभ माना जाता है।

Q5: क्या मंत्र जाप के बाद भोग या प्रसाद अर्पण करना जरूरी है?
हाँ, गुड़, फल या पंचामृत अर्पण कर सकते हैं।

Q6: क्या ऑनलाइन गुरु को भी प्रणाम किया जा सकता है?
हाँ, यदि आप ऑनलाइन गुरु से जुड़े हैं, तो उनके चित्र या ध्यान में उन्हें प्रणाम कर सकते हैं।

Q7: क्या इस मंत्र का नियमित जप किया जा सकता है?
हाँ, रोजाना 108 बार जपने से भी अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं।