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Shakti Vinayak Beej Mantra – Desires & Remove Negative Energies

Shakti Vinayak Beej Mantra - Desires & Remove Negative Energies

शक्ति विनायक मंत्र का रहस्य: सफलता, सुरक्षा और आध्यात्मिक जागरण

Shakti Vinayak Beej Mantra साधना के लिए अत्यंत प्रभावशाली और सिद्धि प्रदान करने वाला मंत्र है। यह मंत्र “मंत्र महोदधि” में वर्णित एक अत्यंत चमत्कारी साधना पद्धति है, जो साधक को कार्यसिद्धि, मनोकामना पूर्ति और शत्रु बाधा से रक्षा प्रदान करता है। इस मंत्र का जाप करने से साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और हर प्रकार की नकारात्मक शक्ति समाप्त होती है। शक्ति विनायक मंत्र के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सफलता, शत्रु नाश, तंत्र बाधा निवारण और मानसिक शांति प्राप्त कर सकता है।

विनियोग

🔹 ॐ अस्य श्री शक्ति विनायक मंत्रस्य 🔹 महर्षिः कश्यपः, छन्दः गायत्री, देवता श्री विनायकः। 🔹 ध्यानं – श्री गणेशाय नमः। 🔹 विनियोगः – कार्यसिद्धये, मनःशांति एवं शत्रुनाशाय।

दिग्बंध

  • पूर्वे – इन्द्राय नमः।
  • दक्षिणे – यमाय नमः।
  • पश्चिमे – वरुणाय नमः।
  • उत्तरे – कुबेराय नमः।
  • ऊर्ध्वे – ईशानाय नमः।
  • अधो – अनंताय नमः।

शक्ति विनायक बीज मंत्र एवं उसका संपूर्ण अर्थ

॥ॐ ह्रीं ग्रीं ह्रीं॥

👉 मंत्र अर्थ “ॐ” अनंत ऊर्जा और ब्रह्मांड की शक्ति का प्रतीक है। “ह्रीं” आध्यात्मिक शक्ति का बीज मंत्र है, जो आत्मा की जागृति करता है। “ग्रीं” भगवान गणेश की कृपा और तीव्र बुद्धि को जाग्रत करने वाला बीज मंत्र है। पुनः “ह्रीं” का उच्चारण व्यक्ति के भीतर ईश्वरीय शक्ति का संचार करता है। यह मंत्र मनोबल को बढ़ाने, शत्रु बाधा से मुक्ति, मानसिक शांति और कार्यसिद्धि के लिए अत्यंत प्रभावी है।

शक्ति विनायक बीज मंत्र के लाभ

  1. कार्य में सफलता
  2. मनोकामना सिद्धि
  3. शत्रु बाधा से मुक्ति
  4. तंत्र बाधा से रक्षा
  5. धन-संपत्ति की प्राप्ति
  6. पारिवारिक कलह से मुक्ति
  7. आध्यात्मिक उन्नति
  8. मानसिक शांति और स्थिरता
  9. संतान प्राप्ति
  10. स्वास्थ्य लाभ
  11. दुर्घटना से रक्षा
  12. शिक्षा में सफलता
  13. व्यापार वृद्धि
  14. ग्रह दोष शांति
  15. नवग्रहों की कृपा
  16. आत्मबल और साहस में वृद्धि

जप काल में इन चीजों का सेवन अधिक करें

✔ फल और सूखे मेवे ✔ दूध और शुद्ध गाय का घी ✔ सात्त्विक भोजन (खिचड़ी, मूंग दाल, चावल, मिश्री, शहद) ✔ तुलसी, गंगाजल और पंचामृत का सेवन ✔ अधिक से अधिक जल का सेवन करें

Aghor lakshmi sadhana shivir

शक्ति विनायक बीज मंत्र जप के नियम

  • उम्र 18 वर्ष से ऊपर हो
  • 18 दिन तक प्रतिदिन 25 मिनट मंत्र जप करें
  • स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता है
  • नीले और काले वस्त्र न पहनें
  • धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का सेवन न करें
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें

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शक्ति विनायक बीज मंत्र जप में सावधानियां

⏳ मंत्र जप के लिए प्रातः 4-6 बजे या संध्या 6-8 बजे का समय सर्वोत्तम माना गया है।
📅 मंगलवार, बुधवार और चतुर्थी तिथि को जप प्रारंभ करना अधिक प्रभावशाली होता है।
🪔 दीपक जलाकर, उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके मंत्र जप करें।
🙏 स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर जप करें।

Tripur madnakshi sadhana with diksha

शक्ति विनायक बीज मंत्र से जुड़े प्रश्न और उत्तर

1. शक्ति विनायक मंत्र किस उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है?

👉 कार्यसिद्धि, मनोकामना पूर्ति, शत्रु नाश और आध्यात्मिक उन्नति के लिए।

2. इस मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

👉 कोई भी 18 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति, स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।

3. मंत्र जाप के लिए कौन सा समय सर्वोत्तम है?

👉 प्रातः 4-6 बजे या संध्या 6-8 बजे।

4. कितने दिनों तक मंत्र जप करना चाहिए?

👉 कम से कम 18 दिन, प्रतिदिन 25 मिनट।

5. क्या इस मंत्र का प्रयोग विशेष मुहूर्त में करना चाहिए?

👉 हां, चतुर्थी, बुधवार और मंगलवार को प्रारंभ करना श्रेष्ठ है।

6. क्या मंत्र जाप के दौरान खान-पान में सावधानी रखनी चाहिए?

👉 हां, सात्त्विक भोजन करें और मांसाहार, मद्यपान से बचें।

7. क्या इस मंत्र का प्रभाव तुरंत दिखता है?

👉 हां, विधिपूर्वक करने पर 18 दिनों में प्रभाव अनुभव किया जा सकता है।

8. क्या इस मंत्र से व्यापार और नौकरी में सफलता मिलती है?

👉 हां, यह मंत्र धन-संपत्ति और व्यापार वृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी है।

9. क्या इस मंत्र से ग्रह दोष भी शांत होते हैं?

👉 हां, नवग्रहों की शांति और कुंडली दोष निवारण में सहायक है।

10. क्या इस मंत्र से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य लाभ संभव है?

👉 हां, यह मंत्र मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ के लिए बहुत प्रभावी है।

11. क्या इस मंत्र का जाप समूह में किया जा सकता है?

👉 हां, लेकिन एकांत में जप अधिक प्रभावशाली होता है।

12. क्या मंत्र जाप में कोई विशेष आसन आवश्यक है?

👉 हां, सुखासन, पद्मासन या कुशासन पर बैठकर जप करें।

अंत मे

शक्ति विनायक मंत्र साधक को कार्यसिद्धि, शत्रु बाधा निवारण, धन-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। सही विधि से 18 दिनों तक इस मंत्र का जाप करने से चमत्कारी परिणाम प्राप्त होते हैं। अतः, जो भी व्यक्ति अपने जीवन में सफलता और शांति चाहते हैं, उन्हें इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।

Sheshnag Chalisa Path – Remedy to Remove Life’s Obstacles

Sheshnag Chalisa Path - Remedy to Remove Life’s Obstacles

शेषनाग चालीसा पाठ: जीवन की बाधाओं को दूर करने वाला दिव्य उपाय

ये चालीसा पाठ एक अत्यंत शक्तिशाली साधना है, जो साधक को आध्यात्मिक बल प्रदान करता है। यह पाठ व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर दिव्यता की ओर अग्रसर करता है।

शेषनाग जी अनंत ऊर्जा के प्रतीक हैं। वह भगवान विष्णु के शयन में सेतु रूप हैं। शेषनाग चालीसा पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जो जीवन में स्थिरता और सुरक्षा चाहते हैं।


अद्भुत लाभ

  1. जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  2. आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  3. मानसिक तनाव और भय समाप्त होता है।
  4. आर्थिक संकट दूर होते हैं।
  5. गृहस्थ जीवन में शांति बनी रहती है।
  6. शत्रु बाधा समाप्त होती है।
  7. संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
  8. राहु-केतु के दोष शांत होते हैं।
  9. रोगों से मुक्ति मिलती है।
  10. व्यापार में वृद्धि होती है।
  11. परिवार में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
  12. मनोवांछित कार्य सिद्ध होते हैं।
  13. आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
  14. पितृ दोष शांत होता है।
  15. मन की चंचलता समाप्त होती है।
  16. ध्यान और साधना में एकाग्रता बढ़ती है।
  17. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शेषनाग चालीसा

॥दोहा॥
श्री गणपति गुरु गौरी को, करूं सुमिरन ध्यान।
शेषनाग की वंदना, देहु बुद्धि विद्यान॥

॥चौपाई॥
नमन करूं शेषनाग तुम्हारे।
सात फणों की शोभा न्यारे॥

भूमि धार कर करो उपकारा।
जग पालन हित रूप तुम्हारा॥

नागराज जग पालनहारा।
सदा करो भक्तन उद्धारा॥

विष्णु शयन में सहज सहाय।
सतयुग से पूजे जाओ हाय॥

नील वर्ण तन रूप सुहाए।
फणों पर मणि ज्योत जलाए॥

शरण तुम्हारी जो जन आए।
उसका कष्ट शीघ्र ही जाए॥

फण मणि तेज ज्योति अपारा।
रखते प्रभु धरती का भार॥

शेषनाग तुम हो बलवंता।
स्मरण करे साधक अनंता॥

जो नर भक्त भाव से गावे।
संकट से मुक्ति वह पावे॥

॥दोहा॥
शरण शेष की जो शरण, पाए सकल विश्राम।
सुख समृद्धि निरंतर, मिले परम शुभ धाम॥


शेषनाग चालीसा पाठ विधि

1. दिन और अवधि

शेषनाग चालीसा पाठ के लिए मंगलवार और शनिवार सर्वोत्तम माने जाते हैं। यह पाठ 41 दिनों तक नियमित करना चाहिए।

2. मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00) और संध्या काल का समय श्रेष्ठ होता है। इस समय पाठ करने से विशेष फल मिलता है।

3. नियम

  • स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान को शुद्ध करें।
  • दीप जलाएं और शेषनाग जी का ध्यान करें।
  • शुद्ध चित्त होकर पाठ करें।
  • भोग अर्पित करें।
  • अंत में आरती करें।

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नियम

  1. चालीसा पाठ शुरू करने से पहले संकल्प लें।
  2. पूजा और साधना को गुप्त रखें।
  3. सात्विक आहार ग्रहण करें।
  4. मन, वचन और कर्म की शुद्धता बनाए रखें।
  5. नकारात्मक विचारों से बचें।
  6. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  7. पाठ के दौरान मोबाइल और बाहरी संपर्क से बचें।
  8. देव स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  9. किसी को तिरस्कार न करें।
  10. नियमों का कड़ाई से पालन करें।

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सावधानियां

  1. पाठ के दौरान अशुद्ध वस्त्र न पहनें।
  2. गंदे स्थान पर पाठ न करें।
  3. नशे का सेवन न करें।
  4. पाठ को अधूरा न छोड़ें।
  5. किसी को अपशब्द न कहें।
  6. नकारात्मकता से दूर रहें।
  7. पूजा स्थल की सफाई बनाए रखें।
  8. महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पाठ से परहेज करना चाहिए।

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शेषनाग चालीसा पाठ: प्रश्न और उत्तर

1. शेषनाग चालीसा पाठ क्यों करना चाहिए?

शेषनाग चालीसा पाठ से जीवन में स्थिरता, सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

2. यह पाठ किसे करना चाहिए?

हर वह व्यक्ति जो आध्यात्मिक उन्नति और समस्याओं से मुक्ति चाहता है, कर सकता है।

3. क्या शेषनाग चालीसा पाठ से आर्थिक समस्या दूर होती है?

हां, यह पाठ आर्थिक बाधाओं को दूर करता है।

4. क्या इस पाठ से गृहस्थ जीवन में सुख आता है?

जी हां, पारिवारिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।

5. क्या इस पाठ से रोग समाप्त होते हैं?

हां, शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।

6. कितने दिनों तक पाठ करना चाहिए?

41 दिन तक पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।

7. क्या पाठ का कोई दुष्प्रभाव होता है?

नहीं, यदि सही विधि से किया जाए तो कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।

8. क्या पाठ के दौरान नियमों का पालन आवश्यक है?

हां, नियमों का पालन करने से ही पूर्ण फल मिलता है।

9. क्या किसी विशेष समय में यह पाठ करना चाहिए?

सुबह और संध्या का समय सर्वोत्तम है।

10. क्या महिलाएं इस पाठ को कर सकती हैं?

हां, लेकिन मासिक धर्म के दौरान इसे टालना चाहिए।

11. क्या पाठ करने से पितृ दोष शांत होता है?

हां, यह पाठ पितृ दोष को शांत करता है।

12. क्या पाठ को गुप्त रखना चाहिए?

हां, साधना को गुप्त रखने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।


अंत

यह पाठ एक दिव्य साधना है, जो व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, सुख और आध्यात्मिक उन्नति लाती है। यदि इसे विधिपूर्वक किया जाए, तो यह सभी कष्टों का नाश करता है।

Rudrabhishek Pujan Shivir – Protection Peace & Prosperity

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रुद्राभिषेक पूजन: जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का रहस्य

यह रुद्राभिषेक पूजन शिविर एक पावन आयोजन है जो भगवान शिव की आराधना को समर्पित है। यह शिविर २६ फरवरी २०२५, महा शिवरात्रि के पावन अवसर पर, दिव्ययोग आश्रम में आयोजित किया जाएगा। इस पूजन शिविर में भाग लेकर भक्त भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद पा सकते हैं।


रुद्राभिषेक क्या होता है?

ये पूजन भगवान शिव की आराधना का एक पावन और शक्तिशाली अनुष्ठान है। यह पूजन विशेष रूप से भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। रुद्राभिषेक में “रुद्र” भगवान शिव का एक रूप है, जो संहारक और कल्याणकारी शक्तियों का प्रतीक है, और “अभिषेक” का अर्थ है श्रद्धापूर्वक जल, दूध, घी, शहद, दही, गंगाजल और अन्य पवित्र पदार्थों से शिवलिंग का स्नान करना।

महत्व

रुद्राभिषेक पूजन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह अनुष्ठान न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है। इस पूजन के माध्यम से भक्त भगवान शिव की कृपा पाकर अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।

विधि

इसमे वैदिक व तांत्रोक्य विधि से इस पूजन को संपन्न कराया जाता है, जिसमें निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

  1. शिवलिंग की स्थापना: पूजन से पहले शिवलिंग को पवित्र स्थान पर स्थापित किया जाता है।
  2. मंत्रोच्चारण: वैदिक मंत्रों और रुद्र सूत्र का पाठ किया जाता है।
  3. अभिषेक: शिवलिंग का दूध, घी, शहद, गंगाजल, दही और अन्य पवित्र पदार्थों से स्नान कराया जाता है।
  4. इसके अलावाः पाशुपत अघोर व रुद्र मंत्र का जप किया जाता है।
  5. फल और फूल चढ़ाना: शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल और अन्य पवित्र वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं।
  6. आरती और प्रसाद वितरण: पूजन के अंत में आरती की जाती है और प्रसाद वितरित किया जाता है।

रुद्राभिषेक पूजन शिविर के लाभ

रुद्राभिषेक पूजन शिविर में भाग लेने से भक्तों को अनेक आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं। यहां कुछ प्रमुख लाभ बताए गए हैं:

  1. भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
  2. मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  3. नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. आर्थिक समृद्धि बढ़ती है।
  6. मानसिक शांति मिलती है।
  7. पारिवारिक कलह दूर होता है।
  8. कर्मों का प्रभाव कम होता है।
  9. आत्मविश्वास बढ़ता है।
  10. जीवन में सकारात्मकता आती है।
  11. दुर्भाग्य दूर होता है।
  12. मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  13. बुरे सपने और भय दूर होते हैं।
  14. ग्रह दोषों का निवारण होता है।
  15. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  16. संतान प्राप्ति में सहायता मिलती है।
  17. रोगों से मुक्ति मिलती है।
  18. जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है।

कौन इस रुद्राभिषेक पूजन शिविर में भाग ले सकता है?

यह शिविर सभी के लिए खुला है। कोई भी व्यक्ति जो भगवान शिव की कृपा पाना चाहता है, वह इस शिविर में भाग ले सकता है। स्त्री-पुरुष, युवा और वृद्ध सभी इस पावन आयोजन का हिस्सा बन सकते हैं।


ऑनलाइन और ऑफलाइन भागीदारी

रुद्राभिषेक पूजन शिविर में भाग लेने के लिए आप दिव्ययोग आश्रम आ सकते हैं या ऑनलाइन माध्यम से भी जुड़ सकते हैं। ऑनलाइन भागीदारी के लिए आश्रम की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करें और पूजन का लाभ घर बैठे प्राप्त करें।


रुद्राभिषेक पूजन शिविर के नियम

इस शिविर में भाग लेने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है:

  1. भाग लेने वाले की आयु २० वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष दोनों भाग ले सकते हैं।
  3. नीले या काले रंग के कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. मन और शरीर को शुद्ध रखें।

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पूजन के बाद प्राप्त होने वाले उपहार

रुद्राभिषेक पूजन शिविर में भाग लेने वाले भक्तों को पूजन के बाद सिद्ध यंत्र और कवच प्रदान किया जाएगा। यह यंत्र और कवच भक्तों की सुरक्षा करते हैं और उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करते हैं।

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रुद्राभिषेक पूजन शिविर से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न १: रुद्राभिषेक पूजन शिविर क्या है?

उत्तर: यह भगवान शिव की आराधना का एक पावन आयोजन है जो महा शिवरात्रि के अवसर पर आयोजित किया जाता है।

प्रश्न २: इस शिविर में कौन भाग ले सकता है?

उत्तर: २० वर्ष से अधिक आयु के स्त्री-पुरुष इस शिविर में भाग ले सकते हैं।

प्रश्न ३: क्या ऑनलाइन भागीदारी संभव है?

उत्तर: हां, आप ऑनलाइन माध्यम से भी इस शिविर में भाग ले सकते हैं।

प्रश्न ४: पूजन के बाद क्या प्राप्त होता है?

उत्तर: पूजन के बाद सिद्ध यंत्र और कवच प्रदान किया जाता है।

प्रश्न ५: क्या इस शिविर में कोई विशेष नियम हैं?

उत्तर: हां, धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का सेवन न करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

प्रश्न ६: इस शिविर का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर: भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना और जीवन में सुख-शांति लाना।

प्रश्न ७: क्या इस शिविर में बच्चे भाग ले सकते हैं?

उत्तर: नहीं, केवल २० वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही भाग ले सकते हैं।

प्रश्न ८: क्या इस शिविर में विशेष वस्त्र पहनने की आवश्यकता है?

उत्तर: हां, नीले या काले रंग के कपड़े न पहनें।

प्रश्न ९ : क्या इस शिविर में आने के लिए दूर-दराज से आ सकते हैं?

उत्तर: हां, देश-विदेश से कोई भी व्यक्ति इस शिविर में भाग ले सकता है।

प्रश्न १०: क्या इस शिविर में भाग लेने के लिए किसी विशेष ज्ञान की आवश्यकता है?

उत्तर: नहीं, केवल श्रद्धा और भक्ति की आवश्यकता है।


अंत मे

रुद्राभिषेक पूजन शिविर एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव है जो भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्रदान करता है। इस शिविर में भाग लेकर आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकते हैं। २६ फरवरी २०२५ को दिव्ययोग आश्रम में आयोजित इस पावन आयोजन में अवश्य भाग लें।


रुद्राभिषेक पूजन शिविर में भाग लेकर अपने जीवन को धन्य बनाएं!

Yatra Siddhi Hanuman Mantra – Travel Success & Spiritual

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यात्रा सिद्धि हनुमान मंत्र: यात्रा में सफलता, मंगल कार्यों में विजय और नजर बाधा से मुक्ति का शक्तिशाली माध्यम

“मंत्र महोदधि” के अनुसार, यात्रा सिद्धि हनुमान मंत्र हर तरह की यात्रा में सफलता दिलाने वाला, मंगल कार्यों में विजय प्रदान करने वाला और नजर बाधा से मुक्ति दिलाने वाला एक शक्तिशाली मंत्र है। यह मंत्र भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और प्रभावशाली उपाय है। यात्रा सिद्धि हनुमान मंत्र का जप करने से व्यक्ति को हर प्रकार की यात्रा में सफलता मिलती है, चाहे वह व्यावसायिक यात्रा हो, शैक्षणिक यात्रा हो या फिर धार्मिक यात्रा। इस मंत्र का नियमित जप करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।


यात्रा सिद्धि हनुमान मंत्र और उसका अर्थ

यात्रा सिद्धि हनुमान मंत्र है:
॥ॐ नमो भगवते अंजनेयाय महाबलाय स्वाहा॥

मंत्र का अर्थ

  • : यह ब्रह्मांड की प्रथम ध्वनि है, जो ईश्वर का प्रतीक है।
  • नमो भगवते: इसका अर्थ है “भगवान को नमन करता हूं।”
  • अंजनेयाय: यह हनुमान जी का दूसरा नाम है, जो उनकी माता अंजना के पुत्र होने का संकेत देता है।
  • महाबलाय: इसका अर्थ है “महान बलशाली।” यह हनुमान जी की असीम शक्ति को दर्शाता है।
  • स्वाहा: यह मंत्र को पूर्णता प्रदान करने वाला शब्द है, जो मंत्र के प्रभाव को बढ़ाता है।

इस प्रकार, इस मंत्र का अर्थ है: “मैं भगवान अंजनेय (हनुमान) को नमन करता हूं, जो महाबलशाली हैं और सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं।”

मंत्र का महत्व

यात्रा सिद्धि हनुमान मंत्र का जप करने से व्यक्ति को हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। यह मंत्र यात्रा में सुरक्षा, मंगल कार्यों में सफलता और नजर बाधा से मुक्ति प्रदान करता है। इसके अलावा, यह मंत्र मन को शांत करता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है।


यात्रा सिद्धि हनुमान मंत्र के लाभ

  1. यात्रा में सफलता और सुरक्षा।
  2. मंगल कार्यों में विजय प्राप्ति।
  3. नजर बाधा और बुरी शक्तियों से मुक्ति।
  4. मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  5. शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना।
  6. स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से मुक्ति।
  7. धन और समृद्धि की प्राप्ति।
  8. कार्यस्थल पर सफलता और प्रगति।
  9. परिवार में सुख-शांति का वातावरण।
  10. भय और चिंता से मुक्ति।
  11. आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान।
  12. संकटों से रक्षा और समस्याओं का समाधान।
  13. वाहन दुर्घटना से बचाव।
  14. विद्या और ज्ञान में वृद्धि।
  15. बुरे सपनों और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति।
  16. हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति।

मंत्र जप के दौरान खान-पान संबंधी सुझाव

मंत्र जप के दौरान सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए। ताजे फल, सब्जियां, दूध और शहद का सेवन करें। तामसिक भोजन जैसे मांसाहार, मद्यपान और धूम्रपान से बचें। इससे मंत्र का प्रभाव बढ़ता है और मन शांत रहता है।

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यात्रा सिद्धि हनुमान मंत्र जप के नियम

  1. उम्र: यह मंत्र 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति ही जप सकते हैं।
  2. अवधि: 11 दिन तक लगातार 11 माला जप करें।
  3. वस्त्र: ब्लू या ब्लैक कपड़े न पहनें। पीले या केसरिया रंग के वस्त्र पहनें।
  4. ब्रह्मचर्य: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  5. समय: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे) या संध्या समय मंत्र जप करें।

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मंत्र जप की सावधानियां

  • मंत्र जप के दौरान मन को एकाग्र रखें।
  • जप करते समय नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  • मंत्र जप के बाद हनुमान जी की आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं।

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यात्रा सिद्धि हनुमान मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: यात्रा सिद्धि हनुमान मंत्र किसे जप करना चाहिए?

उत्तर: यह मंत्र हर उस व्यक्ति को जप करना चाहिए जो यात्रा में सफलता चाहता है या जिसे नजर बाधा का डर हो।

प्रश्न 2: मंत्र जप का सबसे अच्छा समय क्या है?

उत्तर: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे) या संध्या समय मंत्र जप करना सबसे अच्छा होता है।

प्रश्न 3: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं और पुरुष दोनों ही इस मंत्र का जप कर सकते हैं।

प्रश्न 4: मंत्र जप के दौरान क्या खाना चाहिए?

उत्तर: सात्विक आहार जैसे फल, सब्जियां, दूध और शहद का सेवन करें।

प्रश्न 5: मंत्र जप के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?

उत्तर: मांसाहार, मद्यपान, धूम्रपान और बुरे विचारों से दूर रहें।

प्रश्न 6: मंत्र जप के लिए कौन सा रंग शुभ है?

उत्तर: पीले या केसरिया रंग के वस्त्र पहनें।

प्रश्न 7: मंत्र जप के लिए कितनी माला जप करें?

उत्तर: 11 दिन तक लगातार 11 माला जप करें।

प्रश्न 8: मंत्र जप के बाद क्या करें?

उत्तर: हनुमान जी की आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं।

प्रश्न 9: क्या यह मंत्र बच्चों के लिए है?

उत्तर: नहीं, यह मंत्र 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए है।

प्रश्न 10: मंत्र जप के दौरान क्या सावधानी बरतें?

उत्तर: मन को एकाग्र रखें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

प्रश्न 11: मंत्र जप से क्या लाभ मिलता है?

उत्तर: यात्रा में सफलता, मंगल कार्यों में विजय और नजर बाधा से मुक्ति मिलती है।

प्रश्न 12: मंत्र जप के लिए कौन सा दिन शुभ है?

उत्तर: मंगलवार और शनिवार का दिन मंत्र जप के लिए शुभ माना जाता है।

Balram Chalisa Path – Peace Prosperity & Protection

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41 दिन का बलराम चालीसा पाठ: शक्ति, समृद्धि और सफलता का मार्ग


🔱 बलराम चालीसा पाठ का महत्व

बलराम चालीसा पाठ भगवान बलराम की कृपा प्राप्त करने का शक्तिशाली माध्यम है। बलराम जी शक्ति, धैर्य और धर्म के प्रतीक हैं। वे भक्तों के संकट हरते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। उनका आशीर्वाद जीवन में शांति, समृद्धि और शक्ति प्रदान करता है। जो भी श्रद्धा से बलराम चालीसा पाठ करता है, उसे आध्यात्मिक और भौतिक लाभ मिलते हैं। इस पाठ से मानसिक और शारीरिक बल बढ़ता है। नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और जीवन में सकारात्मकता आती है।


🔱 बलराम चालीसा पाठ के प्रमुख लाभ

  1. जीवन में स्थिरता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  2. पारिवारिक समस्याएँ समाप्त होती हैं।
  3. मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है।
  4. धन-धान्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  5. कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।
  6. वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
  7. शत्रु नाश होता है।
  8. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  9. रोगों से मुक्ति मिलती है।
  10. संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  11. ग्रह दोष शांत होते हैं।
  12. जीवन की बाधाएँ समाप्त होती हैं।
  13. भय, तनाव और चिंता दूर होती है।
  14. कर्ज़ मुक्ति में सहायता मिलती है।
  15. बुरी आदतों से छुटकारा मिलता है।
  16. दैवीय कृपा प्राप्त होती है।
  17. घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

🔱 संपूर्ण बलराम चालीसा 🔱

॥ दोहा ॥
नमो नमो जय सन्त सन्तानन,
रक्षक भक्तन के भगवानन।
निरखत राम सहाय सदा,
बजरंगी बलशाली विदा।।

॥ चौपाई ॥
जय जय जय बलराम कृपाला,
रौद्र रूप धरनेवाले नंदलाला।
गदा धरे कर महा पराक्रम,
राक्षस दल के तुम संहारक।।

यदुकुल शिरोमणि बलवाना,
भक्तन के तुम हो सहारा माना।
शेषनाग अवतार तुम आए,
नील वर्ण छवि अति सुहाए।।

गोकुल में बालक रूप बसायो,
दाऊ भैया नाम धरायो।
कृष्ण सखा बन कीन्ह सहाय,
कंस मथुरा भेजे धराय।।

मूसल से रचयो तुम लीला,
भक्तन के दुख किए तुम ढीला।
प्रभु तेरी महिमा अपरंपार,
जो भी जपे नाम हो उद्धार।।

गोकुल खेलत ब्रज रस रास,
कन्हैया के संग करे उल्लास।
कौरव सभा में लीन्हा पक्ष,
भीम से बढ़कर दिखलायो दक्ष।।

शत्रु दल के तुम संहारक,
धर्म रक्षा के अवतारक।
युद्ध भूमि में गदा चलायो,
अधर्मी जन समूल मिटायो।।

दीन दयालु भक्त के प्यारे,
जो शरण आए सो दुख हारे।
मूसल लीला कर दी समाप्त,
गोलोक गए छोड़ जगत।।

॥ दोहा ॥
जो कोई मन से नाम पुकारे,
संकट कबहुँ ना उसको सतावे।
बलराम कृपा करे सब पर,
भक्तन पे सदा कृपालु वर।।

॥ आरती ॥
जय बलराम गदा धरि धारी,
शेषनाग के रूप विचारी।
भक्तन के संकट हरो महाराज,
करहु कृपा दीन पर आज।।


🔱 संपूर्ण बलराम चालीसा 🔱

॥ दोहा ॥

नमो नमो जय सन्त सन्तानन,
रक्षक भक्तन के भगवानन।
निरखत राम सहाय सदा,
बजरंगी बलशाली विदा।।

॥ चौपाई ॥

जय जय जय बलराम कृपाला,
रौद्र रूप धरनेवाले नंदलाला।
गदा धरे कर महा पराक्रम,
राक्षस दल के तुम संहारक।।

यदुकुल शिरोमणि बलवाना,
भक्तन के तुम हो सहारा माना।
शेषनाग अवतार तुम आए,
नील वर्ण छवि अति सुहाए।।

गोकुल में बालक रूप बसायो,
दाऊ भैया नाम धरायो।
कृष्ण सखा बन कीन्ह सहाय,
कंस मथुरा भेजे धराय।।

मूसल से रचयो तुम लीला,
भक्तन के दुख किए तुम ढीला।
प्रभु तेरी महिमा अपरंपार,
जो भी जपे नाम हो उद्धार।।

गोकुल खेलत ब्रज रस रास,
कन्हैया के संग करे उल्लास।
कौरव सभा में लीन्हा पक्ष,
भीम से बढ़कर दिखलायो दक्ष।।

शत्रु दल के तुम संहारक,
धर्म रक्षा के अवतारक।
युद्ध भूमि में गदा चलायो,
अधर्मी जन समूल मिटायो।।

दीन दयालु भक्त के प्यारे,
जो शरण आए सो दुख हारे।
मूसल लीला कर दी समाप्त,
गोलोक गए छोड़ जगत।।

॥ दोहा ॥

जो कोई मन से नाम पुकारे,
संकट कबहुँ ना उसको सतावे।
बलराम कृपा करे सब पर,
भक्तन पे सदा कृपालु वर।।

॥ आरती ॥
जय बलराम गदा धरि धारी,
शेषनाग के रूप विचारी।
भक्तन के संकट हरो महाराज,
करहु कृपा दीन पर आज।।


🔱 बलराम चालीसा पाठ की विधि

📅 दिन और अवधि

  • मंगलवार और गुरुवार को पाठ करना शुभ होता है।
  • नियमित 41 दिन तक पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
  • एक ही समय और स्थान पर पाठ करें।

🕰️ शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00 बजे) सबसे उत्तम है।
  • संध्या काल (शाम 6:00 से 8:00 बजे) भी शुभ होता है।
  • ग्रह दोष शांति के लिए विशेष मुहूर्त में करें।

Aghor lakshmi sadhana shivir


🔱 बलराम चालीसा पाठ के नियम

  1. पाठ के समय पवित्रता बनाए रखें।
  2. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  3. बलराम जी की मूर्ति या चित्र के सामने पाठ करें।
  4. साधना को गुप्त रखें, दूसरों को न बताएं।
  5. मन, वचन और कर्म की शुद्धि रखें।
  6. सात्त्विक भोजन ग्रहण करें।
  7. संयमित जीवनशैली अपनाएँ।
  8. पाठ के बाद प्रसाद चढ़ाएँ।
  9. घर में स्वच्छता बनाए रखें।
  10. पाठ के दौरान मोबाइल और अन्य ध्यान भंग करने वाली चीज़ों से बचें।

Get mantra diksha


🔱 बलराम चालीसा पाठ की सावधानियाँ

  1. अशुद्ध मन से पाठ न करें।
  2. पाठ के दौरान मांसाहार और नशे से दूर रहें।
  3. बिना श्रद्धा के पाठ न करें।
  4. नियमितता बनाए रखें, बीच में पाठ न छोड़ें।
  5. पाठ के समय नकारात्मक विचार न लाएँ।
  6. घर में क्लेश और अशांति न हो।
  7. ऊँची आवाज़ में पाठ करें, लेकिन चिल्लाएँ नहीं।
  8. बलराम जी का अपमान न करें।
  9. पाठ के बाद भोजन करें, पहले नहीं।
  10. घर के किसी भी कोने में गंदगी न रखें।

Shri krisna sadhana with diksha


🔱 बलराम चालीसा पाठ – प्रश्न उत्तर

1️⃣ बलराम चालीसा पाठ क्यों करना चाहिए?

✅ बलराम जी की कृपा पाने के लिए यह पाठ किया जाता है। यह पाठ जीवन में शक्ति, शांति और सफलता लाता है।

2️⃣ क्या बलराम चालीसा पाठ नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है?

✅ हां, इस पाठ से नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी शक्तियों का नाश होता है।

3️⃣ क्या बलराम चालीसा पाठ से आर्थिक समृद्धि मिलती है?

✅ जी हां, यह पाठ धन और समृद्धि में वृद्धि करता है।

4️⃣ बलराम चालीसा पाठ किस समय करना चाहिए?

✅ सुबह ब्रह्म मुहूर्त या संध्या समय सर्वोत्तम होता है।

5️⃣ क्या बलराम चालीसा पाठ ग्रह दोष समाप्त करता है?

✅ हां, यह पाठ ग्रह दोषों को शांत करता है।

6️⃣ कितने दिन तक बलराम चालीसा पाठ करना चाहिए?

✅ 41 दिन तक करने से विशेष लाभ मिलता है।

7️⃣ क्या बलराम चालीसा पाठ संतान प्राप्ति में मदद करता है?

✅ हां, यह पाठ संतान सुख में सहायक है।

8️⃣ क्या महिलाएं बलराम चालीसा पाठ कर सकती हैं?

✅ हां, महिलाएं भी श्रद्धा से यह पाठ कर सकती हैं।

9️⃣ बलराम चालीसा पाठ के दौरान कौन से नियम पालन करने चाहिए?

✅ शुद्धता, सात्त्विक भोजन और संयमित जीवनशैली अपनानी चाहिए।

🔟 क्या बलराम चालीसा पाठ रोगों से मुक्ति दिलाता है?

✅ हां, यह पाठ शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति देता है।

1️⃣1️⃣ क्या बलराम चालीसा पाठ घर में सुख-शांति लाता है?

✅ हां, यह पाठ घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।

1️⃣2️⃣ क्या बलराम चालीसा पाठ जीवन की बाधाएँ दूर करता है?

✅ हां, यह पाठ जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है।


🔱 अंत मे

बलराम चालीसा पाठ जीवन में शक्ति, समृद्धि और शांति प्रदान करता है। नियमित पाठ करने से सभी संकट दूर होते हैं और बलराम जी की कृपा प्राप्त होती है। श्रद्धा और नियमपूर्वक इस पाठ को करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से यह पाठ करता है, उसे अवश्य ही सफलता और संतोष प्राप्त होता है।

🔱 बलराम जी की जय! 🔱

Shri Venkateshwar Chalisa – Prosperity Devotion & Bliss

Shri Venkateshwar Chalisa - Prosperity Devotion & Bliss

श्री व्यंकटेश्वर चालीसा – सुख समृद्धि व मनोकामना पुर्ति

श्री व्यंकटेश्वर चालीसा का भक्तों के जीवन में विशेष स्थान है। यह पाठ भगवान व्यंकटेश्वर के प्रति श्रद्धा और आस्था को प्रकट करता है। यह चालीसा पाठ व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। इनको को विष्णुजी का अवतार माना गया है। उनकी आराधना से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।


व्यंकटेश्वर चालीसा पाठ

दोहा:
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।

श्री वेंकटेश्वर चालीसा पाठ

॥दोहा॥

श्री वेंकट गिरिधाम तव, अचल मनोहारी।
सकल सृष्टि सुकृति को, करती तव सवारी॥
ब्रह्मा विष्णु महेश भी, गाते तव गुणगान।
दीनबंधु वेंकटेश, रक्षक भगवंत महान॥

॥चालीसा॥
जय श्री वेंकटेश प्रभु, जय मुरलीधर प्यारे।
सकल जगत में तेरा, जयकारा उजियारे॥
तुम हो परम कृपालु, दीनों के हितकारी।
भक्तों के दुख हरने, आए हो सुखकारी॥1॥

शेषनाग की शैया पर, शोभित तव स्वरूप।
नील कमल सम लोचन, जगत बने अनूप॥
लक्ष्मीपति नारायण, नित्य मंगलकारी।
अलख निरंजन ब्रह्म हो, जग के आधार भारी॥2॥

तिरुपति धाम महान, वेंकटगिरि है प्यारा।
जो तव दर्शन करता, मिटता भव का अंधियारा॥
सप्तगिरि के बीच में, तेरा पावन धाम।
भक्तों की अर्चना से, होते सभी काम॥3॥

अन्नदान से तेरा, पुण्य बड़ा महान।
जग में कोई न भूखे, तव यह वरदान॥
निज चरणों की रज से, मिटें सकल संताप।
सुख-संपत्ति देता है, तव नाम का जाप॥4॥

जो सच्चे मन से तव, नाम का करे ध्यान।
उसका हर कष्ट हरें, वेंकटेश भगवान॥
दान और धर्म से तव, बढ़े मनुज का मान।
दया और कृपा से तव, बंधन हों सब ढीले॥5॥

लक्ष्मी संग विराजते, तव दिव्य आभा भारी।
नभ में चंद्र सम शोभित, तेरी छवि मनोहारी॥
धन्य भक्त वह होता, जो तव नाम पुकारे।
श्री वेंकटेश के चरणों में, सदा ध्यान लगाए॥6॥

॥दोहा॥

श्री वेंकटेश प्रभु, तव महिमा अपरंपार।
जो तव शरण आता, हो भव से पार॥
जो सच्चे मन से करे, तव चालीसा पाठ।
सुख, शांति, समृद्धि बढ़े, मिटें सकल दुख-घात॥

यह पाठ भक्तों को श्री वेंकटेश्वर भगवान की कृपा और आशीर्वाद पाने में सहायक है। इसे नियमित पढ़ने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।


लाभ

  1. मनोकामनाओं की पूर्ति।
  2. आर्थिक समृद्धि।
  3. रोगों से मुक्ति।
  4. शत्रु बाधा का निवारण।
  5. वैवाहिक जीवन में सुख।
  6. करियर में सफलता।
  7. आध्यात्मिक उन्नति।
  8. मानसिक शांति।
  9. परिवार में प्रेम।
  10. संतान प्राप्ति।
  11. पुण्य अर्जन।
  12. वास्तुदोष निवारण।
  13. आध्यात्मिक ज्ञान।
  14. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  15. दु:स्वप्न से मुक्ति।
  16. यात्रा में सुरक्षा।
  17. दीर्घायु प्राप्ति।

पाठ की विधि

दिन: मंगलवार और शनिवार का दिन सर्वोत्तम।
अवधि: नियमित 41 दिनों तक करें।
मुहूर्त: ब्रह्ममुहूर्त में पाठ करें।

पाठ से पूर्व स्नान कर पवित्र हो जाएं। दीपक जलाकर भगवान का ध्यान करें। शांत चित्त से पाठ आरंभ करें।

Aghor lakshmi sadhana shivir


नियम

  1. पाठ नियमित समय पर करें।
  2. पूजा और साधना को गुप्त रखें।
  3. शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  4. भगवान के प्रति समर्पण भाव रखें।
  5. किसी भी नकारात्मक विचार से बचें।

Get mantra diksha


सावधानियाँ

  1. पाठ स्थिर मन और शांत वातावरण में करें।
  2. बीच में पाठ को न रोकें।
  3. अनहोनी स्थिति में पाठ पुनः आरंभ करें।
  4. अपवित्र स्थान पर पाठ न करें।
  5. भोजन के बाद पाठ से बचें।

Tripuresh bhairav sadhana with diksha


प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: श्री व्यंकटेश्वर चालीसा क्या है?
उत्तर: यह भगवान व्यंकटेश्वर की स्तुति में लिखा गया पाठ है।

प्रश्न 2: श्री व्यंकटेश्वर भगवान कौन हैं?
उत्तर: भगवान विष्णु का अवतार, जो तिरुपति के पर्वत पर विराजमान हैं।

प्रश्न 3: चालीसा पाठ का सर्वोत्तम समय क्या है?
उत्तर: ब्रह्ममुहूर्त में पाठ सर्वोत्तम है।

प्रश्न 4: चालीसा पाठ की अवधि कितनी होती है?
उत्तर: 41 दिनों तक नियमित रूप से पाठ करना चाहिए।

प्रश्न 5: चालीसा पाठ के लाभ क्या हैं?
उत्तर: मनोकामनाओं की पूर्ति और मानसिक शांति मिलती है।

प्रश्न 6: क्या साधना को गुप्त रखना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, साधना को गुप्त रखने से अधिक लाभ होता है।

प्रश्न 7: क्या पाठ के लिए विशेष दिन होते हैं?
उत्तर: मंगलवार और शनिवार उत्तम माने जाते हैं।

प्रश्न 8: पाठ के दौरान क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर: पाठ शांत और पवित्र स्थान पर करें।

प्रश्न 9: क्या पाठ अधूरा छोड़ सकते हैं?
उत्तर: नहीं, अधूरा पाठ अशुभ माना जाता है।

प्रश्न 10: क्या बच्चों को पाठ करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, बच्चों को सरल शब्दों में समझाकर पाठ करवा सकते हैं।

प्रश्न 11: पाठ के लिए क्या सामग्री चाहिए?
उत्तर: दीपक, फूल, और भगवान का चित्र या मूर्ति।

प्रश्न 12: क्या चालीसा पाठ में गलतियाँ हो सकती हैं?
उत्तर: कोशिश करें कि गलतियाँ न हों। यदि हो, तो भगवान से क्षमा माँगें।

Rajarajeshwari Chalisa Path – Divine Blessings & Benefits

Rajarajeshwari Chalisa Path - Divine Blessings & Benefits

राजराजेश्वरी चालीसा पाठ: अद्भुत कृपा का स्त्रोत

राजराजेश्वरी चालीसा पाठ दिव्य शक्ति और कृपा का माध्यम है। यह पाठ मां राजराजेश्वरी को समर्पित है। इसे करने से भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इस पाठ में मां की महिमा का गुणगान किया गया है, जो जीवन के दुखों को हरने और सकारात्मकता लाने में सहायक है।


संपूर्ण राजराजेश्वरी चालीसा पाठ व उसका अर्थ

यहां मैं संपूर्ण राजराजेश्वरी चालीसा पाठ और उसके अर्थ को प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह पाठ माता राजराजेश्वरी देवी की स्तुति में समर्पित है, जो शक्ति और सृजन की देवी हैं।


राजराजेश्वरी चालीसा पाठ

दोहा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास, तू धरो ध्यान भगवती महारानी।

चौपाई
जय राजराजेश्वरी जगदंबा।
तुम ही हो आनंदकंदा॥
त्रिपुर सुंदरी तेरी महिमा भारी।
जग पालन करन हारी॥

चंद्रमुखी देवी शुभ रूपा।
तुमसे निकले सृष्टि अनूपा॥
मंगलमय है तेरा धाम।
सकल लोक में तेरा नाम॥

सिद्धि-दात्री सुखदायिनी माता।
भक्त-मनोरथ पूरण त्राता॥
तुम ही हो ब्रह्मा, विष्णु, महेश।
सर्वसृष्टि में तुम विशेष॥

तू ही आदि, तू ही अनंता।
भव-सागर में तू है संत।
रूप अनूप, तेरे गुण गाऊँ।
मधुर वाणी में तुझको मनाऊँ॥

जगदंबा तू सर्वेश्वरी माता।
करुणा की सरिता है विख्याता॥
अघनाशिनी, दुखभंजन कारी।
तेरी महिमा सदा उचारी॥

राजराजेश्वरी चालीसा का अर्थ

  1. हे माता राजराजेश्वरी, जगत की पालनहार, आप आनंद और सुख की स्रोत हैं।
  2. आप त्रिपुर सुंदरी हैं, आपकी महिमा अपार है और आप इस जगत की रचना करती हैं।
  3. आपके चंद्र के समान मुखमंडल से सृष्टि की उत्पत्ति हुई है, और आपका रूप अत्यंत पवित्र और कल्याणकारी है।
  4. आपके पावन धाम में असीम आनंद है, और आपके नाम से सारा संसार परिचित है।
  5. आप सिद्धि और सुख प्रदान करने वाली माता हैं, जो भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं।
  6. आप ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में प्रकट होती हैं और संपूर्ण सृष्टि में आपका स्थान विशिष्ट है।
  7. आप ही सृष्टि की शुरुआत और अंत हैं। भवसागर में डूबे हुए को आप ही पार करती हैं।
  8. आपका रूप अनुपम है, और आपके गुणों का गान करने से आत्मा को शांति मिलती है।
  9. आप समस्त जगत की माता और दया की प्रतिमूर्ति हैं।
  10. आप पापों का नाश करने वाली और दुखों का हरण करने वाली हैं। आपकी महिमा अपरंपार है।

लाभ

  1. मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  2. मानसिक तनाव दूर होता है।
  3. आध्यात्मिक शांति मिलती है।
  4. धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  5. परिवार में सुख-शांति रहती है।
  6. स्वास्थ्य लाभ होता है।
  7. जीवन में सकारात्मकता आती है।
  8. शत्रु बाधा का नाश होता है।
  9. नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
  10. आत्मबल बढ़ता है।
  11. आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
  12. जीवन में स्थायित्व आता है।
  13. बच्चों की उन्नति होती है।
  14. वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है।
  15. व्यवसाय में सफलता मिलती है।
  16. कठिन परिस्थितियों से उबरने में मदद मिलती है।
  17. मां की कृपा से सभी संकट दूर होते हैं।

Aghor lakshmi sadhana shivir


विधि

दिन और अवधि:
राजराजेश्वरी चालीसा पाठ मंगलवार, शुक्रवार या किसी शुभ मुहूर्त में शुरू करें। इसे 41 दिनों तक प्रतिदिन करें।

मुहूर्त:
सूर्योदय या सांध्यकाल के समय पाठ करना अधिक फलदायी होता है। शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।

चालीसा पाठ के नियम:

  1. पाठ करने से पहले स्नान कर लें।
  2. स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठें।
  3. मां की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  4. चालीसा पाठ गुप्त रूप से करें।
  5. नित्य एक ही समय पर पाठ करें।
  6. पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें।

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राजराजेश्वरी चालीसा पाठ में सावधानियां

  1. पाठ को अधूरा न छोड़ें।
  2. नियम का पालन करें।
  3. किसी को पाठ की जानकारी न दें।
  4. नकारात्मक विचारों से बचें।
  5. स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।

Tripur bhairavi sadhana with diksha


राजराजेश्वरी चालीसा पाठ: प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: राजराजेश्वरी चालीसा पाठ क्यों करें?
उत्तर: मां की कृपा पाने, समस्याओं का समाधान और आध्यात्मिक उन्नति के लिए।

प्रश्न 2: इसे कब शुरू करें?
उत्तर: मंगलवार, शुक्रवार या किसी शुभ मुहूर्त में।

प्रश्न 3: पाठ करने की अवधि क्या होनी चाहिए?
उत्तर: इसे 41 दिनों तक प्रतिदिन करें।

प्रश्न 4: क्या इसे समूह में कर सकते हैं?
उत्तर: इसे गुप्त रूप से अकेले करना अधिक फलदायी है।

प्रश्न 5: क्या इसे घर पर कर सकते हैं?
उत्तर: हां, इसे घर के शांत स्थान पर करें।

प्रश्न 6: पाठ के लिए समय कौन सा उचित है?
उत्तर: सूर्योदय या सांध्यकाल।

प्रश्न 7: क्या पाठ के दौरान किसी वस्त्र का नियम है?
उत्तर: स्वच्छ और सादे वस्त्र पहनें।

प्रश्न 8: क्या पाठ के दौरान पूजा सामग्री की आवश्यकता है?
उत्तर: दीपक, फूल, और अगरबत्ती उपयोगी होते हैं।

प्रश्न 9: क्या पाठ के दौरान मौन रहना चाहिए?
उत्तर: हां, मौन रहकर मन को एकाग्र करें।

प्रश्न 10: क्या पाठ के बाद प्रसाद चढ़ाना चाहिए?
उत्तर: हां, मां को प्रसाद चढ़ाएं और बांटें।

प्रश्न 11: पाठ अधूरा रह जाए तो क्या करें?
उत्तर: अगले दिन पुनः नियम से शुरू करें।

प्रश्न 12: क्या पाठ के दौरान विशेष आहार लेना चाहिए?
उत्तर: सात्विक आहार लें और व्रत रखें।

राजराजेश्वरी चालीसा पाठ के इन नियमों और विधियों का पालन कर मां की कृपा पाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है।

Shiv Chalisa Path – Prosperity & Divine Blessings

Shiv Chalisa Path - Prosperity & Divine Blessings

शिव चालीसा पाठ – भगवान शिव की कृपा पाने का माध्यम

शिव चालीसा पाठ भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र स्तुति है। यह पाठ साधकों के लिए मानसिक शांति, भक्ति और अद्भुत ऊर्जा का स्रोत है। शिव चालीसा पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह पाठ सरल, प्रभावशाली और हर वर्ग के भक्तों के लिए लाभकारी है।


संपूर्ण पाठ

॥दोहा॥

नमन शिवाय शुद्ध सदा, गंगाजल सँग धार।
कृपा करो हे नाथ हमें, हर संकट संसार॥

॥चालीसा॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

त्रिपुरारि जय शंकर, जय गिरिजा पति नाथ। सत्यम शिवम सुंदरम्, त्रिभुवन के आधार॥

नीलकंठ महादेव तुम, करुणा के हो सागर। भक्तन के संकट हरन, कृपा करो करुणाकर॥

गंगाधर शिव शंभु, उमापति दीनदयाल। भक्त हृदय में बसो सदा, हर लो दुख जंजाल॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अरु रुद्र रूप विशाल। शरण तुम्हारी जो आए, सबको दो सुख काल॥

शिव चालीसा जो पढ़े, शिव कृपा निधि पाय। संकट संकट हार कर, शिवलोक को जाय॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।

श्री गणेशाय ध्याय करहु, गुरु के पद नवाय।सिंहासन पर विराजत, गुरुगन कीन बहाय।।

त्रिपुरारि शिव तनुधर सोहत, गणपति उर माल।हाथ त्रिशूल धरो पिनाकी, धरहु कर कमल विशाल।।

नंदीगण साथ विचरत, जग में करत निहार।नाद गिरीजा संग रहत, त्रिलोचन बिस्वधार।।

ध्यान धरो शिव शांत मन, मोह कुसंग विसार।शिवसुख दाता शांतमन, कृपा करो हंसार।।

महादेव सुमिरन करो, तारक जगत विशाल।शिवचरण शरणागत भक्त, पूर्ण करहु हर हाल।।

॥दोहा॥

जो शिव चालीसा पढ़े, मन वांछित फल पाय। शिव कृपा से सदा उसे, सुख संपत्ति उपजाय॥


पाठ का अर्थ

शिव चालीसा के हर श्लोक का गहरा अर्थ है। यह श्लोक भगवान शिव की महिमा, उनके गुण, और भक्तों को उनके प्रति समर्पित रहने का संदेश देते हैं। इसका अध्ययन हमें भगवान के करीब लाता है।


लाभ

  1. मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल।
  2. नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
  3. पारिवारिक सुख-शांति।
  4. आर्थिक समृद्धि।
  5. बीमारियों से राहत।
  6. बाधाओं का निवारण।
  7. भगवान शिव की कृपा।
  8. कार्यों में सफलता।
  9. सकारात्मक ऊर्जा का विकास।
  10. जीवन में संतुलन।
  11. आध्यात्मिक जागरूकता।
  12. मनोकामना पूर्ति।
  13. भय का नाश।
  14. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  15. जीवन की चुनौतियों में मदद।
  16. शत्रु बाधाओं का समाधान।
  17. आत्मा को शुद्धि।

Aghor lakshmi sadhana shivir


विधि

  1. दिन: सोमवार, महाशिवरात्रि।
  2. अवधि: 41 दिन।
  3. मुहूर्त: प्रातःकाल या प्रदोष काल।

साधक को शांत मन और स्वच्छ स्थान में पाठ करना चाहिए। भगवान शिव के समक्ष दीपक जलाकर पाठ शुरू करें।

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नियम

  1. पाठ के दौरान पूजा और साधना गुप्त रखें।
  2. मन में श्रद्धा और समर्पण रखें।
  3. स्वच्छता का पालन करें।
  4. नियमित पाठ करें।
  5. पाठ के बाद भगवान शिव को जल चढ़ाएं।

सावधानियां

  1. अपवित्र स्थान पर पाठ न करें।
  2. मन में नकारात्मक विचार न लाएं।
  3. अनुशासन का पालन करें।
  4. अत्यधिक शोरगुल वाले स्थान पर पाठ न करें।

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शिव चालीसा पाठ के प्रश्न और उत्तर

1. शिव चालीसा पाठ कब करना चाहिए?

सोमवार और महाशिवरात्रि के दिन।

2. कितने दिन तक शिव चालीसा पाठ करना चाहिए?

41 दिनों तक नियमित।

3. शिव चालीसा पाठ कहां करना चाहिए?

शांत और स्वच्छ स्थान पर।

4. क्या महिलाएं शिव चालीसा पाठ कर सकती हैं?

हां, श्रद्धा से कर सकती हैं।

5. शिव चालीसा पाठ के लिए क्या सामग्री चाहिए?

दीपक, अगरबत्ती, गंगाजल।

6. क्या शिव चालीसा पाठ से मनोकामना पूर्ण होती है?

हां, भक्त की सच्ची श्रद्धा से।

7. शिव चालीसा पाठ कितनी बार करना चाहिए?

दैनिक एक बार।

8. क्या पाठ के दौरान नियम तोड़ने से असर होता है?

हां, अनुशासन बनाए रखें।

9. क्या शिव चालीसा पाठ के बाद प्रसाद चढ़ाना चाहिए?

हां, फल या मिठाई चढ़ाएं।

10. शिव चालीसा पाठ का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

प्रातःकाल।

11. क्या शिव चालीसा पाठ नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है?

हां, यह नकारात्मकता को समाप्त करता है।

12. क्या शिव चालीसा पाठ जीवन को बदल सकता है?

हां, यह मानसिक शांति और सकारात्मकता लाता है।


Brahma Chalisa Path – Transform Your Life

Brahma Chalisa Path - Transform Your Life

ब्रह्मा चालीसा पाठ से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति प्राप्त करें

ब्रह्मा चालीसा पाठ भगवान ब्रह्मा जी की कृपा पाने का एक दिव्य साधन है। इसे नियमित रूप से करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह पाठ व्यक्ति के आध्यात्मिक उत्थान और मानसिक शांति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह पाठ साधक के मन में भक्ति और श्रद्धा का संचार करता है।


चालीसा पाठ

दोहा:

नमन करूँ मैं ब्रह्म को, जो सृष्टि के आधार।
त्रिगुण स्वरूप हे नाथ, करें सबकी सृजन-विचार।।

चौपाई:

  1. जय जय ब्रह्मा देव जगत के स्वामी।
    सृष्टि के कर्ता, सबके अधिनामी।।
  2. चार वेदों के ज्ञाता तुम्हीं हो।
    त्रिकालदर्शी, सत्य स्वरूपी हो।।
  3. सृष्टि को रचकर धर्म फैलाया।
    जीवों में चेतन, तुमने उपजाया।।
  4. सृष्टि के पालक, तुम आदिपुरुष हो।
    ब्रह्मलोक में सदा विराजते हो।।
  5. चतुर्मुख रूप से जगत को सजा दिया।
    विधि के विधान को सदा बनाए रखा।।
  6. कमलासन पर तुम विराजमान।
    भक्तों के संकट करते क्षण में निदान।।
  7. श्रद्धा और भक्ति का पाठ सिखाया।
    पापियों को भी मुक्ति का मार्ग दिखाया।।
  8. नारद जैसे भक्तों को प्रेरित किया।
    सत्य के मार्ग पर सदैव निर्देशित किया।।
  9. सरस्वती की वाणी से सृष्टि को मधुर बनाया।
    ज्ञान, विज्ञान का प्रकाश फैलाया।।
  10. कर्म का पाठ, जो सबसे महान।
    ब्रह्मा जी, आप हो हर सुख का निदान।।
  11. चारों युगों में आपकी महिमा गाई।
    हर काल में भक्तों को राह दिखाई।।
  12. संकट हरो, प्रभु हमें आश्रय दो।
    आपके चरणों में सदा हमें शरण दो।।
  13. निर्मल मन से हम तुम्हें निहारें।
    आपके चरणों में अपना जीवन वारे।।
  14. हे ब्रह्मा देव, जगत के कर्ता।
    हर प्राणी के तुम हो रक्षक और पालक।।

दोहा:

ब्रह्मा देव की महिमा गाकर, पावन मन बनाओ।
श्रद्धा और विश्वास से, जीवन सफल बनाओ।।


लाभ

  1. मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  2. नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा।
  3. सृष्टि के कर्ता के प्रति श्रद्धा।
  4. सभी कार्यों में सफलता।
  5. आध्यात्मिक विकास।
  6. पारिवारिक सुख-शांति।
  7. आर्थिक समृद्धि।
  8. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य।
  9. आध्यात्मिक साधना में प्रगति।
  10. जीवन में संतुलन।
  11. ध्यान केंद्रित करने की क्षमता।
  12. संतान सुख की प्राप्ति।
  13. बाधाओं का नाश।
  14. दैवीय संरक्षण।
  15. पुण्य अर्जन।
  16. कर्मों का सुधार।
  17. मोक्ष की प्राप्ति।

विधि

पाठ का समय और अवधि

  • इसका पाठ सुबह ब्रह्ममुहूर्त में करें।
  • इसे लगातार 41 दिन तक करें।

पाठ की प्रक्रिया

  1. स्नान कर पवित्र हो जाएं।
  2. भगवान ब्रह्मा की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
  3. शुद्ध मन से चालीसा पाठ करें।
  4. पूजा के बाद प्रसाद बांटें।

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नियम

  1. पाठ नियमित और शुद्ध मन से करें।
  2. साधना को गुप्त रखें।
  3. भोजन सात्विक रखें।
  4. बुरी आदतों से बचें।
  5. ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें।

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सावधानियां

  1. पाठ हमेशा स्वच्छ स्थान पर करें।
  2. गलत उच्चारण से बचें।
  3. मन को विचलित न होने दें।
  4. बिना स्नान किए पाठ न करें।
  5. पूजा सामग्री पूरी रखें।
  6. किसी प्रकार की जल्दबाजी न करें।

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प्रश्न और उत्तर

1. ये चालीसा पाठ क्यों करें?

उत्तर: यह पाठ जीवन में सकारात्मकता और सफलता लाने के लिए किया जाता है।

2. चालीसा पाठ कब करें?

उत्तर: इसे सुबह ब्रह्ममुहूर्त में करना सबसे उत्तम है।

3. क्या चालीसा पाठ में किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता है?

उत्तर: दीपक, फूल, जल, और प्रसाद आवश्यक हैं।

4. क्या 41 दिनों से कम पाठ किया जा सकता है?

उत्तर: पूर्ण लाभ के लिए 41 दिन पाठ करना श्रेष्ठ है।

5. क्या चालीसा पाठ में कोई व्रत रखना जरूरी है?

उत्तर: व्रत रखना आवश्यक नहीं, लेकिन सात्विकता बनाए रखना चाहिए।

6. क्या यह पाठ किसी भी दिन कर सकते हैं?

उत्तर: हां, लेकिन पूर्णिमा या गुरुवार विशेष शुभ माने जाते हैं।

7. क्या पाठ को गुप्त रखना जरूरी है?

उत्तर: हां, साधना में गोपनीयता बनाए रखना चाहिए।

8. पाठ के दौरान क्या मनोकामनाएं पूरी होती हैं?

उत्तर: श्रद्धा और नियमपूर्वक पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

9. क्या पाठ के साथ दान करना चाहिए?

उत्तर: दान करना पुण्य और लाभ को बढ़ाता है।

10. क्या महिलाएं ये चालीसा पाठ कर सकती हैं?

उत्तर: हां, सभी महिलाएं यह पाठ कर सकती हैं।

11. क्या पाठ में कोई विशेष स्थान का चयन करना चाहिए?

उत्तर: शुद्ध और शांत स्थान सबसे उपयुक्त होता है।

12. क्या चालीसा पाठ का असर तुरंत दिखता है?

उत्तर: श्रद्धा और समर्पण से इसका असर शीघ्र होता है।


Pandrahiya Yantra – Mystical Tool for Success & Safety

Pandrahiya Yantra - Mystical Tool for Success & Safety

प्रंद्रहिया यंत्र: शत्रु और बाधाओं से सुरक्षा का प्रभावशाली उपाय

प्रंद्रहिया यंत्र तंत्र शास्त्र में अत्यधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली यंत्र माना जाता है। इसका निर्माण और उपयोग व्यक्ति को शत्रुओं से सुरक्षा, कार्यों में सफलता, और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है। इसका नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस यंत्र को बनाने पर सभी अंकों का योग मिलाकर कुल 15 होता है। यह यंत्र विशेष रूप से शनिवार और ग्रहण के समय अधिक प्रभावशाली माना जाता है।

लाभ

1. परिवार को शत्रु से सुरक्षा

प्रंद्रहिया यंत्र परिवार के सदस्यों को शत्रुओं से सुरक्षित रखता है और घर में सुख-शांति बनाए रखता है।

2. तंत्र से सुरक्षा

यह यंत्र तांत्रिक गतिविधियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है।

3. ऊपरी बाधा से सुरक्षा

घर या व्यक्ति पर आने वाली ऊपरी बाधाओं को यह यंत्र नष्ट कर देता है।

4. कार्य में सफलता

प्रंद्रहिया यंत्र व्यक्ति को अपने सभी कार्यों में सफलता दिलाने में सहायक होता है।

5. व्यापार में वृद्धि

व्यापार में आने वाली रुकावटों को यह यंत्र समाप्त करता है और लाभ में वृद्धि करता है।

6. नौकरी में उन्नति

इस यंत्र का प्रभाव नौकरी में उन्नति और नए अवसरों को आकर्षित करता है।

7. मानसिक शांति

यह यंत्र नकारात्मक विचारों को समाप्त करके मानसिक शांति प्रदान करता है।

8. परिवार की सुरक्षा

प्रंद्रहिया यंत्र पूरे परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और हर प्रकार की विपदा को दूर करता है।

9. स्वास्थ्य में सुधार

यह यंत्र व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और बीमारियों से बचाव करता है।

10. धन की वृद्धि

धन संबंधित समस्याओं को समाप्त करके आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है।

11. शत्रुओं पर विजय

यह यंत्र शत्रुओं को पराजित करने में मदद करता है।

12. सौभाग्य में वृद्धि

प्रंद्रहिया यंत्र व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य लाने का कार्य करता है।

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सामग्री

प्रंद्रहिया यंत्र बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  1. भोजपत्र या सफेद कागज
  2. स्याही बनाने के लिए अष्टगंध और नमक
  3. कलम के लिए कनेल की लकड़ी, अगरबत्ती की लकड़ी, या माचिस की तीली

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प्रंद्रहिया यंत्र बनाने की विधि

सामग्री तैयार करें

शनिवार या ग्रहण के दिन सूर्यास्त के बाद एक शांत कमरे में लाइट्स बंद करें। सरसों के तेल का दीपक या मोमबत्ती जलाएं। सामग्री को अपने सामने व्यवस्थित करें।

स्याही बनाएं

एक कटोरी में थोड़ा अष्टगंध और नमक मिलाएं। इसमें पानी मिलाकर स्याही तैयार करें।

यंत्र का निर्माण

कनेल की लकड़ी या माचिस की तीली से भोजपत्र या सफेद कागज पर यंत्र बनाएं।
यंत्र बनाने के दौरान मंत्र का 25 मिनट तक जप करें।

यंत्र को सुरक्षित रखें

इस यंत्र को लैमिनेट करें और इसे अपने पूजाघर में स्थापित करें। नियमित पूजा और मंत्र जप से यंत्र की शक्ति को बनाए रखें।

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प्रंद्रहिया यंत्र के निर्माण और उपयोग से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

1. प्रंद्रहिया यंत्र क्या है?

यह एक शक्तिशाली तांत्रिक यंत्र है, जो शत्रु, तंत्र और ऊपरी बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।

2. प्रंद्रहिया यंत्र को कब बनाना चाहिए?

शनिवार या ग्रहण के दिन सूर्यास्त के बाद यह यंत्र बनाना अधिक प्रभावशाली होता है।

3. इस यंत्र का उपयोग कौन कर सकता है?

कोई भी व्यक्ति जो शत्रुओं, बाधाओं, या नकारात्मक ऊर्जा से बचना चाहता है, इस यंत्र का उपयोग कर सकता है।

4. प्रंद्रहिया यंत्र का निर्माण किस सामग्री से किया जाता है?

भोजपत्र या सफेद कागज, अष्टगंध और नमक की स्याही, और कनेल की लकड़ी से।

5. क्या यह यंत्र व्यापार में लाभ दिला सकता है?

हां, यह यंत्र व्यापार में वृद्धि और लाभ दिलाने में सहायक है।

6. यंत्र का निर्माण करते समय कौन सा मंत्र जपना चाहिए?

यंत्र बनाने के दौरान विशिष्ट मंत्र का 25 मिनट तक जप करें।

7. प्रंद्रहिया यंत्र की सुरक्षा के लिए क्या करें?

यंत्र को लैमिनेट करके पूजाघर में रखें और नियमित पूजा करें।

8. क्या यंत्र ऊपरी बाधाओं से बचाव करता है?

हां, यह यंत्र ऊपरी बाधाओं को समाप्त करके घर की सुरक्षा करता है।

9. क्या प्रंद्रहिया यंत्र आर्थिक समस्याओं को हल कर सकता है?

हां, यह यंत्र धन वृद्धि और आर्थिक स्थिरता लाने में सहायक है।

10. यंत्र का प्रभाव कब तक रहता है?

नियमित पूजा और मंत्र जप करने पर यह यंत्र लंबे समय तक प्रभावी रहता है।

Vishwakarma Chalisa Path – Positivity & Happiness in Life

Vishwakarma Chalisa Path - Positivity & Happiness in Life

विश्वकर्मा चालीसा पाठ: कृपा, समृद्धि और सफलता का अद्भुत मार्ग

विश्वकर्मा चालीसा पाठ भगवान विश्वकर्मा की कृपा पाने का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का संचार होता है। विश्वकर्मा जी को निर्माण कला और सृजन के देवता माना जाता है। उनके चालीसा पाठ का उच्चारण हमारे भीतर ऊर्जा, सकारात्मकता और आशीर्वाद लाता है।

इस लेख में हम विश्वकर्मा चालीसा पाठ, उसके लाभ, विधि, नियम और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी पर चर्चा करेंगे।


संपूर्ण विश्वकर्मा चालीसा पाठ व उसका अर्थ

भगवान विश्वकर्मा के लिए 40 श्लोकों का यह संग्रह उनकी महिमा, कृपा और शक्ति का वर्णन करता है। यह पाठ भक्तों को समृद्धि, शांति और सुख का वरदान प्रदान करता है। श्रद्धा और नियम से इन श्लोकों का पाठ करने से भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त होती है।

1-10: भगवान की महिमा और उनके कार्य

  1. ॐ विश्वकर्मणे नमः।
  2. ॐ सृष्टिकर्त्रे नमः।
  3. ॐ वास्तुविद्याय नमः।
  4. ॐ यंत्रविद्याय नमः।
  5. ॐ रथसृजाय नमः।
  6. ॐ शिल्पकर्मणे नमः।
  7. ॐ सृजनाय नमः।
  8. ॐ ब्रह्मदक्षाय नमः।
  9. ॐ सुराध्यक्षाय नमः।
  10. ॐ देवशिल्पिने नमः।

11-20: सृष्टि के निर्माता और उनके दिव्य गुण

11. त्वं सृष्टिकर्ता लोकसंरक्षकाय।
12. त्वं धर्मपोषकः सर्वकल्याणदाता।
13. त्वं वास्तुविज्ञानी, जग का आधार।
14. त्वं यंत्रविद्यावान्, सुख-समृद्धि का द्वार।
15. विश्वकर्मा तव महिमा अपार।
16. त्रिदेवों ने तुझे दिया सत्कार।
17. स्वर्णिम भवनों के रचयिता महाशिल्पी।
18. तुम हो संसार के पालनकर्ता विधाता।
19. संकटमोचन, कृपानिधान विश्वकर्मा।
20. सर्वशक्तिमान, सृजन के महारथी।

21-30: देवताओं के प्रिय और भक्तों के रक्षक

21. इंद्र का वज्र, रावण का लंका।
22. हे विश्वकर्मा, तुम्हारी महिमा अनंका।
23. त्रिशूल शिव का, सुदर्शन विष्णु का।
24. तुमने ही रचा हर अस्त्र अद्भुत का।
25. भक्तों के रक्षक, संकट हरने वाले।
26. तुम्हारी कृपा से हर बाधा टाले।
27. संसार के हर कोने में तुम्हारा नाम।
28. विश्व के संरक्षक, सबके जीवनधाम।
29. यज्ञ, वास्तु, और कर्म के प्रेरक।
30. हे विश्वकर्मा, सभी को समृद्धि दे।

31-40: भक्तों की प्रार्थना और आशीर्वाद

31. सृष्टि के कण-कण में तेरा निवास।
32. हे भगवान, दूर करो सबकी त्रास।
33. हमें सदैव धर्म और सत्य की राह दिखाओ।
34. जीवन के हर कष्ट को हराओ।
35. वास्तु दोष का निवारण तुमसे हो।
36. हर यंत्र सफल, तेरा आशीष हो।
37. भक्तों के जीवन में समृद्धि लाओ।
38. हे विश्वकर्मा, अपने चरणों में जगह दो।
39. संसार के पालनहार, हमें शरण दो।
40. विश्वकर्मा प्रभु, कृपा से सब कुछ संभव हो।

नोट:

इस चालीसा में भगवान विश्वकर्मा की महिमा, उनके कार्य और कृपा का वर्णन है। यह पाठ हमें उनकी सृजनात्मक शक्ति का स्मरण कराता है।


विश्वकर्मा चालीसा पाठ के अद्भुत लाभ

  1. व्यापार में सफलता मिलती है।
  2. कार्यक्षेत्र में तरक्की होती है।
  3. घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  4. निर्माण कार्य में रुकावटें समाप्त होती हैं।
  5. आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  6. स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
  7. रिश्तों में मिठास आती है।
  8. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  9. मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  10. वास्तुदोष समाप्त होता है।
  11. मानसिक शांति मिलती है।
  12. परिवार में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
  13. बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
  14. देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
  15. कार्य में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  16. जीवन में नई शुरुआत होती है।
  17. सृजनात्मकता और नवाचार में वृद्धि होती है।

विश्वकर्मा चालीसा पाठ की विधि

दिन

  • विश्वकर्मा पूजा के दिन या हर शुक्रवार से शुरू करें।

अवधि

  • इसे लगातार 41 दिन तक पढ़ें।

मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे) में पाठ करें।
  • यदि ब्रह्म मुहूर्त संभव न हो, तो सुबह के समय करें।

Aghor lakshmi sadhana shivir


विश्वकर्मा चालीसा पाठ के नियम

  1. पाठ करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  2. पूजा स्थान पर दीप जलाकर पाठ शुरू करें।
  3. पाठ के दौरान मन को शांत और ध्यानमग्न रखें।
  4. साधना और पाठ को हमेशा गुप्त रखें।
  5. सात्विक भोजन का सेवन करें।
  6. मांस, मदिरा और अन्य नकारात्मक आदतों से बचें।

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विश्वकर्मा चालीसा पाठ में सावधानियां

  1. पाठ को कभी भी अधूरा न छोड़ें।
  2. पाठ के समय मोबाइल या अन्य उपकरण का उपयोग न करें।
  3. पाठ करने के बाद भगवान से अपनी मनोकामना अवश्य कहें।
  4. पूजा स्थल को साफ और पवित्र रखें।
  5. नकारात्मक सोच और बुरे कर्मों से दूर रहें।

Lakshmi kaudi sadhana with diksha


विश्वकर्मा चालीसा पाठ: महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: विश्वकर्मा चालीसा पाठ का क्या महत्व है?

उत्तर: यह पाठ भगवान विश्वकर्मा की कृपा और आशीर्वाद पाने का माध्यम है।

प्रश्न 2: पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर: इसे 41 दिनों तक नियमित रूप से करें।

प्रश्न 3: क्या पाठ को गुप्त रखना जरूरी है?

उत्तर: हां, साधना और पाठ को गुप्त रखना लाभदायक होता है।

प्रश्न 4: क्या पाठ के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?

उत्तर: दीपक, धूप और फूल पर्याप्त हैं।

प्रश्न 5: पाठ किस समय करना चाहिए?

उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे अच्छा है।

प्रश्न 6: क्या विश्वकर्मा चालीसा पाठ वास्तुदोष दूर करता है?

उत्तर: हां, यह पाठ वास्तुदोष को समाप्त करने में मदद करता है।

प्रश्न 7: क्या पाठ को किसी विशेष दिन शुरू करना चाहिए?

उत्तर: इसे विश्वकर्मा पूजा के दिन या शुक्रवार को शुरू करें।

प्रश्न 8: पाठ के दौरान कौन-से नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर: सात्विक जीवन और साधना को गुप्त रखना आवश्यक है।

प्रश्न 9: क्या महिलाएं पाठ कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी इसे कर सकती हैं।

प्रश्न 10: क्या पाठ के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?

उत्तर: यह आवश्यक नहीं है, लेकिन व्रत रखने से अधिक लाभ मिलता है।

प्रश्न 11: क्या पाठ करने से आर्थिक स्थिति सुधरती है?

उत्तर: हां, यह पाठ आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।

प्रश्न 12: पाठ करने के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: भगवान का धन्यवाद करें और प्रसाद वितरित करें।


अंत मे

विश्वकर्मा चालीसा पाठ भगवान विश्वकर्मा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का सरल उपाय है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ने से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

Mata Sita Chalisa Path – Spiritual Strength & Divine Blessings

Mata Sita Chalisa Path - Spiritual Strength & Divine Blessings

माता सीता चालीसा पाठ: कठिनाइयों से मुक्ति और सुख-शांति का मार्ग

माता सीता चालीसा पाठ भगवान श्रीराम की धर्मपत्नी और आदर्श नारी माता सीता को समर्पित है। यह पाठ भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का माध्यम है। माता सीता चालीसा पाठ का नियमित अभ्यास श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। माता सीता की भक्ति व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयों को दूर करती है और उसे आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाती है।


संपूर्ण माता सीता चालीसा

दोहा:
जयति जयति श्री सीता माता, जनकसुत वीर हृदय विलासा।
राम प्रिया जगदंबा भवानी, कृपा करो भव बंधन हरानी।

चालीसा भाग १

जय सिया राम की अर्चना।
मंगलमय करुणा की साधना।।

  1. सीता जनकसुत जग की माता।
    भवसागर दुख हरनहारि दाता।।
  2. राम नाम संग तुम सुखकारी।
    धन्य जनकपुर की कुमारी।।
  3. त्याग धर्म की अनुपम मूरत।
    ममता करुणा से भरी सूरत।।
  4. रघुकुल ज्योति राम की प्यारी।
    सदा करो भक्तों पर कृपा भारी।।
  5. राम हृदय में तुम हो वासिनी।
    भव बाधा हरने वाली साधिनी।।
  6. वन में रहकर साथ निभाया।
    पति धर्म का पथ दिखाया।।
  7. रावण के बंधन को झेल।
    धरम प्रेम में रही अडिग खेल।।
  8. अग्नि परीक्षा दी ससम्मान।
    सत्य धर्म को दिया प्रमाण।।
  9. अशोक वाटिका में रही धैर्य।
    राम नाम का किया विस्मय।।
  10. लंका जली रघुवर संग आई।
    धर्म की ज्योति जग में छाई।।
  11. राम राज्य की बनी आधार।
    सीता कृपा से जग उद्धार।।
  12. भक्ति तुम्हारी सदा सुखदाई।
    राम प्रेम की मूरत बनाई।।
  13. जनकपुर की आनंद दात्री।
    सिया राम की पावन यामिनी।।
  14. करुणा की तुम हो सागर।
    सत्य धर्म का सबको आधार।।
  15. पावन मूरत जनक नंदिनी।
    राम संग वासिनी अनंदिनी।।
  16. राम चरण में सदा निवास।
    भक्तों का हरती हो त्रास।।
  17. सुख संपदा की दात्री हो।
    भवसागर से तारने वाली हो।।
  18. सीता माता कृपा करो।
    सभी भक्तों का दुख हर लो।।
  19. रघुवर जीवन तुम आधार।
    धन्य हो सिया राम उदार।।

भाग – २

  1. भक्ति की प्रेरणा तुमसे पाई।
    संसार में ज्योति फैलाई।।
  2. धैर्य धर्म का दिया उपदेश।
    जनकदुलारी तुम अविनेश।।
  3. सीता भवानी जगत कल्याणी।
    भक्तों पर सदा करो कृपानी।।
  4. राम नाम की ज्योति जलाओ।
    भवसागर से पार कराओ।।
  5. करुणा के अद्भुत रूप दिखाए।
    भक्तों को मार्ग सदा सिखाए।।
  6. राम कथा में सदा रमाना।
    भक्तों को सन्मार्ग दिखलाना।।
  7. सीता चरणों में शीश झुकाए।
    राम भक्त सब सुख पाए।।
  8. लंका पर विजय दिलवाई।
    रघुवर संग तुम जगत सुझाई।।
  9. दशरथनंदन संग सिया प्यारी।
    सदा बनी हो उनकी सहचरी।।
  10. राम की मूरत सिया भवानी।
    सब पर करो कृपा की वाणी।।
  11. राम संग वन में रही सहाई।
    सुख-दुख में दिखी पराई।।
  12. सिया राम का प्रेम अनोखा।
    कभी न देखा ऐसा जोखा।।
  13. सती धर्म का दिया उदाहरण।
    भक्तों को मिला पावन जीवन।।
  14. सिया राम कृपा से जीवन।
    सुखमय होता है हर क्षण।।
  15. राम-सिया का जप करिए।
    हर संकट से छुटकारा पाइए।।
  16. सिया कृपा से जीवन सुफल।
    हर भक्त का मन सदा अटल।।
  17. जनकसुत सिया राम की प्यारी।
    करुणा सागर जग उद्धारी।।
  18. सीता माता से प्रार्थना करें।
    राम प्रेम में सदा रमण करें।।
  19. सिया राम से सदा भरोसा।
    जीवन में हर लो हर दोषा।।
  20. जय जय माता सीता भवानी।
    भक्तों पर सदा करो कृपानी।।

दोहा:

सीता माता कृपा कर, सुख-शांति प्रदान।
भक्तों की हर पीड़ा हर, राम करें कल्याण।

यह सीता चालीसा भक्तों के लिए माता सीता की कृपा पाने का मार्ग है। इसे सच्चे मन और श्रद्धा से पढ़ें।


लाभ

  1. जीवन की कठिनाइयों को दूर करता है।
  2. पारिवारिक सुख-शांति में वृद्धि करता है।
  3. आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  4. आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
  5. मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
  6. आत्मबल को सशक्त करता है।
  7. रिश्तों में मधुरता लाता है।
  8. मानसिक तनाव को कम करता है।
  9. बुरे कर्मों से मुक्ति दिलाता है।
  10. सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  11. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  12. भक्त को भगवान राम और माता सीता का आशीर्वाद मिलता है।
  13. भूत-प्रेत बाधाओं से रक्षा करता है।
  14. विद्यार्थियों को ज्ञान और सफलता प्रदान करता है।
  15. स्वास्थ्य समस्याओं को कम करता है।
  16. आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाता है।
  17. जीवन में धर्म और कर्म की ओर प्रेरित करता है।

विधि

दिन और अवधि

माता सीता चालीसा पाठ के लिए शुक्रवार या मंगलवार का दिन शुभ माना जाता है। पाठ की अवधि 41 दिन तक रखें।

मुहूर्त

ब्राह्म मुहूर्त या संध्या समय पाठ के लिए सबसे शुभ समय होता है। यह समय भक्त के मन को शांत करता है।

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नियम

  1. पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।
  2. साधना को गुप्त रखें और दिखावा न करें।
  3. पाठ करते समय मन को स्थिर रखें।
  4. पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।
  5. पाठ के दौरान माता सीता का ध्यान करते रहें।
  6. व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें।

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सावधानियां

  1. अशुद्ध स्थान पर पाठ न करें।
  2. ध्यान भंग होने से बचें।
  3. नकारात्मक विचारों को मन में स्थान न दें।
  4. पूजा सामग्री में किसी भी प्रकार की कमी न रखें।
  5. पाठ समाप्ति के बाद धन्यवाद अवश्य करें।

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माता सीता चालीसा पाठ के प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: माता सीता चालीसा पाठ का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: माता सीता चालीसा पाठ का उद्देश्य भक्ति, शांति और समस्याओं का समाधान पाना है।

प्रश्न 2: चालीसा पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर: चालीसा पाठ 41 दिनों तक करना चाहिए।

प्रश्न 3: पाठ का शुभ समय कौन-सा है?

उत्तर: ब्राह्म मुहूर्त और संध्या समय सबसे शुभ हैं।

प्रश्न 4: क्या चालीसा पाठ गुप्त रखना चाहिए?

उत्तर: हाँ, साधना और पूजा को गुप्त रखना चाहिए।

प्रश्न 5: पाठ के दौरान क्या सावधानी रखें?

उत्तर: पाठ में ध्यान भंग न होने दें और स्वच्छता का ध्यान रखें।

प्रश्न 6: क्या माता सीता चालीसा पाठ व्रत के बिना किया जा सकता है?

उत्तर: हाँ, लेकिन व्रत रखने से इसका प्रभाव बढ़ता है।

प्रश्न 7: चालीसा पाठ से कौन-से लाभ होते हैं?

उत्तर: मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि और आध्यात्मिक जागृति होती है।

प्रश्न 8: क्या पाठ के लिए किसी विशेष दिशा का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: पूजास्थल पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

प्रश्न 9: क्या इस पाठ से हर मनोकामना पूर्ण हो सकती है?

उत्तर: हाँ, सच्चे मन से किया गया पाठ हर मनोकामना पूर्ण करता है।

प्रश्न 10: पाठ के दौरान कौन-सी भक्ति सामग्री आवश्यक है?

उत्तर: दीपक, फूल, चंदन और माता सीता की प्रतिमा या चित्र।

प्रश्न 11: पाठ में कितनी बार चालीसा पढ़नी चाहिए?

उत्तर: एक बार में पूरी चालीसा पढ़ें। अधिक भक्तिभाव से तीन बार पढ़ सकते हैं।

प्रश्न 12: क्या माता सीता चालीसा पाठ सभी कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, यह पाठ हर कोई कर सकता है।


माता सीता चालीसा पाठ करने से न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति मिलती है, बल्कि जीवन की हर कठिनाई का समाधान भी मिलता है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से माता सीता की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।