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Mud Shivling Puja – Remove Diseases & Stress in 11 Days

Mud Shivling Puja – Remove Diseases & Stress in 11 Days

मिट्टी का शिवलिंग – ११ दिन से दूर होंगे सारे रोग और मानसिक तनाव

मिट्टी के शिवलिंग की पूजा से मन और शरीर दोनों को शांति मिलती है। यह साक्षात शिवजी का स्वरूप माना जाता है। जो व्यक्ति लगातार ११ दिन तक मिट्टी के शिवलिंग की पूजा करता है, उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। रोग, मानसिक तनाव और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। साथ ही, सुख-समृद्धि भी बढ़ती है।

११ दिन पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन का महत्व

मिट्टी के शिवलिंग को ११ दिन तक पूजने के बाद जल में विसर्जित करने की परंपरा है। इससे शिव तत्व का सम्मान होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। विसर्जन के बाद पुनः नया शिवलिंग स्थापित कर सकते हैं।

मिट्टी के शिवलिंग की पूजा के चमत्कारी लाभ

  1. मानसिक तनाव दूर होता है।
  2. नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
  3. रोगों से मुक्ति मिलती है।
  4. परिवार में सुख-शांति बढ़ती है।
  5. आर्थिक संकट दूर होते हैं।
  6. भक्त को आध्यात्मिक बल मिलता है।
  7. ग्रह दोष शांत होते हैं।
  8. वास्तु दोष समाप्त होता है।
  9. मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
  10. विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।
  11. राहु-केतु के दोष शांत होते हैं।
  12. मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  13. घर में लक्ष्मी का वास होता है।
  14. शनि दोष कम होता है।
  15. भूत-प्रेत बाधा समाप्त होती है।

नियम | पूजा करते समय इन बातों का रखें ध्यान

  • पूजा के दौरान पवित्रता बनाए रखें।
  • स्नान करके ही शिवलिंग का स्पर्श करें।
  • केवल प्राकृतिक मिट्टी के शिवलिंग का उपयोग करें।
  • ११ दिन तक नित्य पूजा करें।
  • पूजा में बिल्वपत्र, जल और अक्षत चढ़ाएँ।
  • ओम नमः शिवाय मंत्र का जप करें।
  • किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु का उपयोग न करें।

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मुहूर्त | शिवलिंग स्थापना का सही समय

  • सोमवार को स्थापना सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
  • प्रदोष काल में पूजन करना शुभ होता है।
  • सावन मास में पूजा विशेष फलदायी होती है।
  • महाशिवरात्रि का दिन सर्वोत्तम है।
  • अमावस्या और पूर्णिमा भी विशेष फल देती हैं।

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विधि | मिट्टी के शिवलिंग की पूजा कैसे करें

  1. सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. शिवलिंग को तांबे या कांसे की थाली में रखें।
  3. गंगा जल और दूध से अभिषेक करें।
  4. बिल्वपत्र, धतूरा और भस्म अर्पित करें।
  5. दीपक जलाएँ और धूप-गंध अर्पित करें।
  6. ओम नमः शिवाय मंत्र का १०८ बार जाप करें।
  7. भगवान शिव से अपनी मनोकामना प्रकट करें।
  8. आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
  9. ११ दिन बाद शिवलिंग को पवित्र जल में विसर्जित करें।

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सामान्य प्रश्न | मिट्टी के शिवलिंग पूजा से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल

१. मिट्टी का शिवलिंग घर में रखना शुभ है या नहीं

हाँ, लेकिन ११ दिन पूजा के बाद विसर्जित करना आवश्यक है।

२. मिट्टी का शिवलिंग कहां से प्राप्त करें

आप इसे किसी भी धार्मिक दुकान या स्वयं प्राकृतिक मिट्टी से बना सकते हैं।

३. क्या महिलाएँ मिट्टी के शिवलिंग की पूजा कर सकती हैं

हाँ, महिलाएँ भी नियमपूर्वक शिवलिंग की पूजा कर सकती हैं।

४. पूजा के दौरान कौन से मंत्र का जाप करें

‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘ॐ ह्रीं धनवंतरे ह्रौं नमः’ मंत्र विशेष फलदायी होते हैं।

५. क्या मिट्टी के शिवलिंग को दूध से स्नान कराना चाहिए

हाँ, शिवलिंग का दूध, गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करना शुभ होता है।

६. क्या मिट्टी के शिवलिंग को पूरे जीवन तक रखा जा सकता है

नहीं, इसे ११ दिन बाद विसर्जित करना आवश्यक होता है।

७. शिवलिंग विसर्जन के बाद क्या करें

पुनः नया शिवलिंग स्थापित कर सकते हैं या अन्य शिव उपासना कर सकते हैं।

८. क्या मिट्टी का शिवलिंग सिर्फ सावन में ही पूजना चाहिए

नहीं, आप इसे किसी भी शुभ मुहूर्त में स्थापित कर सकते हैं।

निष्कर्ष | शिवलिंग पूजा से जीवन में आएगा बदलाव

मिट्टी के शिवलिंग की पूजा करने से मानसिक शांति, रोगों से मुक्ति और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। यह साधना सरल और प्रभावशाली है। यदि विधि-विधान से ११ दिन पूजा की जाए तो जीवन में अद्भुत परिवर्तन संभव है।

Karni Mata Vrat – Power of 7 Fridays for Blessings

Karni Mata Vrat - Power of 7 Fridays for Blessings

शुक्रवार के दिन करणी माता का व्रत करने से मिट जाएंगी सभी परेशानियां

करणी माता को शक्ति स्वरूपा माना जाता है। उनकी कृपा से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। करणी माता का व्रत करने से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भक्तों की आस्था के अनुसार, माता की उपासना करने से नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।


7 शुक्रवार करणी माता व्रत की विशेषता

1. संकटों से मुक्ति – माता की कृपा से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
2. आर्थिक समृद्धि – धन संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं और समृद्धि आती है।
3. वैवाहिक जीवन सुखद – दांपत्य जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
4. संतान सुख – संतान प्राप्ति में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
5. शत्रुओं से रक्षा – शत्रु नष्ट होते हैं और विजय प्राप्त होती है।
6. स्वास्थ्य लाभ – मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
7. आध्यात्मिक उन्नति – साधना और भक्ति में मन लगता है।


करणी माता व्रत करने के अद्भुत लाभ

1. धन प्राप्ति का स्रोत खुलता है

व्रत करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और धन आगमन के नए स्रोत बनते हैं।

2. जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं

अगर कोई समस्या लंबे समय से बनी हुई है, तो यह व्रत करने से समाधान मिल सकता है।

3. मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है

शक्ति देवी की कृपा से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और मनोबल मजबूत होता है।

4. ग्रह दोषों का निवारण होता है

शुक्र ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं और शुभ फल प्राप्त होते हैं।

5. दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है

अगर दांपत्य जीवन में समस्याएं चल रही हैं, तो करणी माता व्रत करने से रिश्ते में सुधार आता है।

6. मुकदमों में जीत मिलती है

कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है और न्याय मिलता है।

7. भय, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है

माता की कृपा से नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं।

8. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है

परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ता है और घर में शांति रहती है।

9. व्यापार और नौकरी में उन्नति होती है

व्यवसाय में वृद्धि होती है और नौकरी में प्रमोशन के अवसर मिलते हैं।

10. नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है

माता के आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।

11. विद्यार्थियों को सफलता मिलती है

शिक्षा में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं और पढ़ाई में रुचि बढ़ती है।

12. घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है

माता की कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

13. रोग और शारीरिक कष्ट दूर होते हैं

माता के आशीर्वाद से स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार आता है।

14. आध्यात्मिक उन्नति होती है

व्रत करने से साधना में सफलता मिलती है और भक्ति में मन लगता है।

15. अविवाहितों के लिए विवाह के योग बनते हैं

अगर विवाह में देरी हो रही हो, तो व्रत करने से विवाह के योग बनते हैं।


करणी माता व्रत के नियम

  1. व्रत के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  2. माता की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
  3. पूरे दिन सात्विक आहार ग्रहण करें और व्रत का पालन करें।
  4. माता को गुड़, चने और नारियल अर्पित करें।
  5. माता के मंत्रों का जाप करें और भजन-कीर्तन करें।
  6. जरूरतमंदों को अन्नदान करें और पुण्य लाभ प्राप्त करें।
  7. मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।

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करणी माता व्रत का शुभ मुहूर्त

व्रत करने के लिए सबसे उत्तम समय शुक्रवार का दिन होता है। व्रत का संकल्प ब्रह्ममुहूर्त में लेना चाहिए। पूजा का शुभ समय सुबह 6 से 8 बजे तक और शाम को 5 से 7 बजे तक उत्तम होता है।

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करणी माता की संपूर्ण कथा

करणी माता का जन्म राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में हुआ था। वे चारण कुल में जन्मी थीं और अलौकिक शक्तियों से संपन्न थीं। करणी माता को माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है।

कहा जाता है कि एक बार करणी माता के एक भक्त का पुत्र पानी में डूबकर मर गया। भक्त दुखी होकर माता के पास गया और अपनी पीड़ा सुनाई। करणी माता ने अपनी दिव्य शक्ति से यमराज से उस बालक को वापस लाने का आग्रह किया। पहले तो यमराज ने मना कर दिया, लेकिन माता की सिद्धियों के प्रभाव से उन्होंने बालक को जीवनदान दे दिया। तभी से करणी माता को अमरत्व का वरदान प्राप्त हुआ और वे लोगों के दुखों का निवारण करने लगीं।

करणी माता का मुख्य मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित है। यह मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और हजारों चूहों की उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के चूहों को माता का रूप मानकर पूजा जाता है। कहा जाता है कि ये चूहे उन्हीं भक्तों की आत्माएं हैं, जिन्हें माता का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। जो भी भक्त सच्चे मन से इस मंदिर में दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


करणी माता व्रत की विधि

  1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  2. माता की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें
  3. केसर, चावल, गुड़, नारियल और पुष्प चढ़ाएं
  4. करणी माता के मंत्रों का जाप करें
  5. माता की आरती करें और भोग अर्पित करें
  6. गरीबों और जरुरतमंदों को भोजन कराएं
  7. रात्रि में माता का भजन-कीर्तन करें
  8. अगले दिन व्रत का पारण करें

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. करणी माता व्रत कितने दिन तक करना चाहिए

कम से कम 7 शुक्रवार तक इस व्रत को करना चाहिए।

2. क्या व्रत में फलाहार कर सकते हैं

हाँ, फलाहार कर सकते हैं, लेकिन सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।

3. व्रत के दौरान किन चीजों से बचना चाहिए

नकारात्मक विचार, क्रोध और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।

4. क्या करणी माता का व्रत हर कोई कर सकता है

हाँ, स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।

5. क्या व्रत के दिन किसी को दान देना चाहिए

हाँ, गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करने से माता की कृपा प्राप्त होती है।

6. क्या व्रत में पानी पी सकते हैं

हाँ, पानी पी सकते हैं, लेकिन दिनभर संयम बनाए रखना चाहिए।

7. क्या करणी माता की कथा सुननी आवश्यक है

हाँ, कथा सुनने से व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।

8. व्रत का समापन कैसे करें

अगले दिन सात्विक भोजन करके और माता की आराधना करके व्रत समाप्त करें।


Perform Kali Sadhana on Friday Night for Wealth Growth

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शुक्रवार की रात करें काली साधना | दूर होंगीं आर्थिक रुकावटें

Perform Kali Sadhana – शुक्रवार की रात माँ काली की उपासना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन की गई काली साधना से आर्थिक समस्याएं समाप्त होती हैं और जीवन में स्थिरता आती है। माँ काली तंत्र की प्रमुख देवी हैं, जो अपने भक्तों की सभी बाधाओं को दूर करती हैं।


पाँच विशेष शुक्रवार | काली साधना का प्रभाव

माँ काली की साधना यदि लगातार पाँच शुक्रवार की रात की जाए, तो अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं। इन पाँच शुक्रवारों को चुनकर विशेष अनुष्ठान करने से साधक की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।

  1. पहला शुक्रवार – आर्थिक संकट से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  2. दूसरा शुक्रवार – नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
  3. तीसरा शुक्रवार – रोजगार और व्यवसाय में प्रगति मिलती है।
  4. चौथा शुक्रवार – धन आगमन के नए स्रोत खुलते हैं।
  5. पाँचवां शुक्रवार – संपूर्ण आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।

काली साधना के चमत्कारी लाभ

  1. धन-संपत्ति में वृद्धि
  2. ऋण से मुक्ति
  3. व्यापार में सफलता
  4. शत्रु बाधा से मुक्ति
  5. पारिवारिक समृद्धि
  6. आत्मबल और साहस में वृद्धि
  7. अचानक धन प्राप्ति
  8. मानसिक शांति
  9. दुर्भाग्य से छुटकारा
  10. तंत्र बाधा का नाश
  11. आध्यात्मिक जागृति
  12. सुख-शांति में वृद्धि
  13. नौकरी में उन्नति
  14. ग्रह दोषों से राहत
  15. अनिष्ट शक्तियों से सुरक्षा

काली साधना के नियम और सावधानियां

माँ काली की साधना करते समय कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है।

  • साधना के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • साधना स्थल को शुद्ध और पवित्र रखें।
  • काली बीज मंत्र ‘ॐ क्रीं कालिके क्रीं नमः’ का जाप करें।
  • किसी को हानि पहुँचाने के उद्देश्य से साधना न करें।

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शुक्रवार की रात का शुभ मुहूर्त | काली साधना के लिए उपयुक्त समय

माँ काली की साधना का सही समय रात्रि 10 बजे से 3 बजे के बीच होता है।

  • प्रदोष काल – साधना के लिए अत्यंत शुभ।
  • निशीथ काल – तंत्र शक्ति जाग्रत करने के लिए सर्वश्रेष्ठ।
  • ब्रह्म मुहूर्त – सिद्धि प्राप्ति के लिए उत्तम।

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शुक्रवार व्रत विधि | माँ काली की कृपा कैसे प्राप्त करें

शुक्रवार के दिन माँ काली को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखना अत्यंत लाभकारी होता है।

  • प्रातः स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें।
  • माँ काली की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाएं।
  • काली चालीसा और काली स्तोत्र का पाठ करें।
  • काली मंदिर में जाकर प्रसाद चढ़ाएं।
  • रात को ‘ॐ क्रीं कालिके क्रीं नमः’ मंत्र का जाप करें।

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काली साधना से जुड़े सामान्य प्रश्न और उत्तर

1. माँ काली की साधना कौन कर सकता है

जो कोई भी श्रद्धा और निष्ठा के साथ माँ काली की पूजा करता है, वह उनकी कृपा प्राप्त कर सकता है।

2. क्या काली साधना से भय समाप्त होता है

हाँ, माँ काली की साधना से आत्मबल बढ़ता है और सभी प्रकार के भय समाप्त होते हैं।

3. क्या साधना में किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है

माँ काली की साधना में लाल फूल, काली हल्दी, काजल और काले तिल का उपयोग किया जाता है।

4. क्या काली साधना में ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है

हाँ, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करने से अधिक लाभ मिलता है।

5. क्या साधना को बीच में रोक सकते हैं

नहीं, एक बार साधना शुरू करने के बाद उसे पूर्ण करना अनिवार्य होता है।

6. माँ काली की पूजा में कौन से प्रसाद चढ़ाए जा सकते हैं

गुड़, नारियल, लाल मिठाई और मदिरा का चढ़ावा विशेष रूप से प्रिय है।

7. क्या काली साधना केवल तांत्रिक ही कर सकते हैं

नहीं, यह कोई भी श्रद्धालु भक्त कर सकता है, जो माँ काली की कृपा प्राप्त करना चाहता है।

8. क्या साधना के दौरान किसी विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए

हाँ, ‘ॐ क्रीं कालिके क्रीं नमः’ मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।

माँ काली की कृपा प्राप्त करने के लिए शुक्रवार की रात की गई साधना अत्यंत प्रभावशाली होती है। यदि पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से इस साधना को किया जाए, तो यह न केवल आर्थिक समस्याओं को दूर करती है, बल्कि जीवन में सुख-शांति भी लाती है।

Kanakdhara Soil Murti – for Wealth & Prosperity

Kanakdhara Soil Murti - for Wealth & Prosperity

इस मिट्टी में छुपा धन! इस देवी की मूर्ति बनाकर घर में रखें, पैसे की बरसात होगी

कनकधारा माता धन और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनके पूजन से दरिद्रता समाप्त होती है और घर में धन की वर्षा होती है। कनकधारा मंत्र का जप विशेष रूप से लक्ष्मी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जो देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।


होने वाले लाभ

  • इस साधना से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और घर में धन का आगमन होता है।
  • यदि व्यवसाय में हानि हो रही हो तो कनकधारा माता की पूजा लाभदायक होती है।
  • घर में दरिद्रता और धन की कमी दूर होती है।
  • व्यक्ति को स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • पूजा करने से परिवार में प्रेम और शांति बनी रहती है।
  • जिन्हें नौकरी में बाधा आ रही हो, वे इस साधना से लाभ उठा सकते हैं।
  • दान करने की प्रवृत्ति बढ़ती है जिससे पुण्य लाभ होता है।
  • यदि किसी पर कर्ज हो तो यह साधना उसे समाप्त करने में सहायक होती है।
  • कनकधारा माता की साधना से धन के साथ-साथ सुख की भी प्राप्ति होती है।
  • पूजा करने से घर में देवी लक्ष्मी की कृपा स्थाई रूप से बनी रहती है।
  • अचानक धन लाभ होता है, जिससे आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
  • पूजन से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  • मंत्र जप से मन को शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
  • देवी की कृपा से व्यक्ति बुरी नजर से सुरक्षित रहता है।
  • साधना करने से जीवन के सभी कार्य सफल होते हैं।

कनकधारा माता की पूजा विधि

  • छोटे गमले में मिट्टी भरकर धनिया के बीज डालें। इसे 5-7 दिन तक बढ़ने दें।
  • धनिया 4-5 इंच हो जाने पर उसकी थोड़ी मिट्टी निकालें और लक्ष्मी माता की एक छोटी मूर्ति बनाएं।
  • यदि मूर्ति बनाना कठिन हो तो बाजार से मिट्टी की लक्ष्मी माता की छोय़ी मूर्ति लाकर गमले में रखें।
  • अगरबत्ती, दीपक, जल, पुष्प, चंदन, अक्षत, दूध, शहद आदि पूजा में उपयोग करें।
  • मूर्ति के सामने बैठकर प्रतिदिन 20 मिनट तक इस मंत्र का जप करें: ॐ ऐं श्रीं माता कनकधारेश्वरी क्लीं वषट्
  • इस मंत्र का जप लगातार 7 दिनों तक करें।
  • 8वें दिन माता की मूर्ति को जल में विसर्जित कर दें और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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कनकधारा माता के पूजन के नियम

  • पूजा के दौरान शुद्धता बनाए रखें।
  • सात्विक आहार ग्रहण करें।
  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • माता का पूजन श्रद्धा और विश्वास से करें।
  • पूजा के दौरान मोबाइल या अन्य व्यस्तताओं से बचें।

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कनकधारा माता की पूजा का शुभ मुहूर्त

  • शुक्रवार और पूर्णिमा तिथि को यह साधना करना अत्यंत शुभ होता है।
  • लक्ष्मी पूजन के विशेष पर्व जैसे दीपावली, अक्षय तृतीया और कार्तिक पूर्णिमा को भी यह साधना कर सकते हैं।
  • चंद्रमा की वृद्धि तिथि में पूजा करने से अधिक लाभ मिलता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. कनकधारा माता की साधना कौन कर सकता है?

कोई भी व्यक्ति, चाहे स्त्री हो या पुरुष, इस साधना को कर सकता है।

2. इस साधना में कितने दिन लगते हैं?

यह साधना 7 दिन तक चलती है और 8वें दिन मूर्ति विसर्जन किया जाता है।

3. क्या इस पूजा से धन की प्राप्ति होती है?

हां, माता कनकधारा की कृपा से धन की प्राप्ति होती है।

4. क्या यह पूजा घर पर कर सकते हैं?

हां, इस साधना को घर पर ही किया जा सकता है।

5. क्या इस साधना में कोई विशेष नियम हैं?

हां, साधना के दौरान सात्विक आहार और शुद्धता का पालन करना चाहिए।

6. क्या यह पूजा किसी भी दिन कर सकते हैं?

हालांकि इसे शुक्रवार और पूर्णिमा को करना अधिक लाभदायक होता है।

7. क्या इस साधना से व्यापार में लाभ होता है?

हां, व्यापार में वृद्धि के लिए यह पूजा बहुत प्रभावी होती है।

8. अगर मूर्ति खुद न बना सकें तो क्या करें?

यदि स्वयं मूर्ति बनाना संभव न हो तो बाजार से मिट्टी की मूर्ति खरीदकर प्रयोग कर सकते हैं।

16 Friday Matangi Vrat – Achieve Career & Success

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अगर नौकरी में नहीं मिल रही सफलता, तो शुक्रवार को करें यह देवी उपासना

नौकरी में सफलता न मिलना एक आम समस्या है। माता मातंगी की उपासना करने से यह बाधा दूर हो सकती है। शुक्रवार का दिन माता मातंगी की पूजा के लिए सर्वोत्तम होता है।


माता मातंगी की संपूर्ण कथा

एक समय की बात है, देवताओं और असुरों के बीच घोर युद्ध चल रहा था। असुरों की शक्ति बढ़ती जा रही थी, और देवता पराजित हो रहे थे। सभी देवता भगवान शिव के पास गए और सहायता की प्रार्थना की। भगवान शिव ने माता पार्वती को आदेश दिया कि वे एक अद्भुत शक्ति का प्रकट करें, जो असुरों का नाश कर सके।

माता पार्वती ने अपनी काया से एक दिव्य शक्ति प्रकट की, जो माता मातंगी के रूप में प्रकट हुईं। वे नीलवर्णा थीं, उनके हाथों में वीणा थी, और उनके स्वर में अपार शक्ति थी। माता मातंगी ने अपने संगीत और तंत्र शक्ति से असुरों को मोहित कर दिया और उन्हें परास्त कर दिया।

इसके बाद माता मातंगी को वाणी, कला, संगीत और तंत्र की अधिष्ठात्री देवी माना जाने लगा। उनकी साधना करने से व्यक्ति की वाणी प्रभावशाली होती है, बुद्धि प्रखर होती है, और करियर में सफलता प्राप्त होती है।


माता मातंगी का परिचय

माता मातंगी दस महाविद्याओं में से एक हैं। ये वाणी, बुद्धि और सफलता प्रदान करने वाली देवी हैं। इनकी कृपा से करियर में उन्नति होती है।

विशेष व्रत और पूजा विधि

16 शुक्रवार का व्रत नौकरी में सफलता, मनोकामना पूर्ति और जीवन में स्थिरता लाने के लिए किया जाता है।

16 शुक्रवार व्रत की विधि

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • माता मातंगी की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं।
  • “ॐ ऐं ह्रीं मातंगेश्वरी मम् कार्य कुरु कुरु नमः” मंत्र का जाप करें।
  • पीले वस्त्र एवं सुगंधित फूल अर्पित करें।
  • प्रसाद में केले और मिश्री चढ़ाएं।
  • व्रत कथा पढ़ें और संकल्प लें।
  • दिनभर सात्त्विक आहार लें और संध्या को आरती करें।

उपासना के लाभ

  1. नौकरी में उन्नति होती है।
  2. मनचाही जॉब मिलने के योग बनते हैं।
  3. इंटरव्यू में सफलता मिलती है।
  4. कार्यक्षेत्र में मान-सम्मान बढ़ता है।
  5. बुद्धि और वाणी में तेजस्विता आती है।
  6. नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  7. कार्यक्षेत्र में शत्रु परास्त होते हैं।
  8. प्रमोशन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  9. आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
  10. बॉस और सहकर्मियों से संबंध मधुर बनते हैं।
  11. कड़ी मेहनत का उचित परिणाम मिलता है।
  12. नौकरी में स्थिरता बनी रहती है।
  13. अनजाने भय से मुक्ति मिलती है।
  14. नई नौकरी प्राप्ति के योग बनते हैं।
  15. मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।

माता मातंगी उपासना के नियम

  1. उपासना के समय पूर्ण शुद्धता रखें।
  2. केवल सात्त्विक भोजन ग्रहण करें।
  3. मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  4. किसी से कटु शब्द न कहें।
  5. शुक्रवार को पीले वस्त्र धारण करें।
  6. मंत्र जाप श्रद्धा और एकाग्रता से करें।
  7. माता मातंगी को सफेद और पीले फूल अर्पित करें।
  8. पूजा में तामसिक पदार्थों का प्रयोग न करें।

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माता मातंगी उपासना के शुभ मुहूर्त

सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

  • शुक्र प्रदोष व्रत तिथि पर।
  • पूर्णिमा या अमावस्या तिथि पर।
  • नवरात्रि में सप्तमी और अष्टमी तिथि पर।
  • गुरु-पुष्य या रवि-पुष्य योग में।
  • सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय।

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माता मातंगी व्रत और पूजा विधि

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें।
  2. घर के उत्तर-पूर्व कोण में पूजा करें।
  3. देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  4. “ॐ ऐं ह्रीं मातंगेश्वरी मम् कार्य कुरु कुरु नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  5. दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
  6. माता को मालपुआ और मिश्री का भोग लगाएं।
  7. पूजा के बाद मंत्र जाप करें और प्रार्थना करें।
  8. अंत में आरती करें और परिवार में प्रसाद बांटें।

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माता मातंगी उपासना से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. माता मातंगी की उपासना कौन कर सकता है

कोई भी श्रद्धालु माता मातंगी की उपासना कर सकता है।

2. क्या महिलाएं इस उपासना को कर सकती हैं

हाँ, महिलाएं भी पूरी श्रद्धा से यह उपासना कर सकती हैं।

3. व्रत में क्या खा सकते हैं

सात्त्विक भोजन जैसे फल, दूध, और हल्का आहार ले सकते हैं।

4. क्या इस व्रत में निर्जला रहना आवश्यक है

नहीं, यह निर्जला व्रत नहीं है, हल्का भोजन लिया जा सकता है।

5. मंत्र जाप का सही तरीका क्या है

मंत्र जाप एकाग्रचित होकर, माला के साथ करना चाहिए।

6. क्या यह व्रत नौकरी पाने में सहायता करता है

हाँ, माता मातंगी की कृपा से नौकरी की बाधाएं दूर होती हैं।

7. इस व्रत के दौरान क्या सावधानियां रखनी चाहिए

क्रोध, कटु वचन और नकारात्मकता से बचना चाहिए।

8. कितने शुक्रवार तक यह व्रत करना चाहिए

16 शुक्रवार तक यह व्रत करने से विशेष लाभ मिलता है।

Karni Mata Friday Fast – Remove Financial Problems

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शुक्रवार के दिन करणी माता का व्रत करने से मिट जाएंगी आर्थिक परेशानियां

Karni Mata Friday Fast करणी माता को चमत्कारी देवी माना जाता है। इनकी आराधना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। १६ शुक्रवार का व्रत आर्थिक समृद्धि, व्यापार वृद्धि और परिवार में सुख-शांति लाने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।

इस व्रत को करने से ऋण मुक्ति, नौकरी में तरक्की, धन आगमन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। करणी माता की कृपा से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।


व्रत के अद्भुत लाभ

1. आर्थिक समृद्धि

शुक्रवार के दिन यह व्रत करने से धन संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

2. ऋण मुक्ति

इस व्रत के प्रभाव से पुराने कर्ज उतर जाते हैं और भविष्य में कोई आर्थिक संकट नहीं आता।

3. व्यवसाय में सफलता

व्यापारियों के लिए यह व्रत बेहद शुभ होता है। इससे व्यवसाय में उन्नति और ग्राहकों की वृद्धि होती है।

4. करियर में उन्नति

नौकरीपेशा लोगों के लिए यह व्रत सफलता और प्रमोशन दिलाने में सहायक होता है।

5. सुख-शांति

घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और कलह-क्लेश समाप्त हो जाते हैं।

6. विवाह में बाधा दूर होती है

जो लोग विवाह में देरी से परेशान हैं, उन्हें इस व्रत से शीघ्र विवाह का योग बनता है।

7. प्रेम संबंध मजबूत होते हैं

पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।

8. संतान सुख प्राप्त होता है

जिन्हें संतान सुख नहीं मिल रहा, वे इस व्रत को करने से माता करणी की कृपा से संतान प्राप्त कर सकते हैं।

9. बुरी नजर से बचाव

यह व्रत नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से बचाने में मदद करता है।

10. स्वास्थ्य लाभ

इस व्रत से रोग-व्याधियां दूर होती हैं और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है।

11. मानसिक शांति

व्रत करने से मानसिक तनाव कम होता है और ध्यान में वृद्धि होती है।

12. आध्यात्मिक उन्नति

इस व्रत से आत्मिक शुद्धि होती है और साधना में सफलता प्राप्त होती है।

13. दान-पुण्य में वृद्धि

इस व्रत के दौरान किए गए दान-पुण्य से जीवन में पुण्य बढ़ता है।

14. शुभता और सौभाग्य

शुक्रवार का यह व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में शुभता और सौभाग्य का संचार होता है।

15. देवी करणी माता की कृपा प्राप्त होती है

इस व्रत से भक्तों को करणी माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी संकट दूर होते हैं।

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करणी माता १६ शुक्रवार व्रत कथा

प्राचीन काल में एक निर्धन ब्राह्मण परिवार रहता था। ब्राह्मण की पत्नी अत्यंत धार्मिक और करणी माता की अनन्य भक्त थी। आर्थिक तंगी के कारण परिवार अत्यंत परेशान था। भोजन तक जुटाना कठिन हो गया था।

एक दिन ब्राह्मण की पत्नी करणी माता के मंदिर में गई और माता से अपनी दरिद्रता दूर करने की प्रार्थना करने लगी। वहां एक वृद्धा मिली, जिसने कहा, “बेटी, तुम करणी माता का १६ शुक्रवार व्रत करो, माता अवश्य कृपा करेंगी।”

ब्राह्मणी ने घर आकर पति से यह बात कही। दोनों ने मिलकर शुक्रवार व्रत करने का संकल्प लिया। श्रद्धा से व्रत करने के कुछ ही दिनों बाद चमत्कार हुआ। ब्राह्मण को राजा के दरबार में पुजारी के रूप में नौकरी मिल गई और घर में धन-धान्य की वर्षा होने लगी।

इस चमत्कार को देखकर गांव के अन्य लोग भी करणी माता के १६ शुक्रवार व्रत करने लगे। माता की कृपा से सबके कष्ट दूर होने लगे। तभी से यह व्रत धन-संपत्ति, सुख-शांति और मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है।

जो भी श्रद्धा और नियमपूर्वक करणी माता का १६ शुक्रवार व्रत करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में समृद्धि आती है।


नियम और पालन विधि

व्रत नियम

  • प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • करणी माता का ध्यान करें और व्रत संकल्प लें।
  • पूरे दिन सात्विक आहार ग्रहण करें।
  • नमक का सेवन न करें।
  • मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहें।
  • सूर्यास्त के बाद करणी माता की आरती करें।

व्रत विधि

  1. सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
  2. करणी माता की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं।
  3. माता को सफेद पुष्प, चावल और मिश्री अर्पित करें।
  4. माता को केसर मिश्रित दूध और प्रसाद अर्पित करें।
  5. शुक्रवार की कथा पढ़ें और सुनें।
  6. शाम को दीप जलाकर माता की आरती करें।
  7. व्रत खोलने के लिए फलाहार करें या सात्त्विक भोजन ग्रहण करें।

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व्रत का शुभ मुहूर्त

शुक्रवार व्रत के लिए प्रातःकाल और संध्या काल दोनों ही श्रेष्ठ माने जाते हैं।

  • प्रातःकाल – 6:00 AM से 9:00 AM
  • संध्या काल – 5:30 PM से 7:30 PM

यह व्रत शुक्रवार को शुक्र होरा में किया जाए तो अधिक शुभ फलदायी होता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. करणी माता का १६ शुक्रवार व्रत कौन कर सकता है

कोई भी स्त्री, पुरुष या वृद्धजन इस व्रत को कर सकते हैं। यह व्रत सभी के लिए कल्याणकारी है।

2. क्या व्रत में चाय पी सकते हैं

हां, लेकिन दूध वाली चाय लें, अदरक-हल्दी का सेवन करें।

3. इस व्रत में क्या खाना चाहिए

फल, दूध, सूखे मेवे, साबूदाने की खिचड़ी या आलू का सेवन किया जा सकता है।

4. क्या इस व्रत के दौरान नमक खा सकते हैं

इस व्रत में सेंधा नमक का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन साधारण नमक वर्जित होता है।

5. अगर व्रत में गलती हो जाए तो क्या करें

अगर कोई गलती हो जाए तो माता से क्षमा याचना करें और अगली बार नियमपूर्वक व्रत करें।

6. क्या पुरुष भी करणी माता का व्रत कर सकते हैं

हां, यह व्रत स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।

7. क्या इस व्रत को किसी विशेष इच्छा पूर्ति के लिए कर सकते हैं

हां, यह व्रत विशेष रूप से धन, व्यापार, विवाह और संतान सुख के लिए किया जाता है।

8. अगर कोई शुक्रवार व्रत बीच में छूट जाए तो क्या करें

यदि व्रत बीच में छूट जाए तो अगले शुक्रवार से पुनः व्रत करें और क्षमा याचना करें।


करणी माता का १६ शुक्रवार का व्रत अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। यह व्रत आर्थिक समृद्धि, पारिवारिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। माता की कृपा से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। श्रद्धा और विश्वास के साथ इस व्रत को करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।

Shukravar Vrat – Strengthen Your Fate with These Remedies

Shukravar Vrat - Strengthen Your Fate with These Remedies

अगर शुक्र है कमजोर, तो इस शुक्रवार करें ये उपाय, चमक उठेगी किस्मत!

शुक्र ग्रह जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य प्रदान करता है। अगर शुक्र अशुभ हो, तो जीवन में आर्थिक समस्याएँ, विवाह में बाधाएँ और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ आती हैं। १२ शुक्रवार का व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए किया जाता है।

१२ शुक्रवार व्रत का महत्व

  • यह व्रत व्यक्ति के जीवन में प्रेम, सौंदर्य और आकर्षण बढ़ाता है।
  • विवाह में आ रही देरी को दूर करता है।
  • धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि करता है।

कैसे करें १२ शुक्रवार व्रत

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • सफेद वस्त्र पहनें और शुक्र देव का ध्यान करें।
  • व्रत रखने वाले को एक समय सात्त्विक भोजन करना चाहिए।
  • शाम को शुक्र से संबंधित वस्तुओं का दान करें।

शक्तिशाली लाभ जो बदल देंगे आपकी जिंदगी

१. वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है

शुक्र का प्रभाव विवाह पर पड़ता है। यह व्रत प्रेम और सौहार्द बढ़ाता है।

२. सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि

इस व्रत से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरता है।

३. धन और ऐश्वर्य में वृद्धि

शुक्र ग्रह समृद्धि देने वाला ग्रह है। इस व्रत से आर्थिक उन्नति होती है।

४. सुखद दांपत्य जीवन

शुक्र ग्रह पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ाता है।

५. व्यापार में सफलता

व्यापारी इस व्रत से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

६. मानसिक शांति

शुक्र ग्रह को शांत करने से मन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

७. संतान सुख में वृद्धि

जो दंपति संतान प्राप्ति चाहते हैं, उनके लिए यह व्रत लाभकारी है।

८. सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि

व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।

९. कलात्मक क्षमता का विकास

संगीत, नृत्य और चित्रकला में रुचि रखने वालों को इस व्रत से लाभ होता है।

१०. त्वचा रोगों से मुक्ति

इस व्रत के प्रभाव से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं।

११. विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं

देरी से हो रहे विवाह को इस व्रत से शीघ्रता मिलती है।

१२. विदेश यात्रा के योग बनते हैं

शुक्र ग्रह को मजबूत करने से विदेश यात्रा के योग बनते हैं।

१३. परोपकार की भावना बढ़ती है

इस व्रत से व्यक्ति दान और सेवा में रुचि लेने लगता है।

१४. तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है

शुक्र ग्रह सकारात्मकता बढ़ाता है और मानसिक तनाव कम करता है।

१५. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है

यह व्रत घर में शांति और समृद्धि बनाए रखने में सहायक है।


व्रत नियम: क्या करें और क्या न करें

क्या करें

  • सूर्योदय से पहले स्नान करें।
  • व्रत में केवल फलाहार या सात्त्विक भोजन करें।
  • शुक्रवार को माता लक्ष्मी और शुक्र देव की पूजा करें।
  • सफेद वस्त्र धारण करें।
  • चावल, दूध, दही और चीनी का दान करें।

क्या न करें

  • झूठ और छल-कपट से बचें।
  • नशा न करें।
  • मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  • वाद-विवाद और क्रोध से बचें।

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शुभ मुहूर्त: व्रत के लिए सही समय

शुक्रवार को व्रत रखने के लिए शुक्र होरा और शुक्र नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ होते हैं।

व्रत का प्रारंभ कब करें

  • किसी शुभ शुक्रवार से प्रारंभ करें।
  • १२ शुक्रवार तक लगातार करें।
  • अगर व्रत छोड़ना हो तो विधिपूर्वक उद्यापन करें।

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व्रत विधि: सही तरीके से करें यह उपाय

१. प्रातःकाल की तैयारी

  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • शुक्र देवता का ध्यान करें।

२. पूजा सामग्री

  • सफेद पुष्प
  • चावल और मिश्री
  • जल और पंचामृत
  • घी का दीपक

३. पूजा विधि

  • माता लक्ष्मी और शुक्र देवता का पूजन करें।
  • “ॐ ऐं श्रीं शुं शुक्राय क्लीं नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • सफेद चीजों का दान करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएँ।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

१. क्या हर कोई यह व्रत कर सकता है?

हाँ, यह व्रत स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।

२. क्या व्रत के दौरान नमक खा सकते हैं?

अगर फलाहार कर रहे हैं तो सेंधा नमक ले सकते हैं।

३. क्या शुक्रवार के व्रत में दूध पी सकते हैं?

हाँ, दूध और दूध से बनी चीजें ग्रहण कर सकते हैं।

४. क्या इस व्रत को बीच में छोड़ा जा सकता है?

नहीं, इसे पूरा करना आवश्यक है।

५. व्रत का उद्यापन कैसे करें?

१२वें शुक्रवार को हवन और दान कर व्रत पूरा करें।

६. क्या इस व्रत से विवाह में आ रही देरी दूर होगी?

हाँ, यह व्रत विवाह बाधा को दूर करता है।

७. क्या शुक्र व्रत से आर्थिक स्थिति सुधरती है?

हाँ, शुक्र ग्रह धन और ऐश्वर्य देने वाला ग्रह है।

८. शुक्र ग्रह को मजबूत करने के अन्य उपाय क्या हैं?

मंत्र जाप, शुक्र यंत्र पूजन और सफेद चीजों का दान करें।


Santoshi Mata Vrat – A Proven Path to Prosperity

Santoshi Mata Vrat - A Proven Path to Prosperity

शुक्रवार को माँ संतोषी को प्रसन्न करने का अचूक उपाय | धन की होगी वर्षा

Santoshi Mata Vrat – माँ संतोषी भक्तों की इच्छाएँ पूर्ण करने वाली देवी हैं। माता की उपासना से धन, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। शुक्रवार को माँ संतोषी का व्रत करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस व्रत में विशेष नियमों का पालन आवश्यक होता है।


१६ शुक्रवार का व्रत | माँ संतोषी व्रत की महिमा

माँ संतोषी के व्रत को १२ या १६ शुक्रवार तक करने से भक्त को अद्भुत लाभ मिलता है। यह व्रत करने से जीवन में संतोष, शांति और आर्थिक संपन्नता आती है।

व्रत का प्रारंभ और आवश्यक सामग्री | सही विधि से करें आरंभ

  • व्रत शुक्रवार को शुरू करें।
  • माता संतोषी की मूर्ति या चित्र के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
  • प्रसाद के रूप में गुड़ और चने का भोग लगाएँ।
  • किसी को भी खट्टा पदार्थ न दें और स्वयं भी न खाएँ।

माँ संतोषी व्रत के अद्भुत लाभ | धन, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद

  1. घर में आर्थिक समृद्धि आती है।
  2. धन संबंधी समस्याएँ दूर होती हैं।
  3. व्यापार और नौकरी में वृद्धि होती है।
  4. पारिवारिक कलह समाप्त होती है।
  5. विवाह संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं।
  6. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  7. कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  8. जीवन में संतोष और धैर्य बढ़ता है।
  9. स्वास्थ्य लाभ होता है।
  10. माता-पिता की कृपा बनी रहती है।
  11. नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  12. परीक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलती है।
  13. प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
  14. जीवन में आत्मविश्वास बढ़ता है।
  15. संतान सुख प्राप्त होता है।

व्रत के नियम | इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  • व्रतधारी को खट्टे पदार्थ नहीं खाने चाहिए।
  • व्रत के दौरान किसी से क्रोध या द्वेष न करें।
  • शुक्रवार को गरीबों को भोजन कराएँ।
  • माता संतोषी की कथा अवश्य सुनें।
  • पूरे व्रत काल में संयम और श्रद्धा बनाए रखें।

माँ संतोषी व्रत कथा | सम्पूर्ण कथा

प्राचीन समय की बात है। एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में सात पुत्र थे। उनमें से छह पुत्र मेहनत कर धन कमाते और सुख-सुविधाओं का आनंद लेते थे। परंतु सबसे छोटा पुत्र सीधा-सादा और धर्मपरायण था। उसके भाई उसे तुच्छ समझते थे और उसकी उपेक्षा करते थे। एक दिन वह अपनी माँ से बोला— “माँ, मुझे भी बाहर जाकर धन कमाने की अनुमति दें।” माँ ने रोते हुए उसे विदा किया।

छोटे पुत्र की परीक्षा

वह कई वर्षों तक दूर देश में रहा और माता संतोषी की कृपा से अपार धन अर्जित किया। फिर वह अपनी माँ के पास लौटा। उसकी पत्नी बहुत गरीब थी। जब उसने अपने पति के धन की बात सुनी, तो अपने जेठों से उसे धन माँगने भेजा। परंतु भाई और भाभियाँ उसे तिरस्कार करने लगे।

माँ संतोषी की कृपा

दुखी होकर वह अपनी सास के पास गई। सास ने उसे माँ संतोषी के व्रत की महिमा बताई। उन्होंने कहा कि यदि वह १६ शुक्रवार तक व्रत करे और अंत में ८ कन्याओं को भोजन कराए, तो उसकी सभी समस्याएँ समाप्त हो जाएँगी। वह स्त्री नियमपूर्वक माँ संतोषी व्रत करने लगी। धीरे-धीरे उसके जीवन में परिवर्तन आने लगा।

समृद्धि की प्राप्ति

उधर, माँ संतोषी के प्रभाव से उसका पति घर लौटा और अपार धन लेकर आया। अब वह स्त्री बहुत खुश रहने लगी। यह देखकर उसकी जेठानियाँ जलने लगीं। जब उसने व्रत का उद्यापन करने के लिए ८ कन्याओं को भोजन कराया, तो उसकी जलने वाली जेठानी ने उन कन्याओं को नींबू का अचार खिला दिया। इससे माँ संतोषी रुष्ट हो गईं और उसका पति फिर से निर्धन हो गया।

माँ संतोषी की कृपा पुनः प्राप्त हुई

उसने पुनः श्रद्धा और भक्ति से व्रत किया और इस बार पूरी विधि से उद्यापन किया। अब माँ संतोषी प्रसन्न हुईं और उन्होंने उसकी सभी बाधाओं को दूर कर दिया। उसके पति को फिर से अपार धन प्राप्त हुआ। अब वे दोनों जीवनभर सुखी रहे।

व्रत कथा का महत्व

जो भी श्रद्धा और विश्वास से माँ संतोषी का व्रत करता है, उसके जीवन से सभी दुख, दरिद्रता और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। माँ संतोषी की कृपा से धन, समृद्धि, शांति और खुशहाली प्राप्त होती है।

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शुभ मुहूर्त में करें माँ संतोषी व्रत | सही समय पर व्रत करने के लाभ

माँ संतोषी का व्रत करने के लिए शुक्रवार का दिन शुभ होता है। विशेष रूप से शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को यह व्रत शुरू करना अधिक लाभकारी होता है।

विशेष मुहूर्त:

  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:30 से 6:00 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त – 11:30 से 12:30 बजे तक
  • प्रदोष काल – शाम 6:00 से 8:00 बजे तक

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माँ संतोषी व्रत विधि | सही तरीके से करें व्रत

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. माँ संतोषी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
  3. माता को गुड़ और चने का भोग लगाएँ।
  4. संकल्प लेकर माता संतोषी व्रत कथा का पाठ करें।
  5. दिनभर फलाहार करें और शाम को भोजन ग्रहण करें।
  6. व्रत की समाप्ति पर ब्राह्मण या कन्याओं को भोजन कराएँ।

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माँ संतोषी व्रत से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

1. क्या माँ संतोषी व्रत किसी भी शुक्रवार से शुरू किया जा सकता है

हाँ, लेकिन शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को व्रत प्रारंभ करना शुभ होता है।

2. व्रत के दौरान क्या खट्टा खाना वर्जित है

जी हाँ, व्रत के दौरान खट्टा खाने से व्रत का संपूर्ण लाभ नहीं मिलता।

3. माँ संतोषी की पूजा में कौन-से भोग अर्पित करें

गुड़ और चने का भोग अर्पित करना अनिवार्य है।

4. क्या पुरुष भी माँ संतोषी व्रत कर सकते हैं

हाँ, पुरुष और महिलाएँ दोनों यह व्रत कर सकते हैं।

5. क्या इस व्रत से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है

जी हाँ, माँ संतोषी की कृपा से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।

6. व्रत का उद्यापन कैसे करें

१६वें शुक्रवार को व्रत का उद्यापन करें और 8 लड़कियों को भोजन कराएँ।

7. क्या गर्भवती महिलाएँ यह व्रत कर सकती हैं

हाँ, लेकिन उन्हें व्रत के दौरान हल्का भोजन लेना चाहिए।

8. व्रत के दौरान कौन से रंग के वस्त्र पहनने चाहिए

शुक्रवार को गुलाबी या पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

माँ संतोषी व्रत से जीवन में सुख-शांति

माँ संतोषी का व्रत करने से जीवन में सुख, शांति और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। यदि विधिपूर्वक इस व्रत को किया जाए तो माँ संतोषी की असीम कृपा प्राप्त होती है।

Eclipse Secret – Do This to Attract Good Fortune!

Eclipse Secret - Do This to Attract Good Fortune!

इस ग्रहण में ये 1 चीज कर ली तो दुर्भाग्य दूर होगा!

Eclipse Secret – ग्रहण का प्रभाव हर व्यक्ति के जीवन पर अलग-अलग पड़ता है। कुछ के लिए यह शुभ फलदायी होता है, जबकि कुछ लोगों के लिए यह अशुभ प्रभाव लेकर आता है। जब सूर्य या चंद्र ग्रहण होता है, तो यह न केवल खगोलीय घटना होती है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण काल में किए गए उपाय बहुत प्रभावी होते हैं। इस दौरान किए गए कुछ विशेष कार्य हमारे दुर्भाग्य को दूर करने में सहायक होते हैं। इस लेख में हम उस एक महत्वपूर्ण उपाय की चर्चा करेंगे जो इस ग्रहण में करने से नकारात्मक प्रभाव को समाप्त कर सकता है और सौभाग्य को आमंत्रित कर सकता है।

ज्योतिषीय महत्व और नकारात्मक प्रभाव

ग्रहण काल में कई शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक रहता है। ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण के दौरान कुछ खास ग्रहों की दशा बदल जाती है, जिससे जीवन में कई बदलाव देखे जाते हैं।

प्रमुख दुष्प्रभाव:

  • मानसिक तनाव और चिंता बढ़ सकती है।
  • पारिवारिक कलह और संबंधों में कड़वाहट आ सकती है।
  • धन हानि और व्यापार में रुकावटें उत्पन्न हो सकती हैं।
  • स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

यदि ग्रहण के दौरान सही उपाय किए जाएँ, तो इन सभी नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं वह एक खास उपाय जो दुर्भाग्य को दूर करेगा।


ग्रहण में यह 1 चीज कर लें, दुर्भाग्य दूर होगा

ग्रहण के दौरान हनुमान जी की पूजा करने से सभी नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। हनुमान जी को शक्ति, साहस और संकटमोचन देवता माना जाता है। यदि इस ग्रहण में सच्चे मन से हनुमान जी की भक्ति की जाए, तो दुर्भाग्य दूर हो सकता है।

हनुमान जी की पूजा का सही तरीका:

  • ग्रहण शुरू होने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • एक शांत स्थान पर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • हनुमान जी को गुड़-चना का भोग लगाएँ।
  • ‘ॐ हं हनुमते नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराएँ।

हनुमान जी की कृपा से ग्रहण का दुष्प्रभाव समाप्त हो सकता है और दुर्भाग्य को टाला जा सकता है। यह उपाय न केवल आपके जीवन को सकारात्मक बनाएगा, बल्कि आपको मानसिक शांति भी प्रदान करेगा।

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क्या करें और क्या न करें

ग्रहण काल में कुछ नियमों का पालन करना बहुत आवश्यक होता है। यदि सही विधि से इस दौरान साधना, दान और मंत्र जाप किया जाए, तो सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।

क्या करें?

  • ग्रहण के समय ध्यान और मंत्र जाप करें।
  • मंदिर में जाकर भगवान की आराधना करें।
  • गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन व दान दें।
  • तुलसी, गंगाजल और काले तिल का प्रयोग करें।

क्या न करें?

  • भोजन पकाने और खाने से बचें।
  • ग्रहण के समय सोना वर्जित माना जाता है।
  • बालों और नाखूनों को काटने से बचें।
  • किसी के प्रति बुरा व्यवहार न करें।

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ग्रहण में दान का महत्व और सौभाग्य प्राप्ति के उपाय

दान को सबसे बड़ा पुण्य कार्य माना जाता है। ग्रहण के दौरान किया गया दान सौभाग्य को बढ़ाने में सहायक होता है।

ग्रहण में क्या दान करें?

  • अन्न और वस्त्र दान करें।
  • काले तिल और गुड़ का दान करें।
  • दक्षिणा और गाय के चारे का दान करें।
  • सोना, चाँदी या तांबे का दान शुभ माना जाता है।

दान करने से न केवल हमारे पापों का क्षय होता है, बल्कि दुर्भाग्य भी समाप्त हो जाता है। ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए दान एक महत्वपूर्ण उपाय है।

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निष्कर्ष: ग्रहण में इस उपाय से दुर्भाग्य होगा समाप्त

ग्रहण का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता ही है, लेकिन सही उपाय अपनाकर हम इसे शुभ बना सकते हैं। इस ग्रहण में हनुमान जी की पूजा, मंत्र जाप और दान करने से दुर्भाग्य को समाप्त किया जा सकता है।

ग्रहण का यह काल हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है, यदि हम सही तरीके से इस समय का उपयोग करें। आने वाले ग्रहण में इन उपायों को अपनाएँ और अपने जीवन में शुभता को आमंत्रित करें।


Chandra Grahan Remedies: Mantra Chanting for Positive Energy

Chandra Grahan Remedies: Mantra Chanting for Positive Energy

चंद्र ग्रहण में कौन से मंत्र जाप से सभी दोष समाप्त होते हैं?

Chandra Grahan Remedies – चंद्र ग्रहण हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना मानी जाती है। यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकता है और जीवन में बाधाएँ उत्पन्न कर सकता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, ग्रहण के समय मंत्र जाप करने से ग्रहों के दोष समाप्त होते हैं। विशेष रूप से चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से अशुभ प्रभाव कम होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

ग्रहण काल में मंत्र जाप की महिमा अत्यंत प्रभावशाली होती है। यह न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाओं को भी समाप्त करता है। इसलिए, सही विधि और श्रद्धा के साथ किए गए मंत्र जाप से जीवन में शुभता बढ़ती है। इस लेख में हम जानेंगे कि चंद्र ग्रहण के समय कौन-कौन से मंत्रों का जाप करने से समस्त दोष समाप्त होते हैं।


चंद्र ग्रहण के दुष्प्रभाव और उनका समाधान

चंद्र ग्रहण का प्रभाव व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। यह कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है, जैसे:

  • मानसिक तनाव और चिंता बढ़ना।
  • आर्थिक समस्याएँ और धन हानि।
  • रिश्तों में दरार और कलह।
  • स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ, विशेषकर मनोवैज्ञानिक रोग।
  • आध्यात्मिक रूप से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव।

समाधान: चंद्र ग्रहण के दौरान विशेष मंत्रों का जाप करने से इन सभी समस्याओं से बचा जा सकता है। ग्रहों के दोषों को कम करने के लिए वैदिक और तांत्रिक मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है।


चंद्र ग्रहण में मंत्र जाप का महत्व

ग्रहण काल में मंत्रों का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। इस समय किए गए मंत्र जाप शीघ्र फल प्रदान करते हैं।

  • ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
  • मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  • जीवन की परेशानियाँ कम होती हैं।
  • दैवीय कृपा प्राप्त होती है।
  • कर्म दोष और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

शास्त्रों में बताया गया है कि ग्रहण काल में किया गया मंत्र जाप हजार गुना अधिक प्रभावी होता है। इसलिए इस दौरान मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए।


चंद्र ग्रहण में किए जाने वाले विशेष मंत्र

ग्रहण के समय कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से सभी प्रकार के दोष समाप्त होते हैं। आइए जानते हैं इन मंत्रों के बारे में:

1. महामृत्युंजय मंत्र

यह मंत्र जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है और व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करता है।

मंत्र:
|| ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

2. चंद्र ग्रह शांति मंत्र

यह मंत्र विशेष रूप से चंद्र दोषों को शांत करने के लिए किया जाता है।

मंत्र:
|| ॐ सोम सोमाय नमः ||

3. श्री चंद्र गायत्री मंत्र

इस मंत्र के जाप से मन की अशांति दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

मंत्र:
|| ॐ पद्मद्वजाय विद्महे, हिमरूपाय धीमहि। तन्नो चंद्र: प्रचोदयात् ||

4. श्री विष्णु मंत्र

भगवान विष्णु के इस मंत्र का जाप ग्रहण काल में करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।

मंत्र:
|| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||

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चंद्र ग्रहण में मंत्र जाप की विधि

मंत्र जाप तभी प्रभावी होता है जब उसे सही विधि से किया जाए। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण में मंत्र जाप की सही विधि:

  1. स्नान करें: ग्रहण से पहले और बाद में स्नान करना आवश्यक होता है।
  2. शुद्ध स्थान चुनें: जाप के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करें।
  3. आसन पर बैठें: ऊनी या कुश के आसन पर बैठकर जाप करें।
  4. माला का प्रयोग करें: रुद्राक्ष या चंद्र मणि माला से जाप करना शुभ होता है।
  5. संख्यात्मक जाप करें: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
  6. दान करें: जाप के बाद दान करना अत्यंत लाभकारी होता है।

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चंद्र ग्रहण में दान का महत्व

ग्रहण के समय दान करने से कई प्रकार के दोष समाप्त होते हैं।

  • चावल, सफेद वस्त्र और दूध का दान चंद्र दोष को शांत करता है।
  • गाय को चारा और अन्न दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  • गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करने से जीवन में समृद्धि आती है।

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अंत में

चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है, जिसका प्रभाव सभी पर पड़ता है। इस दौरान मंत्र जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और शुभ फल प्राप्त होते हैं। महामृत्युंजय मंत्र, चंद्र गायत्री मंत्र और चंद्र ग्रह शांति मंत्र का जाप विशेष रूप से लाभकारी होता है। इसके अलावा, ग्रहण के बाद स्नान और दान करने से भी दोषों का नाश होता है।

यदि आप चंद्र ग्रहण के दौरान इन उपायों को अपनाते हैं, तो आपके जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि बढ़ेगी।

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चंद्र ग्रहण में ये गलती आपकी किस्मत बिगाड़ सकती है! बचें अभी!

चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जिसका आध्यात्मिक, धार्मिक और ज्योतिषीय प्रभाव होता है। मान्यता है कि इस समय नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है, जिससे व्यक्ति की किस्मत प्रभावित हो सकती है। अगर आप इस समय कुछ गलतियाँ कर देते हैं, तो यह आपकी सफलता और सुख-समृद्धि पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं।

1. चंद्र ग्रहण में भोजन करने से बचें

हिंदू धर्म और ज्योतिष में चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन करना अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा और विषाक्त तत्व सक्रिय हो जाते हैं, जो भोजन को दूषित कर सकते हैं।

भोजन करने से क्या हानि हो सकती है?

  • ग्रहण काल में भोजन करने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • ऊर्जा का स्तर गिर सकता है, जिससे सुस्ती और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
  • शरीर में विषाक्त तत्व प्रवेश कर सकते हैं, जिससे रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

क्या करें?

  • ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें और फिर ताजा भोजन ग्रहण करें।
  • इस समय तुलसी के पत्ते जल में डालकर रख सकते हैं, जिससे नकारात्मकता कम हो जाती है।

2. ग्रहण के दौरान सोने की गलती ना करें

चंद्र ग्रहण के दौरान सोने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है। यह आपकी मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को कमजोर कर सकता है।

सोने से क्या नुकसान हो सकता है?

  • मानसिक शांति भंग हो सकती है।
  • नकारात्मक शक्तियाँ अधिक प्रभावी हो सकती हैं।
  • आलस्य और कार्यक्षमता में कमी आ सकती है।

क्या करें?

  • इस समय ध्यान करें, मंत्र जाप करें और धार्मिक कार्यों में संलग्न रहें।
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करके अपनी ऊर्जा को शुद्ध करें।

3. ग्रहण में खुले में जाने से बचें

चंद्र ग्रहण के समय बाहर निकलना हानिकारक हो सकता है। इसका प्रभाव विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर अधिक होता है।

खुले में जाने से क्या नुकसान हो सकता है?

  • ग्रहण की किरणें शरीर और मन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए यह अत्यधिक हानिकारक हो सकता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से कार्यों में बाधा आ सकती है।

क्या करें?

  • ग्रहण के दौरान घर के अंदर ही रहें।
  • खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें ताकि ग्रहण की किरणें घर में प्रवेश न करें।

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4. इस समय पूजा-पाठ और मंत्र जाप अवश्य करें

ग्रहण काल को आध्यात्मिक साधना के लिए शुभ माना जाता है। इस समय पूजा-पाठ और मंत्र जाप से नकारात्मक प्रभाव को दूर किया जा सकता है।

क्यों करें मंत्र जाप?

  • ग्रहण की नकारात्मकता से बचाव होता है।
  • आध्यात्मिक ऊर्जा का विकास होता है।
  • मन और शरीर की शुद्धि होती है।

क्या करें?

  • महामृत्युंजय मंत्र, विष्णु सहस्रनाम, चंद्र गायत्री मंत्र का जाप करें।
  • तुलसी, गंगाजल और कुश के पत्तों का उपयोग करें।

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5. ग्रहण के बाद स्नान और दान अवश्य करें

ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान और दान करने से अशुभ प्रभाव कम होता है।

ग्रहण के बाद क्या करें?

  • गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें।
  • अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
  • घर में गंगाजल छिड़कें और वातावरण को शुद्ध करें।

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अंत में

चंद्र ग्रहण एक विशेष खगोलीय घटना है, जिसका प्रभाव जीवन पर पड़ता है। यदि आप सही नियमों का पालन करेंगे और गलतियों से बचेंगे, तो नकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है। धार्मिक और आध्यात्मिक उपायों को अपनाकर आप अपने भाग्य को मजबूत कर सकते हैं।

Naina Devi mantra removes debts & brings financial prosperity

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नैना देवी मंत्र: तीन दिन की साधना से कर्ज़ और गरीबी से मुक्ति!

Naina Devi mantra एक शक्तिशाली साधना है जो जीवन की बाधाओं को दूर करती है। तीन दिन की नैना देवी साधना से कर्ज़ और गरीबी से मुक्ति संभव है। यह साधना मनोकामना पूर्ति, आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति लाने में सहायक मानी जाती है। माँ नैना देवी के इस चमत्कारी मंत्र का नियमित जप करने से साधक के जीवन में नकारात्मकता समाप्त होती है।


विनियोग मंत्र और उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:

“ॐ अस्य श्री नैना देवी मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छंदः, नैना देवी देवता, श्री नैना देवी प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥”

अर्थ: इस मंत्र के ऋषि ब्रह्मा हैं, छंद गायत्री है और देवी नैना इसका देवता हैं। इस मंत्र का जप नैना देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।


दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:

“ॐ पूर्वाय दिग्बंधनं, दक्षिणाय दिग्बंधनं, पश्चिमाय दिग्बंधनं, उत्तराय दिग्बंधनं, ईशानाय दिग्बंधनं, अग्न्याय दिग्बंधनं, नैऋत्याय दिग्बंधनं, वायव्याय दिग्बंधनं, ऊर्ध्वाय दिग्बंधनं, अधः दिशाय दिग्बंधनं स्वाहा॥”

अर्थ: इस मंत्र से दसों दिशाओं की सुरक्षा होती है। यह साधना में बाहरी नकारात्मक शक्तियों को रोकने के लिए किया जाता है।


नैना देवी मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:

“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नैना देव्ये कार्य सिद्धिम् देही देही नमः॥”

अर्थ: इस मंत्र के जप से साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। माँ नैना देवी की कृपा से कार्य सिद्धि होती है।


जप के दौरान सेवन करने योग्य पदार्थ

  1. सात्विक एवं ताजे फल
  2. दूध और मिश्री
  3. पंचामृत
  4. गाय का घी
  5. तुलसी पत्र युक्त जल
  6. चने और गुड़
  7. सूखे मेवे
  8. नारियल
  9. चावल और खीर
  10. शहद और गंगाजल

नैना देवी मंत्र साधना के लाभ

  • आर्थिक तंगी दूर होती है।
  • कर्ज़ से मुक्ति मिलती है।
  • घर में सुख-समृद्धि आती है।
  • मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
  • कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  • पारिवारिक कलह समाप्त होती है।
  • धन आगमन के मार्ग खुलते हैं।
  • व्यापार में वृद्धि होती है।
  • कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त होती है।
  • स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
  • ग्रह बाधाएं समाप्त होती हैं।
  • शत्रुओं का नाश होता है।
  • प्रेम संबंधों में सुधार होता है।
  • शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।
  • देवी कृपा से जीवन में स्थिरता आती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति होती है।

पूजा सामग्री और मंत्र जप विधि

आवश्यक सामग्री

  1. लाल वस्त्र
  2. चावल और फूल
  3. धूप और दीपक
  4. नैवेद्य (फल, मिठाई)
  5. लाल चंदन
  6. जल से भरा कलश
  7. माँ नैना देवी की प्रतिमा या चित्र

मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त

  • दिन: शुक्रवार और नवरात्रि के दिन सर्वोत्तम
  • अवधि: 20 मिनट प्रतिदिन, लगातार 18 दिन
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) या रात 9-11 बजे

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मंत्र जप के नियम

  • जप करने वाला 20 वर्ष से ऊपर हो।
  • स्त्री-पुरुष कोई भी जप कर सकता है।
  • नीले और काले रंग के वस्त्र न पहनें।
  • धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार न करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप के दौरान सावधानियां

  • मन को एकाग्र रखें।
  • शुद्ध स्थान पर बैठकर जप करें।
  • मंत्र उच्चारण शुद्धता से करें।
  • बीच में उठने से बचें।
  • साधना के दौरान नकारात्मक विचार न आने दें।

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नैना देवी मंत्र से जुड़े प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: नैना देवी मंत्र किस प्रकार की सिद्धि देता है?

उत्तर: यह मंत्र कार्य सिद्धि, आर्थिक उन्नति और मनोकामना पूर्ति करता है।

प्रश्न 2: नैना देवी मंत्र कब जपना चाहिए?

उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त या रात में शांत समय में जप करना श्रेष्ठ होता है।

प्रश्न 3: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं।

प्रश्न 4: क्या मासिक धर्म के दौरान जप किया जा सकता है?

उत्तर: नहीं, इस दौरान मंत्र जप स्थगित कर देना चाहिए।

प्रश्न 5: क्या मंत्र जप में माला का उपयोग आवश्यक है?

उत्तर: हां, रुद्राक्ष या स्फटिक माला का उपयोग उत्तम होता है।

प्रश्न 6: नैना देवी साधना कितने दिनों की होती है?

उत्तर: कम से कम 3 दिन और अधिकतम 18 दिन तक की जाती है।

प्रश्न 7: मंत्र जप में कौन सी सामग्री आवश्यक होती है?

उत्तर: दीपक, धूप, फूल, चावल, नैवेद्य, जल, लाल चंदन।

प्रश्न 8: क्या कर्ज़ से मुक्ति के लिए यह मंत्र प्रभावी है?

उत्तर: हां, यह मंत्र आर्थिक समस्याओं को दूर करने में सहायक है।

प्रश्न 9: क्या इस मंत्र का प्रभाव तुरंत दिखता है?

उत्तर: नियमित जप और आस्था से शीघ्र प्रभाव दिखता है।

प्रश्न 10: क्या मंत्र जाप के दौरान किसी विशेष आहार का सेवन करना चाहिए?

उत्तर: सात्विक आहार लेना चाहिए और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।

प्रश्न 11: क्या किसी विशेष दिशा की ओर मुख करके जप करना चाहिए?

उत्तर: पूर्व दिशा की ओर मुख करके जप करना उत्तम होता है।

प्रश्न 12: क्या इस साधना से आध्यात्मिक उन्नति भी होती है?

उत्तर: हां, यह साधना आध्यात्मिक जागरण में सहायक होती है।