Brahmacharini chalisa paath for health & wealth

दुख दरिद्रता नष्ट करने वाली ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने से देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को सुख, समृद्धि, शांति और सम्पत्ति की प्राप्ति में मदद मिलती है। ब्रह्मचारिणी चालीसा के पाठ से दुर्गंध, दरिद्रता, रोग, दुःख, भय और संकटों का नाश होता है और भक्त को सफलता और समृद्धि में सहायता प्रदान करती है।

ब्रह्मचारिणी चालीसा के पाठ से भक्त का मन शांत होता है और उसे आत्म-विश्वास मिलता है। यह चालीसा भक्त को दुर्गंध, दरिद्रता, रोग, दुःख, भय और संकटों से बचाने में मदद करती है और उसे आने वाले समय में सुरक्षित रखती है।

ब्रह्मचारिणी माता नवदुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं और उनकी आराधना नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। उनके चालीसा पाठ से भक्तों को अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं। यहां हम ब्रह्मचारिणी चालीसा पाठ, इसके लाभ, विधि, नियम, सावधानियाँ और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों पर विस्तृत जानकारी देंगे।

चालीसा

दोहा:

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। विघ्न हरण मंगल मूरति, जय जय गिरिजा लाल।।

॥चौपाई॥

जयति जय ब्रह्मचारिणी माता,
जयति जय जग जननी जगदम्बा।
शांति, धैर्य, तप और वैराग्य,
है आपकी महिमा अपरम्पार॥

दिव्य स्वरूप शांत और कोमल,
भक्तों के संकट हरने वाली।
तपस्या के बल से आपने,
शिव को पति रूप में प्राप्त किया॥

योग, ध्यान और तपस्या की,
अद्वितीय शक्ति आप में है।
जो भी सच्चे मन से ध्यावे,
उसका उद्धार आप करती हैं॥

श्वेत वस्त्र और माला धारण,
करती हैं आप अति निर्मल।
कुमकुम, चंदन और पुष्पों से,
आपकी पूजा होती सुन्दर॥

सर्ववेद और शास्त्रों में,
आपकी महिमा का गुणगान।
शुद्ध हृदय से जो वन्दना करे,
पावे वह अपार सम्मान॥

तप की देवी, योगमाया,
सब कष्टों को हरने वाली।
आपकी कृपा दृष्टि से,
मिटे सभी विपत्ति और काली॥

ध्यान और साधना में लीन,
आपकी भक्ति अति शुभ।
शरणागत की रक्षा करतीं,
आप सदा सर्वदा प्रियुभ॥

शक्ति की देवी, ममतामयी,
आपकी महिमा अपरम्पार।
संतान, सुख, वैभव और ज्ञान,
पावे आपके भक्तों का संसार॥

जय जय ब्रह्मचारिणी माता,
शरण में लो सभी जन आएं।
तुम्हारी महिमा का बखान,
करे ना कोई अंत पाए॥

सत्य, प्रेम, और करूणा की,
देवी आप अति महान।
आपकी कृपा से हो निस्तार,
पावे सब जन सम्मान॥

शुद्ध मन से जो आराधना करे,
उसके सारे काज सवर जाएं।
आपकी महिमा का गान,
सदियों से सब जन गाएं॥

लाभ

  1. धैर्य में वृद्धि: इसके पाठ से व्यक्ति के धैर्य में वृद्धि होती है।
  2. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  4. तपस्या का बल: तपस्या करने की शक्ति और संकल्पशक्ति में वृद्धि होती है।
  5. क्लेश मुक्ति: जीवन के क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
  6. शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा होती है।
  7. भय नाश: सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  8. संकट निवारण: जीवन में आने वाले संकटों का निवारण होता है।
  9. आरोग्यता: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  10. धन-संपत्ति: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
  11. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख और शांति का वास होता है।
  12. मनोकामना पूर्ति: सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  13. धार्मिक लाभ: धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों में सफलता मिलती है।
  14. योग्यता में वृद्धि: कार्यक्षमता और योग्यता में वृद्धि होती है।
  15. वैराग्य का विकास: वैराग्य और तपस्या की भावना में वृद्धि होती है।
  16. संकल्प सिद्धि: संकल्प सिद्धि में सहायता मिलती है।
  17. संतान सुख: संतान प्राप्ति और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  18. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  19. दिव्य दृष्टि: दिव्य दृष्टि और ईश्वर के प्रति श्रद्धा बढ़ती है।
  20. आकर्षण शक्ति: व्यक्तित्व में आकर्षण और प्रभावशीलता बढ़ती है।

विधि

  1. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल: पूजा स्थल को साफ करें और वहां दीपक जलाएं।
  3. धूप और अगरबत्ती: धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र करें।
  4. मूर्ति या चित्र: ब्रह्मचारिणी माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  5. आसन: एक साफ और स्वच्छ आसन पर बैठें।
  6. संकल्प: पाठ करने से पहले संकल्प लें।
  7. चालीसा पाठ: पूर्ण भक्तिभाव से ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करें।
  8. प्रसाद: अंत में माता को प्रसाद चढ़ाएं और उसे भक्तों में बांटें।

दिन, अवधि और मुहूर्त

  1. दिन: ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ नवरात्रि के दूसरे दिन विशेष रूप से किया जाता है।
  2. अवधि: इसे 21 दिनों तक लगातार करना अत्यंत लाभकारी होता है।
  3. मुहूर्त: प्रातःकाल का समय पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

नियम

  1. शुद्धता: पाठ करते समय मन और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. भक्तिभाव: पूरे भक्तिभाव से पाठ करें।
  3. नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करें।
  4. आसन: एक ही स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  5. ध्यान: पाठ के दौरान माता ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें।
  6. समर्पण: पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ पाठ करें।

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ब्रह्मचारिणी चालीसा पाठ में सावधानियाँ

  1. व्यवधान से बचें: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार के व्यवधान से बचें।
  2. आलस्य से बचें: आलस्य और थकान से बचने के लिए स्वस्थ रहें।
  3. निंदा न करें: पाठ के दौरान और बाद में किसी की निंदा न करें।
  4. अशुद्ध वस्त्र न पहनें: पाठ के दौरान स्वच्छ और पवित्र वस्त्र पहनें।
  5. शब्दों का उच्चारण सही करें: पाठ के शब्दों का सही उच्चारण करें।

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ब्रह्मचारिणी चालीसा पाठ के अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. ब्रह्मचारिणी चालीसा किसने लिखा है?
    • ब्रह्मचारिणी चालीसा का रचयिता अज्ञात है, यह भक्तों द्वारा पीढ़ियों से पढ़ी जा रही है।
  2. ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    • इसका पाठ प्रातःकाल या संध्या समय करना शुभ होता है।
  3. ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • इसे रोजाना एक बार पढ़ना लाभकारी होता है।
  4. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    • हाँ, इसे किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन प्रातःकाल सबसे शुभ होता है।
  5. ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    • इसके पाठ से मानसिक शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि, और क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
  6. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष तैयारी करनी होती है?
    • हाँ, शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक होती है।
  7. ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ कैसे किया जाता है?
    • इसे विधिपूर्वक और भक्तिभाव से पढ़ना चाहिए।
  8. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं?
    • हाँ, सच्चे दिल से किया गया पाठ मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
  9. ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ कहां करना चाहिए?
    • इसे स्वच्छ और शांतिपूर्ण स्थान पर करना चाहिए।
  10. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ केवल हिन्दू धर्म के लोग ही कर सकते हैं?
    • नहीं, कोई भी श्रद्धालु ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ कर सकता है।
  11. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं?
    • हाँ, इसके नियमित पाठ से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
  12. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने से शत्रु शांत होते हैं?
    • हाँ, यह पाठ शत्रुओं के भय से मुक्त करता है।

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