Budh Pradosh Vrat – for Business Growth
बुध प्रदोष व्रत – ब्यापारिक बुद्धि व शिव कृपा पाने का उपाय
बुध प्रदोष व्रत शिव भक्तों द्वारा भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। प्रदोष व्रत विशेष रूप से सोमवार, बुधवार और शनिवार को रखा जाता है। बुध प्रदोष व्रत बुध ग्रह के दोषों से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ शिव की कृपा पाने का श्रेष्ठ उपाय माना जाता है। इस दिन भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और विशेष पूजा करते हैं।
बुध प्रदोष व्रत का मुहूर्त २०२५
बुध प्रदोष व्रत 2025 में निम्नलिखित प्रमुख तिथियों पर मनाया जाएगा:
- 6 अगस्त 2025 (बुधवार) – पूजा का समय: शाम 7:08 PM से 9:16 PM तक।
- 20 अगस्त 2025 (बुधवार) – पूजा का समय: शाम 6:56 PM से 9:07 PM तक।
इन तिथियों पर भक्त प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करते हैं। इस व्रत के दौरान “ॐ ह्रौं नमः शिवाय” मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है
बुध प्रदोष व्रत विधि
- प्रातःकाल स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
- घर या मंदिर में शिवलिंग का पूजन करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र, धतूरा और फूल अर्पित करें।
- घी का दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
- भगवान शिव का ध्यान करते हुए शिव मंत्र का जाप करें।
मंत्र:
“ॐ ह्रौं नमः शिवाय” - शिव चालीसा और शिव स्तोत्र का पाठ करें।
- रात्रि में शिवजी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं
क्या खाएं:
- फल, दूध, दही, मेवा और साबूदाने की खिचड़ी।
- कुट्टू के आटे की रोटी और सिंघाड़े का आटा।
क्या न खाएं:
- अनाज, नमक और तैलीय भोजन।
- प्याज, लहसुन और मांसाहार से परहेज करें।
बुध प्रदोष व्रत से लाभ
- बुध ग्रह के दोषों से मुक्ति मिलती है।
- भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
- मानसिक शांति और धैर्य में वृद्धि होती है।
- पारिवारिक जीवन में खुशहाली आती है।
- संतान प्राप्ति के लिए विशेष फलदायी होता है।
- आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है।
- शत्रुओं का नाश होता है।
- रोगों से मुक्ति मिलती है।
- बुध ग्रह की शांति होती है।
- विवाहित जीवन सुखमय बनता है।
- ग्रह बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- आरोग्य लाभ होता है।
- दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
- शिवलोक की प्राप्ति होती है।
- कार्यों में सफलता मिलती है।
- संकल्पशक्ति में वृद्धि होती है।
- आध्यात्मिक विकास होता है।
बुध प्रदोष व्रत के नियम
- व्रती को सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए।
- व्रत के दौरान किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच से बचें।
- पूरे दिन उपवास रखें और शाम के समय पूजा करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- भगवान शिव का ध्यान और जाप करते रहें।
बुध प्रदोष व्रत की संपूर्ण कथा
प्राचीन काल में एक नगर में एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। वे अत्यंत निर्धन थे और संतानहीन होने के कारण दुखी रहते थे। दोनों ने जीवन के हर कठिनाई का सामना किया, परंतु संतान सुख की चाह हमेशा बनी रही। ब्राह्मण ने हर उपाय किए, कई प्रकार के व्रत किए, लेकिन कोई भी उपाय कारगर नहीं हुआ।
एक दिन ब्राह्मण एक संत से मिला, जिन्होंने उसे बुध प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। संत ने कहा कि भगवान शिव की उपासना और प्रदोष व्रत करने से सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। ब्राह्मण ने श्रद्धा पूर्वक बुध प्रदोष व्रत का पालन करने का निश्चय किया।
ब्राह्मण ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर हर बुधवार को विधिपूर्वक प्रदोष व्रत करना शुरू किया। उन्होंने भगवान शिव का ध्यान किया और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र अर्पित किए। पूरे नियम और श्रद्धा से व्रत का पालन किया।
कुछ समय बाद, ब्राह्मण की तपस्या और व्रत का फल दिखाई दिया। उनकी पत्नी गर्भवती हुई और कुछ ही महीनों में उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। पुत्र का जन्म होते ही ब्राह्मण परिवार का जीवन पूरी तरह से बदल गया। उनके घर में समृद्धि आने लगी और वे हर प्रकार से सुखी हो गए।
ब्राह्मण ने महसूस किया कि यह सब भगवान शिव की कृपा से ही संभव हुआ है। उन्होंने बुध प्रदोष व्रत की महिमा को अन्य लोगों को भी बताया, जिससे अनेक लोग इस व्रत को करने लगे। इस व्रत के कारण उनके जीवन में भी सुख और समृद्धि आई।
व्रत का भोग
प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव को भोग के रूप में मीठे फल, दूध, दही और गन्ने का रस अर्पित करना चाहिए। विशेष रूप से बेलपत्र अर्पित करने का महत्व है।
व्रत की शुरुआत और समाप्ति
प्रदोष व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और प्रदोष काल तक उपवास रखा जाता है। पूजा और आरती के बाद व्रत खोल सकते हैं। रात्रि में हल्का भोजन करें।
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व्रत में सावधानियां
- व्रत के दौरान क्रोध और द्वेष से दूर रहें।
- धार्मिक क्रियाओं में ध्यान दें।
- समय पर व्रत की पूजा अवश्य करें।
- जल और अन्न का दान करें।
- व्रत के नियमों का पालन न करने पर पूर्ण फल नहीं मिलता।
बुध प्रदोष व्रत संबंधित प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: बुध प्रदोष व्रत क्या है?
उत्तर: बुध प्रदोष व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए किया जाता है। इसे बुध दोष से मुक्ति के लिए रखा जाता है।
प्रश्न 2: व्रत के लाभ क्या हैं?
उत्तर: व्रत से बुध दोष से मुक्ति, शत्रु नाश, संतान सुख और आर्थिक समृद्धि मिलती है।
प्रश्न 3: व्रत में क्या खा सकते हैं?
उत्तर: व्रत में फल, दूध, दही, साबूदाना और कुट्टू के आटे का सेवन कर सकते हैं।
प्रश्न 4: व्रत के दौरान क्या नहीं खाना चाहिए?
उत्तर: अनाज, तैलीय भोजन, प्याज, लहसुन और मांसाहार का सेवन व्रत के दौरान नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 5: बुध प्रदोष व्रत कब रखा जाता है?
उत्तर: बुध प्रदोष व्रत प्रत्येक बुधवार को प्रदोष काल के दौरान रखा जाता है।
प्रश्न 6: प्रदोष काल क्या है?
उत्तर: सूर्यास्त से 1 घंटा 30 मिनट पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है, जो पूजा के लिए शुभ होता है।
प्रश्न 7: व्रत की पूजा कैसे करें?
उत्तर: शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाएं, घी का दीप जलाएं और शिव मंत्र का जाप करें।
प्रश्न 8: व्रत का महत्व क्या है?
उत्तर: व्रत भगवान शिव की कृपा पाने, बुध ग्रह को शांत करने और शत्रुओं का नाश करने के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 9: व्रत कैसे समाप्त करें?
उत्तर: प्रदोष काल में पूजा और आरती के बाद व्रत समाप्त कर सकते हैं। हल्का भोजन ग्रहण करें।
प्रश्न 10: व्रत में दान का क्या महत्व है?
उत्तर: व्रत में जल और अन्न का दान करने से पुण्य मिलता है और व्रत का फल बढ़ता है।
प्रश्न 11: क्या प्रदोष व्रत से बुध ग्रह की शांति होती है?
उत्तर: हां, बुध प्रदोष व्रत बुध ग्रह की शांति के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
प्रश्न 12: क्या बुध प्रदोष व्रत से सभी ग्रहों की शांति हो सकती है?
उत्तर: बुध प्रदोष व्रत विशेष रूप से बुध ग्रह के लिए है, लेकिन शिवजी की कृपा से अन्य ग्रहों की भी शांति हो सकती है।