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Guru Pradosh Vrat for Perfect decision

गुरु प्रदोष व्रत – मुहूर्त, पूजा विधि और चमत्कारी लाभ

गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष व्रत है। यह व्रत गुरुवार (बृहस्पतिवार) को पड़ने वाले प्रदोष काल में किया जाता है। गुरु ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए इसे अत्यंत लाभकारी माना जाता है। भगवान शिव और पार्वती की पूजा से इस व्रत के माध्यम से मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त होती है।

गुरु प्रदोष व्रत मुहुर्थ 2025

गुरु प्रदोष २८ नवंबर २०२४

गुरु प्रदोष व्रत 2025 में कई बार आएगा। आमतौर पर, गुरुवार के दिन प्रदोष आने पर व्रत किया जाता है।गुरु प्रदोष व्रत खासतौर पर गुरु ग्रह के लिए समर्पित होता है।

इन तिथियों में स्थानीय समय और दिन के आधार पर व्रत और पूजा का समय थोड़ा बदल सकता है। सटीक समय और मुहूर्त के लिए अपने स्थान के अनुसार पंचांग का भी अवलोकन करना उपयोगी होगा।

गुरु प्रदोष व्रत विधि

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र अर्पित करें।
  3. दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें।
  4. दिनभर उपवास रखें और शिव मंत्र का जाप करें।
    मंत्र:
    “ॐ ह्रौं नमः शिवाय”
  5. शाम को प्रदोष काल में पूजा करें और प्रसाद वितरित करें।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

क्या खाएं:

  1. फल, दूध, दही, और साबूदाना।
  2. कुट्टू के आटे की रोटी और सिंघाड़े का आटा।

क्या न खाएं:

  1. अनाज और तैलीय भोजन।
  2. मांसाहार, प्याज, और लहसुन से बचें।

गुरु प्रदोष व्रत से लाभ

  1. गुरु ग्रह के दोषों से मुक्ति मिलती है।
  2. भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
  3. मानसिक शांति और धैर्य में वृद्धि होती है।
  4. आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
  5. विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  6. संतान प्राप्ति के लिए लाभकारी है।
  7. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. शत्रु पर विजय मिलती है।
  9. ग्रह दोष शांत होते हैं।
  10. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  11. कार्यों में सफलता मिलती है।
  12. जीवन में स्थिरता आती है।
  13. पारिवारिक कलह दूर होते हैं।
  14. मृत्यु भय से मुक्ति मिलती है।
  15. विवाहित जीवन में मधुरता आती है।
  16. मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  17. शिवलोक की प्राप्ति होती है।

गुरु प्रदोष व्रत के नियम

  1. सूर्योदय से पहले स्नान करें।
  2. व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  3. व्रत के दौरान क्रोध और द्वेष से बचें।
  4. प्रदोष काल में शिवलिंग का पूजन करें।
  5. व्रत के अंत में ब्राह्मणों को दान दें।

गुरु प्रदोष व्रत की संपूर्ण कथा

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और प्रत्येक माह के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से गुरु (बृहस्पति) के दिन होने वाले प्रदोष को “गुरु प्रदोष” के रूप में जाना जाता है। यह व्रत रखने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें समृद्धि प्राप्त होती है। व्रत करने वाले को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए।

गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि विशेष रूप से सूर्यास्त के बाद की जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है। व्रती को भगवान शिव के सामने दीप जलाकर, धूप और नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाकर मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है।

इस व्रत की कथा के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ। असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली और स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। देवता परेशान हो गए और भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे। भगवान विष्णु ने उन्हें भगवान शिव की आराधना करने की सलाह दी।

देवताओं ने गुरु प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने देवताओं की सहायता की और असुरों का नाश किया। इस प्रकार, देवताओं ने स्वर्ग को पुनः प्राप्त किया।

व्रत का भोग

भगवान शिव को बेलपत्र, फल, दूध, और गन्ने का रस अर्पित करना चाहिए। शिवजी को मीठा भोग लगाना शुभ माना जाता है।

व्रत की शुरुआत और समाप्ति

गुरु प्रदोष व्रत सूर्योदय से शुरू होकर प्रदोष काल तक चलता है। पूजा और आरती के बाद व्रत का समापन होता है। उपवास के बाद हल्का भोजन ग्रहण करें।

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व्रत में सावधानियां

  1. व्रत के दौरान ध्यान और साधना में मन लगाएं।
  2. अनावश्यक बातचीत और क्रोध से बचें।
  3. व्रत के नियमों का पालन न करने से व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता।
  4. पूजा में बेलपत्र और सफेद वस्त्र का महत्व है।
  5. व्रत समाप्ति पर जल और अन्न का दान करें।

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व्रत संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: गुरु प्रदोष व्रत क्या है?

उत्तर: गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा और गुरु ग्रह की शांति के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2: व्रत के मुख्य लाभ क्या हैं?

उत्तर: गुरु ग्रह के दोषों से मुक्ति, मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि, और संतान प्राप्ति इसके मुख्य लाभ हैं।

प्रश्न 3: व्रत में क्या खा सकते हैं?

उत्तर: व्रत में फल, दूध, दही, और कुट्टू के आटे का सेवन कर सकते हैं।

प्रश्न 4: व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?

उत्तर: अनाज, तैलीय भोजन, मांसाहार, प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 5: गुरु प्रदोष व्रत कब रखा जाता है?

उत्तर: गुरु प्रदोष व्रत हर गुरुवार को प्रदोष काल के दौरान रखा जाता है।

प्रश्न 6: प्रदोष काल क्या होता है?

उत्तर: प्रदोष काल सूर्यास्त से 1 घंटे 30 मिनट पूर्व का समय होता है, जो शिव पूजा के लिए शुभ होता है।

प्रश्न 7: व्रत की पूजा कैसे करें?

उत्तर: शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र चढ़ाएं, और शिव मंत्र का जाप करें।

प्रश्न 8: व्रत का धार्मिक महत्व क्या है?

उत्तर: यह व्रत गुरु ग्रह की शांति और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 9: व्रत कैसे समाप्त करें?

उत्तर: प्रदोष काल में पूजा और आरती के बाद व्रत समाप्त करें और हल्का भोजन ग्रहण करें।

प्रश्न 10: व्रत के दौरान क्या दान करें?

उत्तर: व्रत के दौरान जल, अन्न और वस्त्र का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

प्रश्न 11: क्या गुरु प्रदोष व्रत सभी ग्रह दोषों को शांत करता है?

उत्तर: हां, शिवजी की कृपा से यह व्रत गुरु ग्रह के साथ अन्य ग्रहों की शांति भी करता है।

प्रश्न 12: क्या गुरु प्रदोष व्रत से मनोकामना पूर्ण होती है?

उत्तर: हां, गुरु प्रदोष व्रत से मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन में खुशहाली आती है।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

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