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Chhinnamasta Beej Mantra – Strong Protection

छिन्नमस्ता बीज मंत्र: शक्तिशाली साधना से जीवन की बाधाओं को करें दूर

छिन्नमस्ता बीज मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावी मंत्र है जो तामसिक शक्तियों से सुरक्षा, शत्रुओं से रक्षा, और ऊपरी बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है। इस मंत्र की साधना से साधक को मानसिक और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जो अपने जीवन में शांति और सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।

विनियोग मंत्र

ॐ अस्य श्री छिन्नमस्ता बीज मंत्रस्य,
महाकाल ऋषिः,
गायत्री छन्दः,
छिन्नमस्ता देवी देवता।
मम सर्वारिष्ट-निवारणार्थे,
सर्वसौभाग्य-प्राप्त्यर्थे,
जपे विनियोगः।

अर्थ:
इस विनियोग मंत्र के द्वारा छिन्नमस्ता देवी का ध्यान करते हुए, उनसे प्रार्थना की जाती है कि वे सभी कष्टों का निवारण करें और भक्त को सौभाग्य प्रदान करें।

यह मंत्र छिन्नमस्ता देवी के साधकों द्वारा जप प्रारंभ करने से पहले संकल्प लेने हेतु उपयोग किया जाता है।


दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र

  1. पूर्व दिशा:
    ॐ अग्ने नमः।
  2. आग्नेय दिशा:
    ॐ इन्द्राय नमः।
  3. दक्षिण दिशा:
    ॐ यमाय नमः।
  4. नैऋत्य दिशा:
    ॐ नैऋत्याय नमः।
  5. पश्चिम दिशा:
    ॐ वरुणाय नमः।
  6. वायव्य दिशा:
    ॐ वायवे नमः।
  7. उत्तर दिशा:
    ॐ कुबेराय नमः।
  8. ईशान दिशा:
    ॐ ईशानाय नमः।

दिग्बंधन मंत्र का अर्थ:

दिग्बंधन मंत्र का उद्देश्य है साधक के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण और सुरक्षा का घेरा बनाना।

  • पूर्व दिशा (अग्नि): यह दिशा ज्ञान, प्रकाश और नई शुरुआत का प्रतीक है।
  • आग्नेय दिशा (इंद्र): यह शक्ति और साहस का क्षेत्र है।
  • दक्षिण दिशा (यम): यह सुरक्षा और अनुशासन को इंगित करता है।
  • नैऋत्य दिशा: यह नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने वाली दिशा है।
  • पश्चिम दिशा (वरुण): यह भावनात्मक संतुलन और शांति को दर्शाती है।
  • वायव्य दिशा (वायु): यह प्रेरणा और गति का प्रतिनिधित्व करती है।
  • उत्तर दिशा (कुबेर): यह धन, समृद्धि और उन्नति की दिशा है।
  • ईशान दिशा: यह आध्यात्मिक ऊर्जा और ईश्वर की कृपा का स्थान है।

सार:
दिग्बंधन मंत्र का प्रयोग साधना के दौरान किया जाता है ताकि साधक अपने चारों ओर अदृश्य ऊर्जा का सुरक्षा कवच बना सके। इससे बाहरी बाधाओं का निवारण होता है और साधना निर्विघ्न रूप से पूर्ण होती है।


छिन्नमस्ता बीज मंत्र व उसका अर्थ

बीज मंत्र:

“हूं”

अर्थ:

“हूं” शब्द शक्ति और साहस का प्रतीक है। यह मंत्र साधक को आत्मविश्वास, धैर्य, और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।


जप काल में सेवन योग्य चीजें

  1. फल और सूखे मेवे
  2. शुद्ध जल
  3. दूध और दूध से बने पदार्थ
  4. घी और मिश्री
  5. ताजे फल और सब्जियां
  6. अनाज जैसे गेहूं और चावल
  7. गुड़ और चीनी
  8. तुलसी के पत्ते
  9. शहद
  10. नारियल पानी
  11. खजूर और किशमिश
  12. सादा भोजन
  13. नींबू पानी
  14. जड़ी-बूटियों से युक्त पेय
  15. दालें और साबुत अनाज
  16. सत्तू
  17. सफेद तिल
  18. पपीता और सेब

पूजा सामग्री व मंत्र विधि

3 बाती वाला सरसो के तेल का दीपक जलाये। २० मिनट व ११ दिन तक इस बीज मंत्र का जप करे।

आवश्यक सामग्री:

  • चावल
  • नारियल
  • फूल (लाल और पीले रंग के)
  • दीपक और घी
  • अगरबत्ती
  • रोली और चंदन
  • काले तिल
  • मिश्री
  • जल कलश

विधि:

  1. स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें।
  2. लाल कपड़े पर छिन्नमस्ता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  4. पूजा सामग्री को उचित स्थान पर रखें।
  5. विनियोग मंत्र का उच्चारण करें।
  6. 20 मिनट तक रोज “हूं” मंत्र का जप करें।

मंत्र जप के दिन, अवधि, और मुहूर्त

  • दिन: मंगलवार और शुक्रवार
  • अवधि: 11 दिनों तक प्रतिदिन 20 मिनट
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 बजे से 6:00 बजे तक)

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मंत्र जप के नियम

  1. 20 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति ही जप करें।
  2. पुरुष और स्त्री दोनों कर सकते हैं।
  3. नीले और काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से बचें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप सावधानियां

  1. पूजा स्थल स्वच्छ रखें।
  2. ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें।
  3. उच्चारण में शुद्धता का ध्यान रखें।
  4. जप के दौरान विचार शुद्ध रखें।
  5. बीच में मंत्र जप न रोकें।

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छिन्नमस्ता मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: यह मंत्र कब शुरू करना चाहिए?

उत्तर: मंगलवार या शुक्रवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में।

प्रश्न 2: क्या इसे स्त्रियां कर सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्रियां भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं।

प्रश्न 3: क्या साधना के दौरान व्रत करना अनिवार्य है?

उत्तर: व्रत अनिवार्य नहीं है, लेकिन शुद्ध आहार का पालन करें।

प्रश्न 4: इस मंत्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर: तामसिक शक्तियों से सुरक्षा और आत्मिक शक्ति का विकास।

प्रश्न 5: कितनी बार जप करना चाहिए?

उत्तर: रोजाना 108 बार जप करें।

प्रश्न 6: क्या साधना में मंत्र का उच्चारण जोर से करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र का उच्चारण धीमे स्वर में या मानसिक रूप से करें।

प्रश्न 7: क्या नीले और काले कपड़े पहन सकते हैं?

उत्तर: नहीं, साधना के दौरान नीले और काले कपड़े वर्जित हैं।

प्रश्न 8: क्या इस मंत्र का प्रभाव तुरंत होता है?

उत्तर: नियमित जप से धीरे-धीरे सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 9: क्या यह मंत्र तांत्रिक है?

उत्तर: नहीं, यह सामान्य साधना के लिए है।

प्रश्न 10: मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: भगवान को धन्यवाद दें और प्रसाद ग्रहण करें।

प्रश्न 11: इस मंत्र को कौन नहीं कर सकता?

उत्तर: 20 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति।

प्रश्न 12: क्या गर्भवती महिलाएं यह मंत्र जप कर सकती हैं?

उत्तर: नहीं, गर्भवती महिलाओं के लिए यह उपयुक्त नहीं है।

BOOK (24-25 MAY 2025) APRAJITA SADHANA AT DIVYAYOGA ASHRAM (ONLINE/ OFFLINE)

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