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Ganga Chalisa paath for paap mukti

गंगा चालीसा एक भक्तिपूर्ण काव्य है जो माँ गंगा की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन करता है। यह चालीसा भगवान शिव की प्रिय नदी गंगा को समर्पित है, जो पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक मानी जाती है। गंगा चालीसा का पाठ करने से जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा को शांति प्राप्त होती है।

चालीसा का पाठ

॥ दोहा ॥
मातु गंगे तेरी महिमा, अमित कही नहिं जाहिं।
सतत शरण जो ध्यान धरे, हरो पाप की माहिं॥

॥ चौपाई ॥
जय गंगे माता, जय सुखदायिनी, हरिहर माया।
तव जल निर्मल, अमृत समाना, सकल पाप हर, मंगल कारन॥
जनम मरण के संकट हरनी, दरिद्रता के दुख निवारिणी।
सर्व कामना सिद्धि करणी, कीरति दे गंगा भव भरणी॥
गंगा तव सुख अमित अनूपा, धरत चरन शंकर महि भूपा।
रामसुता जग जननि भवानी, तव प्रभाव कही नहिं बखानी॥
तव प्रभुता ब्रह्मा हरिदानी, कथा अमिट जग वेद पुरानी।
जो सुत तव शरण सहज सुलभा, सोई भव सागर तर उभा॥
जयति त्रिभुवन तारिणी गंगे, प्रेम सहित पावन जल अंगे।
पारस पावक में अति शीतल, तव जल निर्मल हित हीतल॥
त्रिपथगा भव हितकारी, हरन सदा संकट भारी।
तव जल अमृत पावन गंगा, सकल मनोकामना संगा॥
जो जन तव ध्यान लगावत, भवसागर पार उतरावत।
जो तव नाम लेत नहावत, सोई शान्ति सुख आनन्द पावत॥
जय जय जयति भगीरथ दायिनी, सकल मनोरथ फलदायिनी।
जय हो जयति देव सुरेश्वरी, सकल महा मुनि वन्दित वेद गा॥
मातु गंगे मैं सदा शरण तव, जीवन मरन सदा शरण तव।
हूँ सन्तान शरण मम मायाक, हरहु मातु हरी जन धायाक॥
जयति जयति गंगे हर हरणी, सन्त सुख सागर भव तरणी।

पाठ के लाभ

  1. पापों का नाश: गंगा चालीसा के पाठ से जीवन के पापों का नाश होता है।
  2. मोक्ष की प्राप्ति: यह पाठ मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
  3. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और भगवान के समीपता का अनुभव होता है।
  5. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. आर्थिक समृद्धि: आर्थिक समस्याओं से मुक्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  7. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख और शांति का वास होता है।
  8. संकट निवारण: जीवन में आने वाले संकटों का निवारण होता है।
  9. कर्मों की शुद्धि: कर्मों की शुद्धि और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
  10. सफलता: कार्यों में सफलता और उन्नति प्राप्त होती है।
  11. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  12. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश और सुरक्षा मिलती है।
  13. मन की एकाग्रता: मन की एकाग्रता और ध्यान की शक्ति बढ़ती है।
  14. संतोष: जीवन में संतोष और संतुलन का अनुभव होता है।
  15. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  16. धार्मिक उन्नति: धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  17. मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
  18. दीर्घायु: दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।
  19. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा मिलती है।
  20. संतोषजनक जीवन: संतोषजनक और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।

चालीसा पाठ विधि

  1. दिन: गंगा चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन गंगा दशहरा और माघ पूर्णिमा विशेष रूप से लाभकारी माने जाते हैं।
  2. अवधि: प्रतिदिन एक बार गंगा चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसे 40 दिनों तक निरंतर करना उत्तम होता है।
  3. मुहुर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) या संध्या के समय गंगा चालीसा का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है।

नियम

  1. स्नान: पाठ करने से पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: एक स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठकर आसन लगाएं।
  3. ध्यान: माँ गंगा का ध्यान और उनकी छवि को मन में स्थापित करें।
  4. श्रद्धा: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ चालीसा का पाठ करें।
  5. शुद्धता: मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें।

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गंगा चालीसा पाठ में सावधानियाँ

  1. ध्यान केंद्रित करें: पाठ के समय ध्यान को इधर-उधर न भटकाएं।
  2. श्रद्धा और भक्ति: पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ ही पाठ करें।
  3. व्यवधान न हो: पाठ के समय किसी भी प्रकार का व्यवधान न आने दें।
  4. सात्त्विक भोजन: पाठ के दौरान सात्त्विक और शुद्ध भोजन का सेवन करें।
  5. नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करें, बीच में न छोड़ें।

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गंगा चालीसा से संबंधित सामान्य प्रश्न

  1. गंगा चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या संध्या के समय।
  2. गंगा चालीसा का पाठ किस दिन करना चाहिए?
    • किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन गंगा दशहरा और माघ पूर्णिमा विशेष लाभकारी होते हैं।
  3. क्या गंगा चालीसा का पाठ केवल विशेष अवसरों पर करना चाहिए?
    • नहीं, इसे नियमित रूप से किया जा सकता है।
  4. गंगा चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • प्रतिदिन एक बार पाठ करना चाहिए, और इसे 40 दिन तक निरंतर करना उत्तम होता है।
  5. क्या गंगा चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम हैं?
    • हाँ, स्वच्छता, श्रद्धा, और नियमितता का पालन करना चाहिए।
  6. गंगा चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    • मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और संकट निवारण।
  7. क्या गंगा चालीसा का पाठ आर्थिक उन्नति में सहायक होता है?
    • हाँ, आर्थिक समस्याओं से मुक्ति और उन्नति होती है।
  8. क्या गंगा चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    • हाँ, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  9. गंगा चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
    • कोई भी श्रद्धालु व्यक्ति कर सकता है।
  10. गंगा चालीसा का पाठ किस स्थान पर करना चाहिए?
    • स्वच्छ और शांत स्थान पर।
  11. क्या गंगा चालीसा का पाठ शत्रु नाश में सहायक होता है?
    • हाँ, शत्रुओं का नाश और सुरक्षा मिलती है।
  12. क्या गंगा चालीसा का पाठ संकटों से मुक्ति दिलाता है?
    • हाँ, जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है।
  13. क्या गंगा चालीसा का पाठ संतान सुख की प्राप्ति में सहायक है?
    • हाँ, देवी की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  14. क्या गंगा चालीसा का पाठ मानसिक शक्ति बढ़ाता है?
    • हाँ, मानसिक शक्ति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  15. क्या गंगा चालीसा का पाठ किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया जा सकता है?
    • हाँ, विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भी किया जा सकता है, जैसे आर्थिक उन्नति, स्वास्थ्य लाभ, आदि।

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