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Gauri Vrat – Overcome Marriage Challenges Easily

गौरी व्रत – योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम उपाय

गौरी व्रत विशेष रूप से अविवाहित कन्याओं द्वारा किया जाता है, ताकि उन्हें योग्य जीवनसाथी प्राप्त हो। इस व्रत में माँ गौरी, जिन्हें पार्वती के नाम से भी जाना जाता है, की पूजा की जाती है। माँ गौरी सौंदर्य, समर्पण और वैवाहिक सुख की देवी मानी जाती हैं। उनके आशीर्वाद से विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं। यह व्रत विशेष रूप से गुजरात और राजस्थान में अधिक लोकप्रिय है।

गौरी व्रत विधि

  1. प्रातः काल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. घर में या मंदिर में माँ गौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. देवी गौरी की पूजा करने के लिए “ॐ गौरीपतये नमः” मंत्र का जाप करें।
  4. पंचामृत, फल और मिठाइयों का भोग चढ़ाएं।
  5. पूरे दिन उपवास रखें और शाम को फलाहार करें।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

  • खाएं: फल, दूध, दही, मेवे, साबूदाना।
  • न खाएं: अनाज, नमक, मिर्च-मसाले, तली हुई चीजें।

व्रत कब से कब तक रखें

गौरी व्रत को विशेष रूप से आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में किया जाता है। इसके अलावा किसी मंबलवार से भी शुरु कर सकते है। यह व्रत लगातार 5 दिनों तक चलता है। कन्याएँ इसे माँ गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करती हैं।

गौरी व्रत से लाभ

  1. विवाह में आ रही अड़चनें समाप्त होती हैं।
  2. योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
  3. सौभाग्य में वृद्धि होती है।
  4. पारिवारिक सुख और शांति मिलती है।
  5. मानसिक शांति और धैर्य प्राप्त होता है।
  6. व्रती के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  8. समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
  9. माता-पिता का आशीर्वाद मिलता है।
  10. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  11. निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
  12. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  13. संबंधों में मधुरता आती है।
  14. आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है।
  15. वाणी में मिठास और सहजता आती है।
  16. संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है।
  17. पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।

गौरी व्रत के नियम

  1. व्रत के दौरान सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
  2. रोज़ाना माँ गौरी की पूजा करें।
  3. व्रत के दौरान फलाहार या निर्जल व्रत रखें।
  4. ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन को शांत रखें।
  5. नकारात्मक विचारों और वाद-विवाद से दूर रहें।
  6. सभी व्रत नियमों का पालन ईमानदारी से करें।

गौरी व्रत की संपूर्ण कथा

गौरी व्रत की कथा भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य प्रेम और समर्पण की कहानी है। यह कथा उन कन्याओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो अपने जीवन में प्रेम और समर्पण से भरे हुए जीवनसाथी की प्राप्ति की कामना करती हैं।

कथा के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव को अपना पति बनाना चाहती थीं। उन्होंने बचपन से ही भगवान शिव को मन, वचन और कर्म से अपना जीवनसाथी मान लिया था। परंतु भगवान शिव तपस्या में लीन थे और विवाह के प्रति कोई रुचि नहीं रखते थे। इस कारण माता पार्वती को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

अपने लक्ष्य को पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या का संकल्प लिया। उन्होंने कई वर्षों तक घोर तप किया, बिना भोजन और जल के, केवल ध्यान और साधना में लीन रहीं। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि देवताओं और ऋषि-मुनियों ने भी उनकी तपस्या की महिमा का वर्णन किया।

माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी भक्ति, प्रेम और तपस्या को स्वीकार किया। भगवान शिव ने माता पार्वती को अपना अर्धांगिनी बनाया और उनके साथ विवाह किया। यह विवाह एक दिव्य आयोजन था, जिसमें सभी देवता और ऋषि-मुनि उपस्थित थे।

माता पार्वती ने कन्याओं के लिए इस व्रत को बताया, ताकि वे भी इस व्रत को करके अपने मनपसंद और योग्य जीवनसाथी प्राप्त कर सकें। इस कथा के अनुसार, जो कन्याएँ गौरी व्रत करती हैं, उन्हें जीवन में प्रेमपूर्ण और सुखमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।

गौरी व्रत का पालन माता पार्वती की तरह धैर्य, समर्पण और निष्ठा से करना चाहिए। यह व्रत न केवल वैवाहिक जीवन में सफलता दिलाता है, बल्कि जीवन में आध्यात्मिक उन्नति भी लाता है।

गौरी व्रत का भोग

माँ गौरी को भोग में विशेष रूप से सफेद मिठाइयाँ, जैसे दूध की खीर, चावल, फल और सूखे मेवे अर्पित किए जाते हैं। माँ को सादगी और प्रेम से बना हुआ भोजन प्रिय है।

व्रत कब प्रारंभ और समाप्त करें

व्रत को सूर्योदय से पहले प्रारंभ करें और पूरा दिन उपवास रखें। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है, जब विधिवत पूजा समाप्त हो जाती है।

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व्रत से संबंधित सावधानियाँ

  1. मन को शांत रखें और नकारात्मकता से बचें।
  2. पूजा स्थल की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  3. किसी से झूठ बोलने या छल करने से बचें।
  4. सात्विक आहार का पालन करें और तामसिक भोजन से दूर रहें।
  5. व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के मानसिक तनाव से बचें।

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गौरी व्रत- प्रमुख प्रश्न और उत्तर

1. गौरी व्रत कौन कर सकता है?

उत्तर: यह व्रत विशेष रूप से अविवाहित कन्याओं द्वारा किया जाता है, परंतु विवाहित महिलाएँ भी कर सकती हैं।

2. क्या पुरुष गौरी व्रत कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, पुरुष भी गौरी व्रत कर सकते हैं यदि वे अपनी इच्छाओं की पूर्ति चाहते हैं।

3. व्रत में क्या खाना चाहिए?

उत्तर: फल, दूध, दही, साबूदाना और मेवे खा सकते हैं।

4. गौरी व्रत कितने दिन तक रखा जाता है?

उत्तर: यह व्रत 5 दिन तक चलता है।

5. क्या व्रत के दौरान जल पी सकते हैं?

उत्तर: निर्जल व्रत का पालन करना चाहिए, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर जल ले सकते हैं।

6. क्या व्रत में अनाज खाना उचित है?

उत्तर: नहीं, व्रत के दौरान अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।

7. व्रत की पूजा का समय क्या है?

उत्तर: पूजा सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद की जाती है।

8. क्या व्रत के दौरान झूठ बोलना ठीक है?

उत्तर: नहीं, व्रत के दौरान झूठ बोलने से बचना चाहिए।

9. क्या व्रत के दौरान विशेष दान करना चाहिए?

उत्तर: सफेद वस्त्र, दूध और मिठाई का दान शुभ माना जाता है।

10. क्या व्रत के दौरान यात्रा कर सकते हैं?

उत्तर: यात्रा से बचना चाहिए, परंतु विशेष स्थिति में की जा सकती है।

11. क्या व्रत के दौरान मनोरंजन करना उचित है?

उत्तर: नहीं, व्रत के दौरान ध्यान और साधना पर ध्यान देना चाहिए।

12. क्या व्रत के दौरान विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए?

उत्तर: हाँ, “ॐ गौरीपतये नमः” मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ होता है।

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