Goddess Worship Guide for Sharad Navratri

Goddess Worship Guide for Sharad Navratri

शारदीय नवरात्रि 2024 – नौ दिनों की देवी पूजा, विधि और मंत्रों का महत्व

शारदीय नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो माँ दुर्गा की उपासना को समर्पित है। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है, एक चैत्र में और दूसरा आश्विन महीने में, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं। यह पर्व 9 दिनों तक चलता है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस समय साधक उपवास, पूजा और मंत्रों के माध्यम से देवी की कृपा प्राप्त करते हैं। नवरात्रि के समय शक्ति की उपासना से जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है।

प्रथम दिन: माँ शैलपुत्री की पूजा

प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यह माँ पार्वती का स्वरूप है, जिन्हें पर्वतों की पुत्री कहा जाता है। पूजा विधि में साधक सर्वप्रथम घटस्थापना करते हैं, फिर माँ शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र का आवाहन किया जाता है।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं शैलपुत्र्यै दुं नमः”
माँ की पूजा करते समय दीप, फूल, धूप और नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
लाभ: इस दिन की पूजा से जीवन में स्थिरता और शक्ति प्राप्त होती है।

द्वितीय दिन: माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा

दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। यह तप और साधना का प्रतीक है। साधक माँ की पूजा करते हैं और उनसे मानसिक शांति और धैर्य की प्रार्थना करते हैं।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं ब्रह्मचारिण्यै दुं नमः”
पूजा विधि में जल, दूध, पुष्प और फल का अर्पण होता है।
लाभ: इस दिन की पूजा से साधक को आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति मिलती है।

तृतीय दिन: माँ चंद्रघंटा की पूजा

तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो शांति और समृद्धि का प्रतीक है। साधक माँ की पूजा घंटा और शंख ध्वनि के साथ करते हैं।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं चंद्रघंटायै दुं नमः”
साधक इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं।
लाभ: इस दिन की पूजा से व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा और साहस मिलता है।

चतुर्थ दिन: माँ कूष्मांडा की पूजा

चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है। यह ब्रह्मांड की सृजनकर्ता मानी जाती हैं।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं कूष्मांडायै दुं नमः”
पूजा विधि में दीप, धूप, पुष्प, और नारियल अर्पित किया जाता है।
लाभ: इस दिन की पूजा से साधक को आरोग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

पंचम दिन: माँ स्कंदमाता की पूजा

पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। यह माँ कार्तिकेय की माता हैं।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं स्कंदमातायै दुं नमः”
पूजा में सफेद फूल, धूप और फल चढ़ाए जाते हैं।
लाभ: इस दिन की पूजा से संतान प्राप्ति और उनके कल्याण का वरदान मिलता है।

षष्ठम दिन: माँ कात्यायनी की पूजा

छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा होती है। यह शक्ति का प्रतीक हैं।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं कात्यायन्यै दुं नमः”
साधक माँ को शहद, फल और चंदन अर्पित करते हैं।
लाभ: इस दिन की पूजा से विवाह और परिवारिक जीवन में सुख-शांति मिलती है।

सप्तम दिन: माँ कालरात्रि की पूजा

सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। यह अज्ञान और भय को समाप्त करने वाली देवी मानी जाती हैं।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं कालरात्र्यै दुं नमः”
इस दिन साधक माँ को गुड़ और धूप अर्पित करते हैं।
लाभ: इस पूजा से साधक को भय और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।

अष्टम दिन: माँ महागौरी की पूजा

आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। यह शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक हैं।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं महागौर्यै दुं नमः”
पूजा विधि में साधक माँ को सफेद वस्त्र, नारियल और मिठाई अर्पित करते हैं।
लाभ: इस दिन की पूजा से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त होते हैं।

नवम दिन: माँ सिद्धिदात्री की पूजा

नवम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं सिद्धिदात्र्यै दुं नमः”
पूजा विधि में पीले फूल, हल्दी और फल चढ़ाए जाते हैं।
लाभ: इस दिन की पूजा से साधक को आध्यात्मिक और भौतिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

शारदीय नवरात्रि के लाभ

शारदीय नवरात्रि के दौरान देवी के नौ स्वरूपों की पूजा से साधक को आध्यात्मिक उन्नति, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह समय ऊर्जा और शक्ति का संचय करने का है। माँ दुर्गा की कृपा से जीवन में शांति, धन और परिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।

पूजा सामग्री

  • कलश
  • नारियल
  • आम के पत्ते
  • फूल (विशेषकर लाल और सफेद)
  • फल (विशेषकर नारियल, केले)
  • दीपक
  • कपूर
  • चंदन
  • धूप

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शारदीय नवरात्रि के नियम

  1. नवरात्रि के दौरान उपवास रखें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  2. पूरे 9 दिनों तक साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. हर दिन माँ के अलग-अलग स्वरूप की पूजा करें।
  4. पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और देवी का आह्वान करें।
  5. भोग में सात्विक भोजन अर्पित करें और परिवार के साथ बांटें।

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शारदीय नवरात्रि पृश्न उत्तर

1. शारदीय नवरात्रि का क्या महत्व है?

शारदीय नवरात्रि माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का पर्व है, जो शक्ति, समृद्धि और आशीर्वाद के लिए मनाया जाता है।

2. शारदीय नवरात्रि कब मनाई जाती है?

शारदीय नवरात्रि आश्विन महीने में आती है, जो सामान्यतः सितंबर या अक्टूबर में होती है।

3. नवरात्रि के पहले दिन कौन सी देवी की पूजा होती है?

नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं।

4. नवरात्रि के दौरान कौन सा व्रत रखा जाता है?

नवरात्रि के दौरान साधक उपवास रखते हैं, जिसमें केवल फल और सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है।

5. कलश स्थापना का क्या महत्व है?

कलश स्थापना शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। इससे पूजा की शुरुआत होती है और देवी का आह्वान होता है।

6. क्या नवरात्रि के दौरान हर दिन अलग देवी की पूजा होती है?

हाँ, नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जैसे शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी आदि।

7. नवरात्रि के लिए आवश्यक पूजा सामग्री क्या है?

कलश, नारियल, फूल, फल, दीपक, चंदन, धूप और कपूर प्रमुख पूजा सामग्री हैं।

8. नवरात्रि के कौन से दिन कन्या पूजन किया जाता है?

अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है, जिसे कंजक पूजन भी कहा जाता है।

9. क्या नवरात्रि के दौरान उपवास रखना अनिवार्य है?

नहीं, उपवास रखना अनिवार्य नहीं है, यह साधक की श्रद्धा और सामर्थ्य पर निर्भर करता है।

10. नवरात्रि के दौरान कौन से विशेष मंत्र का जाप किया जाता है?

नवरात्रि के दौरान “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप किया जाता है, जो माँ दुर्गा का बीज मंत्र है।

11. क्या नवरात्रि के दौरान केवल माँ दुर्गा की पूजा की जाती है?

नवरात्रि के मुख्य देवता माँ दुर्गा हैं, लेकिन पूजा में भगवान शिव और भगवान विष्णु का भी स्मरण किया जाता है।

12. नवरात्रि के बाद दशहरा क्यों मनाया जाता है?

दशहरा नवरात्रि के बाद मनाया जाता है, यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, जब भगवान राम ने रावण का वध किया था।